Saturday, September 14, 2019

परिचय की गाँठ

अब प्रेम पराग,
अनुराग राग का
उन्माद ठहर चुका है...
बचे हैं कुछ दुस्साहसी
लम्हों की आहट,
मुकर जाने को तत्पर
वैरागी होता मन,
और आस पास
कनखजूरे सी रेंगती
ख़ामोशी....
इतनी भी पुख़्ता नहीं होती
परिचय की गाँठ !!!