तीनों बच्चों की छुट्टियां, बाहर बर्फ ही बर्फ...त्यौहार और जन्मदिन का माहौल ..और रोज-रोज नए व्यंजनों की फरमाइश....अब आप सोचिये की हमारी क्या दशा है....बसंती होती तो कहती 'खा खा कर घोड़ी हो गयी हो'...खैर ऐसे माहौल में जो सबसे अच्छी बात होती है..बच्चों से घुलने-मिलने का मौका....बात-बात में उनसे कुछ-कुछ उगलवा लेने में भी भलाई होती है....सब कुछ ठीक तो चल रहा है न....कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है.....मेरे बच्चे वैसे भी मुझसे बहुत घुले-मिले हुए हैं.....अपनी सारी बातें मुझसे बताते हैं......हम चारों किसी भी विषय पर बात कर लेते हैं.....मौका निकाल कर मैंने यही काम करना शुरू किया है......यूँ ही हलके से अक्सर पूछ लेती हूँ कहीं कोई लड़की/लड़का पसंद तो नहीं आई/ आया है....वैसे छोटे तो हैं...लेकिन इतने भी छोटे नहीं....और फिर प्रेम की कोई उम्र ही कहाँ होती है....कभी भी कहीं भी हो जाता है ...
बड़े बेटे मयंक को हम सब 'भोला बाबा ' कहते हैं.....लड़कियों से ऐसे भागता है जैसे वो कोई संक्रामक बिमारी हों....लेकिन उसकी वजह जो उसने बताई सुनने लायक है...इसके लिए एक घटना जो इन्ही-दिनों घटी है बताती हूँ...
यहाँ क्रिसमस की शौपिंग की सेल लगी है हर जगह...मैं, संतोष जी और प्रज्ञा भी कहाँ संवरण कर पाए शौपिंग का लोभ ...perfumes और कॉस्मेटिक्स की ज़बरदस्त सेल लगी थी लोरियाल की..हम भी जा ही पहुंचे वहां.....अन्दर पहुँच कर देखा तो मयंक और उसका काला दोस्त गेब्रियल और गोरा दोस्त मथ्यु भी वहीँ हैं....मुझे थोड़ी हैरानी हुई मयंक को वहां देख कर ....मयंक ने जैसे ही हमलोगों को देखा.....फटाफट वो आ गया हमारे पास .....मैंने पुछा अरे तुम यहाँ क्या कर रहे हो...बोला मेरे दोस्त अपनी गर्ल फ्रेंड्स के लिए गिफ्ट खरीद रहे हैं........ मम्मी मेरे दोस्त कह रहे हैं आप ज़रा उनकी हेल्प करा दो .......ये लोग समझ नहीं पा रहे है उनकी गर्ल फ्रेंड्स के लिए क्या खरीदना चाहिए ....खैर मैंने उन दोनों लड़कों की मदद की और जो समझ में आया बता दिया....इसी चक्कर में मैंने मयंक से पूछा... तुम कुछ नहीं ले रहे हो कुछ किसी के लिए.....तो उसने जो कहा मुझे हैरान कर गयी बात...
कहने लगा मम्मी गर्ल फ्रेंड रखना बहुत मंहगा पड़ता है..और मैं ठहरा गरीब इंसान...मेरे पास इतने पैसे नहीं होते कि मैं ये सब अफोर्ड कर सकूँ.......अब मेरे दोस्तों ने अपने फीस के पैसे से ये खरीदा है और मुझे मालूम है उन दोनों लड़कियों को ये गिफ्ट पसंद नहीं आएगा....हर बार यही करतीं हैं वो.....इसलिए ये सब मेरे बस की बात नहीं.....आपलोग मेरी फीस देते हो वही बहुत बड़ी बात है मम्मी....मैं आपसे इन बातों के लिए पैसे नहीं ले सकता.....और फिलहाल मुझे अपनी पढाई पर ध्यान देना है.......हालांकि जिस तरीके से मेरे बेटे ने खुद को गरीब कहा.....दिल भर आया मेरा .....लेकिन इस बात का भी गर्व हुआ की उसने अपने अन्दर कोई बे-वजह की भ्रान्ति नहीं पाल रखी है....मुझे वास्तव में उसकी सोच से बहुत ही ज्यादा ख़ुशी हुई ....मैंने भी कहा.... हाँ बाबा पढ़-लिख लो नौकरी पकड़ लो फिर सब आसन है...तो खैर मयंक का यही प्लान है....
अब सुनते हैं मृगांक के विचार......मृगांक ने बताया कि ..उसके क्लास में 'डेटिंग' पर विचार -विमर्श हो रहा था ........जब उससे पूछा गया डेटिंग के बारे में.....उसने क्लास में कह दिया कि मैं तो कर ही नहीं सकता 'डेटिंग' क्यूंकि मेरी शादी तो 'arranged' होगी....सारा क्लास सन्न रह गया था सुन कर...are you kidding ??? इस ज़माने में तुम अमेरिका में बैठ कर अरेंज्ड मैरेज की बात भी कैसे कर सकते हो...?? इस बात पर मृगांक ने जो दलील दी आपके सामने रखती हूँ....याद रखियेगा ये सिर्फ १९ साल का है और अपनी बुद्धि से कह रहा है कुछ...गलतियाँ भी हो सकती हैं.. आप सबसे निवेदन है गलतियों को नज़र अंदाज़ कीजियेगा...ये सारी दलील उसने क्लास के सामने रखी थी....
