Saturday, September 14, 2019

परिचय की गाँठ

अब प्रेम पराग,
अनुराग राग का
उन्माद ठहर चुका है...
बचे हैं कुछ दुस्साहसी
लम्हों की आहट,
मुकर जाने को तत्पर
वैरागी होता मन,
और आस पास
कनखजूरे सी रेंगती
ख़ामोशी....
इतनी भी पुख़्ता नहीं होती
परिचय की गाँठ !!!

Thursday, January 31, 2019

रिश्ते...

ब्लाॅग लिखने से बढ़िया कुछ नहीं...:-) :-)
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वक़्त की साज़िश से,
रिश्ते पनप तो जाते हैं,
मगर उनको कहानी बनते,
देर नहीं लगती ...
रूहानी पंख लिये,
वो सरपट भागते सपने,
विवशता के कुएँ में जब,
औंधे गिरते हैं तो,
क़समों और वादों की सिर्फ़,
गूँज ही सुनाई पड़ती है,
और बची-खुची उम्मीद को तो,
साँप ही सूँघ जाता है....