विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए हमारा एक छोटा सा प्रयास है यह, एक हिंदी मासिक पत्रिका निकालने की योजना है...ओट्टावा कनाडा से...वैसे भी कनाडा में ब्लॉग पढ़ने का चलन कम ही है...हिंदी ब्लॉग जगत, अच्छे लेखन में किसी से भी पीछे नहीं है...ज़रुरत है उनके प्रयासों को दूर-दराज़ बैठे लोगों तक भी पहुँचाना ...उसी दिशा में यह हमारी कोशिश है...
प्रतिदिन हिंदी ब्लॉग जगत में बहुत अच्छा लिखने वाले को हम पढ़ते हैं, परन्तु उन्हें सही पहचान नहीं मिल पा रही है ..इस पत्रिका के माध्यम से उनकी रचनाओं को विदेशों में रहने वाले पाठकों तक भी पहुँचाया जाएगा साथ ही विदेशों में रहने वाले भारतीयों को भी हिंदी के प्रति अनुराग बनाए रखने का एक कारगर मौका दिया जाएगा ..इसी उद्देश्य को सामने रखते हुए, इस मासिक पत्रिका को शुरू करने की योजना बनाई गई है
प्रतिदिन हिंदी ब्लॉग जगत में बहुत अच्छा लिखने वाले को हम पढ़ते हैं, परन्तु उन्हें सही पहचान नहीं मिल पा रही है ..इस पत्रिका के माध्यम से उनकी रचनाओं को विदेशों में रहने वाले पाठकों तक भी पहुँचाया जाएगा साथ ही विदेशों में रहने वाले भारतीयों को भी हिंदी के प्रति अनुराग बनाए रखने का एक कारगर मौका दिया जाएगा ..इसी उद्देश्य को सामने रखते हुए, इस मासिक पत्रिका को शुरू करने की योजना बनाई गई है
पत्रिका अक्टूबर-नवम्बर के महीने से निकलेगी...पत्रिका देखने में 'फिल्म फेयर', 'स्टार डस्ट' के समकक्ष होगी ...इस पत्रिका के लिए रचनाओं की आवश्यकता है...अतः आप आमंत्रित हैं इस सुअवसर का लाभ उठाने के लिए...आपकी रचनाओं को कनाडा और अमेरिका के दुर्लभ पाठकों तक पहुँचाने का प्रयास हम कर रहे हैं...
पत्रिका निकालने की सारी आर्थिक जिम्मेवारी Shails Communications उठा रही है... लेखकों को हम किसी भी तरह का आर्थिक लाभ नहीं दे पायेंगे...यह सिर्फ़ हिंदी के प्रचार तथा हिंदी लेखन को कनाडा और अमेरिका के पाठकों तक पहुँचाने और इन देशों में रहने वाले भारतीयों को हिंदी के प्रति जागरूक बनाये रखने का प्रयास है...
यदि आप अपनी रचनाएँ इस पत्रिका में छपवाना चाहते हैं तो अपनी अनुमति के साथ अपनी रचनाएँ कृपा करके इस ईमेल पते पर भेजिए
kavy.manjusha@gmail.com
हम सभी प्रविष्ठियां को छापने का वादा नहीं करते हैं, लेकिन जो भी प्रविष्ठी हमारी टीम को पसंद आएँगी वो अवश्य छपेंगी....क्योंकि पत्रिका का स्तर हमें हर हाल में ऊँचा रखना है...
रचना के साथ आप अपना, परिचय और फोटो, और रचना से सम्बंधित फोटो (अगर मूल फोटो है तो) भी भेजें....रचना देवनागरी में टंकित हो...
यह पत्रिका कनाडा और अमेरिका में वितरित की जायेगी....
पत्रिका के लिए निम्नलिखित प्रकार की रचनाएँ आमंत्रित हैं :
कहानी (धारावाहिक)
लघु कथा
कविता
ग़ज़ल
दोहा
यात्रा वृतांत
संस्कृति सम्बन्धी बातें
अर्थ सम्बन्धी बातें
फीचर
हास्य
खान-पान
हास्य
खान-पान
कला सम्बन्धी आलेख
सामयिक विषयों पर लेख
स्वास्थ्य सम्बन्धी आलेख
समाचार
फैशन
और भी विषय हो सकते हैं.....आपके विचार आमंत्रित हैं...