अरेंज्ड मैरेज और लव मैरेज में फर्क निम्लिखित हैं.....(यहाँ लड़के की तरफ से लिखा जा रहा है, लेकिन ये सारी बातें लड़की पर भी लागू होंगीं)
१ अरेंज्ड मैरेज में माँ-बाप लड़का या लड़की ढूंढते हैं....माँ-बाप अपने बच्चे के लिए बेस्ट ही चाहते हैं......इस खोज में उनके अपने अनुभव बहुत काम आते हैं.....वो हर पसंद को मद्दे नज़र रखते हुए सही साथी की तलाश करते हैं...साथ ही वो हर गलती को भी सामने रखते हैं जो उन्होंने ख़ुदकिये थे.....फलस्वरूप, कुछ गलतियों से अपने बच्चों को साफ़ बचा ले जाते हैं... .....साथ ही कई गलतियों से बचने की तरकीब भी उनसे पता चल जाता है .....जो लव मैरेज करते हैं उन्हें जीवन का और उसकी जटिलता का कोई अनुभव तो होता नहीं है ....इसलिए गलतियाँ होतीं ही होतीं हैं जीवन साथी के चुनाव में......और यह तो जग-जाहिर है ही की प्यार अँधा भी होता है......और इस कहावत का बहुत बड़ा योगदान भी होता है इस निर्णय में ....
२. अरेंज्ड मैरेज में शादी का सारा खर्चा माँ-बाप का होता है...खर्चे के बारे में सोचना नहीं पड़ता है.......लेकिन लव मैरेज में लड़का अपराध भाव से इतना घिरा होता है कि माँ-बाप की तरफ से किया गया हर काम उसे अहसान लगता है.... वो माँ-बाप से कम से कम खर्चा करवाने की जुगत में रहता है, शादी की रस्मों को एन्जॉय नहीं कर पाता मन से ....क्यूंकि वो हर वक्त compromise करता है.....इसी चिंता में रहता है.... कहीं किसी को बुरा न लगे........शुरू में ही लड़का बँट जाता है ....अपने माँ-बाप और लड़की तथा लड़की के माँ-बाप के बीच .....
३ . अरेंज्ड मैरेज करने वालों को घर छोड़ कर कहीं जाना ही नहीं पड़ता है.....आराम से घर में रहो......और अगर जो कहीं जाना भी पड़ा तो .....घर बसाने में माँ-बाप पूरी मदद करते हैं....दिल से..जबकि लव मैरेज में..माँ-बाप का घर सबसे पहिले छोड़ना पड़ता है.....ज्यादातर लडकियां रहतीं ही नहीं हैं लड़के के माँ-बाप के साथ.....क्यूंकि लड़की already लड़के पर हावी होती है.....इसलिए घर छोड़ना ही पड़ता है और दूसरा घर बसाना ही पड़ता है ...इस काम में लड़के के माँ-बाप दूर रह कर ही बात करते हैं .....कोई भी सलाह देने में भी कतराते हैं .....कहेंगे...जैसा तुम्हें ठीक लगे करो....तुम्हारी अपनी पसंद है......हम क्या कह सकते हैं...
४ . अरेंज्ड मैरेज में लड़की का स्वाभाव अगर लड़के की माँ से नहीं मिल पता, अर्थात सास-बहु में नहीं बनती है तो लड़का आराम से अपने माँ-बाप पर इलज़ाम लगा सकता है ...आपने पसंद किया है आप ही समझो...मुझे बीच में मत घसीटो ...मुझसे मत कहो कुछ.....लेकिन अगर लव मैरेज में ऐसा हुआ तो ...लड़के की खैर नहीं.....उसे सुबह शाम बस इसी युद्ध से गुजरना होगा....लड़का ना हुआ फ़ुटबाल हुआ...कभी इधर कभी उधर....जीना मुश्किल हो जाता है...
बड़े बेटे मयंक को हम सब 'भोला बाबा ' कहते हैं.....लड़कियों से ऐसे भागता है जैसे वो कोई संक्रामक बिमारी हों....लेकिन उसकी वजह जो उसने बताई सुनने लायक है...इसके लिए एक घटना जो इन्ही-दिनों घटी है बताती हूँ...
