Saturday, August 14, 2010

एक घर तो आज उजड़ना ही है...एक लघु-कथा ..

उसने अपनी दोनों बेटियों की शादी बड़ी धूम धाम से और अपनी हैसियत के अनुसार कर दी थी...बेटियाँ ससुराल चली गईं और अपनी गृहस्थी सम्हालने लगीं...
कई साल बीत गए ...पत्नी की बहुत इच्छा थी, अपनी बेटियों का कुशल-क्षेम जानने की...पत्नी के बार-बार आग्रह करने पर वो चल पड़ा बेटियों से मिलने...

बड़ी बेटी कृषक के घर ब्याही गई थी...वो उसके घर पहुँचा...सारा हाल समाचार जानने के बाद जब वो चलने को हुआ तो, बेटी ने कहा..पिता जी आज हमलोगों में खेतों में धान की बोवाई की है...बादल तो घिर आए हैं, आसमान में ..ईश्वर से प्रार्थना कीजिये कि बरसात हो जाए...वर्ना बहुत मुसीबत हो जायेगी...पानी न मिले तो फसल बर्बाद हो जायेगी...और फिर हमलोग कहीं के नहीं रहेंगे..उसने कहा बेटी ईश्वर भला करेगा...


अब वो दूसरी बेटी के घर पहुँचा...उसका विवाह एक कुम्हार से हुआ था ..कुशलक्षेम जान कर जब वो चलने को हुआ, दूसरी बेटी ने कहा पिता जी ..बाकी तो सब ठीक है..लेकिन आज हमलोगों ने बहुत मेहनत से मिटटी के बर्तनों का आवा लगाया है..और देख रही हूँ आसमान में बदल घिर आए हैं...अगर ये बरसात हो गई तो, बहुत नुकसान हो जायेगा... आप ईश्वर से प्रार्थना कीजिये कि आज बरसात न हो...पिता ने कहा ..ईश्वर की जैसी इच्छा...

जब वो घर आया तो पत्नी ने पूछा.. मेरी बेटियाँ कैसी हैं ? व्यक्ति ने कहा ..वैसे तो अब तक सब ठीक ठाक है...लेकिन किसी एक का घर आज तो उजड़ना ही है..! 

18 comments:

  1. अदा जी,
    यह प्रचलित लोक कथा मुझे शुरू से ही बहुत पसंद है। हमने इसे सुना था स्वयं ब्रह्मा और उनकी पुत्रियों के संदर्भ में। इसके माध्यम से यह संदेश मिलता है कि ईश्वर भी चाहे तो सब को प्रसन्न नहीं रख सकता।
    आपकी लेखनी से इतने सरल शब्दों में यह लघु(चित्र)कथा बहुत अच्छी लगी।
    सदैव आभारी।

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  2. अब मोह में यह डर तो रहेगा ही। बहुत सुन्दर!
    परिकल्पना पुरस्कार में झंडे गाढ देने की बधाई!
    स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  3. पर यथार्थ में भी ऐसा ही क्यों होता। एक का भाग्य दूसरे का दुर्भाग्य क्यों बने?

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  4. मो सम कौन ? ने बहुत कुछ कह दिया है !
    स्वतंत्रता दिवस की अशेष शुभकामनायें !

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  5. अनुराग जी,
    आपका हृदय से आभार...मुझे आपसे ही पता चला....
    फिर USA canada में फर्क ही क्या है ...हा हा हा ..

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  6. चिट्ठाजगत में ’सर्वश्रेष्ठ महिला ब्लॉगर’ शीर्षक वाली पोस्ट देखकर आपका नाम वहाँ पढ़ने के उद्देश्य से जब क्लिक किया तो वही malware वाला लाल पर्दा वापिस भगा देता था।
    अनुराग शर्मा जी के कमेंट से हमारी आशा के फ़लीभूत होने का पता चला।
    दिल से शुभकामनायें(heartiest congratulations)|

    और पुरुष वर्ग से किसे बधाई दें, ये भी पता चल जाता तो ...।
    खैर, वो भी ढूंढ ही लेंगे।
    आज हमारा आभार अनुराग शर्मा जी और परिकल्पना वालों से भी शेयर कर लीजियेगा। हा हा हा।

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  7. वाह! बहुत अच्छी लघु कथा।
    स्वतंत्रता दिवस की बधाइयां और शुभकामनाएं।

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  8. स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।

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  9. मार्मिक कथा है.लेकिन नियति के सम्मुख हम सभी विवश हैं!यही सत्य है.

    बहुत खूब !

    अंग्रेजों से प्राप्त मुक्ति-पर्व
    ..मुबारक हो!

    समय हो तो एक नज़र यहाँ भी:

    आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html

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  10. स्‍वत्तंत्रता दिवस की बहुत बधाई और शुभकामनाएं

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  11. बढ़िया कहानी....स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  12. स्वाधीनता दिवस की अनन्त शुभकामनाएं.

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  13. शिवजी कहते हैं पार्वती से
    "किस-किस के दुख दूर करूं रानी
    या दुनिया दुखी फिरै रानी"
    ईश्वर भी कैसे सबको खुश रख सकता है?

    प्रणाम

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  14. hi...

    Lsghu katha jeevan ke darshan ko samjhati hai...Jeevan main vasant ke saath patjhad bhi hai...ek ke liye varsha jeevandayani to doosre ke liye vidhwanshaari....

    Sach hai...

    Deepak...

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