ये लोग सताए हुए हैं,
मत उलझो इनसे
कुछ भी कर जायेंगे,
प्यार की आदत नहीं इनको, इतना दोगे तो मर जायेंगे, वो जो कुछ ...
खोल चढ़े हुए चेहरे हैं उनमें... अमावस की रात है जिनको देखते ही
सच्चाई की नदी उतर जाती है
फिर तुम चाहो कि न चाहो
नकाबों के हाथों इंसानियत मर जाती है...
और अब एक गीत....ठीक ही है...चलेबुल है ...मत उलझो इनसे
कुछ भी कर जायेंगे,
प्यार की आदत नहीं इनको, इतना दोगे तो मर जायेंगे, वो जो कुछ ...
खोल चढ़े हुए चेहरे हैं उनमें... अमावस की रात है जिनको देखते ही
सच्चाई की नदी उतर जाती है
फिर तुम चाहो कि न चाहो
नकाबों के हाथों इंसानियत मर जाती है...
आज जा रही हूँ...टोरोंटो, शायद समीर जी से मिलूं ..या न भी मिलूं....ये सूचना इस लिए दे रही हूँ कि आपकी टिप्पणियाँ ज़रा देर से छपेंगी ..तो कृपा करके बुरा मत मानियेगा....आज मेरा 'डॉ. मृगांक' आ रहा है...और एक ख़ुशी की बात बता दूँ...मृगांक अपने क्लास में टॉप करके आ रहा है...मैं बहुत ख़ुश हूँ..आपलोगों का आशीर्वाद चाहिए...उसके आगे की पढाई के लिए...
धन्यवाद...
'अदा'
कविता अपनी जगह परफेक्ट है पर मैं ये जरुर कहूँगा कि ये क्या किया आपने ! अरे भाई जब मृगांक आ ही रहे हैं तो ये कविता मौजू ना थी !
ReplyDeleteमृगांक के लिए असीम शुभकामनायें !
कविता काफी अर्थपूर्ण है!
ReplyDeleteमृगाम्क को अशेश शुभकामनाएं।
bahut gahre bhav liye huye..........
ReplyDeleteअमावस की रात है
ReplyDeleteजिनको देखते ही
सच्चाई की नदी उतर जाती है
फिर तुम चाहो कि न चाहो
नकाबों के हाथों
इंसानियत मर जाती है
Waah!!! bahut Khoob!!
Best wishes for Mrigank :-)
Regards
Fani Raj
अदाजी ! अदाजी ! अदाजी !
ReplyDeleteआज जी कर रहा है कि आपका नाम लिए ही जाऊं … बस !
क्या गाया है , आपने !
भरी दुनिया में आख़िर दिल को समझाने कहां जाएं
आंखें बंद किये 'लगातार चौथी बार सुनने को प्ले किया तो श्रीमती जी पास आ'कर खड़ी हो गईं … मैंने कहा बंद कर ही रहा हूं तो बोली - प्लीज़ ,एक बार और सुनाइये न !
दीदी ! पांव छू रहा हूं मैं आपके … मेरे मन के भावों के पुष्प स्वीकार करें । इतनी महान कलाकार से बात कहने का अवसर मिल रहा है मुझे !
कुछ विसंगतियों के चलते ' मुझसे पिछले दिनों कुछ भूलें भी हुई हैं … क्षमायाचना सहित
परिकल्पना ब्लॉगोत्सव में सम्मानित होने पर हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाएं !
आज कविता पर कुछ नहीं कहूंगा … गीत सुनूंगा अभी दो चार बार और …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सुन्दर कविता. मृगांक को बहुत बहुत आशीष.
ReplyDeleteआज का हमारा कमेंट डाक्टर मृगांक की नज़र।
ReplyDeleteटॉप तो करना ही था, आखिर बेटा किसका है? आगे भी ऐसे ही हर परीक्षा फ़तह करें मृगांक, हमारी शुभकामनायें।
और अदा जी, गाना चलेबुल नहीं भागेबुल है, दौड़ेबुल है।
आभार स्वीकार करें।
लग रहा है documentery film का काम अच्छी तरह चल रहा है पूरी लगन से.
ReplyDeleteजान कर मृगांक के बारे में खुशी हुई. समीर जी को हमारा प्रणाम कहियेगा.
बाए
अच्छी कविता और मृगांक की सफलता के लिए .खूब मुबारक बाद !
ReplyDeleteमाओवादी ममता पर तीखा बखान ज़रूर पढ़ें:
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html
तुम चाहो कि न चाहो
ReplyDeleteनकाबों के हाथों
इंसानियत मर जाती है...
ये जो जिंदगी की किताब है हर चेहरा एक नकाब है ...
मृगांक को बहुत शुभकामनायें ..और आपको भी ...!
बहुत गंभीर रचना।
ReplyDeleteमृगांक का यश पूर्ण विश्व में सूर्य के प्रकाश सा फैले, यही भगवान से प्रार्थना है।
ReplyDeleteबकौल निदा साहब:
ReplyDeleteहै दौर-ए-वक्त मुश्किल फिर भी,
उम्मीदों का दामन क्यों उतरा जाए,
अमावस की रात है आगे तो क्या,
डूबते सूरज से चिरागों को जलाया जाए.
दीदी ,
ReplyDeleteअपने को नाराजगी नहीं होती हाँ थोड़ी घबराहट टाइप का फील होता है
उनमें...