यहाँ क्रिसमस की शौपिंग की सेल लगी है हर जगह...मैं, संतोष जी और प्रज्ञा भी कहाँ संवरण कर पाए शौपिंग का लोभ ...perfumes और कॉस्मेटिक्स की ज़बरदस्त सेल लगी थी लोरियाल की..हम भी जा ही पहुंचे वहां.....अन्दर पहुँच कर देखा तो मयंक और उसका काला दोस्त गेब्रियल और गोरा दोस्त मथ्यु भी वहीँ हैं....मुझे थोड़ी हैरानी हुई मयंक को वहां देख कर ....मयंक ने जैसे ही हमलोगों को देखा.....फटाफट वो आ गया हमारे पास .....मैंने पुछा अरे तुम यहाँ क्या कर रहे हो...बोला मेरे दोस्त अपनी गर्ल फ्रेंड्स के लिए गिफ्ट खरीद रहे हैं........ मम्मी मेरे दोस्त कह रहे हैं आप ज़रा उनकी हेल्प करा दो .......ये लोग समझ नहीं पा रहे है उनकी गर्ल फ्रेंड्स के लिए क्या खरीदना चाहिए ....खैर मैंने उन दोनों लड़कों की मदद की और जो समझ में आया बता दिया....इसी चक्कर में मैंने मयंक से पूछा... तुम कुछ नहीं ले रहे हो कुछ किसी के लिए.....तो उसने जो कहा मुझे हैरान कर गयी बात...
कहने लगा मम्मी गर्ल फ्रेंड रखना बहुत मंहगा पड़ता है..और मैं ठहरा गरीब इंसान...मेरे पास इतने पैसे नहीं होते कि मैं ये सब अफोर्ड कर सकूँ.......अब मेरे दोस्तों ने अपने फीस के पैसे से ये खरीदा है और मुझे मालूम है उन दोनों लड़कियों को ये गिफ्ट पसंद नहीं आएगा....हर बार यही करतीं हैं वो.....इसलिए ये सब मेरे बस की बात नहीं.....आपलोग मेरी फीस देते हो वही बहुत बड़ी बात है मम्मी....मैं आपसे इन बातों के लिए पैसे नहीं ले सकता.....और फिलहाल मुझे अपनी पढाई पर ध्यान देना है.......हालांकि जिस तरीके से मेरे बेटे ने खुद को गरीब कहा.....दिल भर आया मेरा .....लेकिन इस बात का भी गर्व हुआ की उसने अपने अन्दर कोई बे-वजह की भ्रान्ति नहीं पाल रखी है....मुझे वास्तव में उसकी सोच से बहुत ही ज्यादा ख़ुशी हुई ....मैंने भी कहा.... हाँ बाबा पढ़-लिख लो नौकरी पकड़ लो फिर सब आसन है...तो खैर मयंक का यही प्लान है....
अब सुनते हैं मृगांक के विचार......मृगांक ने बताया कि ..उसके क्लास में 'डेटिंग' पर विचार -विमर्श हो रहा था ........जब उससे पूछा गया डेटिंग के बारे में.....उसने क्लास में कह दिया कि मैं तो कर ही नहीं सकता 'डेटिंग' क्यूंकि मेरी शादी तो 'arranged' होगी....सारा क्लास सन्न रह गया था सुन कर...are you kidding ??? इस ज़माने में तुम अमेरिका में बैठ कर अरेंज्ड मैरेज की बात भी कैसे कर सकते हो...?? इस बात पर मृगांक ने जो दलील दी आपके सामने रखती हूँ....याद रखियेगा ये सिर्फ १९ साल का है और अपनी बुद्धि से कह रहा है कुछ...गलतियाँ भी हो सकती हैं.. आप सबसे निवेदन है गलतियों को नज़र अंदाज़ कीजियेगा...ये सारी दलील उसने क्लास के सामने रखी थी....
अरेंज्ड मैरेज और लव मैरेज में फर्क निम्लिखित हैं.....(यहाँ लड़के की तरफ से लिखा जा रहा है, लेकिन ये सारी बातें लड़की पर भी लागू होंगीं)
१ अरेंज्ड मैरेज में माँ-बाप लड़का या लड़की ढूंढते हैं....माँ-बाप अपने बच्चे के लिए बेस्ट ही चाहते हैं......इस खोज में उनके अपने अनुभव बहुत काम आते हैं.....वो हर पसंद को मद्दे नज़र रखते हुए सही साथी की तलाश करते हैं...साथ ही वो हर गलती को भी सामने रखते हैं जो उन्होंने ख़ुदकिये थे.....फलस्वरूप, कुछ गलतियों से अपने बच्चों को साफ़ बचा ले जाते हैं... .....साथ ही कई गलतियों से बचने की तरकीब भी उनसे पता चल जाता है .....जो लव मैरेज करते हैं उन्हें जीवन का और उसकी जटिलता का कोई अनुभव तो होता नहीं है ....इसलिए गलतियाँ होतीं ही होतीं हैं जीवन साथी के चुनाव में......और यह तो जग-जाहिर है ही की प्यार अँधा भी होता है......और इस कहावत का बहुत बड़ा योगदान भी होता है इस निर्णय में ....
२. अरेंज्ड मैरेज में शादी का सारा खर्चा माँ-बाप का होता है...खर्चे के बारे में सोचना नहीं पड़ता है.......लेकिन लव मैरेज में लड़का अपराध भाव से इतना घिरा होता है कि माँ-बाप की तरफ से किया गया हर काम उसे अहसान लगता है.... वो माँ-बाप से कम से कम खर्चा करवाने की जुगत में रहता है, शादी की रस्मों को एन्जॉय नहीं कर पाता मन से ....क्यूंकि वो हर वक्त compromise करता है.....इसी चिंता में रहता है.... कहीं किसी को बुरा न लगे........शुरू में ही लड़का बँट जाता है ....अपने माँ-बाप और लड़की तथा लड़की के माँ-बाप के बीच .....
