Wednesday, August 31, 2011

वो शाम कुछ अजीब थी....!

(चित्र गूगल से साभार )

यूँ लग रहा है जैसे बरसों के बाद ब्लाग की धरती पर हमरे पाँव पड़े हैं...

पेरिस, बहरीन, ईथिओपिया और भारत...सबके चक्कर लगा कर आ पहुंची परसों, कनाडा...अपने बच्चों के पास... दस दिन पहले भारत में ही थी...
 
एक बेहद हसीन सी शाम मैं भी गुज़ार आई इंडिया गेट के परिसर में....खूबसूरत शाम, वीर जवानों की याद में प्रज्वल्लित ज्योति पुंज, अपने एश्वर्य और अभिमान से खड़ा इंडिया गेट, रंगीन बत्तियां, खिलखिलाते चेहरे, प्रेम में डूबे हाथ थामे जोड़े...मेहँदी लगवाती खूबसूरत लडकियाँ, चाय ,चाट-पापड़ी के गुहार के बीच...ढोल-ताशे के साथ हुंकार भरते नवयुवक-नवयुवतियां..'अन्ना तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ है'...एक जोश सा मैंने भी ख़ुद के अन्दर पाया...सबकुछ बहुत अच्छा लग रहा था...अपना देश हो और अपनों का साथ हो तो भला किसे अच्छा नहीं लगेगा...

वो सिर्फ़ एक शाम नहीं थी....वो इतिहास का एक हिस्सा था...हम जैसों के वज़ूद का एक हिस्सा था ..बहुत कुछ बदलता हुआ सा लग रहा था....मैं बदल रही थी, मेरे अपने बदल रहे थे, सारा भारत बदल रहा था....इस बदलाव में एक अजीब सा नयापन था....कहते हैं बदलाव अक्सर तकलीफदेह होता है...लेकिन यहाँ तो सब कुछ ख़ुशी-ख़ुशी बदल रहा था...अन्ना हजारे अब सिर्फ़ एक नाम नहीं है...यह एक क्रांति है...एक ज्योति है...यह नाम है एक मकसद का...

भारत तो हर दूसरे-तीसरे महीने मैं अब जाने ही लगी हूँ..लेकिन अब भारत की हवा में कुछ नयी बात नज़र आती है...कुछ कर गुजरने का जोश नज़र आता है...


लेकिन क्या ऐसा होगा ? अन्ना हजारे ने नए खून को एक नई मंज़िल, एक नया मकसद दिया है....लेकिन उस मकसद को पाने के लिए जिन लोगों में सुधार की उम्मीद वो कर रहे हैं...वो 'हम नहीं सुधरेंगे' फिल्म देख कर बैठे हैं...उन्होंने भ्रष्ट लोगों से बहुत ज्यादा अपेक्षा कर रखी है...मेरे विचार से वो ग़लत बटन ही दबा रहे हैं.....अरे जिनकी रगों में भ्रष्टाचार ही खून बन कर बहता हो वो भला कैसे सुधर सकते हैं..? हो सकता है सुधर भी जाएँ...लेकिन इसमें वक्त लग जाएगा...

मेरे विचार से इस वक्त देश का मकसद है ...विदेशों में जमा काला धन देश में लाया जाए....और इसके लिए चोरों से ये गुजारिश करना कि भाई जो सामान तुम चोरी से ले गए हो..हम हाथ जोड़ कर विनती करते हैं...कृपा करके उसे वापिस कर दो...यह व्यवहारिक नहीं है....अन्ना हजारे जी की आवाज़ आवाम तक पहुँच चुकी है...उसकी एक पुकार  पर जनता घरों से बाहर निकल जाती है..उनको अपनी इसी शक्ति का प्रयोग करके..'स्विस सरकार को विवश करना चाहिए  कि वो अपने बैंक में रखे उन तमाम अकाउंट्स को फ्रीज़ करे...जिनमें हमारे देश के भ्रष्ट नेताओं, अभिनेताओं और ना जाने किन किन लोगों की काली कमाई बन्द है... ऐसा करने से कमसे कम वो पैसे जहाँ हैं वही रहेंगे...उनकी निकासी में अंकुश लग जाएगा...वर्ना हर अनशन के बाद वो पैसे घट ही जाते हैं......भारत की जनता को इस भ्रष्टाचार के खिलाफ़ मुहीम सिर्फ़ भारत के भ्रष्ट नेताओं के लिए नहीं....पूरे विश्व के भ्रष्ट नेताओं के लिए करना चाहिए....स्विस बैंक्स में पैसे सिर्फ़ भारत से नहीं गए हैं,अपितु पूरे विश्व से गए हैं...जिस तरह भारत वासी त्रस्त हैं..उसी तरह दुनिया के और भी देश के लोग त्रस्त होंगे...इस मुहीम की शुरुआत भारत से हो...भारत अग्रणी हो...ये आग भारत से शुरू होनी चाहिए.....

देख लीजियेगा दुनिया के और भी देश इसमें शामिल हो जायेंगे और स्विस बैंक जिनकी दाल रोटी सिर्फ़ काले धन से चल रही है...उनकी दूकान बन्द होते देर नहीं लगेगी...
तो बस इसी दिशा में काम शुरू हो जाना चाहिए...

मेरा तो बस यही मानना है....
आप क्या सोचते हैं..??