मत पूछ तेरी महफ़िल में हम क्या क्या छोड़ आये हैं
कुछ लम्हें तो आज के थे कुछ बीता कल छोड़ आये हैं
तेरी चौखट पर आँखों ने सजदे में झुकना सीख लिया
आज वहीँ चंद सांसें और इक आँचल छोड़ आये हैं
बरसी तो थी घटा बहुत पर भीग नहीं पाया था मन
इस खातिर उस बादल में हम काजल छोड़ आये हैं
रक्स किये हैं धड़कन ने जब भी तुमसे नयन मिले
तीरे नज़र से घायल सा दिल घायल छोड़ आये हैं
जाग गयी है यादों की गलयारी जो अलसाई थी
उसी गली में एक अदद दिल पागल छोड़ आये हैं
बहुत खूब कहा!!
ReplyDeleteसाथिया आज की रात हमें नींद नहीं आएगी,
ReplyDeleteसुना है, उनकी महफ़िल में रतजगा है...
जय हिंद...
दीदी चरण स्पर्श
ReplyDeleteक्या बात है , बस छा गयी आप , जितना अच्छा गाना उतना ही अच्छा लिखना , लाजवाब ।
आपके शब्द संयोजन अद्भुत भाव सृजित करते हैं -गहि न जाई अस अद्भुत बानी !
ReplyDeleteकुछ बीते लम्हे कल के कुछ आज के छोड़ आये .... वाह ...बस इन लम्हों को छोड़ने के फेर में हमें मत भूल जाईयेगा ...
ReplyDeleteआज तो पूरी ग़ज़ल ही गज़ब असर दिखा रही है ...किस शेर को शामिल करूँ ...किसे छोड़ दू ...
बादल में काजल , नजर से घायल ये पागल दिल .....बहुत खूब ....!!
"एक अदद दिल पागल छोड़ आये हैं"
ReplyDeleteबहुत अच्छे!
ये दिल, ये पागल दिल मेरा ...
पहले शेर की दूसरी लाईन को सौ नंबर.
ReplyDeleteमत पूछ तेरी महफ़िल में हम क्या क्या छोड़ आये हैं
ReplyDeleteकुछ लम्हें तो आज के थे कुछ बीता कल छोड़ आये हैं
तेरी चौखट पर आँखों ने सजदे में झुकना सीखा
आज वहीँ चंद सांसें और इक आँचल छोड़ आये हैं
बहुत सुन्दर !
तुम्हारे खेलने के वास्ते ऐ दो-जहाँ वालों
ReplyDeleteउसी गली में एक अदद दिल पागल छोड़ आये हैं
बहुत सुंदर कहा आपने।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल। गाने में भी बहुत मधुर लगेगी।
ReplyDeleteजाग गयी है यादों की गलयारी जो अलसाई थी
ReplyDeleteउसी गली में एक अदद दिल पागल छोड़ आये हैं
Kaise harbaar itna sundar kah jatee hain aap..? Mantrmugdh kar detee hain...
एक और शानदार ग़ज़ल...मुबारक हो...दिन प्रति दिन अहसास और निखरते जा रहें हैं.
ReplyDeletesundar
ReplyDeleteShubhkamnaye..
वाह लाजवाब रचना.
ReplyDeleteरामराम.
बरसी तो थी घटा बहुत पर भीग नहीं पाया था मन
ReplyDeleteइस खातिर उस बादल में हम काजल छोड़ आये हैं
khoobsurat ghazal....badhai
बहुत बढ़िया !!
ReplyDeleteजाग गयी है यादों की गलयारी जो अलसाई थी
उसी गली में एक अदद दिल पागल छोड़ आये हैं
बहुत ही सुंदर रचना है। ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।
ReplyDeletepls visit........
www.dweepanter.blogspot.com
आप की यह रचना बहुत सुंदर लगी.
ReplyDeleteधन्यवाद
रक्स किये हैं धड़कन ने जब भी तुमसे नयन मिले
ReplyDeleteतीरे नज़र से घायल सा दिल घायल छोड़ आये हैं
जाग गयी है यादों की गलयारी जो अलसाई थी
उसी गली में एक अदद दिल पागल छोड़ आये हैं
Behatareen panktiyan---khoobasurat shabdon men---
HemantKumar
ब्लॉग पर आने का बहुत-बहुत धन्यवाद...
ReplyDeleteबरसी तो थी घटा बहुत पर भीग नहीं पाया था मन
इस खातिर उस बादल में हम काजल छोड़ आये हैं
......सुंदर रचना
ada ji mujhe aise lag raha hai jaise me koi gazel sun rahi hu...aapne itni acchhi gazel likhi hai ki tareef k liye shabdo ka tota hai. ek ek ashaar jadu chala raha hai . bahut bahut khoob.
ReplyDeleteइस खातिर उस बादल में हम काजल छोड़ आये हैं
ReplyDeleteuff kya baat kahi hai..bahut khoob ada ji
बहुत खूब..
ReplyDeleteशव्द-शव्द सुन्दर. भाव-बिम्ब परिपूर्ण.
ReplyDeleteधन्यवाद.