Wednesday, August 18, 2010

हर साँस की हिफाज़त से मैं थक सी गई हूँ ....


हर साँस की हिफाज़त से मैं थक सी गई हूँ 
ज़िन्दगी की इस हालत से मैं थक सी गई हूँ

मिलता है सुकूँ मुझको तेरे शाने पे आके
दिन भर की ज़लालत से मैं थक सी गई हूँ

हैं दोस्त भी, दुश्मन भी मेरे मन के जहाँ में 
इस फ़रेब इस बनावट से मैं थक सी गई हूँ

कब तक उठाऊं पलकों पर मैं बोझ इसका 
इस अश्के-नदामत से मैं थक सी गई हूँ

करना है ग़र तुमको तो बस कर लो यकीं 
कह के हूँ तेरी अमानत मैं थक सी गई हूँ

अश्के-नदामत=पश्चताप के आँसू 

और अब एक गीत ...एक बार फिर मेरी ही आवाज़ है जी...



     Get this widget |     Track details  |         eSnips Social DNA   

24 comments:

  1. उम्दा भाव लिए, सुंदर ग़ज़ल।

    ReplyDelete
  2. हैं दोस्त भी, दुश्मन भी मेरे मन के जहाँ में
    इस फ़रेब इस बनावट से मैं थक गई हूँ

    सुन्दर भाव ... और चित्र तो बस पूछिए मत ...गजब का है

    ये भाव बड़े गहरे हैं , इसलिए एक विचार आया है , लिख रहा हूँ

    पता नहीं अल्पज्ञ मेरे जैसे
    रचनाओं को इस तरह की
    कितना समझ पाते हैं
    पर जितना भी समझ जाते हैं
    अपने आप को तृप्त पाते हैं

    ReplyDelete
  3. उम्दा प्रस्तुती ,आप ब्लॉग माला फिर शुरू करें ..

    ReplyDelete
  4. मिलता है सुकूँ मुझको तेरे शाने पे आके
    दिन भर की ज़लालत से मैं थक सी गई हूँ
    Bas! Aise kinheen shanon pe sar rakh saken to bhi zindagi basar ho jaye!
    Kya likhteen hain aap!

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर नज्म ............

    ReplyDelete
  6. अदा जी आप के "मरीचिका" पर टिप्पड़ी देने के लिए धन्यवाद । वो तस्वीरें मेरे ऑफिस के स्वतंत्रता दिवस समारोह की हैं जिन्हे मैने अपने मोबाइल से लिया था इसलिए इनमे मैं नजर नही आ रहा हूं । यह जेपी ग्रुप के होटल जेपी सिद्धार्थ, राजेन्द्र प्लेस, नई दिल्ली की तस्वीरें हैं । यह ***** होटल है । ग्रुप के होटल डिवीजन मे इनके अलावा अन्य चार पांच सितारा होटल हैं जिनमे आगरा का जेपी पैलस भी शामिल है जहां वाजपेयी और मुसर्रफ़ की वार्ता हुई थी ।

    ReplyDelete
  7. आपकी गज़लें अति सुंदर एवं भावपूर्ण हैं । आपकी आवाज बिल्कुल प्रोफेसनल सिंगर की है , इसमे कोई शक नहीं ।

    ReplyDelete
  8. बड़ी ही बेबाकी से अपनी थकान मिटा आयीं आप।

    ReplyDelete
  9. bahut hi pyari nazm hai
    padh ke sari thakan door ho gai badhai....!

    ReplyDelete
  10. बहुत दिनों बाद सुनी आपकी आवाज़ ...आभार .

    ReplyDelete
  11. आज तो गरजत, बरसत, उमड़त, घुमड़त पोस्ट निकाली है जी आपने।
    चित्र, गज़ल और गाना - हर तरफ़ आँसू।
    ऐसी पोस्ट पर कमेंट करना बहुत मुश्किल लगता है अपने को। बिना महसूस किये कुछ भी लिखा नहीं जा सकता और सभी शेर इतने जज़्बाती हैं कि तारीफ़ करने का मतलब हम गज़लकार के उन हालात की तारीफ़ कर रहे हैं जिसके कारण ऐसी रचना हुई।

    सभी शेर बहुत दर्द लिये हैं, और गाना हमेशा की तरफ़ बहुत अच्छा लगा।

    सदैव आभारी।

    ReplyDelete
  12. हैं दोस्त भी, दुश्मन भी मेरे मन के जहाँ में
    इस फ़रेब इस बनावट से मैं थक गई हूँ
    Waah! Kyaa baat hai...behatreen.

    ReplyDelete
  13. अमानत होना साबित करते रहना सम्बन्धों में एक खास किस्म के आधिपत्यवाद / मोनोपोली का प्रतीक बन कर रह गया है ! उसकी ओर इशारा करना ही सम्बन्धों के गरिमामय और सहज स्वतंत्र होने की आकांक्षा का प्रतीक हुआ !
    इस हिसाब से सांकेतिक थकावट , मोनोपोली के विरुद्ध बगावत सी है ! यही सही है !

    अच्छी बात कहते हुए ,अच्छे शब्द !

    ReplyDelete
  14. bahut khub....pic bhi bahut hi achi lagayi hai aapne....per kavita or Pic me jayada achi kavita hi lagi :) ....thanks a lot

    ReplyDelete
  15. बेहद पसंद आई
    m fir se blog jagat me aa gya hun

    ReplyDelete
  16. ख़ूबसूरत ग़ज़ल...और गीत के लिए, नो कमेंट्स!!

    मतलब शब्द नहीं हैं मेरे पास... :)

    ReplyDelete
  17. तुझे रुकना नहीं, तुझे थकना नहीं, लिखता चल .........:)

    ReplyDelete
  18. हैं दोस्त भी, दुश्मन भी मेरे मन के जहाँ में
    इस फ़रेब इस बनावट से मैं थक सी गई हूँ
    वाह ..
    सचमुच यह थकान ही ज्यादा सताती है ....संघर्षों से गुजरना उतना नहीं थकाता ..

    sabhi sher ek se badhkar ek
    gana kal sun paaungi ...

    ReplyDelete
  19. करना है ग़र तुमको तो बस कर लो यकीं
    कह के हूँ तेरी अमानत मैं थक सी गई हूँ

    मन के दर्द को खूब बयाँ किया है ...खूबसूरत गज़ल

    ReplyDelete
  20. bahut hi pyari nazm hai
    padh ke sari thakan door ho gai badhai....!

    ReplyDelete
  21. बहुत सुन्दर नज्म ....

    ReplyDelete
  22. हर साँस की हिफाज़त से मैं थक सी गई हूँ
    ज़िन्दगी की इस हालत से मैं थक सी गई हूँ
    par ye na samajhna ki main ruk gyi hoon
    jindgi tere aage main jhuk gyi hoon !

    ReplyDelete