Friday, August 20, 2010

मेरे अपनों ने कब का किनारा किया, मुझसे ज़्यादा कशिश बेगानों में थी....

मैं कल रात उन दीवानों में थी
मेरी नज़रें गुजरे ज़मानों में थी

ये दिल घबराया ऊँचे मकाँ में बड़ा
फिर सोयी मैं कच्चे मकानों में थी

यूँ तो दिखती हूँ मैं भी शमा की तरहां 
पर गिनती मेरी परवानों में थी

उसकी बातों पे मैंने यकीं कर लिया 
कितनी सच्चाई उसके बयानों में थी

मेरे अपनों ने कब का किनारा किया 
मुझसे ज़्यादा कशिश बेगानों में थी

क्या ढूंढें 'अदा' वो तो सब बिक गया
तेरे सपनों की डब्बी दुकानों में थी

एक गीत आपकी नज़र....

30 comments:

  1. इस दर्द भरे नगमे में एक कसक है... और ये कमेन्ट मैं फालतू अंदाज़ में लिख रहा हूँ.. लेकिन बात सही है दी.. :)

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  2. मेरे अपनों ने कब का किनारा किया
    मुझसे ज़्यादा कशिश बेगानों में थी


    -बहुत बढ़िया...वाह!

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  3. यूँ तो दिखती हूँ मैं भी शमा की तरहां
    पर गिनती मेरी परवानों में थी

    क्या बात है । बिल्कुल नया अहसास ।
    बढ़िया अदा जी ।

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  4. Hi..

    Jisko aapna samajh ke baithe...
    wo sach main begaane the..
    Beganon ki kashish jinhe thi...
    Wo tujh se anjaane the...

    Sundar gazal...

    Deepak...

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  5. मेरे अपनों ने कब का किनारा किया
    मुझसे ज़्यादा कशिश बेगानों में थीय़
    दूसरे के बर्तन में हमेशा खीर ही नजर आती है।

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  6. उसकी बातों पे मैंने यकीं कर लिया
    कितनी सच्चाई उसके बयानों में थी

    बयानों की साजिश है यकीं न करना
    शानदार शेर
    खूबसूरत गज़ल

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  7. क्या बात है अदा जी ! सब ठीक तो है न ?:) गज़ब की कशिश है गाने के अंदाज में :)
    और गज़ल में भी.

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  8. यूँ तो दिखती हूँ मैं भी शमा की तरहां
    पर गिनती मेरी परवानों में थी
    बहुत बढ़िया रचना....आभार ....

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  9. क्या ढूंढें 'अदा' वो तो सब बिक गया
    तेरे सपनों की डब्बी दुकानों में थी

    ह्रदय के बेहद अन्दर तक गया ये "मक्ता" .

    चित्र बेहद बेहद सुन्दर है
    [ गाना सुनना अभी बाकी है ]

    दीदी ,
    इसे मक्ता ही कहेंगे ना ?? क्योंकि इसमें शायर का नाम आया है

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  10. बहुत ही सुंदर रचना, बेजोड.

    रामराम

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  11. ये दिल घबराया ऊँचे मकाँ में बड़ा
    फिर सोयी मैं कच्चे मकानों में थी

    बहुत गहरा। आपके चित्र भी संग्रहणीय हैं।

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  12. उसकी बातों पे मैंने यकीं कर लिया कितनी सच्चाई उसके बयानों में थी
    --
    बहुत सुन्दर रचना है!

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  13. उसकी बातों पे मैंने यकीं कर लिया कितनी सच्चाई उसके बयानों में थी
    --
    बहुत सुन्दर रचना है!

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  14. @ गौरव,
    बिल्कुल सही कहा है तुमने...
    ग़ज़ल के आखरी शेर, जिसमें शायर का 'पेन नेम' होता है उसे ही 'मकता' कहते हैं ...

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  15. पिछले दो चार रोज से देख रहा हूं आप जबरदस्त फ़ार्म में हैं ! सुन्दर गीत !

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  16. क्या ढूंढें 'अदा' वो तो सब बिक गया
    तेरे सपनों की डब्बी दुकानों में थी
    Behad umda sher ...behatreen gazal.

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  17. चित्र बेहद खूबसूरत।
    गज़ल बेहद दर्दभरी।
    गीत में बेहद कशिश।

    सदैव आभारी।

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  18. मेरे अपनों ने कब का किनारा किया
    मुझसे ज़्यादा कशिश बेगानों में थी
    जबाब नही जी....

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  19. उसकी बातों पे मैंने यकीं कर लिया
    कितनी सच्चाई उसके बयानों में थी

    बेहद उम्दा ग़ज़ल..बधाई

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  20. @ अली साहब,
    अब आप जैसे सफल कलमकारों को पढूंगी तो यही होगा...:):)
    आपका बहुत बहुत शुक्रिया ...

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  21. @ शिखा,
    बात ई है कि.... जब हम गा रहे थे तो ..मुकेश साहब कुछ ज्यादा ही हावी हो गए हमपर ..
    अब क्यूँ हावी हुए ई हमको नहीं मालूम ....पूछते हैं...
    ज़रा दूर जाना होगा...:):)
    हाँ नहीं तो..!!
    थैंक्यू ..!

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  22. @ दीपक,
    तुम्हारा कमेन्ट एक दम सही है...फालतू कहाँ है...:)
    दी...

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  23. अदा जी बहुत प्यारी गजल है .....बधाई
    और ...
    आप की तो गायिकी भी लाजवाब है
    दिल डूब जाता है आप की आवाज में तो ...

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  24. दीदी,
    फाइनली आज गाना सुन लिया [technical problems solved ] , बहुत सुन्दर गाया है
    अली जी की बात बिलकुल ठीक है , मेरी आदत रही है जब तक अर्थ न समझ लो तब तक कुछ न बोलो,आपकी पिछली कुछ रचनाएं पढ़ कर अर्थ तो समझ में आया पर बोलने के लिए शब्द मिलने बंद से हो गए
    इस रचना पर भी कमेन्ट करने से पहले चार बार पढ़ा था :)

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  25. मुझसे ज्यादा कशिश बेगानों में थी ...

    पहले भी पढ़ चुकी हूँ ये ग़ज़ल मगर हर बार इतनी ही खूबसूरत लगी है ...!

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  26. एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !

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  27. shabdob me itni gahraai aur samvednaa hoti hai ki waah!!! kiye binaa koi rah hi nahin saktaa

    Regards

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  28. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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  29. बहुत ही बेहतरीन!......बहुत खूब!

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