Saturday, August 14, 2010

आधी रात का सवेरा ...


दिल्ली ने !
अतीत के 
अनगिनत उत्सव देखे हैं,
चक्रवर्ती सम्राटों के राजतिलक देखे हैं,
शत्रुओं की पराजय देखी,
विजय का विलास देखा,
अपूर्व उल्लास देखा,
परन्तु...
ऐसी एक घड़ी आई 
जब...
सूर्योदय और सूर्यास्त का 
अंतर मिटते देखा,
बड़े-बड़े महोत्सवों 
और महान पर्वों को 
फीका पड़ते देखा,
उस रात... 
मतवारे, दिल्ली की सड़कों पर झूम रहे थे,
कितने ही सपने, 
लाखों रंग लिए
बूढी आँखों में घूम रहे थे,
दिल्ली की धमनियों में 
स्वतंत्रता
यूँ अवतरित हुई थी,
जैसे...
धरती पर 
स्वर्ग से गंगोत्री उतर आई हो,
आधी रात को तीन लाख ने
सुर मिलाया था,
'जन-गण-मन', 'वन्दे मातरम्' 
का जयघोष लगाया था,
पहली बार...
'शस्य-श्यामला'
'बहुबल-धारिणी'
'रिपुदल-वारिणी'
शब्दों ने...
स्वयं ही पुकार कर
अपना सही अर्थ
इस दुनिया को बताया था,
ललित लय में 
हिलते हुए वो अनगिनत सिर,
क्या सोच रहे थे 
ये इतिहास में नहीं लिखा गया, 
मगर वो तारीख़ 
दर्ज हो गयी आने वाली 
अनगिनत शताब्दियों के लिए,
जब...
आधी रात के सवेरे ने
१५ अगस्त १९४७ को,
आँख खुलते ही
सलामी दी थी
नवीन, अभूतपूर्व 
तिरंगे को,
जयघोष के नाद से 
जनसमूह की नाड़ियाँ,
युद्धगान से धमक उठीं,
माँ भारती ने अपनी बाहें फैला दी
अपने बच्चों के लिए, 
क्योंकि अब !
कोई बंधन नहीं था...!
जय हिंद...!!



सभी चित्र गूगल से साभार...

18 comments:

  1. क्योंकि अब !
    कोई बंधन नहीं था...!
    जय हिंद...!!
    बधाई ! शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  2. मौके पर झकझोरती रचना!! बहुत बढ़िया!!

    ReplyDelete
  3. स्वतंत्रता दिवस के प्रथम क्षणों का भावपूर्ण वर्णन !

    परतंत्र राजधानियां / परतंत्र देश और परतंत्र आबादियां ,जहां हम जन्में ही नहीं,कैसी होती होंगी ? क्या पता ?
    पर जो इंसान इस क्षण से पहले और बाद के संधिकाल को भोग रहे थे उनके चित्र अपनी कथा स्वयं कहते हैं !

    ReplyDelete
  4. सार्थक और सामयिक रचना
    पूरी दास्तान है ये तो

    ReplyDelete
  5. क्यूंकि अब कोई बंधन नहीं था ...
    उस समय तो यही लगा था ...
    क्या अब भी हम ये कह सकते हैं ...?

    ReplyDelete
  6. Waah, yun to aapki har kavita niraali hoti hai, par aazaadi ka ye varnan behtareen hai. man mugdh ho gayaa

    Jay Hind!!!

    ReplyDelete
  7. ऐतहासिक चित्रों के बीच मन को जगाती प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  8. श्रेष्‍ठ अभिव्‍यक्ति।

    ReplyDelete
  9. चित्रों के द्वारा प्रस्तुत सार्थक पोस्ट

    ReplyDelete
  10. अदा जी, बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी इस आज़ादी कि, क्या हमें याद है? क्या हम उन शहादतों को भूल नहीं गए हैं!

    ReplyDelete
  11. Hi...

    Jo paayi hai gawan kar...
    Kitne hi veer apne..
    usko sambhale rakhne...
    main ho rahi hai mushkil...

    Kashmir kabhi jalta...
    hai Asam aur Manipur...
    Aapas main lad Ke jaane..
    kya ho raha hai hasil...

    Aapne bahut hi sundar kavita likhi hai...wah...

    Deepak..

    ReplyDelete
  12. क्योंकि अब !
    कोई बंधन नहीं था...

    अभी बंधन बहुत से तोड़ने बाकी है :)

    ReplyDelete
  13. स्वतंत्रता दिवस के प्रथम क्षणों का भावपूर्ण वर्णन !

    ReplyDelete
  14. अब आपके बीच आ चूका है ब्लॉग जगत का नया अवतार www.apnivani.com
    आप अपना एकाउंट बना कर अपने ब्लॉग, फोटो, विडियो, ऑडियो, टिप्पड़ी लोगो के बीच शेयर कर सकते हैं !
    इसके साथ ही www.apnivani.com पहली हिंदी कम्युनिटी वेबसाइट है| जन्हा आपको प्रोफाइल बनाने की सारी सुविधाएँ मिलेंगी!

    धनयवाद ...
    आप की अपनी www.apnivani.com

    ReplyDelete
  15. स्वतंत्रता दिवस के प्रथम क्षणों का भावपूर्ण वर्णन ! साथ ही ऐतहासिक चित्रों के बीच मन को जगाती प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  16. बहुत खूब , शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena69.blogspot.in/

    ReplyDelete