३ . अरेंज्ड मैरेज करने वालों को घर छोड़ कर कहीं जाना ही नहीं पड़ता है.....आराम से घर में रहो......और अगर जो कहीं जाना भी पड़ा तो .....घर बसाने में माँ-बाप पूरी मदद करते हैं....दिल से..जबकि लव मैरेज में..माँ-बाप का घर सबसे पहिले छोड़ना पड़ता है.....ज्यादातर लडकियां रहतीं ही नहीं हैं लड़के के माँ-बाप के साथ.....क्यूंकि लड़की already लड़के पर हावी होती है.....इसलिए घर छोड़ना ही पड़ता है और दूसरा घर बसाना ही पड़ता है ...इस काम में लड़के के माँ-बाप दूर रह कर ही बात करते हैं .....कोई भी सलाह देने में भी कतराते हैं .....कहेंगे...जैसा तुम्हें ठीक लगे करो....तुम्हारी अपनी पसंद है......हम क्या कह सकते हैं...
४ . अरेंज्ड मैरेज में लड़की का स्वाभाव अगर लड़के की माँ से नहीं मिल पता, अर्थात सास-बहु में नहीं बनती है तो लड़का आराम से अपने माँ-बाप पर इलज़ाम लगा सकता है ...आपने पसंद किया है आप ही समझो...मुझे बीच में मत घसीटो ...मुझसे मत कहो कुछ.....लेकिन अगर लव मैरेज में ऐसा हुआ तो ...लड़के की खैर नहीं.....उसे सुबह शाम बस इसी युद्ध से गुजरना होगा....लड़का ना हुआ फ़ुटबाल हुआ...कभी इधर कभी उधर....जीना मुश्किल हो जाता है...
५ . अरेंज्ड मैरेज के जब बच्चे होंगे तो माँ-बाप के घर पर ही होंगे....हॉस्पिटल कि जिम्मेवारी माँ-बाप पर .....अगर जो कहीं बाहर रह रहा है लड़का तो अपने माँ-बाप के घर लड़की को छोड़ कर आ सकता है या फिर माँ-बाप ही आ जायेंगे माँ-बाप आयेंगे ही आयेंगे...कोई बहाना नहीं कर सकते हैं...क्यूंकि बहु रुपी मुसीबत वो खुद लेकर आये हैं ....लेकिन लव मैरेज में मियाँ-बीवी को अकेले सब भुगतना पड़ता है......माँ-बाप से कोई भी उम्मीद नहीं की जा सकती है.....अगर उनसे कहा भी मदद करने को या आने को तो .... आयेंगे और अहसान जताएंगे या फिर आयेंगे ही नहीं वो कहेंगे ॥खुद ही भुगतो....जब अपनी पसंद की लड़की ला सकते हो तो बच्चे के समय हमारी क्या ज़रुरत ??? जब लड़की पसंद की तब तो हमसे पूछा नहीं अब क्यूँ ???
६. अरेंज्ड मैरेज में अगर कभी पत्नी से झगडा हो जाए तो माँ-बाप को जम कर सुनाया जा सकता है ....आप लोगों ने ...मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी...और माँ-बाप इतने ज्यादा अपराध बोध से ग्रस्त हो जायेंगे और सहानुभूति करेंगे की सारी जायदाद लड़के के नाम कर देंगे...हा हा हा
७. अरेंज्ड मैरेज में समय बहुत आसानी से बीत जाता है.....शुरू के कुछ साल तो एक-दूसरे को समझने में बीत जायेगे ....प्रेम धीरे-धीरे पनपता है ....और परिपक्व होता है...बच्चों के होने के बाद या फिर बिना बच्चो के भी ...बाद में एक-दूसरे की आदत हो जाती है....
जबकि लव मैरेज में शादी ही तब होती है जब प्यार ख़तम होने लगता है....शुरू के साल बस एक-दूसरे कि कमियाँ निकालने में बीत जाते हैं ....और बाद में यह याद दिलाया जाता है कि तुमने ये वादा किया था वो पूरा नहीं किया.....तुम मेरे पीछे पड़े थे...मैं तो शादी ही नहीं करना चाहती/चाहता था इत्यादि .... शादी सिर्फ लड़ने के लिए ही रह जाती है......
तो ये थी मृगांक की दलील उसके क्लास में और विश्वास कीजिये....सारा क्लास convinced हो गया की अरेंज्ड मैरेज बेहतर है लव मैरेज से ....अब उसके दोस्त हिन्दुस्तानी लड़की ढूंढ़ रहे हैं....और सबने कहा है मृगांक से अपनी मम्मी से कहो हमारे लिए भी रिश्ता ढूंढे ......
