Tuesday, September 28, 2010

ये सोचने की आपको, दरकार भी नहीं .....






 

श्री कृष्ण 
इससे पहले कि आप मेरी रचना पढ़ें सोचा ...ये चित्रकला दिखा दूँ आपलोगों को ...मेरे बेटे मयंक ने बनाया है बताइयेगा आप क्या सोचते हैं... 





ऐ ज़िन्दगी तू सुन ले, मैं तेरा यार तो नहीं
पर तेरे जलवों से मैं, बेज़ार भी नहीं
 

बाज़ार में बिक रही है, मेरी खुलूसे मोहब्बत  
इसका यहाँ कोई, मगर खरीददार भी नहीं

क्या जाने
कल यहाँ हम, होंगे या न होंगे
ये सोचने की आपको, दरकार भी नहीं

बदनाम हो गया है, मेरा नाम हर जगह
अब कहाँ मुँह छुपाऊं, दीवार भी नहीं

महरूमियों की धूप थी, सपने ही जल गए
पर उम्मीद जग गई है, मन बेज़ार भी नहीं 

 
खुलूसे =  पवित्र, निष्कपट
महरूमियों = वंचित 

19 comments:

  1. बेहतरीन चित्रकला के साथ बेहतरीन रचना ....आभार ..

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  2. महरूमियों की धूप थी, सपने ही जल गए
    पर उम्मीद जग गई है, मन बेज़ार भी नहीं

    Akhari sher me asha zalak hee gayee. sunder.

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  3. महरूमियों की धूप थी, सपने ही जल गए
    पर उम्मीद जग गई है, मन बेज़ार भी नहीं
    Sunder aakhari sher me asha zalak hee gayee.

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  4. mayank is talented.bless him...
    rachana bahut shandar hai....aakhri panktiya to jaan hai....

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  5. आज मयंक का दिन है आपकी रचना अच्छी है पर उसकी चित्रकारी और भी ज्यादा अच्छी ! उसे हमारी दुआएं ! कहिये दिल , नेक हों तो हाथ भी नेकियां बरसाते हैं !

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  6. खनकती आवाज मे बात करने वाली लेडी!
    आपके बेटे ने पेन्सिल स्केच और कलर्ड फोटो दोनों अच्छे बनाए है रेखांकन मे सफाई है.हाथ सधा हुआ है.
    किन्तु उसे कहिये स्वयं की कल्पना से कोई सुन्दर सा चित्र बनाये,कोपी करने से हमारी अपनी कला निखर नही पाती.ये चित्र मेरे पास है नेट से ही सलेक्ट किया था मैंने.
    कोई खूबसूरत घटना उसे सुनाइये काल्पनिक ही सही. फिर उसे कहिये आँखे बंद करके वो देखे उसमे से किसी भी दृश्य को और स्केच खींच दे.
    उसकी प्रतिभा को आप और निखार सकती हैं.कृष्ण तो स्वयम ब्रह्माण्ड की सबसे खूबसूरत कृति है उनका ज़िक्र,उनका चित्र स्वयं अपने आप मे दिल को छू लेने वाली रचना बन जाती है.जाने क्यों उदास,चिंतित कृष्ण को यहाँ देख मेरी आँखों के सामने लगातार एक दृश्य घूम रहा है ...........
    राधे की चोटी गूंथते कृष्ण,चेहरे पर शरारत,आँखों मे प्रेम राधे के चेहरे पर झल्लाहट..थोड़ी नाराजगी...दुष्ट ने चोटी गूंथते हुए कैसे धीमे से एक बाल खींच लिया अपनी प्रियतमा का...मैं सामने खड़ी देख रही हूँ अदाजी!
    और देखती हूँ राधे और मेरा चेहरा कितना एक-सा है.बाल खींचने का दर्द मुझसे नही सहन होता आज भी.
    ऐसी ही किसी कल्पना को वो अपनी रचना बनाए.
    इतने प्रतिभाशाली च्चे को आप किसी भी चित्र की अनुकृति न बनाने दे.
    प्यार....दोनों बच्चो को और आपको भी.
    करूंगी भई.ये तो मेरा स्वभाव है क्योंकि
    सचमुच ऐसिच हूँ मैं हा हा हा

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  7. ग़ालिब अपने कलाम को कुछ यूँ बदल देतें :
    इस शायरी पे कौन न मर जाए ए खुदा,
    क़त्ल करते है, और हाथ में तलवार भी नहीं !
    बहुत खूब ! लिखते रहिये ...

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  8. बहुत सुन्दर चित्र हैं.

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  9. इतना भावसघन मुखमण्डल देख बस साधुवाद हेतु ही मन कह पाता है। मयंक को ढेरों शुभकामनायें।

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  10. क्या जाने कल यहाँ हम, होंगे या न होंगे
    ये सोचने की आपको, दरकार भी नहीं

    रचना और चित्र दोनों बहुत सुंदर

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  11. बढ़िया चित्रकारी मयंक की , शायद पहले भी डाला था ये चित्र अपने ब्लॉग पर , और बढ़िया ग़ज़ल .
    http://ashishkriti.blogspot.com

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  12. मयन्क को हमारी शुभकामनायें.. सुन्दर चित्र बनये है उस्ने... आपकी कविता बहुत सार्थक है..

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  13. सुंदर चित्र ... यथा माता तथा पुत्र ॥ मयंक को बधाई॥

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  14. माँ और बेटो की चित्रकारी और रचनाकारी को सलाम!

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  15. मयंक की प्रगति तो सही हो रही है

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  16. बदनाम हो गया है मेरा नाम हर जगह
    अब कहां मुंह डुपाउं, दीवार भी नहीं
    ...बेहतरीन शे‘र...और चित्र तो बहुत ही मनभावन हैं ।

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  17. चित्र भी पहले देखा है, और हम क्या सोचते हैं मयंक के बारे में, यह भी पहले बता चुके हैं। फ़िर कहते हैं, प्रतिभा न होती आपके बेटे में वह अप्रत्याशित होता। हमें कोई आश्चर्य नहीं हुआ। बहुत अच्छी तस्वीर बनाता है मयंक। मयंक की बनाई तपस्वी राम की तस्वीर भी बहुत अच्छी लगी थी, उसे दोबारा डालियेगा कभी।
    और आपकी गज़ल,
    "क्या जाने कल यहाँ हम, होंगे या न होंगे
    ये सोचने की आपको, दरकार भी नहीं"
    ऑडियो वर्ज़न के लिये कितना कहलवाना है?
    थोड़े दिन इंतज़ार करते हैं, फ़िर अपील करते हैं ब्लॉग जगत में कि अदा जी पर दबाव डाला जाये हमें उनकी गज़ल उनकी आवाज में सुननी है, देखेगे कहाँ तक टालेंगी आप।
    आभार।

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  18. रहे न रहे हम, महका करेंगे,
    बनके कली बाग-ए-सबा में...

    (मयंक में मैं उच्च कोटि का चित्रकार देख रहा हूं)
    जय हिंद...

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