हर ज़ख्म सबको दिखाऊँ मैं, आदत नहीं रही
ग़ैरों के जिस्मों में भी, अब लोग रहने लगे हैं
मुझको तो अब ख़ुद से भी, निस्बत नहीं रही
गुजरेंगे चार दिन 'अदा', अब पूरे अज़ाब में
ग़र आरज़ू हो कोई तो, मोहलत नहीं रही
मामून=सुरक्षित
हाजत=इच्छा/तमन्ना/ज़रुरत
अज़ाब=ख़ुदा का क़हर
वैसे तो कोई बड़ी बात नहीं है ..लेकिन पिछले २ दिनों से अपने ब्लॉग (काव्य मंजूषा ) को चिटठा जगत में १० वें नम्बर पर देख कर ख़ुशी हुई है... कुछ लोगों ने फ़ोन करके बधाई भी दे दी....तो सोचा क्यों नहीं आपसे भी यह ख़ुशी बाँट लूँ...
हाँ नहीं तो..!!
गुजरेंगे चार दिन 'अदा', अब पूरे अज़ाब में
ReplyDeleteग़र आरज़ू हो कोई तो, मोहलत नहीं रही
Khushiyan manane kee mohlat hee mohlat hogi...kyon nahi?
Bahut badhayi ho...
Aur haan,maine apne blog( Bikhare Sitare) pe Poojaa kee tasveeren daal dee hain,jo pahle khul nahi paa rahi theen!
Waah ! bahut umda har ek sher bahut khubsurat hai....!
ReplyDeleteAur blog ke 10 ve sthan par aane ki badhai
बहुत ख़ूब !
ReplyDeleteबेहतरीन !
बहुत ख़ूब !
ReplyDeleteबेहतरीन !
वाह वाह
ReplyDeleteघोर कलयुग आ गया है जी. दस नम्बरी बनने पर भी बधाई मिल रही है :)
ReplyDeleteहमारी तरफ़ से भी बधाई। सारी खुशियाँ मिलती रहें आपको और आप उन्हें हम सबके साथ बांटती रहें, ऐसी कामना करते हैं। इस मौके पर एक गाना तो बनता ही है वैसे, समय मिले तो गा दीजियेगा।
बहुत अच्छे शेर लगे और मुश्किल शब्दों के अर्थ लिख दिये ये और भी अच्छा किया, हां नहीं तो.....।
सदैव आभारी।
मामून रहूँगी जहाँ, अब वो हाजत नहीं रही
ReplyDeleteहर ज़ख्म सबको दिखाऊँ, ये आदत नहीं रही
वाह पहले शेर ने ही ब्लॉग लूट लिया...
दस नम्बरी बनने पर भी बधाई
वाह!! १० वें नम्बर पर...बहुत कमाल. बधाई एवं शीघ्र १ नम्बर पर दिखें, इस हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteGirijesh ji kahin:
ReplyDelete@ गुजरेंगे चार दिन 'अदा', अब पूरे अज़ाब में
ग़र आरज़ू हो कोई तो, मोहलत नहीं रही
यह शेर बहुत पसन्द आया। बहुत गहराई है। धन्यवाद।
हर जख्म सबको दिखाओं , आदत ही नहीं रही ...
ReplyDeleteसबको जख्म दिखाने का फायदा भी क्या है ...लोंग रोकर सुनेंगे ...हंसकर उड़ायेंगे ..!
@ गर आरजू हो कोई तो मोहलत नहीं रही ...
जबरदस्त ...
चिट्ठा जगत में स्थान प्राप्त करने की बहुत बधाई ...
शीघ्र प्रथम स्थान प्राप्त करें ...शुभकामनायें ..!
ग़ैरों के जिस्मों में भी, अब लोग रहने लगे हैं
ReplyDeleteमुझको तो अब ख़ुद से भी, निस्बत नहीं रही
बेहतरीन...शायरी
अंडर टेन आने पर भी बधाई हो|
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ब्रह्माण्ड
एक वो हीं तो रहे, जिन्होंने निभाया पूरा साथ,
ReplyDeleteअब तो ग़मों से भी हमको, शिकायत नहीं रही
सुन्दर प्रस्तुति ..
बेहतर्रीन ख़्यालात का मुज़ाहिरा, मुबारकबाद।
ReplyDeleteमामून जहाँ रह जाऊँ मैं, वो हाजत नहीं रही
ReplyDeleteहर ज़ख्म सबको दिखाऊँ मैं, आदत नहीं रही
बहुत ख़ूब !
ग़ैरों के जिस्मों में भी, अब लोग रहने लगे हैं
ReplyDeleteमुझको तो अब ख़ुद से भी, निस्बत नहीं रही
इतने ग़ज़ब के शेर आएँगे तो पहले नंबर पर शीघ्र ही अपने आप आ जाएँगी आप ..... बहुर लाजवाब लिखा है ...
kamaal ke sher hain sabhi, khaas karke
ReplyDeleteग़ैरों के जिस्मों में भी, अब लोग रहने लगे हैं मुझको तो अब ख़ुद से भी, निस्बत नहीं रही
bahut pasand aaya hai
kamaal ke sher hain sabhi, khaas karke
ReplyDeleteग़ैरों के जिस्मों में भी, अब लोग रहने लगे हैं मुझको तो अब ख़ुद से भी, निस्बत नहीं रही
bahut pasand aaya hai
tasveer bhi bahut sundar hai !
ReplyDeletetasveer bhi bahut sundar hai !
ReplyDeleteबे आदत रह जाना भी एक आदत है !
ReplyDeleteआपको १० नम्बरी बधाई ना देना चाहेंगे :)
hi..
ReplyDeleteHumari badhyai sweekaren...
Shubhkamnayen...aap pahle sthan par virajman hon....
Deepak
मामून जहाँ रह जाऊँ मैं, वो हाजत नहीं रही
ReplyDeleteहर ज़ख्म सबको दिखाऊँ मैं, आदत नहीं रही
खूबसूरत प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
दसवें स्थान पर आने के लिए बधाई