कहते हैं जोड़े ऊपर से ही बन कर आते हैं....मयंक-मृगांक के जीवन में क्या है ये तो ईश्वर ही जाने लेकिन बिलकुल नई पीढी से ऐसी बातें सुनकर मन बहुत खुश हुआ....बेशक दलील बहुत पुख्ता न हो....लेकिन दलील में दम ज़रूर है....आप क्या कहते हैं ???
दलीलें तो बहुत शानदार हैं.. लेकिन उससे भी कमाल है... अमेरिका में आपके लड़कों की परवरिश... छोटे बेटे ने जो भोलेपन से फीस की बात कही वो दिल को छू गई... आपके बच्चे दिन-दूनी रात चौगुनी तरक्की करें...
ReplyDeleteमयंक की बात मैं वज़न है!
ReplyDeleteसलीलें तो ध्यान देने योग्य हैं...दोनों बेटों को शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteसलीलें=दलीलें
ReplyDeleteलेकिन दलील में दम ज़रूर है....आप क्या कहते हैं ???
ReplyDeleteअदाजी!
मुन्नाभाई, आपको कहने को मागता है-अरे! भिडू! दम है रे दम!
मुन्नाभाई ने डिसाईड कियेला कि वो भी अब अरेंज्ड मैरेज ही करेगे. मुन्नाभाई, आपकी बात को पढकर बहुत खुश हो गयेला है. मुन्नाभाई ने आपको आद कियेला है.
MAHAVEER B. SEMLANI
बहुत अच्छा लगा यह आलेख।
ReplyDeleteउफ्फ्फ...ये बाजारवाद बच्चों की मासूमियत तक भी जा पहुंचा है ...प्रेम शब्द तो शायद आजकल के बच्चों के जीवन से मिट ही गया है ...जो है वो है सिर्फ बॉय फ्रेंडशिप या गर्ल फ्रेंडशिप ......
ReplyDeleteआपका उचित मार्गदर्शन और बच्चों से समीपता उन्हें सही राह पर ले जा रही है ....आजकल के बच्चे अरेंज मरीज में विश्वास करने लगे हैं ....क्यूंकि लव मैरिज में जिम्मेदारियां ज्यादा उठानी पड़ती है ...
हमारी मैरज तो फुल्ली अरेंज ही है मगर लव मैरिज वाले दुःख(!!) इतने उठाये है कि लोग बाग़ कई बार पूछ बैठे है कि आपकी लव मैरिज हुई थी क्या ...:)....
संस्कार बोलता है .......
ReplyDeleteशुरु से लेकर आखिर तक और उपर से लेकर नीचे तक, दायें से लेकर बायें तक पूरा का पूरा पढ डाला. पर सांभा को कहीं से कोई कमी नही नजर आई. दोनों के विचार पढकर इस आलेख को सौ मे से १०२ नंबर दिये जाते हैं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत अच्छा मुद्दा उठाया है , मञ्जूषा जी।
ReplyDeleteपूरा पढ़कर शाम को लिखूंगा।
अभी तो सुप्रभातम।
"आपलोग मेरी फीस देते हो वही बहुत बड़ी बात है मम्मी....मैं आपसे इन बातों के लिए पैसे नहीं ले सकता.....और फिलहाल मुझे अपनी पढाई पर ध्यान देना है..."
ReplyDelete"प्रेम धीरे-धीरे पनपता है ....और परिपक्व होता है..."
वाह! कनाडा में भारत!
बहुत ही सुन्दर विचार हैं बच्चों के। यह आप लोगों की शिक्षा का ही परिणाम है!
यहाँ तो भारत में लोग विदेशी बनते जा रहे हैं।
"और सबने कहा है मृगांक से अपनी मम्मी से कहो हमारे लिए भी रिश्ता ढूंढे ......"
फँस गई ना किल्लत में! लो अब इतने सारे बेटों की जिम्मेदारी उठाओ! हा हा
अदा जी,
ReplyDeleteपहली बात,
फिरंगियो को कौन समझाए...अरेंज्ड मैरिज की बुनियाद ही होती है जो भारत में शादी का बंधन सात जन्मों का माना जाता है...शादी सिर्फ दैहिक बंधन नहीं एक संस्था होती है...इस संस्था में दोनों पार्टनरों को एक़ दूसरे से कंधा मिलाते
हुए जीवन की हर चुनौती का सामना करना होता है....इसलिए भारत में शादियां सफल रहती है...पश्चिम की तरह तलाक का अनुपात हमारे देश में ज़्यादा नहीं है...लेकिन पश्चिम जैसी आपाधापी का अनुकरण वाले भारतीयों में भी शादी में पार्टनर के साथ सामंजस्य न बिठा पाने की बीमारी बढ़ती जा रही है...बर्दाश्त खत्म होती जा रही है...नतीजा शादियां टूटने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं...महानगरो में ये बीमारी ज़्यादा है...दरअसल अरेंज्ड मैरिज बंद लाटरी की तरह है और लव मैरिज खुली लाटरी....लव मैरिज में पहले तो चांद तारे तोड़ने के वादे किए जाते हैं...लेकिन जब शादी के बाद हकीकत के धरातल पर जीवन की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है तो इश्क मुहब्बत का सारा भूत उतरने लगता है...फिर पार्टनर की अच्छाईयां नहीं, बुराइयां ही बुराइयां नज़र आने लगती हैं...यही से समस्या शुरू हो जाती है...जबकि अरेंज्ड मैरिज में पार्टनर के बारे में शादी के बाद ही पता चलना शुरू होता है...यानि पहले से कोई ज़्यादा उम्मीदें नहीं होतीं...अरे ये क्या आज तो टिप्पणी के चक्कर में मैंने पूरी पोस्ट ही लिख दी...
