Tuesday, August 31, 2010

तजुर्बों के रास्तों से, उम्र का गुज़रना....


तजुर्बों के रास्तों से 
उम्र का गुज़रना,
फिर
आड़ी-तिरछी पगडंडियों 
का चेहरे पे जमना, 
चाहत, वफ़ा, उल्फत का 
एक-एक कर
उदास होना,
हकीक़त के जिस्म से
हर लिबास का उतरना ,
डरा तो देता है 
लेकिन,
दिल के तन्हा गोशे में,
गौहर-ए-जन्नत
झिलमिलाता है !
जहाँ 
मन का फ़रिश्ता 
मुस्कुराता है !!
और, 
एक और ज़िन्दगी जीने को 
उकसाता है...!

और अब एक गीत ...



गौहर-ए-जन्नत=जन्नत का मोती
गोशे=कोना 
लिबास=कपड़ा

19 comments:

  1. एक और ज़िन्दगी जीने को
    उकसाता है...!

    सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई

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  2. बहुत बेहतरीन.

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  3. 'फिर आड़ी-तिरछी पगडंडियों का चेहरे पे जमना'

    अनुभव के चेहरे पर उकेरे गये शब्द हैरान कर गये !
    शुक्रिया !

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  4. इमानदारी से कहूँ तो मैंने तो किसी को भी ख़ुशी से मरते नहीं देखा है, आदमी मरता ही तब है जब उसको और नहीं जीना होता.
    क्या कर लेतें 'मजाल', जो गर एक जिंदगी और पाते,
    होती ख्वाहिशों को उम्मीद, इसी जिंदगी से क्यों जातें ?!

    पर देखा जाए तो कविता में नाउम्मीदी से तो उम्मीद ही भली!
    आपकी शाब्दिक अभिव्यक्ति बदिया है.

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  5. बहुत ही बेहतरीन रचना....

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  6. copy paste of my comment at your last post minus comment on picture.

    ऑफ़िस जाना है, जल्दी में लिख दिया है। मैं चोर नहीं हूँ जी, कम से कम आपके यहाँ। पढ़ा है तो टिप्पणी जरूर कर रहा हूँ:)
    सारी कविता खूबसूरत है, सबसे ज्यादा जो पसंद आई वो है भावना," लेकिन, दिल के तन्हा गोशे में, गौहर-ए-जन्नत झिलमिलाता है ! जहाँ मन का फ़रिश्ता मुस्कुराता है !!
    और,
    एक और ज़िन्दगी जीने को
    उकसाता है...!"
    आभार स्वीकार कीजिये।

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  7. एक और ज़िन्दगी जीने को
    उकसाता है...!
    Bahut sundar .....dhanywaad.

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  8. सुन्दर अभिव्यक्ति। शुभकामनायें

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  9. तजुर्बों के रास्तों से
    उम्र का गुज़रना,
    फिर
    आड़ी-तिरछी पगडंडियों
    का चेहरे पे जमना,

    मुझे नहीं लगता इससे बेहतर और सात्विक सा चित्रण संभव है, चित्र एक दम सही
    गीत सुनना शेष है
    जहां तक मेरा अनुभव है यहाँ रचनाएँ पढ़ कर अशांत चल रहे मन को बेहद शांति मिलती है
    मैं ये सोचने पर मजबूर हो जाता हूँ की
    क्या ब्लोग्स में भी इंसानों की तरह ओरा [आभामंडल] होता है ??
    मुझे पता नहीं
    या
    टिपण्णी में भी इंसानों की तरह ओरा होता है ??
    मुझे पता नहीं

    बस ये पता है
    ये पोस्ट भी बेहतरीन है हमेशा की तरह

    आभार .....

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  10. पगडण्डियों का चेहरे पर बनना। बहुत सुन्दर।

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  11. सुन्दर अभिव्यक्ति ।
    कल देर रात तक पावर ब्रेक डाउन होने से अँधेरे में बैठकर कुछ ऐसे ही गाने गए हमने , एक मुद्दतों बाद ।
    बहुत बढ़िया लगा ये duet सुनकर ।

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  12. बेहतरीन प्रस्तुति

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  13. Behtareeen!!! iske siwa mere paas koi aur shabd nahin :-)

    Regards
    Fani Raj

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  14. फिर आड़ी-तिरछी पगडंडियों का चेहरे पे जमना' wah !
    Bahut sunder abhiwyakti. Budhapa is kawita ko padh kar nirasha ki aur nahee ek nayee asha ki aur le jata hai.

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  15. मन का फ़रिश्ता
    मुस्कुराता है !!
    और,
    एक और ज़िन्दगी जीने को
    उकसाता है...!

    जिंदगी मुस्कुराती रहे ...!

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