उसने अपनी दोनों बेटियों की शादी बड़ी धूम धाम से और अपनी हैसियत के अनुसार कर दी थी...बेटियाँ ससुराल चली गईं और अपनी गृहस्थी सम्हालने लगीं...
कई साल बीत गए ...पत्नी की बहुत इच्छा थी, अपनी बेटियों का कुशल-क्षेम जानने की...पत्नी के बार-बार आग्रह करने पर वो चल पड़ा बेटियों से मिलने...
बड़ी बेटी कृषक के घर ब्याही गई थी...वो उसके घर पहुँचा...सारा हाल समाचार जानने के बाद जब वो चलने को हुआ तो, बेटी ने कहा..पिता जी आज हमलोगों में खेतों में धान की बोवाई की है...बादल तो घिर आए हैं, आसमान में ..ईश्वर से प्रार्थना कीजिये कि बरसात हो जाए...वर्ना बहुत मुसीबत हो जायेगी...पानी न मिले तो फसल बर्बाद हो जायेगी...और फिर हमलोग कहीं के नहीं रहेंगे..उसने कहा बेटी ईश्वर भला करेगा...
अब वो दूसरी बेटी के घर पहुँचा...उसका विवाह एक कुम्हार से हुआ था ..कुशलक्षेम जान कर जब वो चलने को हुआ, दूसरी बेटी ने कहा पिता जी ..बाकी तो सब ठीक है..लेकिन आज हमलोगों ने बहुत मेहनत से मिटटी के बर्तनों का आवा लगाया है..और देख रही हूँ आसमान में बदल घिर आए हैं...अगर ये बरसात हो गई तो, बहुत नुकसान हो जायेगा... आप ईश्वर से प्रार्थना कीजिये कि आज बरसात न हो...पिता ने कहा ..ईश्वर की जैसी इच्छा...
जब वो घर आया तो पत्नी ने पूछा.. मेरी बेटियाँ कैसी हैं ? व्यक्ति ने कहा ..वैसे तो अब तक सब ठीक ठाक है...लेकिन किसी एक का घर आज तो उजड़ना ही है..!
अदा जी,
ReplyDeleteयह प्रचलित लोक कथा मुझे शुरू से ही बहुत पसंद है। हमने इसे सुना था स्वयं ब्रह्मा और उनकी पुत्रियों के संदर्भ में। इसके माध्यम से यह संदेश मिलता है कि ईश्वर भी चाहे तो सब को प्रसन्न नहीं रख सकता।
आपकी लेखनी से इतने सरल शब्दों में यह लघु(चित्र)कथा बहुत अच्छी लगी।
सदैव आभारी।
बेबस बाप !
ReplyDeleteअब मोह में यह डर तो रहेगा ही। बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteपरिकल्पना पुरस्कार में झंडे गाढ देने की बधाई!
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
पर यथार्थ में भी ऐसा ही क्यों होता। एक का भाग्य दूसरे का दुर्भाग्य क्यों बने?
ReplyDeleteमो सम कौन ? ने बहुत कुछ कह दिया है !
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की अशेष शुभकामनायें !
अनुराग जी,
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार...मुझे आपसे ही पता चला....
फिर USA canada में फर्क ही क्या है ...हा हा हा ..
गजब की दुविधा
ReplyDeleteअच्छी लघु कथा.
ReplyDeleteचिट्ठाजगत में ’सर्वश्रेष्ठ महिला ब्लॉगर’ शीर्षक वाली पोस्ट देखकर आपका नाम वहाँ पढ़ने के उद्देश्य से जब क्लिक किया तो वही malware वाला लाल पर्दा वापिस भगा देता था।
ReplyDeleteअनुराग शर्मा जी के कमेंट से हमारी आशा के फ़लीभूत होने का पता चला।
दिल से शुभकामनायें(heartiest congratulations)|
और पुरुष वर्ग से किसे बधाई दें, ये भी पता चल जाता तो ...।
खैर, वो भी ढूंढ ही लेंगे।
आज हमारा आभार अनुराग शर्मा जी और परिकल्पना वालों से भी शेयर कर लीजियेगा। हा हा हा।
वाह! बहुत अच्छी लघु कथा।
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की बधाइयां और शुभकामनाएं।
स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।
ReplyDeleteमार्मिक कथा है.लेकिन नियति के सम्मुख हम सभी विवश हैं!यही सत्य है.
ReplyDeleteबहुत खूब !
अंग्रेजों से प्राप्त मुक्ति-पर्व
..मुबारक हो!
समय हो तो एक नज़र यहाँ भी:
आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html
स्वत्तंत्रता दिवस की बहुत बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteबढ़िया कहानी....स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeletesunder kathaa....
ReplyDeleteस्वाधीनता दिवस की अनन्त शुभकामनाएं.
ReplyDeleteशिवजी कहते हैं पार्वती से
ReplyDelete"किस-किस के दुख दूर करूं रानी
या दुनिया दुखी फिरै रानी"
ईश्वर भी कैसे सबको खुश रख सकता है?
प्रणाम
hi...
ReplyDeleteLsghu katha jeevan ke darshan ko samjhati hai...Jeevan main vasant ke saath patjhad bhi hai...ek ke liye varsha jeevandayani to doosre ke liye vidhwanshaari....
Sach hai...
Deepak...