मयंक के लिए एक गीत गा दीजिए....हे हे हे साहिबा, प्यार में सौदा नहीं....
और हां अब तो हम भी ऑफिशियल पिछलग्गू हो गए हैं...
जय हिंद....
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteacchee parvarish kee misaal hai aapake dono putr.Sara shrey mai aapko de rahee hoo. kolar oonchee kar leejiyega .
ReplyDeleteदीदी चरण स्पर्श
ReplyDeleteक्या बात है , आपके बेटो ने तो कमाल के तर्क दिये है । सच में बहुत अच्छा लगा उनके विचार जानकर , ऐसे विचार और भी मायने इसलिये रखते है, ये जिस देश में है वहाँ ऐसे विचार पनपना सच में कमाल है । जहाँ तक मेरा मानना है कि इसमे आप लोगो का भी अहम योगदान हैं , इनके विचार जानकर इसका भी अन्दाजा लगाया जा सकता है कि इन्हे किस तरह के संस्कार मिले है। इनके बातो से साफ दिखा कि रहने को ये भारत से बाहर रहें लेकिन इनहे संस्कार भारत के ही मिले , इसके लिए आप और संतोष जी सच मे बधाई पात्र हैं । अब बात करता हूँ लव और अरेंज मैरीज का , अब भाई मैं क्या कहूँ , वैसे मेरे विचार कुछ ऐसे ही है । लेकिन एक सवाल जो मैं आपसे जानना चाहता हूँ चूंकी आप मेरी दीदी हैं इसलिए ये आपसे पुछ रहा हूँ "If love marriage with arranged" हो तो कैसा रहेगा ??
अदा जी!
ReplyDeleteआप बधाई की पात्र हैं कि आपने अपने बच्चों को इतने अच्छे संस्कार दिये हैं जो वो ऎसी सोंच रखते हैं।
प्यार का असल मतलब त्याग है ..जो दोनों पार्टनरों को समय समय पर देना होता है ....इसे आम भाषा में अंडर स्टेंडिंग कहते है ....वो चाहे लव मरीज में आये या अरेंज में ....हिन्दू धर्म के शादी के समय पढ़े जाने वाले मन्त्र अगर अर्थो के साथ पढ़े जाए ओर उन पर अमल हो तो ......वैसे अक्सर बॉय फ्रेंड शादी के बाद पति रह जाते है..फ्रेंड नहीं..
ReplyDeleteअसल में तो दोनों ही कवायद है। अपनी तो लव-मैरिज है....
ReplyDeleteलेकिन मैं अगर मृगांक से मिला तो उसे कन्विंश करुंगा कि वो इस पचड़े से ही दूर रहे।
:-)
love marrige/arrange marrige......?
ReplyDeletekoi khaas fark nahi...
par bachchaa paarty ki soch bahut khaas hai...
बिल्कुल सही कहा आपके बेटे ने .. आजकल लडके अरेंज्ड मैरेज पसंद करने लगे हैं .. इसी प्रकार हर मामलों में इसी प्रकार पीछे ही लौटना होगा हमें!!
ReplyDeleteअदा जी, पूरा लेख पढ़ा । मैं तो हैरान रह गया। आपका बेटा इस छोटी सी उम्र में इतनी अच्छी और परिपक्व बातें जान गया है और करता है। ज़रूर ये आप ही के संस्कार होंगे, जो आपने बच्चों को दिए हैं।
ReplyDeleteमृगांक की सारी बातें सही हैं। वहां तो ऐसी बातों को लोग हैरानी से ही सुनते हैं।
वैसे यदि लव मेरिज और अरेंज्ड मेरिज को मिलाकर किया जाये तो इससे अच्छा और क्या होगा।
यानि लड़की लड़के को भी पसंद हो और पेरेंट्स को भी।
मेरी बात इससे कुछ इतर हो सकती हैं। मंयक और मृगांक को शायद अब तक एक भी अच्छे स्वभाव की और संयमी लड़की दोस्त नहीं मिली है। लड़कियों से केवल अफेयर नहीं किया जाता हैं दोस्ती भी की जा सकती है। मुझे लगता है कि मृगांक से मैं उसकी राय पर लंबी बहस कर सकती हूँ। माता-पिता की मर्ज़ी से शादी केवल इसलिए कि कुछ ग़लत हुआ तो ठीकरा माँ-बाप के सर। ये सोच ख़तरनाक हो सकती हैं। एक रिश्ते में होना और शादी करना दो अलग बातें हैं। शादी के बाद उम्मीदें और ज़िम्मेदारियाँ अलग होती हैं। शायद आप ये उसे समझा सकती हैं कि हरेक लड़का या लड़की जोकि अपनी मर्ज़ी से जीवन साथी चुनता हैं माँ-बाप से अलग नहीं होता हैं। कई बार एक बच्चे जोकि आज के वक़्त को समझते हैं सही फैसले भी ले सकते हैं।
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत -२ आभार
यह प्रसंग/आलेख/दलील सभी पसंद आये.
