हम !
उम्र में अब क़ैद हो रहे हैं
देखो
हमारे बाल अब सफैद हो रहे हैं
कौन जाने
मियाद क्या है इस जिस्म की
अब तो
खून भी रगों में सफैद हो रहे हैं
देखती हूँ
हर तरफ बर्फ सी गिरी हुई
सारे ही
रंग अब सफैद हो रहे हैं
मेरी सोच
को तो अब लग गए हज़ारो पर
पर
अलफ़ाज़ मेरे फिर क़ैद हो रहे हैं.....
हम हैं इंडियन ...डोंट माइंड ...
बालों की सफेदी खून में भी उतर रही है ...वाह ..!
ReplyDeleteऔर ये वाले महाशय तो सच्चे इंडियन ही हैं ...मस्त ...!
अच्छी अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteश्वेत आयु का प्रतीक है, श्वेत शान्ति का प्रतीक है।
ReplyDeleteGirijesh ji ne kaha...
ReplyDeleteशेखर एक जीवनी में सौन्दर्य की तलाश में शेखर गुलमर्ग से आगे बहुत आगे बर्फीले पहाड़ों और जमी हुई झील तक जाता है। सौन्दर्य को न पाकर निराश होता है लेकिन एक दिन अचानक ही मृत्यु सरीखे हिम क्षेत्र में उसे सौन्दर्य के दर्शन होते हैं। विराट सौन्दर्य के आगे उसकी सोच को भी हजारों पर लग गए से प्रतीत होते हैं लेकिन शब्द ऐसे हैं कि सराहते हुए भी लगता है - काश! कुछ और होता। ... कभी पढ़िएगा, बहुत सुन्दर भाग बन पड़ा है।
मुझे तो कविता बढ़िया पसंद आई .....
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति... बहुत खूब!
ReplyDeletebalo ki safedi aur umar se lag raha hai ki ham bhi budhe Indian ho chuke hain..........:)
ReplyDeletebadhiya rachna.......
खूबसूरत कविता लिखी है आपने.
ReplyDeleteमेरा ब्लॉग
खूबसूरत, लेकिन पराई युवती को निहारने से बचें
http://iamsheheryar.blogspot.com/2010/08/blog-post_16.html
कौन जाने
ReplyDeleteमियाद क्या है इस जिस्म की
अब तो
खून भी रगों में सफैद हो रहे हैं
Bahut khoob !
"मेरी सोच
ReplyDeleteको तो अब लग गए हज़ारो पर
पर..."
पर भी कतरे गए हैं :)
Hi...
ReplyDeleteAstanchal ki taraf badhe jab...
surya chhupe aur aaye raat...
Chanda lekar aaye apni...
sheetal chandani apne saath...
Jeevan main bhi shwet rang...
aata hai sheetalta ke saang...
man main ek thahraao sa aata..
thahre man ki har umang...
Sundar Bhavabhivyakti...
Deepak...
कौन जाने
ReplyDeleteमियाद क्या है इस जिस्म की
अब तो
खून भी रगों में सफैद हो रहे हैं
-डरा रही हैं कि .....कविता सुना रही हैं.
बेहतरीन!!
विडिओ देखकर मजा आया.
वाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ! कमाल कि पंक्तियाँ है!
ReplyDeletesahi soch...
ReplyDeleteमेरे आजाद भारत को अब देखिए,
ReplyDeleteहो रहे कत्ल हैं बेसबब देखिए,
इस नई नस्ल को बेअदब देखिए,
कैसे आ पायेगा मुल्क में अब अमन।
उन शहीदों को मेरा नमन है नमन।।
बहुत खूब
ReplyDeleteकौन जाने
ReplyDeleteमियाद क्या है इस जिस्म की
अब तो
खून भी रगों में सफैद हो रहे हैं
सच तो सच है :))
सुन्दर चित्र
सुन्दर रचना
वीडियो अभी देखना बाकी है
बर्फ को लेकर
ये नजरिया आपका
मन में वैराग्य भर रहा
ऐसे लगा कोई यात्री
उतरने से पहले रेल से
घर जाने की तैयारी कर रहा
भय है किस बात का
ये तो है एक स्थिर नियम
क्यों हर चीज को
अपना समझते हैं हम
सौंप दो जो उसका है उसको ही
भक्ति होगी हर कर्म
इसलिए तो था कभी
अर्जुन ने सीखा कृष्ण से
भक्ति का सच्चा मर्म
[ http://my2010ideas.blogspot.com/2010/04/blog-post_04.html]
ये कमेन्ट कुछ बड़ा हो गया ,इसके लिए क्षमा चाहता हूँ , ये रचना अभी बनाई है, और इसका सार ऊपर दिए गए लिंक वाली पोस्ट पर है