Thursday, December 31, 2009

कोई है वो अपना सा जो कानों में कुछ कह जाता है


जब ख़्वाब उठ कर हक़ीकत की दीवार में ख़ुद चुन जाता है
तब सात समंदर पार का सपना, सपना ही बस रह जाता है

हर दिन आईने के सामने, अब और ठहरना मुश्किल है
अक्स देखते ही ख़्वाबों का, ताजमहल ही ढह जाता है

मुड़ कर देखा जब ख़ुद को, तो खालीपन था चेहरे पर
पाने से ज्यादा खोने की कितनी कहानी कह जाता है

रिमझिम की फुहार है छाई, भीज रहे अंगना,अंगनाई
देखो न सब भीज गए हैं बस इक मेरा मन रह जाता है

तू ऐसे मत देख मुझे, हैं कई सवाल तेरी आँखों में
रुख की शिकन ठहर गयी है, न माथे से ये बल जाता है

तेरे बस में कहाँ 'अदा', जो तू कोई ग़ज़ल कहे
कोई है वो अपना सा जो कानों में कुछ कह जाता है

23 comments:

  1. पहली बात,
    आइना देखते ही हमें वो भोले बख्श वाली अपनी औकात याद आ जाती है...

    दूसरी बात,
    कानों सुनी बात पर इतना यकीन नहीं करना चाहिए...

    नया साल आप और आपके परिवार के लिए असीम खुशियां लेकर आए...

    जय हिंद...

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  2. गज़ल खूबसूरत है । नाजुक-सा एहसास है कई जगह जो सहलाता है ! सपनों के सच बनने की रासायनिक प्रक्रिया का विश्लेषण है पहली दो पंक्तियों में । सपने, आईने- एक-से व्यवहार में ढल गये हैं आपके यहाँ, दूसरा शेर समझाता है !

    बहु-संस्कार के शब्दों का सहज और सजग प्रयोग किया है आपने यहाँ ।
    और अंतिम शेर तो खैर अदभुत ही है -
    "तेरे बस में कहाँ 'अदा', जो तू कोई ग़ज़ल कहे
    कोई है वो अपना सा जो कानों में कुछ कह जाता है"

    बस वही जिससे कविता भाव-भावित हृदय से निकलकर अभिव्यक्ति की सम्पदा बन जाती है ।

    आभार ।

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  3. गजल का एक अर्थ यह भी है कानों में धीरे से कुछ कह जाना ,खुद गजल को परिभाषित करती एक खूबसूरत गजल

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  4. पाने से ज्यादा खोने की कहानी , माथे की शिकन , आँखों के सवाल ...क्या कुछ नहीं कह जाती हैं ...
    और
    रिमझिम की फुहार है छाई, भीज रहे अंगना,अंगनाई
    देखो न सब भीज गए हैं बस इक मेरा मन रह जाता है

    ये पंक्तियाँ तो बस जान लेने पर ही आमदा है ....!!

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  5. आह!! वाह!! नये साल में ऐसा गजब!! बहुत खूब!!


    यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

    हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

    मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

    नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

    आपका साधुवाद!!

    नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

    समीर लाल
    उड़न तश्तरी

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  6. मुड़ कर देखा जब ख़ुद को, तो खालीपन था चेहरे पर
    पाने से ज्यादा खोने की कितनी कहानी कह जाता है
    इतनी अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
    आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  7. क्या है वह सात समन्दर पार का सपना ?

