Sunday, August 8, 2010

वो जो दौड़ते से रस्ते हैं, ठहर जायेंगे...


वो जो दौड़ते से रस्ते हैं, ठहर जायेंगे
फिर सोचेंगे लोग के किधर जायेंगे

ये शहर बस गया है सहर से पहले
 
ये गाँव ये बस्ती अब उजड़ जायेंगे 

कगार पर पहुँच गए पर उम्मीद है बाक़ी    
यकीं है ये दिन भी अब सुधर जायेंगे

शिद्दत-ए-गम से परेशाँ हैं
मेरे गेसू 
ग़र आईना मिल जाए, ये संवर जायेंगे

तन्हाई के हंगामों में शामिल है 'अदा' 
नज़र भर देख लो हम निखर जायेंगे 



20 comments:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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  2. ये शहर बस गया है सहर से पहले
    ये गाँव ये बस्ती अब उजड़ जायेंगे
    बहुत सुन्दर
    बस्तियाँ उजाड़कर शहर बसेंगे

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  3. bhnji aadaab aapne shehr or gaanv ki zingi ka frq kuch alfaazon men smet kr rkh diyaa he bhut khub likhaa he . akhtar khan akela kota rajsthan

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  4. शिद्दत-ए-गम से परेशाँ हैं मेरे गेसू
    ग़र आईना मिल जाए, ये संवर जायेंगे

    आइना हमारे पास ही तो है..., बस धूल जम गई है...धूल हटा दीजिए,जीवन संवर जाएगा ।

    बहुत सुंदर प्रस्तुति ।

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  5. ये शहर बस गया है सहर से पहले
    ये गाँव ये बस्ती अब उजड़ जायेंगे

    आपने बदलते समय की क्रूरता को सही पहचाना है.
    समय हो तो अवश्य पढ़ें .ब्लॉग जगत में मची घमासान के विरुद्ध.
    शमा-ए-हरम हो या दिया सोमनाथ का
    http://saajha-sarokaar.blogspot.com/2010/08/blog-post.html

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  6. आज सुबह आपकी पोस्ट नहीं दिखी तो समझे थे कि आज आपके लिये भी संडे इज़ द हॉलीडे होने लगा है।

    उम्मीद जगाती हैं आपकी रचनायें, ये भी हमेशा की तरह आशावाद की तरह प्रेरित करती लगी।

    फ़ोटो भी फ़र्स्ट क्लास।
    आभार स्वीकार करें।

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  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति

    http://sanjaykuamr.blogspot.com/

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  8. शिद्दत-ए-गम से परेशाँ हैं मेरे गेसू
    ग़र आईना मिल जाए, ये संवर जायेंगे

    अरे वाह गम से गेसुओं को परेशान होते तो पहली बार देखा...नया प्रयोग.

    तन्हाई के हंगामों में शामिल है 'अदा'
    नज़र भर देख लो हम निखर जायेंगे

    सच ??????????????

    OK LET ME SEEEEEEEEEEEEE

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  9. अति सुंदर प्रस्तुति

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  10. इन उम्र से लंबी सड़कों को,
    मंज़िल पे पहुंचते देखा नहीं,
    बस दौड़ती फिरती रहती हैं,
    हमने तो ठहरते देखा नहीं,
    इस अजनबी से शहर में जाना पहचाना ढूंढता है...
    एक अकेला इस शहर में...

    जय हिंद...

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  11. ये शहर बस गया है सहर से पहले
    ये गाँव ये बस्ती अब उजड़ जायेंगे

    बहुत ही बढ़िया लगा ये ..

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  12. कगार पर पहुँच गए पर उम्मीद है बाक़ी
    यकीं है ये दिन भी अब सुधर जायेंगे
    bahut ache se lafzon ko saheja hai apne..

    mere news blog par bhi aap aamantrit hai..
    Banned Area News : Drink beer in three seconds, win 100,000 yuan

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  13. ये शहर बस गया है सहर से पहले
    ये गाँव ये बस्ती अब उजड़ जायेंगे

    -बहुत गज़ब!! वाह!

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  14. क्या खूब...अभिनव.

    रामराम

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  15. बेहद खूबसूरत गज़ल है. हर शेर लाज़वाब.

    ये शहर बस गया है सहर से पहले
    ये गाँव ये बस्ती अब उजड़ जायेंगे

    ..इस शेर से पर्यावरण के प्रति चिंता झलकती है.

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  16. नज़र भर देख लेना ग़र नसीबों लिखा होता,
    हमारी चाह को राह का आलम दिखा होता।

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  17. वैसे तो पूरी गज़ल ही बहु खूब है, पर ये शेर खासतौर पर पसंद आया--

    ये शहर बस गया है सहर से पहले
    ये गाँव ये बस्ती अब उजड़ जायेंगे

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  18. ये शहर बस गया है सहर से पहले
    ये गाँव ये बस्ती अब उजड़ जायेंगे
    बहुत सुन्दर
    waaaaaaaaaaaah gmbhir smasya aur lekh shandar

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  19. ये शहर बस गया है सहर से पहले

    ये गाँव ये बस्ती अब उजड़ जायेंगे !!!

    वाह...क्या बात कही...मुग्ध कर लिया आपकी इस रचना ने...हर शेर रास्ता रोक कर खड़े हो जा रहे हैं...आगे बढ़ने ही नहीं देते...
    बस आनंद आ गया...

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