Saturday, September 28, 2013

जिउतिया और मेरे बच्चे :)

इनदिनों भारत में हूँ और बच्चे या तो अमेरिका में या कनाडा में।  

जिउतिया का त्यौहार है और मुझे मेरे बच्चे बहुत याद आ रहे हैं। 


जिउतिया का व्रत सिर्फ पुत्रों के लिए किया जाए, ऐसा मैं नहीं मानती। यह व्रत अपने बच्चों (पुत्रों-पुत्रियों) के दीर्घायु होने की कामना करती हुई हर माँ करती है, मेरा ऐसा मानना है।  


आज-कल बहुत कम ऐसा अवसर मिलता है जब हमारा पूरा परिवार साथ हो, १५ दिन पहले ऐसा ही एक सुअवसर कनाडा में प्राप्त हुआ, बस फिर क्या था तसवीरें खिंच गयीं :)

आप सभी को जिउतिया की असीम शुभकामनाएँ !!!







Wednesday, September 11, 2013

मेरी ज़ुल्फ़ अब, परेशाँ नहीं होती...



मेरी ज़ुल्फ़ अब, परेशाँ नहीं होती
ये निगाहें अब, निगेहबां नहीं होती

बे-परवाह गुज़र रहे, मेरे शाम-ओ-सहर 
हाले-दिल देख अब जाँ, हल्कां नहीं होती

गिरा कर क़हर, सोचता था मर जाऊँगी 
दिल बह गया मोम बन, जीस्त वीराँ नहीं होती  

खताओं की आदत है मुझे, तुम भी आदत कर लो 
मेरी नासिह भी अब, नादाँ नहीं होती

दर्द-ए-इलाज-ए-दिल, मैंने पा लिया है 
मुस्कुरातीं हैं खामोशियाँ, वो फुगाँ नहीं होती

जलतीं हैं बहारें 'अदा' और राख हुईं जातीं है 
रूह-ए-चमन में फिर भी, ख़िज़ाँ नहीं होती

फुगाँ = संकट में रोना
नासिह = सलाहकार, उपदेशक