११ सितम्बर का दिन निर्धारित किया है, अमेरिका के एक छोटे से चर्च ने 'क़ुरान जलाओ दिवस के रूप में '
यह बहुत ही निंदनीय बात होगी ..इसकी भर्त्सना होनी ही चाहिए..किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का अधिकार किसी को नहीं है...इससे न सिर्फ़ आम लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचती है..बल्कि अल-क़ायदा जैसी संस्थाएं इसका फायदा उठाते हुए, अमन और शांति भंग करने का अवसर भी पाएंगी...
यह काम हर नज़र से ग़लत है...इसका बहिष्कार होना ही चाहिए...
Downing Street condemns Koran burning plan
Plans by a small US church to burn the Koran on the anniversary of 9/11 have been condemned by Downing Street.
The Prime Minister's spokesman joined a chorus of international condemnation, saying he "strongly opposed" any attempt to offend a religious group.Former Prime Minister Tony Blair described the act as "disrespectful and wrong" and suggested people read the Koran, rather than burn it.
The pastor behind the threat said it was one way to stand up to terrorism.
http://www.bbc.co.uk/news/uk-11245480
बेहद निंदनीय घोषणा| आतंक का कोई धर्म नही होता है|
ReplyDeleteब्रहमांड पर भी अवश्य पधारे
बेहद निंदनीय कृत्य है..
ReplyDeleteमैं इस निर्णय की कड़ी निंदा करता हूँ ...........
ReplyDeleteनितान्त अधार्मिक, अनैतिक और अमानवीय घोषणा है ये
किसी भी धर्म के पवित्र ग्रन्थ को जलाना निंदनीय है ऐसी प्रवृति की जितनी निदा की जाए कम होगी...
ReplyDeleteकिसी की धार्मिक आस्थाओं पर चोट करना बिल्कुल गलत बात है ।
ReplyDeleteघोर निंदनीय अपराध ।
bhn ji apane aek aek bat shi likhi he. akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteकिस्म किस्म के पागल है, किस किस को समझाइये,
ReplyDeleteवो नहीं समझेंगे कुछ , ये बात आप ही समझ जाइएये ..
बहुत ही खराब और भड़काने वाला काम है, टोनी ब्लेयर की बात अच्छी लगी, कुरान को जलाइए नहीं बल्कि पढ़िए. पढ़ लेते तो ऐसे गन्दी सोच रखते ही नहीं.
ReplyDeleteझक्की है ये बूढ़ा.
ReplyDeleteगलत है।
ReplyDeleteजबकि कुरआन में उनके पूज्य जीसस का भी नाम कई जगह है. कुरआन जलाएंगे तो क्या जीसस का नाम नहीं जलेगा?
ReplyDeleteआतंक का कोई धर्म नही होता है|
ReplyDeleteVery sad!
ReplyDeleteअवश्य ही निंदनीय है ....
ReplyDeleteयह काम हर नज़र से ग़लत है...इसका बहिष्कार होना ही चाहिए...
ReplyDeleteअब ईसा और मूसा के चेले लड रहे है हम इसमे क्या कहे या करे .वैसे गलत तो दोनो ही है .
ReplyDeleteहम भी निंदा करते हैं जी इस कुकृत्य की। जब तालिबान ने बुद्ध की प्रतिमा नष्ट की थी, तब भी हमने निंदा की थी। और रही बात अल कायदा वगैरह की तो, अपना तो ये मानना है कि जिसे जो करना है वो बहाने ढूंढ ही लेते हैं। जब तक इस भड़काऊ काम का आह्वान नहीं हुआ था, उससे पहले ही अल कायदा जैसे संगठन, चाहे वह किसी भी धर्म से संबंधित हों, अमन और शांति के क्षेत्र में व्यस्त हैं ही।
ReplyDeleteहम दिल से कुरान या किसी भी पवित्र पुस्तक को जलाने का विरोध करते हैं।
क्या कहूं ? उनकी वे करें मेरी मैं करता रहूं ?
ReplyDeleteबेहद अफ़सोस की बात है.
