Wednesday, September 29, 2010

वो तो राम के भरोसे है न ...!!


संभावनाएं...
दिखाई नहीं देतीं
कभी-कभी 
निराशावादी अवधारणाओं में,
और 
कुछ असाधारण परिस्थितियाँ 
आ जाती हैं,
जिनका कोई विकल्प 
नज़र नहीं आता, 
पर जाने क्यों
ऐसा लगता है,
परिस्थितियाँ कैसी भी क्यों न हों 
कुछ न कुछ
व्यवहारिक लाभ प्रदान करती ही हैं 
हाँ..
भविष्य के विषय में 
कोई भी, कुछ नहीं कह सकता
वो तो राम के भरोसे है न ...!!


14 comments:

  1. जावेद साहब ने कहा भी है :
    क्यों फिक्र की क्या होगा ?
    कुछ न हुआ तो तजुर्बा होगा !

    पिछली बार भूल गया था, आपके बेटे ने अच्छी तस्वीर बनाई है, मुझे लगता है की वो WWE का फेन है ?

    लिखते रहिये ..

    ReplyDelete
  2. भविष्य का तो राम ही जाने ।

    ReplyDelete
  3. यहां कौन है असली, कौन है नकली,
    ये तो राम जाने, ये तो राम जाने...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  4. @ खुशदीप जी,
    इसमें सोचना क्या है..
    मैं हूँ असली आप हैं नकली...और क्या
    हाँ नहीं तो..!!

    ReplyDelete
  5. सारा बोझ हम ही क्यों उठायें....ठेका ले रखा है क्या ?

    थोड़ा राम जी को भी उठाने दो...........आखिर ये दुनिया बनाई भी तो उसी ने है

    अब अपने कर्म-फल आप ही भोगो.............

    ReplyDelete
  6. bahut khoobsurt
    mahnat safal hui
    yu hi likhate raho tumhe padhana acha lagata hai.

    ReplyDelete
  7. यूँ तो सभी कुछ राम के भरोसे ही है ....
    अच्छी रचना है आपकी बहुत ही ....

    ReplyDelete
  8. परिस्थितियाँ कैसी भी क्यों न हों
    कुछ न कुछ
    व्यवहारिक लाभ प्रदान करती ही हैं

    ये दृष्टिकोण भी अच्‍छा लगा !!

    ReplyDelete
  9. भविष्य अपने भरोसे है, यदि हम केवल वर्तमान पर ही ध्यान दें।

    ReplyDelete
  10. क्यों देखा जाये संभावना की तरफ़, जब करने को जरूरी काम है सामने?
    अच्छी पंक्तियाँ लगीं।
    आभार।

    ReplyDelete
  11. बढिया रचना ।
    परिस्थितियाँ कैसी भी क्यों न हों
    कुछ न कुछ
    व्यवहारिक लाभ प्रदान करती ही हैं
    हाँ.. अनुभव तो दे ही जाती हैं ।

    ReplyDelete