Monday, September 13, 2010

संजोया दुश्मनों को भी, खज़ाना ही बना डाला .....


लिया इक हर्फ़ हाथों में, फ़साना ही बना डाला
थे पत्थर से इन्सां वो, दीवाना ही बना डाला  

निभाई दुश्मनी हमने, बड़ी शिद्दत से दुनिया में
संजोया दुश्मनों को भी, खज़ाना ही बना डाला  

रखा था इक दीया हमने, हमारे घर की चौखट पर
लगी जब आग, शोलों से, तराना ही बना डाला


कई मजबूरियाँ आईं, जफ़ाओं को निभाने में
कहाँ तक उनको समझाते, बहाना ही बना डाला

छुप कर वार करना 'अदा', अच्छा काम नहीं होता
अंधेरों में छुपे थे वो, निशाना ही बना डाला 


17 comments:

  1. सुप्रभात अदा जी,
    कई मजबूरियाँ आईं, जफ़ाओं को निभाने में
    कहाँ तक उनको समझाते, बहाना ही बना डाला
    बहुत खूब!

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

    राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश कि शीघ्र उन्नत्ति के लिए आवश्यक है।

    एक वचन लेना ही होगा!, राजभाषा हिन्दी पर संगीता स्वारूप की प्रस्तुति, पधारें

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  3. रखा था इक दीया हमने, हमारे घर की चौखट पर
    लगी जब आग, शोलों से, तराना ही बना डाला

    अच्छी पंक्तिया लिखी है आपने ....

    मुस्कुराना चाहते है तो यहाँ आये :-
    (क्या आपने भी कभी ऐसा प्रेमपत्र लिखा है ..)
    (क्या आप के कंप्यूटर में भी ये खराबी है .... )
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com

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  4. एक और बहुत खूबसूरत रचना आपकी, चित्र चयन भी उम्दा।
    आभार।

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  5. "लिया इक हर्फ़ हाथों में, फ़साना ही बना डाला"
    बेहतर तो सारा है पर ये अपने शौक से मेल खाता हुआ लगा सो ज्यादा बेहतर कहेंगे ! कहनें को सरासर पक्षपात है पर क्या किया जाये आज यही ठीक लग रहा है !

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  6. निभाई दुश्मनी हमने, बड़ी शिद्दत से दुनिया में
    संजोया दुश्मनों को भी, खज़ाना ही बना डाला

    BAHUT SUNDAR ADA JI.

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  7. रखा था इक दीया हमने, हमारे घर की चौखट पर
    लगी जब आग, शोलों से, तराना ही बना डाला


    कई मजबूरियाँ आईं, जफ़ाओं को निभाने में
    कहाँ तक उनको समझाते, बहाना ही बना डाला


    बहुत खूबसूरती से एहसास लिखे हैं ...
    वैसे एक शेर कि उलटी सीधी सी लाइन याद आ रही है ..

    दोस्तों को आजमाते जाइये दुश्मनों से प्यार हो जायेगा ..

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  8. अभी लिखा ही था, उसे ब्लाग बना डाला :)

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  9. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 14 - 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  10. निभाई दुश्मनी हमने, बड़ी शिद्दत से दुनिया में
    संजोया दुश्मनों को भी, खज़ाना ही बना डाला !!!

    क्या बात कही वाह...वाह...वाह... !!!!
    हर शेर लाजवाब..... सीधे दिल में उतरने वाले...
    बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल...

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  11. आपकी हर अदा में वो पैना-पन था ए "अदा"
    हर अदा को पढते रहे खोते रहे और मस्त होते रहे ..............

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  12. निभाई दुश्मनी हमने, बड़ी शिद्दत से दुनिया में
    संजोया दुश्मनों को भी, खज़ाना ही बना डाला
    --
    गजल का हरेक शेर काबिले तारीफ है!

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  13. बेहतरीन ....बहुत उम्दा शायरी
    कई मजबूरियाँ आईं, जफ़ाओं को निभाने में
    कहाँ तक उनको समझाते, बहाना ही बना डाला
    आपका ये शे'र मै ले के जा रहा हूँ.

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  14. बेहतरीन ....बहुत उम्दा शायरी
    कई मजबूरियाँ आईं, जफ़ाओं को निभाने में
    कहाँ तक उनको समझाते, बहाना ही बना डाला
    आपका ये शे'र मै ले के जा रहा हूँ.

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  15. बहुत सुंदर भाव है अदा जी |बधाई
    आशा

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  16. निभाई दुश्मनी हमने, बड़ी शिद्दत से दुनिया में
    संजोया दुश्मनों को भी, खज़ाना ही बना डाला ...

    निशाना बना देने की आपकी अदा भी खूब है ...
    ग़ज़ल अच्छी तरह याद है ...कितनी बार भी पढो ...कुछ गज़लें , नज्में , शेर , कविता हर बार नयी सी लगती है

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