(Shails Communications एक अंग्रेजी पत्रिका भी निकाल रही है...उसका डिजाईन बनाया गया है...हिंदी की पत्रिका भी लगभग ऐसी ही होगी...
फिलहाल अंग्रेजी पत्रिका का डिजाइन प्रस्तुत है...जिससे आपको अनुमान हो सकेगा कि यह पत्रिका देखने में कैसी लगेगी...)
धन्यवाद...
विनीत..
'अदा'
Front Spread
Back Spread
Pages 3 & 4
Pages 2 & 5
बढिया प्रयास .. शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteशैल्स कम्यूनिकेशन्स का प्रयास अत्यंत सराहनीय है !
ReplyDeleteप्रोजेक्ट की सफलता के लिए अनंत अशेष शुभकामनायें !
@ हास्य
ReplyDeleteवाह! ये भी है।
आपका प्रयास सराहनीय है।
शुभकामनाएं!
आपका प्रयास सराहनीय है.... बस... लम्पटों की वाहियात चीज़ें मत छापियेगा.... इस बात का ध्यान रखियेगा...
ReplyDeleteआपका यह प्रयास अत्यंत ही सराहनीय है!
ReplyDeleteसफलता के लिए हार्दिक शुभकामनायें!
दीदी,
ReplyDeleteबहुत बहुत बेहतरीन कदम है, सही मायनों में हिंदी सेवा है
@....... लेखकों को हम किसी भी तरह का आर्थिक लाभ नहीं दे पायेंगे
ये स्पष्ट करने का धन्यवाद वैसे भी जो दिल से लिखते होंगे उन्हें इसकी कोई ज्यादा चिंता नहीं होनी चाहिए एक लेखक के लिए उसके लेख का दूर दूर तक [कनाडा और अमेरिका] पहुंचना ही सबसे बड़ा पुरस्कार होता होगा [ मैं लेखक नहीं हूँ ना इसीलिए अंदाजे लगा रहा हूँ :) ]
एक सवाल :
@रचना के साथ आप अपना, परिचय और फोटो .....
केवल नाम (पेन नेम ) नाही चलेगा का :)) इस आधार पर कहा रहा हूँ की "लेखक की कलम ही उसकी पहचान है" [ ऐसे ही पूछ लिया, हो सकता है किसी के मन में ये प्रश्न उठे ]
एक सराहनीय प्रयास है इससे कईं "सही मायनों में क्रिएटिव" लोग गुमनामी के अँधेरे से बाहर आएंगे
Hats off to you and Shails Communications
और हाँ ... ये कवर बहुत सुन्दर और आकर्षक लग रहे हैं
ReplyDeleteकामना करते हैं पत्रिका इनसे भी बेहतर बन कर सामने आये और सब देखते रह जाएँ
@ गौरव,
ReplyDeleteरचनाकार का परिचय इस लिए भी चाहिए ताकि यह सनद रहे की रचना मूल रूप से उनकी ही है....वैसे हम 'पेन नेम' से भी काम करेंगे...अगर लेखक नहीं चाहे तो हम परिचय छापेंगे नहीं लेकिन हमारे रिकॉर्ड के लिए ये बातें हमें चाहिए...ऐसा न हो कोई किसी और की रचना हमें भेज दे और हम उसे छाप दें....इस हिसाब से कमसे कम हम कुछ तो ट्रैक रख सकते हैं...
वैसे तुम बड़े काम के सवाल करते हो...
ख़ुश रहो..
दीदी..
अरे वाह दी,
ReplyDeleteये तो बहुत ही उत्तम समाचार दिए आपने.... आपके इस कदम पर ढेरों शुभकामनाए !
आभार
अच्छा ये बात है
ReplyDeleteयानि की ....
