धनाढ्य महिला के आभूषणों के समान बहुरंगी और गूढ़ विन्यास वाले आर्किड पुष्पों का निराला सौन्दर्य , सदैव ही मन मोहते आए हैं, उत्तर-पूर्वी भारत के अरुणाचल के पर्वतीय भू-भाग तथा सिक्किम में पाए जाने वाले इन पुष्पों में कुछ अद्भुत विशेषता तो है, परन्तु उन्हें बहुत देख भाल की आवश्यकता होती है
प्रकृति में आर्किड विविध जलवायु स्थितियों में मिलते हैं, संभवतः शुष्क और हिमाच्छादित भू-भाग को छोड़ कर, आर्किडों की सबसे अधिक पैदावार उष्णकटिबंधीय वर्षावनों तथा मानसून वनों में होती है, उष्ण नम और जंगल सामान स्थितियाँ आर्किड की पैदावार के लिए अनुकूल हैं, सभी प्रजातियों को आर्द्र, सूर्य की सीधी किरणों से परे, छाँव और हवादार स्थानों की आवश्यकता होती है , आर्किड वनस्पति वर्ग 'आर्किदियेसिया' में शामिल है, जिसमें लगभग ३५,००० प्रजातियाँ ४५,००० संकर हैं, अर्थात प्राकृतिक एवं मानव निर्मित...
भारत में आर्किड की लगभग १३०० प्रजातियाँ पायीं जातीं हैं, भारत के उत्तरपूर्वी और पश्चिमी घाट क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के आर्किडों की प्रचुर प्रजातियाँ पाईं जातीं हैं ...केवल सिक्किम में ही लगभग चार सौ प्रजातियाँ पाईं जातीं हैं..
आर्किड सदाबहार शाकीय पौधा है, जिसके पुष्पों की शोभा और सौन्दर्य देखते ही बनता है, इन्हें मुख्यतः कटफ्लावर के तौर पर प्रयोग में लाया जाता है, ये पुष्प जिस भी स्थान पर सजाये जाते हैं ,उस स्थान का आकर्षण और लावण्य इनके कारण कई गुना बढ़ जाता है, रंग, सुगंध, आकार और रूप में अपार विविधता के अलावा इनका अनूठा और विचित्र परिवेश, इन्हें विशेष आकर्षण प्रदान करता है...
सुन्दरता और सुगंध के अलावा कुछ आर्किड्स आठ से बारह सप्ताह तक भी गुलदस्ते में सजा कर रखे जा सकते हैं...कुछ आर्किड्स औषधीय महत्त्व भी रखते हैं क्योंकि इनमें 'एल्केलाईड' की विविध किस्में मौजूद होती हैं, 'मनीला' आर्किड से उत्पन्न 'वनीला' एक जानी-मानी सुगंध है, जिसे विभिन्न रूपों में प्रयोग में लाया जाता है...
भविष्य में न जाने इस खूबसूरती का प्रयोग कहाँ-कहाँ किया जाएगा ये बताना मुश्किल है ...लेकिन फिलहाल इसने जनमानस के हृदय में अपना स्थान सुरक्षित कर लिया है...
हाँ नहीं तो...!!!
Orchid ke phool bahut sundar lag rahe hain, itni acchi jaankaari aapne di aapka aabhar
ReplyDeleteOrchid ke phool bahut sundar lag rahe hain, itni acchi jaankaari aapne di aapka aabhar
ReplyDeleteOrchid ke phoolon ki tasveerein bahut hi khoobsurat hain
ReplyDeleteOrchid ke phoolon ki tasveerein bahut hi khoobsurat hain
ReplyDeleteआकर्षक चित्रों से सजी जनकारी देती इस पोस्ट के लिए आभार।
ReplyDeleteहिन्दी का प्रचार राष्ट्रीयता का प्रचार है।
काव्य प्रयोजन (भाग-७)कला कला के लिए, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें
मिले न फूल तो कांटों से दोस्ती कर ली,
ReplyDeleteइसी तरह से बसर, हमने ज़िंदगी कर ली,
अब आगे जो भी हो अंजाम देखा जाएगा,
खुदा तलाश लिया और बंदगी कर ली...
जय हिंद...
इतने फूल बना कर अब फूलों की बात ...
ReplyDeleteबढ़िया है बाबू मोशाय ...:):)
Orchids ko dilli men rakhna to mushkil hai thandak aur ardrata jo chahiye par aapne itani manmohak zanki prastut kee dhanyawad.
