थे पत्थर से इन्सां वो, दीवाना ही बना डाला
निभाई दुश्मनी हमने, बड़ी शिद्दत से दुनिया में
संजोया दुश्मनों को भी, खज़ाना ही बना डाला
रखा था इक दीया हमने, हमारे घर की चौखट पर
लगी जब आग, शोलों से, तराना ही बना डाला
कई मजबूरियाँ आईं, जफ़ाओं को निभाने में
कहाँ तक उनको समझाते, बहाना ही बना डाला
छुप कर वार करना 'अदा', अच्छा काम नहीं होता
अंधेरों में छुपे थे वो, निशाना ही बना डाला
सुप्रभात अदा जी,
ReplyDeleteकई मजबूरियाँ आईं, जफ़ाओं को निभाने में
कहाँ तक उनको समझाते, बहाना ही बना डाला
बहुत खूब!
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteराष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश कि शीघ्र उन्नत्ति के लिए आवश्यक है।
एक वचन लेना ही होगा!, राजभाषा हिन्दी पर संगीता स्वारूप की प्रस्तुति, पधारें
रखा था इक दीया हमने, हमारे घर की चौखट पर
ReplyDeleteलगी जब आग, शोलों से, तराना ही बना डाला
अच्छी पंक्तिया लिखी है आपने ....
मुस्कुराना चाहते है तो यहाँ आये :-
(क्या आपने भी कभी ऐसा प्रेमपत्र लिखा है ..)
(क्या आप के कंप्यूटर में भी ये खराबी है .... )
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com
एक और बहुत खूबसूरत रचना आपकी, चित्र चयन भी उम्दा।
ReplyDeleteआभार।
"लिया इक हर्फ़ हाथों में, फ़साना ही बना डाला"
ReplyDeleteबेहतर तो सारा है पर ये अपने शौक से मेल खाता हुआ लगा सो ज्यादा बेहतर कहेंगे ! कहनें को सरासर पक्षपात है पर क्या किया जाये आज यही ठीक लग रहा है !
निभाई दुश्मनी हमने, बड़ी शिद्दत से दुनिया में
ReplyDeleteसंजोया दुश्मनों को भी, खज़ाना ही बना डाला
BAHUT SUNDAR ADA JI.
रखा था इक दीया हमने, हमारे घर की चौखट पर
ReplyDeleteलगी जब आग, शोलों से, तराना ही बना डाला
कई मजबूरियाँ आईं, जफ़ाओं को निभाने में
कहाँ तक उनको समझाते, बहाना ही बना डाला
बहुत खूबसूरती से एहसास लिखे हैं ...
वैसे एक शेर कि उलटी सीधी सी लाइन याद आ रही है ..
दोस्तों को आजमाते जाइये दुश्मनों से प्यार हो जायेगा ..
अभी लिखा ही था, उसे ब्लाग बना डाला :)
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 14 - 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
ReplyDeleteकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
निभाई दुश्मनी हमने, बड़ी शिद्दत से दुनिया में
ReplyDeleteसंजोया दुश्मनों को भी, खज़ाना ही बना डाला !!!
क्या बात कही वाह...वाह...वाह... !!!!
हर शेर लाजवाब..... सीधे दिल में उतरने वाले...
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल...
आपकी हर अदा में वो पैना-पन था ए "अदा"
ReplyDeleteहर अदा को पढते रहे खोते रहे और मस्त होते रहे ..............
निभाई दुश्मनी हमने, बड़ी शिद्दत से दुनिया में
ReplyDeleteसंजोया दुश्मनों को भी, खज़ाना ही बना डाला
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गजल का हरेक शेर काबिले तारीफ है!
बेहतरीन ....बहुत उम्दा शायरी
ReplyDeleteकई मजबूरियाँ आईं, जफ़ाओं को निभाने में
कहाँ तक उनको समझाते, बहाना ही बना डाला
आपका ये शे'र मै ले के जा रहा हूँ.
बेहतरीन ....बहुत उम्दा शायरी
ReplyDeleteकई मजबूरियाँ आईं, जफ़ाओं को निभाने में
कहाँ तक उनको समझाते, बहाना ही बना डाला
आपका ये शे'र मै ले के जा रहा हूँ.
बेहतरीन पंक्तियाँ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव है अदा जी |बधाई
ReplyDeleteआशा
निभाई दुश्मनी हमने, बड़ी शिद्दत से दुनिया में
ReplyDeleteसंजोया दुश्मनों को भी, खज़ाना ही बना डाला ...
निशाना बना देने की आपकी अदा भी खूब है ...
ग़ज़ल अच्छी तरह याद है ...कितनी बार भी पढो ...कुछ गज़लें , नज्में , शेर , कविता हर बार नयी सी लगती है