ReplyDeleteलोग भड़काते हैं तो कुछ जाहिल भड़कते हैं. फिर भड़काने वाले खुद ही आरोप लगाते हैं कि देखो इन लोगों की हरकतें....
बिलकुल सही कहा आपने कि इसकी निंदा होनी चाहिए, मगर अब एक सवाल मुसलमानों से : कि पास्टर ने अपना कार्यकर्म रद्द करने की घोषणा कर दी है , क्या अब मुसलमान भी सद्भावना के तौर पर न्युयोर्क सेंटर में मस्जिद बन्नाने की अपनी जिद छोड़ेंगे ?
ReplyDeleteऐसे घोर निन्दनीय कृत्य की सोची तो देखिये ना आज क्या हाल है वहाँ सैन फ़्रांसिस्को कैसे जल रहा है कितने ही घरों मे आग लग गयी …………………जब धर्म का अपमान होगा तो उसका दंड भुगतने के लिये भी तैय्रार रहना चाहिये………………अभी तो सिर्फ़ सोचा था तो ये हो गया अगर कर दिया होता तो ना जाने क्या कहर बरसता।
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आपने कि इसकी निंदा होनी चाहिए, मगर अब एक सवाल मुसलमानों से : कि पास्टर ने अपना कार्यकर्म रद्द करने की घोषणा कर दी है , क्या अब मुसलमान भी सद्भावना के तौर पर न्युयोर्क सेंटर में मस्जिद बन्नाने की अपनी जिद छोड़ेंगे ?
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ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
अब जब मुद्दा ही खत्म हो गया तो कुछ कहना ही बेकार है ।
ReplyDeleteक्या मुद्दा खत्म हुआ है?
ReplyDeleteया बस शुरू हो रहा है?
क्या अमरीकी सरकार से चर्च के लिए डोनेशन एंठने की यह एक चाल है?
अमरीकी सरकार तो यहीं सोचेगी कि यह उनके लिए कम महँगा पडेगा।
यदि पैस्टर को रोका नहीं गया तो दुनिया भर में हंगामा होगा और कई सारे अमरीकी लोग मारे जाएंगे। अवश्य कोई फ़तवा जारी किया जाएगा और कोई मुल्लह इस पैस्टर का सर माँगेगा। अमरीकी सरकार को एक और जिम्मेदारी अपने सर पर लेनी होगी और वह है आजीवन इस पैस्टर की सुरक्षा!
पैस्टर की यह धमकी निश्चय ही निन्दनीय है पर सरकार क्या कर सकती है?
केवल किताब जलाना गैर कानूनी नहीं है। अमरीकी कानून के अनुसार शायद कुरान केवल एक किताब है।
पैस्टर तो यही कहेगा कि जब अमरीकी झंडे देश के बाहर जलाया जा सकता है, तो अपने ही देश में मुझे एक किताब जलाने का हक भी चाहिए। किताब मेरी है, मैने खरीदी है। अपने ही घर में अपने खर्च पर इसे जलाना चाहता हूँ। इस्लाम के कानून मुझ पर लागू क्यों हो? क्या अमरीकी कानून मुस्लिम देशों पर लगू होते है? यह कायरता क्यो? वगैरह वगैरह
यह मेरे विचार बिल्कुल नहीं हैं. बस इस पागल पैस्टर का मन पढने की कोशिश कर रहा हूँ।
एक और बात। कुछ अमरीकी लोग इस योजना का विरोध केवल इसलिए कर रहे हैं कि उन्हें डर है के देश के बाहर के अमरीकी लोगों को खतरा होगा। इस योजना को गलत नहीं कह रहे हैं और भर्त्सना नहीं कर रहे हैं। यह भी दुख देने वाली बात है।
ताजा समाचार के अनुसार पैस्टर ने इस योजना को "सस्पेंड" किया है पर छोडा नहीं।
लगता है उसे उसकी मुँह माँगी रकम मिल गई!
अभी एक दिन और बाकी है। देखते हैं आगे क्या होता है।
जी विश्वनाथ, बेंगळूरु