ReplyDeleteमैंने कुछ लेख अमेरिका के हवाले से कुछ दिनों पहले पढ़ा था, Few young man/women going to discuss with guardian about searching a life partner for his/her marriage.It means they are supporting Arranged..M.
प्रेम होना/ प्रेम निभाना/ विवाह के बंधन में बंधना और सभी बड़े बुजुर्गों के कसौटी पर खड़ा उतरना एक दुर्लभ संयोग की बात है. प्रेमी युगल और माता पिता की सहमती के बावजूद इस हद तक समझदार होना और सामाजिक/पारिवारिक जिम्मेदारी के साथ कदमताल करना कभी आसन नहीं दिखता....विभिन्न पारिवार की विभिन्न परिस्थितियाँ में कभी भी कोई भी विकल्प श्रेयष्कर हो सकता है. लेकिन सवाल वही है, यह दुर्लभ संयोग की बात है.
अफेअर डेटिंग बकवास चीज़ है दिल से कम और बाज़ार से ज्यादा प्रेरित है. प्रेम कभी ढूंडने पर नहीं मिलता. कभी भी किसी से हो सकता है. इसलिए बेहतर यही दिखता है की इसे विवाह के बाद पनपने का अवसर दिया जाये. जिसे हम लव मेरिज कहते हैं वो एक किस्म का अरेंज मरीज़ है. क्योंकि यहाँ हम(लड़का-लडकी) पसंद का साथी चुनते हैं या दोस्त(विपरीतलिंगी) के रूप में जिसे हम पसंद करते हैं उसे अपना जीवन साथी बनाना चाहते हैं. जिसे अरेंज मरीज़ कह रहे हैं वो हमारे समाज के ट्रेडिशनल सिस्टम में मेरिज हैं, जहाँ माता-पिता या गार्जियन पसंद करते हैं. सोचिये यदि दुनिया में जात-पात का टंटा नहीं होता तो लव-मेरिज की सफलता का प्रतिशत ज्यादा होता.
यदि कोई लड़का अपने जात-बिरादरी या रिश्तेदारों में किसी लड़की को पसंद करता है और दोनों के माता-पिता में आत्मीय सम्बन्ध हैं तो शादी बड़े धूमधाम से हो जाती है. मेरी बहन ने और हमारे एक रिश्तेदार के रिश्तेदार के लड़के ने एक दुसरे को पसंद किया, और हम सभी ने और अन्य रिश्तेदारों(लड़के पक्ष के कुछ रिश्तेदार को छोड़कर) ने मिलकर धूमधाम से शादी करवाई. (कहने का मतलब / परिस्थितियाँ इजाज़त दे सकती है)
आपकी बात सही है. मास लेवल पर ट्रेडिशनल अरेंज मेरिज सदैव सफल होते हैं. विवाहपूर्व किसी से भावनात्मक लगाव या अतरंग सम्बन्ध होना अक्सर विवाह की मांग करता है यह देखे बिना की विवाह पश्चात एक लंबा जीवन है जिसमे पारिवारिक और सामजिक मूल्य ही सर्वोपरि होते हैं. यह बात नव-युगलों को देर से समझ आती है, चाहे उनका विवाह सफल हो या असफल.
और हाँ आपके दोनों बेटे हीरे समान हैं. आप कहें तो मैं अरेंज करता हूँ ..........हा .. हा. हा ...!!!
ReplyDeleteलेकिन मैं तो अभी खुद कुंवारा हूँ. मुझे इतनी समझ कहाँ है की मैं किसी के लिए रिश्ते की बात करूँ...
वैसे अरेन्ज मैरेज की इतनी वकालत तो अरेन्ज मैरेज करने और करवाने वाले भी नही कर पायेन्गे .
ReplyDeleteada ji jawab baad me deti hu.abhi padhne ka time nahi mil raha.hope u will wait.
ReplyDeleteहम का कहें। हम तो अपनी वाली श्रीमती जी को विवाह के पहले देखने तक नहीं गए :(
ReplyDeleteडॉन ने जो कह दिया, मान लिया।
डॉन कभी गलती नहीं करते ।
दोनो की दलीलें विचार्णीय हैं । बच्चों को शुभकामनायें ढेरों आशीर्वाद
ReplyDeleteलव मैरिज जैसा शायद कुछ भी नहीं होता....
ReplyDeleteबहुत कम उदाहरण हैं लव मैरिज के....!!!!!!!!!
आये दिन तो देखते हैं हम...१५ - २० लोगों के साथ "लव'' होने के बाद सबसे बेहतर को चुन लिया जाता है...
और बड़ी शान से कहा जाता है...
"" हमने लव मैरिज की है''''
इस लव मैरिज से अरेंज मैरिज लाख गुना बेहतर है....
हम लानत भेजते हैं ऐसे लव पर....