    आज आप की ग़जल गुनगुनाई है।
    लगता है जैसे हमारी बन आई है।

    सुर ढूढ़ता रहा जिस्म-ए-साज में
    आज जाना ये शै आलमें समाई है।

    मतला, वजन, धुन,काफिये, बहर
    मेहरबाँ, अनाड़ी ने महफिल सजाई है।

    मिलेंगे उनसे आँख मिला कर पूछेंगे
    हो इनायत, आज नीयत डगमगाई है।

    चुप होंगें वे, हँसेंगे आँखों आँखों में
    हुआ गजब, काफिर ने दिखाई ढिंठाई है।

    सजाओ बन्दनवार गद्दी सँवारो पुकारो
    बहक लहकी फिर,हर बात जो भुलाई है।

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  8. मुड़ कर देखा जब ख़ुद को, तो खालीपन था चेहरे पर
    पाने से ज्यादा खोने की कितनी कहानी कह जाता है

    हकीकत को दर्शाती पंक्तियाँ, सुन्दर भाव।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  9. "हर दिन आईने के सामने, अब और ठहरना मुश्किल है
    अक्स देखते ही ख़्वाबों का, ताजमहल ही ढह जाता है"


    सुन्दर अभिव्यक्ति!

    वैसे हम तो इसलिये आईने के सामने नहीं ठहरते कि अब इस खबीस को क्या देखें। :)

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  10. हिन्दी के प्रति आपका सहयोग अतुलनीय है!

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  11. तब सात समंदर पार का सपना, सपना ही बस रह जाता है
    प्रवास का दर्द बहुत गहराई से है, पर
    कोई है वो अपना सा जो कानों में कुछ कह जाता है
    यही तो वो आस है जो सपनो को जमीन देते हैं
    बहुत सुन्दर

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  12. अदा जी, बहुत खूब, लाजबाब ! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !

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  13. तू ऐसे मत देख मुझे, हैं कई सवाल तेरी आँखों में
    रुख की शिकन ठहर गयी है, न माथे से ये बल जाता है


    वाह बहुत ही बेहतरीन रचना, नये साल की घणी रामराम.

    रामराम.

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  14. वाह कया विचार है! नव वर्ष की शुभकामनाए!

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  15. कहीं एक प्रवासी का दर्द दिखा जाता है..:)
    नववर्ष की शुभकामनाएं॥

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  16. बहुत बढ़िया गजल है.....

    मुड़ कर देखा जब ख़ुद को, तो खालीपन था चेहरे पर
    पाने से ज्यादा खोने की कितनी कहानी कह जाता है



    .आप को तथा आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  17. तू ऐसे मत देख मुझे, हैं कई सवाल तेरी आँखों में
    रुख की शिकन ठहर गयी है, न माथे से ये बल जाता है ,
    बहुत ही सुंदर गजल.
    आप को ओर आप के परिवार को नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

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  18. तेरे बस में कहाँ 'अदा', जो तू कोई ग़ज़ल कहे
    कोई है वो अपना सा जो कानों में कुछ कह जाता है

    बहुत खूब।
    आपको और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें।

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  19. वाह अदा जी ! अंतर्मन की पीड़ा को क्या शब्द दिए हैं आपने..बहुत अपनी सी लगी आपकी ये ग़ज़ल...नववर्ष आप सभी को शुभ हो

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  20. बहुत अजीब अहसासों की ये कहानी है
    अपनी तो खुशियाँ ही हो चली बेग़ानी है.....
    खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है...

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  21. रिमझिम की फुहार है छाई, भीज रहे अंगना,अंगनाई
    देखो न सब भीज गए हैं बस इक मेरा मन रह जाता है
    ये मन भी कितना अजीब है,ना...भीगता भी अपनी मर्ज़ी से ही है..बारिश से कोई लेना-देना नहीं....सुन्दर रचना..जैसे सचमुच..तुम्हारे कानो में कह गया कोई,तुम्हारे मन की बातें

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  22. तू ऐसे मत देख मुझे, हैं कई सवाल तेरी आँखों में
    रुख की शिकन ठहर गयी है, न माथे से ये बल जाता है
    खूबसूरत ग़ज़ल..... बधाई
    ...
    नव वर्ष की शुभकामनायें

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  23. ये नजाकत पुरवाई सी, अंदाजे बयां है खुशबू सा
    दिल से जो भी बात कही इसे गजल कहूं या 'अदा'तुम्हारी
    नव वर्ष की शुभकामनाएं!
    आपके स्वर ही नहीं लेखनी भी मधुर है
    प्रकाश पाखी

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