फर्जी लेखकों को है खतरा बड़ा
जो अक्सर चुरा कर रचनाएँ
देते है अपने ब्लोग्स पर चढ़ा
सच है कुछ नियम
एंटी वायरस जैसे होते हैं
जरूरी है ओरिजिनल रचनाओं की
सुरक्षा हेतु ..ओनर जिनके रात भर जागते
और चुराने वाले आराम से सोते हैं
ये तो बडा सराहनीय कार्य है जी
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
काश! मैं भी लेखक होता और आपकी पत्रिका में मेरी रचना कोई छपती।
प्रणाम स्वीकार करें
अभी हाल ही में विश्व हिंदी सचिवालय की पत्रिका में यह पढने को मिला कि अमेरिका में उठी हिंदी की आवाज.... मशाल जलती रहे... शुभकामनाएं॥
ReplyDeleteअदा जी,
ReplyDeleteआपने एक सराहनीय कार्य के योगदान के लिए आवाहन किया है....ईश्वर आपके इस प्रयास को सार्थक एवं सफल करे...
हम मन से आपके साथ हैं...हमारे लायक कोई सेवा हो तो निःसंकोच कहियेगा....
दीपक...
वाह अदा जी, ये हुए न बात! बहुत शानदार कोशिश है ये. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteअदा जी,
ReplyDeleteआपका यह प्रयास सराहनीय है। पत्रिका का स्वरूप तो बहुत आकर्षक दिख रहा है। देश से दूर रहकर भी आपका अपनी भाषा के लिये सार्थक सोचना आपके भारत प्रेम का परिचायक है।
आर्थिक लाभ वाली बात पर गौरव का कहना भी ठीक है कि बहुत से लोग अपनी संतुष्टि(भड़ास भी कह सकते हैं) के लिये ही लिखते है लेकिन आपने पहले से ही यह क्लियर करके बहुत अच्छा किया, किसी तरह की गलतफ़हमी न रहे, वही बेहतर रहता है। वैसे भी आप और शैल्स कम्युनिकेशंस जिस उद्देश्य से यह करने जा रहे हैं वह ही अपने आप में प्रकाशित होने वाले लेखकों के लिये गर्व की बात है। ये इंग्लिश वाली मैग्ज़ीन पहले से ही छप रही है या यह प्रोजैक्ट भी पाईपलाईन में है?
आपका और ’शैल्स कम्युनिकेशन्स’ का अभिनन्दन करते हैं जी हम, और कामना करते हैं कि आप अपने प्रोजैक्ट में सफ़ल हों।
बहुत ही बेहतरीन कार्य है.... आज हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत अधिक मेहनत की आवश्यकता है......किसी भी तरह के सहयोग की आवश्यकता हो तो अवश्य बताइयेगा....
ReplyDelete- शाहनवाज़ सिद्दीकी
बहुत सराहनीय प्रयास
ReplyDeleteशुभकामनाएं!
sarthak aur sarahniya prayas....:)
ReplyDeletebahut bahut shubhkamnayen.......:)
@ Mahfooz Ali:
ReplyDelete--------------
महफ़ूज़ मियाँ,
हमें बेशर्म, बेहया, बेवफ़ा, बेमुरव्वत वगैरह काफ़ी उपाधियों से पूर्व में नवाजा जा चुका है लेकिन लम्पट की पदवी कभी नहीं मिली है। हाँ, लिखते हम वाहयात सा ही हैं। आपके लिखे का मतलब हम ये निकाल रहे है कि जो वाहयात लिखते हैं लेकिन लम्पट नहीं हैं उनका लिखा छप सकता है।
बैनेफ़िट ऑफ़ डाऊट मिलेगा हमें।
है न आशावादी दृष्टिकोण:)
हम करेंगे जी अप्लाई, और हमें उम्मीद है कि हम छपेंगे भी। छह महीने हो गये हैं इस ब्लॉग पर वाह वाह करते हुये, अब भी न छपे तो फ़िर कब छपेंगे?
हा हा हा।
@ Sanjay Aneja ji....
