Monday, September 13, 2010

ब्लॉग जगत एटम पर बैठा....


छल-कपट, खोट को त्याग
अब झूठ की लंका से भाग

ब्लॉग जगत एटम पर बैठा
छेड़ रहा है दीपक राग

खोल के रखो सोच की खिड़की
डंस लेंगे गफ़लत के नाग

सावन भी अब जल जाएगा
चारों तरफ इशक की आग


13 comments:

  1. जाइए आप कहां जाएंगे,
    ये नज़र लौट के फिर आएगी...

    जय हिंद...

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  2. सार्थक और सराहनीय विचार ..लेकिन हर कोई एक जैसा नहीं है बहुत लोग हैं जिनकी आत्मा जिन्दा है और उनमे छल-कपट भी नहीं है ....

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  3. इत्ता छोटा हो गया ब्लॉग जगत एटम पर बैठ गया। वाह!

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  4. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

    राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश कि शीघ्र उन्नत्ति के लिए आवश्यक है।

    एक वचन लेना ही होगा!, राजभाषा हिन्दी पर संगीता स्वारूप की प्रस्तुति, पधारें

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  5. ऐसे कैसे त्याग दें जी? फ़िर हमें कौन जानेगा?
    तस्वीर बहुत अच्छी है।

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  6. एटम बनाम दीपक राग ! खुली सोच बनाम गफलत ! इश्क बनाम सावन का जल जाना ! बड़े ही सुन्दर ख्यालों पर खड़ी है कविता !

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  7. ब्लॉग जगत शायद इलेक्ट्रॉन है । नेति नेति !

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  8. चिंता न करें...ऐसा नहीं होगा...

    अच्छा सोचने और लिखने वाले बहुतेरे हैं इस ब्लॉग जगत में...
    और सुना ही है न ...जबतक अच्छे लोग हैं धरती पर ,इसका विनाश नहीं होगा...

    दूसरों की छोड़ भी दें तो आप अपना उदहारण, सत्यापन और धैर्य धरने के लिए ले सकती हैं...
    नहीं????
    व्यथित न होइए...

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  9. आपकी सोच को नमन अदा जी......... शायद जब एक आम इंसान मेरी तरह ज़हां से सोचना बंद कर देता है आप की सोच वही से प्रारंभ होती है नहीं तो ऐसे सोच कहाँ

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  10. क्या बात है ...बेहतरीन.....
    पर ये कहीं एटम बम वाला एटम तो नही है

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  11. बेहतरीन रचना .

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