अमावस की रात है
जिसको देखते ही
सच्चाई की नदी उतर जाती है
क्या बात है , आपका नजरिये को गहराई का अंदाजा लगा पाना नामुमकिन है , बहुत गहरे , बहुत प्रभावी भाव
आपकी यात्रा शुभ हो ..
डॉ. मृगांक की उम्र अगर १८ तक है तो फुल आशीर्वाद मिक्सड with ढेर सारा प्यार , और अगर मेरी एज आसपास है तो " कैसा है भाई"?? , [अपुन का ब्लॉग पढने को बोलना] और ढेर सारा स्नेह
क्रिएटिव है आपकी तरह इसलिए टॉप किया लगता है, कौनो बिलाग विलाग भी बनाए हैं का ?? या इस एडिक्शन से अछूते हैं अब तक
गाना सुनना बाकी है पर ये नया "चलेबुल" और "दौड़ेबुल" डिक्शनरी है बड़ा फ्लेक्सिबुल और अच्छा लगा
हाँ ये चित्र कविता की पीड़ा को सही ढंग से दर्शा रहा है
अपनी पोस्ट के प्रति मेरे भावों का समन्वय
ReplyDeleteकल (23/8/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
मृगांक को बहुत शुभकामनायें...
ReplyDeleteफोन पर ही इन्तजार में दिन गुजर गया. :)
समीर जी बहुत बहुत माफ़ी मांगते हैं आपसे....ग़लती हो गयी..
ReplyDeleteफोन हमको ज़रूर करना चाहिए था...बस नम्बरवा एड्रेसयहाँ तक कि फ्लाईट का डिटेल भी घर भूल आए थे ...विश्वास कीजिये हम लिखवा दिए थे संतोष बाबू को...लेकिन का है न बुढ़ापा जो आ रहा है...
सच में बहुत माफ़ी मांगते हैं...
वैसे भी फ्लाईट ढाई घंटा लेट थी....हमलोगन के पास ज्यादा समय था ...किस्मत की बात...
रात को ३.३० (सुबह) बजे पहुँचे हैं....
फिर एक बार क्षमा याचना कर रहे हैं....
गौरव,
ReplyDeleteमृगांक १९ साल का है...
और मेडिकल स्टुडेंट है...आर्टिस्ट बहुत अच्छा है...मयंक की चित्रकारी मैं डाल चुकी हूँ...कई बार, ....मृगांक भी वैसा ही चित्रकार है.....शब्दों से खेलने में माहिर है...
अब हम का बोलें..हमघर से निकले थे हौसला करके, लौट आए ख़ुदा ख़ुदा करके...और एही उधेड़बुन में केतना हफ्ता निकल गया पते नहीं चला... ठेठ भासा में बोले त बहुत हिचक महसूस हो रहा था आपके ब्लॉग पर आने में..लेकिन हिचकी कम्बख़्त हिचक पर भारी पड़ गया अऊर आज चलिये आए! एक बार पहिले भी आए थे अऊर शैल के एगो अंगरेजी कबिता का हिंदी अनुबाद करके भाग गए थे.. लेकिन अब सोचे कि नहीं आएंगे त इंसलेट हो जाएगा…
ReplyDeleteकबिता बेजोड़ है... बर्ग संघर्ष का बहुत बढिया देखाई हैं आप... अऊर बचा खुचा काम फोटो कर गया...
मृगांक बाबू को बधाई अऊर सुभकामना... समीर बाबू से लगता है भेंट नहीं हुआ..नहीं त हमहूँ प्रनाम बोलने वाले थे...
आपका गनवा आज पहिला बार सुने हैं..गाना का चर्चा त बहुत सुने थे, आज सच्चो अपना कान से सुन लिए त बिस्वास हो गया… हमरा फेभरेट गाना में से एक है...
सब बतवा खतम हो गया न..नहीं त बाद में कहिएगा कि पहिला बार अएबो किया अऊर एगो बतिया त भुलाइए के भाग गया... हाँ नहीं तो..
लगता है सब कभर हो गया है... त आते रहिएगा, हमरो आना जाना लगले रहेगा अब तो.. घर देखल जो हो गया!! चलिये प्रनाम!!
बिहारी बाबू,
ReplyDeleteहमहूँ बिहारी हूँ...आपका हिचकी का ईलाज है एक गिलास पानी.... आराम से बैठिये और गटागट पी लीजिये...
और हिचक का ईलाज तो हक़ीम लुकमान का पास भी सईदे मिले आपको..... बुझाता है आप महा कन्फुन्सिया गए हैं...ई हमरा बिलाग है, कौनो ओसामा बिन लादिन का खोह नहीं है...कि आपका कनपट्टी में कोई एक सौ एकतालीस लगा दिया जाबेगा ...
आराम से आइये..पढ़िए-उढ़ईए, गीत-गोविन्द सुनिए ...कुछ कहना है कह दीजिये...मन नहीं किया मत कहिये ....कौनो धर-बाँध के थोड़े न कहवाना है हमको...
बाक़ी आप आए..उसका लिए धनबाद...गोला, पेटरवार, माराफारी, हुराहूरी ....
हाँ नहीं तो..!!
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ReplyDeleteराय..जी,
ReplyDeleteआपकी टिप्पणी मेरी पोस्ट के लिए नहीं है..इसलिए इसे हटा रही हूँ...
दूसरी बात...आप कृपा करके मेरा नाम अपनी पोस्ट पर न लिखें....
मेरा नाम तुरंत हटाया जाए...
डॉO मृगांक के टॉप करने की खुशी में हार्दिक बधाईयां और
ReplyDeleteशुभकामनायें
प्रणाम