घर, ज़मीन, देश, दुनिया,
और कपड़े...
बचा कर आबरू,
ढकती है अपने हाथों से,
सबकी प्रतिष्ठा..
ढकती है अपने हाथों से,
सबकी प्रतिष्ठा..
आँखों में अनजानी,
ख्वाहिश लिए लोग,
जो फ़िरते हैं, आस-पास,
ख्वाहिश लिए लोग,
जो फ़िरते हैं, आस-पास,
कितने अनजान हैं !
एक, माँ, पत्नी, बहन, बेटी,
स्वयं को,
बनाती है सेतु,
ईश्वर और धरती के बीच,
बनाती है सेतु,
ईश्वर और धरती के बीच,
इस कामना के साथ,
उन तक आने वाले,
उन तक आने वाले,
सारे ग्रह,
अगर टकरायें तो,
उसी से टकरा जाएँ,
कोई भी आँच,
उनतक न पहुँच पाए,
और फिर,
तैयार हो जाती है,
झेल जाने को सबकुछ,
अगर टकरायें तो,
उसी से टकरा जाएँ,
कोई भी आँच,
उनतक न पहुँच पाए,
और फिर,
तैयार हो जाती है,
झेल जाने को सबकुछ,
अपनी कमजोर सी,
प्रार्थना के बल पर.....
प्रार्थना के बल पर.....
शायद पसंद आए ..शायद न भी पसंद आए...लेकिन गीत तो है..
एक औरत के आजीवन त्याग और बलिदान कि बहुत सुन्दर प्रस्तुति...लेकिन परिवार के अंदर ही कितने लोग समझ पाते हैं इस त्याग भावना को..आभार.
ReplyDeletebahut hi sunder. ek aurat ke sampurna jeevan ko chitrit karti hui rachna.
ReplyDeletekabhi hamari rachnao ko bhi apni bahumulaya tippni se sushobhit kare.
नारी के साहस और बलिदान की खुबसूरत प्रस्तुति|
ReplyDelete4.5/10
ReplyDeleteऔसत भावमयी पोस्ट
7/10
गाना मधुर है .. बहुत तन्मयता से गाया है
आगे बेहतरीन संभावना ..
अदा आंटी,
ReplyDeleteनमस्कार..
गीत और कविता दोनों ही बहुत अच्छे हैं, दोनों के लिये धन्यवाद।
और हाँ, प्रार्थना कमजोर नहीं हो सकती।
प्रार्थना में शक्ति है।
ReplyDeleteएक औरत के ना जाने कितने रूप होते हैं....बहुत ही भावमयी कविता और गाना तो लाजवाब है ही...
ReplyDeletemera naya blog...jaroor aayein...
सुनहरी यादें ....
बहुत सुंदर कबिता. सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत सुंदर कबिता. सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeletebahut sunder kavita
ReplyDeleteऔर फिर,
ReplyDeleteतैयार हो जाती है,
झेल जाने को सबकुछ,
अपनी कमजोर सी,
प्रार्थना के बल पर.....
सेतु खड़ा है प्रार्थना के बल पर
बहुत सुंदर कविता !!!
That was really an amazing post. Bohot badhiya tha :)
ReplyDeleteMera post padhke aacha lage toh vote kerdena please - When love calls
Take care :)
That was really a sweet comment that you left on my blog Swapna! Thank you so much :)
ReplyDeletePlease promote my post if you like it - When love calls
Thanks in advance :)
बहुत सुन्दर रचना ....बहुत मधुर गीत
ReplyDeleteअन्नत शुभकामनाएँ
अनुष्का के साथ देखिये यहाँ हुआ डांडिया रास :)
अनुष्का
bahut sunder bhav .prarthana me shakti hai shantee hai....
ReplyDeleteस्त्री की शक्तिमत्ता , उसके सामर्थ्य पर इतनें खूबसूरत / बेहतर इशारे और कौन कर सकता है भला ?
ReplyDelete`ढकती है अपने हाथों से,
ReplyDeleteसबकी प्रतिष्ठा.....'
अफ़सोस कि फिर भी ‘कमज़ोर और प्रार्थना’ :(
जीकर देख लिया
ReplyDeleteजीने में -
कितना मरना पड़ता है।
अपनी शर्तों पर जीने की
एक चाह सबमें रहती है।
किन्तु ज़िन्दगी अनुबन्धों के
अनचाहे आश्रय गहती है।
आज जहाँ भी टिप्पणी कर रहा हूँ, खो ही जा रही है. :)
ReplyDeleteईश्वर और धरती के बीच बन जाती है सेतु ...
ReplyDeleteकि उससे टकराकर निकल जाएँ तमाम आफतें ...
अपनी कमजोर प्रार्थनाओं के बल पर....
कई बार दुआओं में दवा से ज्यादा असर होता है ....और जिसके ऐसी दुआएं करने वाले हैं , प्रार्थनाओं का असर होता ही है ...!
हर बात से सहमत हैं लेकिन प्रार्थना को कमजोर मत बताईये। इसका महत्व तो अब मैडिकल साईंस भी इन बातों को मानने लगा है।
ReplyDeleteबहुत पसंद आई आपकी य प्रस्तुति भी।
और गीत... अब तो याद सा ही हो गया है, इतनी बार सुन चुका हूँ।