मेरी ख्वाहिशों की सरहद न पूछ कम से कम मुझे दोआलम चाहिए
कभी कहीं सुना था कि कूज़ा में समंदर उतारने का भी हुनर होता है आप की ये दो पंक्तियाँ इसे सही साबित कर रही हैं बहुत खूब और आभार इतनी अच्छी पंक्तियाँ पढ़ने देने के लिए
वामन अवतार ने तीन डग में सारी दुनिया नाप ली थी, आपने एक शेर में दो आलम की ख्वाहिश कर दी। बस इतना सा ख्वाब है? चित्र बहुत अच्छा है, गीत तो मधुर ही होगा।
आभार स्वीकार करें कि हमारे खुदा को ज्यादा शेर नहीं पेश किये, हां नहीं तो।
जो हमने दास्तां अपनी सुनाई...बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteशेर: उम्दा!!!
खुदा से दो आलम तो चाहा है पर
ReplyDeleteकभी ये भी सोच उस को क्या चाहिए
ख्वाहिश और आलम के पार भी कुछ है ...
ReplyDeleteमेरी ख्वाहिशों की सरहद न पूछ
ReplyDeleteकम से कम मुझे दोआलम चाहिए
कभी कहीं सुना था कि कूज़ा में समंदर उतारने का भी हुनर होता है
आप की ये दो पंक्तियाँ इसे सही साबित कर रही हैं
बहुत खूब और आभार इतनी अच्छी पंक्तियाँ पढ़ने देने के लिए
सुन्दर गीत बहुत पसंद आया ...धन्यवाद !
ReplyDeleteआपको सपरिवार श्री कृष्णा जन्माष्टमी की शुभकामना ..!!
बड़ा नटखट है रे .........रानीविशाल
जय श्री कृष्णा
बहुत ही सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteमेरी ख्वाहिशों की सरहद न पूछ
ReplyDeleteकम से कम मुझे दो आलम चाहिए …
आप क्यों रोये … जो हमने दास्तां अपनी सुनाई
ख़ूब है शे'र
… … … और गीत !
वाऽऽह !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
वाह वाह !!
ReplyDeleteउम्दा शेर...बधाई
ReplyDeleteGirijesh ji kahin :
ReplyDeleteदो पंक्तियाँ अर्ज हैं:
ख्वाहिशें कहाँ रहीं जो तुम मिल गए?
मेरी नज़र में अब कोई क्षितिज नहीं।
इस ब्लाग पर अक्सर मीना कुमारी की तस्वीर देखते हुए ये ख्याल रहा...हम तेरे प्यार में सारा आलम खो...
ReplyDeleteतो क्या वो अब बदल गई हैं :)
है तो एक मगर दस के बराबर
ReplyDeleteबिलकुल सही...
ReplyDeleteमैं ज्यादा नहीं मांगती!!!
हैना!?!?!?!
हाँ नहीं तो!
आशीष
ek sher hi saba sher hai.......:)
ReplyDeleteअच्छी पंक्तिया है .........
ReplyDelete( क्या चमत्कार के लिए हिन्दुस्तानी होना जरुरी है ? )
http://oshotheone.blogspot.com
बहुत अच्ची रचना …………।उम्दा
ReplyDeleteवाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
ReplyDeleteLAJWAABBBBBBB
ReplyDeleteहज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर शेर पे दम निकले :)
ReplyDeleteवामन अवतार ने तीन डग में सारी दुनिया नाप ली थी, आपने एक शेर में दो आलम की ख्वाहिश कर दी।
ReplyDeleteबस इतना सा ख्वाब है?
चित्र बहुत अच्छा है, गीत तो मधुर ही होगा।
आभार स्वीकार करें कि हमारे खुदा को ज्यादा शेर नहीं पेश किये, हां नहीं तो।