Wednesday, August 25, 2010

क्यों झाँकना नज़र में ये नक़ाब जैसा है...


जब प्यार से मिला वो तो गुलाब जैसा है
आँखों में जब उतर गया शराब जैसा है

खामोशियाँ उसकी मगर हसीन लग गईं 
कहने पे जब वो आया तो अज़ाब जैसा है

करके नज़ारा चाँद का वो ख़ुश बहुत हुआ 
ख़बर उसे कहाँ वो माहताब जैसा है

करते रहो तुम बस्तियां आबाद हर जगह  
इन्सां यहाँ इक छोटा सा हबाब जैसा है

कुछ दोस्ती कुछ प्यार कुछ वफ़ा छुपा लिया
क्यों झाँकना नज़र में ये नक़ाब जैसा है

अज़ाब=ख़ुदा का क़हर या नाराज़गी
माहताब= चाँद
हबाब=बुलबुला 




22 comments:

  1. बेहद उम्दा रचना .....बधाइयाँ !

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  2. करके नज़ारा चाँद का वो ख़ुश तो हो गया
    पर ख़बर कहाँ उसे कि वो माहताब जैसा है


    बड़ा सीधा और गहरा अर्थ निकला इसका तो
    चित्र तो शानदार है ही ,इस बार तो टाइटल भी
    गजब का कोम्बिनेशन दे रहा है


    इस अच्छी रचना के बदले
    मेरी ये बालकविता :))

    शब्द में होती है कितनी शक्ति
    अर्थ जानने से समझ आती है
    क्या है सच्ची अभिव्यक्ति
    रचनाएँ ही हो ऐसी आकर्षक
    तो शब्द का अर्थ जानने की
    जिज्ञासा हर धडकन में है धड़कती
    मेरा कोई दोष नहीं है इश्वर
    रचनाकार की है ये सुन्दर गलती

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  3. करके नज़ारा चाँद का वो ख़ुश तो हो गया
    पर ख़बर कहाँ उसे कि वो माहताब जैसा है
    बहुत सुन्दर रचना है अदा जी.

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  4. " करते रहो तुम बस्तियां आबाद हर जगह इन्सां यहाँ इक छोटा सा हबाब जैसा है
    कुछ दोस्ती कुछ प्यार कुछ वफ़ा छुपा लिया क्यों झाँकना नज़र में ये नक़ाब जैसा है "

    पढते पढते बस यहीं अटक कर रह गया हूँ ! बहुत गहरी बात !

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  5. कहाँ से मिल जाती हैं ये उपमायें आपको जो पिरो लेती हैं ऐसे ख्यालात अपने शब्दों में?
    बहुत खूबसूरत गज़ल लगी यह गज़ल भी हमेशा की तरह, और तस्वीर अपने आप में ही किसी गज़ल से कम नहीं लग रही है।
    आभार स्वीकार करें।

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  6. "क्यों झाँकना नज़र में ये नक़ाब जैसा "

    पर्दा उठ गया तो हिजाब कैसा ?

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  7. करके नज़ारा चाँद का वो ख़ुश बहुत हुआ
    ख़बर उसे कहाँ वो माहताब जैसा है

    वाह.... अच्छी गज़ल !

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  8. कुछ दोस्ती कुछ प्यार कुछ वफ़ा छुपा लिया
    क्यों झाँकना नज़र में ये नक़ाब जैसा है

    नजर भी कहाँ बता पाती है कुछ लोगों के दिल का हाल ...
    सुन्दर !

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  9. एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !

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  10. बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल...... बहुत खूब!

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  11. आ गया है कौनसी सदी में ऐ 'मजाल',
    होना अच्छा भी यहाँ खराब जैसा है!

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  12. एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइ

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  13. करके नज़ारा चाँद का वो ख़ुश बहुत हुआ
    ख़बर उसे कहाँ वो माहताब जैसा है

    सुन्‍दर पंक्तियों के साथ सशक्‍त रचना ।

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  14. खामोशियाँ उसकी मगर हसीन लग गईं कहने पे जब वो आया तो अज़ाब जैसा है
    badhiya bdhiy badhiya

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  15. Girijesh ji kahin :

    @ कुछ दोस्ती कुछ प्यार कुछ वफ़ा छुपा लिया
    क्यों झांकते हो नज़र में ये नकाब जैसा है

    ग़जब।

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  16. arth bata diya tha Girijesh ji...
    mujhe Gaurav pahle hi yaad dila deta hai..:):)

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  17. कुछ अर्ज़ करते ...पर करें क्या कंप्यूटर खराब जैसा ....

    सुंदर पंक्तियां ...कमाल ...

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  18. करते रहो तुम बस्तियां आबाद हर जगह इन्सां यहाँ इक छोटा सा हबाब जैसा है
    कुछ दोस्ती कुछ प्यार कुछ वफ़ा छुपा लियाक्यों झाँकना नज़र में ये नक़ाब जैसा है
    .....बेहद उम्दा गज़ल.....बधाइयाँ !

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