ReplyDelete@ वाणी जी..
ReplyDeleteवही तो...शुक्र है वाणी जी आप बच गईं ..नहीं तो सच में गज़ब हो जाता...
:):)
सुन्दर जानकारी. सचमुच ऑर्किड बड़े निराले होते हैं.
ReplyDeleteफूलों की बगिया में बहुत सुन्दर जानकारी मिली
ReplyDeleteब्रह्माण्ड
Nice
ReplyDeleteपिछली दो तीन पोस्ट से देख रहा हूं आप जबरदस्त फ़ार्म में हैं ! खूबसूरत पोस्ट !
ReplyDeleteसौन्दर्यप्रद चित्र व व्याख्या।
ReplyDeleteअदा जी...
ReplyDeleteफिर चली बात, बात फूलों की....
याद है या, बारात फूलों की....
वाह कितने सुन्दर चित्रों से सजी पोस्ट...हर चित्र पहले से उम्दा...
चित्र में ही जो फूल हैं दीखते...
हमको इतने सुन्दर...
गर सजीव वो मिल जाएँ तो...
होंगे कितने सुन्दर....
सुन्दर....
दीपक....
प्रकृति के सुंदर चित्रण एवं चित्र के लिए आभार॥
ReplyDeleteखूबसूरत... फूल भी पोस्ट भी।
ReplyDelete………….
गणेशोत्सव: क्या आप तैयार हैं?
खूबसूरत, जानकारीपरक पोस्ट। फ़ूलों पर एक खूबसूरत पोस्ट सुब्र्मणियन साहब के ब्लॉग पर देखी थी, ये उस पोस्ट से इक्कीस ही लगी। अली सा की बात से सहमत हैं हम भी, कामना करते हैं कि फ़ॉर्म बरकरार रहे। पिछली पोस्ट पर कमेंट के जवाब में आपने ज्यादा ही कुछ विनम्रता दिखा दी है। सर्वप्रथम तो स्पष्ट कर दें कि आपके ब्लॉग पर हमारे टेस्ट का मैटीरियल मिलता है, इसलिये आते हैं। हमारी क्षुधापूर्ति होती है, तो आभार व्यक्त करने का हक भी हमारा बनता है। हम आकर अहसान नहीं करते हैं, आप आने देकर सदाशयता दिखाती हैं। और इसीसे हम जैसों की हिम्मत बढ़ जाती है, कुछ न कुछ फ़रमाईश करते ही रहते हैं।
ReplyDeleteऔर फ़िर भी यदि आपके दिमाग पर कुछ ज्यादा ही इस बात का बोझ है तो कभी अपनी एक गज़ल गाकर ब्लॉग पर डाल दीजिये, बोझ हल्का हो जायेगा। समय की कोई सीमा नहीं बांधते जी हम, इंतजार कर लेंगे पर जवाब अगर दें तो सकारात्मक ही दें।(हम नहीं सुधरेंगे, हा हा हा)
वैसे आर्किड का हिन्दी नाम क्या है, बता सकती हैं?
सदैव आभारी।
@ मोसम जी ....आर्किड का हिंदी हमका नहीं मालूम है..
ReplyDeleteबाक़ी गाना-उना गाने का हमका भी मन है ..जैसे भी गावेंगे पोस्ट में लगा देवेंगे...
आपका शुक्रिया...
वाह--!
ReplyDeleteसुन्दर फूलों से सजी पोस्ट मनमोहक है!
अदा जी,
ReplyDeleteक्या इस खूबसूरत फ़ूल का हिन्दुस्तानी नाम ’नरगिस’तो नहीं? वैसे ही तुक्का मारा है! और हां एक जमाना क्या सदी बीत गयी ,आप का आगमन ’सच में’ पर हुये!आदर सहित!
बहुत गलत बात दी.. सब खूबियाँ गिना दीं इसकी.. मगर खामियां? वो क्यों नहीं गिनाईं? ये क्यों नहीं बताया कि अपने खूबसूरत रूप-रंग का इस्तेमाल करके ये अपने शरीर में होने वाली नाइट्रोजन गैस की कमी की पूर्ति के लिए ये नालायक आर्किड कीटों को खा जाता है.. इसलिए कीटभक्षी पौधा भी कहलाता है..
ReplyDeleteअच्छा है मेरी एक और कविता बन गई.. 'आर्किड नहीं होना' :)