संभावनाएं...
दिखाई नहीं देतीं
कभी-कभी
निराशावादी अवधारणाओं में,
और
कुछ असाधारण परिस्थितियाँ
आ जाती हैं,
जिनका कोई विकल्प
नज़र नहीं आता,
पर जाने क्यों
ऐसा लगता है,
परिस्थितियाँ कैसी भी क्यों न हों
कुछ न कुछ
व्यवहारिक लाभ प्रदान करती ही हैं
हाँ..
भविष्य के विषय में
कोई भी, कुछ नहीं कह सकता
वो तो राम के भरोसे है न ...!!
जावेद साहब ने कहा भी है :
ReplyDeleteक्यों फिक्र की क्या होगा ?
कुछ न हुआ तो तजुर्बा होगा !
पिछली बार भूल गया था, आपके बेटे ने अच्छी तस्वीर बनाई है, मुझे लगता है की वो WWE का फेन है ?
लिखते रहिये ..
saamyik gahra vyang lapete...
ReplyDeleteभविष्य का तो राम ही जाने ।
ReplyDeleteयहां कौन है असली, कौन है नकली,
ReplyDeleteये तो राम जाने, ये तो राम जाने...
जय हिंद...
@ खुशदीप जी,
ReplyDeleteइसमें सोचना क्या है..
मैं हूँ असली आप हैं नकली...और क्या
हाँ नहीं तो..!!
सारा बोझ हम ही क्यों उठायें....ठेका ले रखा है क्या ?
ReplyDeleteथोड़ा राम जी को भी उठाने दो...........आखिर ये दुनिया बनाई भी तो उसी ने है
अब अपने कर्म-फल आप ही भोगो.............
bahut khoobsurt
ReplyDeletemahnat safal hui
yu hi likhate raho tumhe padhana acha lagata hai.
यूँ तो सभी कुछ राम के भरोसे ही है ....
ReplyDeleteअच्छी रचना है आपकी बहुत ही ....
परिस्थितियाँ कैसी भी क्यों न हों
ReplyDeleteकुछ न कुछ
व्यवहारिक लाभ प्रदान करती ही हैं
ये दृष्टिकोण भी अच्छा लगा !!
राम-राम :)
ReplyDeleteभविष्य अपने भरोसे है, यदि हम केवल वर्तमान पर ही ध्यान दें।
ReplyDeleteराम राम ही कहना पडेगा आज
ReplyDeleteक्यों देखा जाये संभावना की तरफ़, जब करने को जरूरी काम है सामने?
ReplyDeleteअच्छी पंक्तियाँ लगीं।
आभार।
बढिया रचना ।
ReplyDeleteपरिस्थितियाँ कैसी भी क्यों न हों
कुछ न कुछ
व्यवहारिक लाभ प्रदान करती ही हैं
हाँ.. अनुभव तो दे ही जाती हैं ।