एक तो हो रही बरसात
उसपर इतनी लम्बी रात
कश्ती मेरी डूब के उबरी
तूफाँ ने फिर खाई मात
ज़िक्र किया था पतझड़ का
फूलों पर टिक गई है बात
झूठ का उबटन चेहरों पर
ख़ाक कहेंगे सच्ची बात
बिन मतलब बदनाम हुई मैं
कोई और लगाए घात
कैसा रंग बसंत ले आया ?
पेड़ों पर न फूल न पात
फिर जा बैठे ग़ैर के शाने
आख़िर दिखा दी तूने ज़ात एक गीत ...आपके लिए...शायद ठीक लगे...गारंटी नहीं है...
अदा दीदी
ReplyDeleteपाय लागी ! प्रणाम ! चरण स्पर्श !
हां , अब आशीर्वाद मिला है तो आगे बात हो …
पहले तो गीत की ही प्रीत की ही जीत हुई है फिर से …
रिम झिम गिरे सावन , सुलग सुलग जाए मन ,
भीगे आज इस मौसम में , लगी कैसी ये अगन …
वाह वाह ! वाह वाह !!
कश्ती मेरी डूब के उबरी तूफां ने फिर खाई मात
झूठ का उबटन चेहरों पर ख़ाक कहेंगे सच्ची बात
क्या बात कही है !
झूठ का उबटन चेहरे पर लगाए' मिले लोगों को भी … आगे क्या कहें ?
आपके ब्लॉग पर आते ही पुरानी पोस्ट्स का ख़ज़ाना टटोल कर गीतों की दुनिया में खो जाने से मन शांत हो जाता है …
यहीं रुकूंगा , लेकिन यहां से चला…
शुभकामनाएं …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
अदा दीदी
ReplyDeleteपाय लागी ! प्रणाम ! चरण स्पर्श !
हां , अब आशीर्वाद मिला है तो आगे बात हो …
पहले तो गीत की ही प्रीत की ही जीत हुई है फिर से …
रिम झिम गिरे सावन , सुलग सुलग जाए मन ,
भीगे आज इस मौसम में , लगी कैसी ये अगन …
वाह वाह ! वाह वाह !!
कश्ती मेरी डूब के उबरी तूफां ने फिर खाई मात
झूठ का उबटन चेहरों पर ख़ाक कहेंगे सच्ची बात
क्या बात कही है !
झूठ का उबटन चेहरे पर लगाए' मिले लोगों को भी … आगे क्या कहें ?
आपक ब्लॉग पर आते ही पुरानी पोस्ट्स का ख़ज़ाना टटोल कर गीतों की दुनिया में खो जाने से मन शांत हो जाता है …
यहीं रुकूंगा , लेकिन यहां से चला…
शुभकामनाएं …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Bhai vah........kya baat hai! फिर जा बैठे ग़ैर के शाने आख़िर दिखा दी तूने ज़ात.
ReplyDeleteShaandaar panktiyan.....
Aapko badhaai.........
हम नौटंकी क्या हुये,
ReplyDeleteलग गयी जमात।
पतझड़ का सामना तो काँटे ही बखूबी कर सकते हैं, लेकिन फ़िर भी काँटा तो नहीं ही बना चाहिये सबको।
ReplyDeleteदुनिया तो फ़ूलों से ही गुलज़ार होती है।
हमेशा की तरह शानदार तस्वीर के साथ यह पोस्ट भी दिल को छू गई।
गारंटी-वारंटी हम देख लेंगे जी आप तो गाना सुनवाती रहें बस।
सदैव आभारी।
बहुत ही प्रभावशाली अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteझूठ का उबटन चेहरों पर
ख़ाक कहेंगे सच्ची बात
बिन मतलब बदनाम हुई मैं
कोई और लगाए घात
सटीक!
यह भी देखिये:
http://shrut-sugya.blogspot.com/2010/08/blog-post_26.html
बिन मतलब बदनाम हुई मैं
ReplyDeleteकोई और लगाए घात
सही बात है बदनाम तो हमी होते हैं.......
आख़िर दिखा दी तूने ज़ात
ReplyDeleteज़ात की बात पर आज लोग लगाऎ बैठे है घात :)
कश्ती मेरी डूब के उबरी
ReplyDeleteतूफाँ ने फिर खाई मात
पता नहीं क्यों मुझे आपकी कविताओं में आत्मविश्वास के अंश ढूंढनें में मज़ा आता है !
सुंदर. आशापरक रचना है ये.
ReplyDeleteसारी रचना ही अच्छी है लेकिन अंतिम पंक्ति कुछ खटका मार गई दी.. :(
ReplyDeletebhut khub achchaa prbaahvshaali prstutikrn he. akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteबेहतरीन......
ReplyDeleteझूठ का उबटन चेहरों पर
ReplyDeleteख़ाक कहेंगे सच्ची बात
बहुत खूब!! क्या बात है!!
आपका लेखन एक मनुष्य की आम भावनाओं को व्यक्त करता है.
समय हो तो अवश्य पढ़ें: पैसे से खलनायकी सफ़र कबाड़ का
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_26.html
'' एक तो हो रही बरसात
ReplyDeleteउसपर इतनी लम्बी रात
कश्ती मेरी डूब के उबरी
तूफाँ ने फिर खाई मात
ज़िक्र किया था पतझड़ का
फूलों पर टिक गई है बात
झूठ का उबटन चेहरों पर
ख़ाक कहेंगे सच्ची बात
बिन मतलब बदनाम हुई मैं
कोई और लगाए घात
कैसा रंग बसंत ले आया ?
पेड़ों पर न फूल न पात
फिर जा बैठे ग़ैर के शाने
आख़िर दिखा दी तूने ज़ात''
--- जिस सहजता को एक काव्य-प्रेमी प्राथमिक रूप से पाना चाहता है , उसे यहाँ देखा जा सकता है ! इन पंक्तियों को लिखने वाला इन अनुभवों से गुजरता है - जो जीवन में अस्वाभाविक नहीं हैं - इसलिए सहजता सहज-लब्ध होती है | एक एक अलहदा सी बात कहती दो दो पंक्तियाँ सीधी हैं / सधी हैं और प्रभाव में अचूक !
गाने पर वही कहूंगा जो सदा से कहता आया हूँ ! चित्ताकर्षक स्वर !
...........आभार !
झूठ का उबटन चेहरों पर
ReplyDeleteख़ाक कहेंगे सच्ची बात
-गाना सुनकर आनन्द आ गया.
झूठ का उबटन चेहरों पर
ReplyDeleteख़ाक कहेंगे सच्ची बात
-गाना सुनकर आनन्द आ गया.
बहुत ही बेहतरीन रचना!.................. बहुत खूब!
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तूति-आभार
पढिए एक कहानी
आपके ब्लॉग की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर-स्वागत है।
एक तो हो रही बरसात
ReplyDeleteउसपर इतनी लम्बी रात
अच्छी प्रस्तुति ... आजकल बारिश ने ऐसा ही हाल कर रखा है ...
http://oshotheone.blogspot.com/
बहुत ही प्रभावशाली अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteबहुत ही प्रभावशाली अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteमेरा दिल कहता है - बहुत ही उम्दा और लाजवाब सत्यपरक रचना है..........
ReplyDeleteबिन मतलब बदनाम हुई मैं
कोई और लगाए घात........
हमने फूल बिखरे राह में
मिले हमे काँटों की सौगात..........