और ऐसी लव मैरिज पर.....
"मेरे बच्चे वैसे भी मुझसे बहुत घुले-मिले हुए हैं.....अपनी सारी बातें मुझसे बताते हैं......हम चारों किसी भी विषय पर बात कर लेते हैं.."
ReplyDeleteयही तो होता है परिवार का सुख:)
बिल्कुल सही बात है अरेंज मैरिज में घर वाले अपने अनुभव से लड़की ढूढ़ते है वैसे आज कल वो इतना समय दे देते है की लोग खुद भी आपस में ठीक तक से परिचित हो सके ..अमेरिका में रह कर भी भारतीय संस्कृति से जुड़े इतने सुंदर ख्याल बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDelete... prabhaavashaali abhivyakti !!
ReplyDeleteबेहद सटीक दलीलें...
ReplyDeleteसमस्या यही है कि प्रेम शादी में कन्वर्ट होते ही सारी रूमानियत काफूर हो जाती है-
दिल से नूरे खुदा के दिन गये, अब तो हड्डियों में भी फॉस्फोरस ढूँढते हैं
बच्चों की बेहतरीन परवरिश और जड़ों से जोड़े रखने की ईमानदाराना कोशिश को साधुवाद
अरे मृगांक अटार्नी जनरल बनेगा क्या..बड़े चुन-चुन के पाइंट दिये हैं एक दम..वैसे छठे पाइंट को तो मैने भी कोट कर लिया है :-)
ReplyDelete..हाँ सातवाँ पाइंट बड़ा सटीक बात है
वैसे अरेंज्ड मैरिज के हमारे समाज मे प्रचिलित कुछ एक बुरी बातें भी मुझे लगती हैं..जैसे एक है दहेज की..जब घर के बुजुर्ग लड़के की नीलामी ही कर देते हैं..और तमाम लायक बेटियों के बाप एक अच्छा रिश्ता नही अफ़ोर्ड कर पाते हैं..
खैर व्यक्तिगत तौर पर अपन भी यह भार अपने अभिवावकों के मत्थे मढ़ने के पक्षधर हैं..सो देखते हैं कि कब आग के दरिया मे उतरते हैं..आखिर जिंदगी की तमाम नॉट-सो-गुड बातों के लिये हम माँ-बाप को ही तो ब्लेम करते हैं ना??
बस मजाक कर रहा हूँ :-)
ada di pranaam...apki puri post padhi aur sab k comments bhi. sabse pehle to apko badhayi didi ki apke sanskaar apke baccho me bol rahe hai.dil bahut khush hota hoga na ye sab sun samajh kar. kuchh had tak bete ki bate sahi hai lekin iska to sidha sa matlab ye hua ki sari bala bado per dal di jaye aur isi tareh tasveer ka dusra rukh dekha jaye to ma-baap k liye to bete ki shadi kar dene k baad bhi jimmedaariya kam na hui balki badh gayi.
ReplyDeletebaki raha sawal arranged aur love ka to bahiya arranged to hai lautri means badhiya sanskari ladki mili to khul gayi varna ladke ki to kya pure pariwar ki zindgi kharab yaha tak ki ladki ki bhi..kyuki sirf khandaan aur ladki ko dekh lene bhar se hi ladki ka nature aur baki cheeze pata nahi chal pati.jabki love marriage me kam se kam vo ek dusre ko acchhi tareh se jaan chuke hote hai. aur jis tareh se ladka love mrg.me parents se compromise karna chahta hai ladki ki bhi koshish yahi hoti hai ki vo compromise karegi (agar vo sanskari he to)aur agar pyar saccha he to. dusri taraf parents ki jimmedariyo me kami ho jati hai means yaha baat ma-baap k sir theekra nahi toda jata.
aur sab se last baat to ye ki ladka jab itna samajhdaar hota hai to vo ladki bhi apne level ki means samajhdaar ladki hi dhoondhta hai.usme vo sab gun dhoondhta hai ki vo ladke ki family ke sath adjust kar paye.
after all whole life unhone ikatthe bitani hai. to better hai ladke ya ladki ko dono mrg.ki advantages aur disadvantages bata di jaye.ajkal k bacche itne samajhdaar hai ki vo dono me se apne liya acchha chunNe me saksham hai.
shubhkamnao k sath izazet.
बहुत खूब... दलीलें दुरुस्त ..
ReplyDeleteलेकिन जब कभी इस दौर से कोई गुज़रे तो दलीलें याद नहीं रहेंगी..ऐसा ही सुना है.
aaj pata chala ki main chhota baccha hun (umar mein mrigank ke barabar) !!!!
ReplyDeleteye baat to 16 aane sach hai ki parents jo bhi karenge hamare bhale ke liye karenge...
point no 2 se 6 mujhe ekta kapoor ke serials ki tarah (word nahi mil raha) lage...
point no 7 par no knowledge, no experience!!!
aur jo parents ki baat na maante ho unke liye maine specially transliteration tool chala kar kuch likha..
मत जलाओ पतझड़ में गिड़े ये पत्ते,
इनकी ही छाँव में खेल कर तुम बड़े हुए...