ReplyDeleteअरे! आपको पता नहीं है.... यहाँ लम्पट हैं एक से एक .... सॉरी! एक से एक नहीं...सिर्फ ...शायद एक... अगर यकीन नहीं है तो अदा जी से पूछ लीजिये... और भी लोग नाम बता देंगे... और लम्पटगिरी में मशहूर भी हैं.... बड़ी मुश्किल से अदा जी को मना किया ...की लम्पटों से बात न करें.... आप तो व्यंग्य किंग हैं.... और बेशर्म, बेहया, बेवफ़ा, बेमुरव्वत की पदवी तो मेरे ऊपर भी सटीक बैठती है.... मैं तो अपनी बेशर्मी..... डंके की चोट पर कहता हूँ.... आई ऍम बेशर्म नम्बर वन.... ही ही ही .......यहाँ तो ऐसे ऐसे लम्पट हैं की पचास की उम्र पार करने के बाद भी सीटियाबाज़ी नहीं छोड़ते हैं... ही ही ही... आप बोलें....तो एक्जाम्पल भी बता देंगे... और आप तो ज़रूर छपेंगें... आप इतना अच्छा जो लिखते हैं.... कम से कम आप जो लिखते हैं आपके प्रोफेशन से तो मैच करता है....
बहुत बढ़िया प्रयास है अदा जी । इस वेंचर में हम आपके साथ हैं । कवर तो बहुत बढ़िया लग रहे हैं ।
ReplyDeleteशुभकामनायें ।
बड़ा ही सुन्दर प्रयास रहेगा। जो गुणवत्ता आपने प्रारूप बनाने में दिखायी है और जो आपका बौद्धिक स्तर है, यह निश्चय ही सफलता के पथ पर है। यदि इक्विटी निकालें तो 1000 शेयर मेरे नाम से बुक कर दें। मुझे पहला ग्राहक भी माना जाये।
ReplyDeleteअरे वाह दी,
ReplyDeleteये तो बहुत ही उत्तम समाचार दिए आपने..
आपका और ’शैल्स कम्युनिकेशन्स’ का अभिनन्दन करते हैं जी हम, और कामना करते हैं कि आप अपने प्रोजैक्ट में सफ़ल हों।
ReplyDeleteइस कार्य के लिए हमारी शुभकामनाएँ । धर्म और संस्कृति से संबंधित विषयों को पत्रिका में जरूर शामिल कीजिए ताकि विदेश में रह रहे भारतीय अपनी संस्कृति से जुड़े रहें । इस हेतु कुछ रचनाएँ मेरी ओर से भेजने का प्रयास रहेगा । यदि आप इन्हें प्रकाशित करने योग्य समझें तो । वैसे आप मुझ से नाराज चल रहीं हैं, तभी तो गूंजअनुगूंज पर आना बंद है । पता नहीं हमसे क्या भूल हुई है जो आपने हमें पढ़ना और टिप्पियाना बंद कर दिया है । पुन: इस हिंदी पत्रिका के शुरु करने के लिए धन्यवाद ।
ReplyDelete@ आदरणीय भारती जी,
ReplyDeleteऐसी बात बिल्कुल नहीं है...
पिछले दिनों बहुत व्यस्त थी इसलिए कहीं भी टिप्पणी नहीं कर पाई...सिर्फ़ ब्लॉग से जुड़े रहने के लिए रचनाएँ प्रकाशित करती रही वो भी 'scheduled ' अब मैंने थोड़ी टिप्पणी करने की शुरुआत की है...आपका आभार..कि आपने सहयोग का आश्वासन दिया है...
हृदय से धन्यवाद..
आपका प्रयास अनुकरणिया है।
ReplyDeleteमुझसे जो सहयोग बोलिए।
बहुत ही सराहनीय प्रयास ...
ReplyDeleteमातृभूमि की भाषा के प्रति अपनी जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व का बोध ...जो अपने देश में रहकर इसे कोसते रहते हैं , उन्हें इसपर विचार करना चाहिए ...
आपका प्रोजेक्ट सफल हो ...
अनंत शुभकामनायें ....!