Tuesday, October 19, 2010

क्या जाने मार डाले, ये दीवानापन कहाँ....


तेरे बग़ैर, सुरूर, लुत्फ़-ओ-फ़न कहाँ
ज़िक्र न हो तेरा, फिर वो सुख़न कहाँ

मिलते हैं सफ़र में, हमसफ़र, रहबर कई
वीरान से रस्तें हैं, पर वो राहजन कहाँ

हैरत में पड़ गई हैं, ख़ामोशियाँ हमारी
मैं झूलती क़वा में, मुझमें जीवन कहाँ

तेरे हुज़ूर में ही, मेरा ये दम निकले 
क्या जाने मार डाले, ये दीवानापन कहाँ

बस इंतज़ार में ही, आँखें बिछी हुईं हैं 
सब पूछते हैं मुझसे, कि तेरा मन कहाँ


21 comments:

  1. सब पूछते हैं मुझसे, कि तेरा मन कहाँ

    जब है पर्दादारी, गुंजाइशे-मिलन कहाँ :)

    ReplyDelete
  2. तेरे हुज़ूर में ही, मेरा ये दम निकले
    क्या जाने मार डाले, ये दीवानापन कहाँ

    बहुत खूब !!!

    बस इंतज़ार में ही, आँखें बिछी हुईं हैं
    सब पूछते हैं मुझसे, कि तेरा मन कहाँ

    उम्दा ...

    ReplyDelete
  3. ये चित्र वास्तविक है या ये सिर्फ चित्रकार कि कल्पना है.

    ReplyDelete
  4. बस इंतज़ार में ही, आँखें बिछी हुईं हैं
    सब पूछते हैं मुझसे, कि तेरा मन कहाँ ....
    बहुत खूब लिखा है आपने.

    ReplyDelete
  5. वीरान से रस्ते है, मगर वो राह्जन कहाम ?
    बहुत शुन्दर अदा जी !

    ReplyDelete
  6. ये चित्र वास्तविक है या ये सिर्फ चित्रकार कि कल्पना है.

    ReplyDelete
  7. गुमसुम सी स्थिति है, जीवन की भी।

    ReplyDelete
  8. अदा आँटी जी,
    नमस्कार...
    कविता का हर शब्द सुन्दर है।
    "मिलते हैं सफ़र में, हमसफ़र, रहबर कई
    वीरान से रस्तें हैं, पर वो राहजन कहाँ"
    A sweet,deep,touching and a meaningful creativity.
    गीत के तो क्या कहने,बहुत प्यारा...

    ReplyDelete
  9. सुंदर और भावमयी प्रस्तुति के लिए आभार।

    ReplyDelete
  10. बहुत सुंदर .....बहुत खूब... अदाजी... चित्र पर आँखें ठहर गयीं ....

    ReplyDelete
  11. क्या जाने मार डाले , अब वो दीवानापन कहाँ ...
    सब पूछते हैं मुझसे तेरा मन कहाँ ....
    क्या कहा जाए ...शानदार ...!

    ReplyDelete
  12. @ विचार शून्य जी...
    यह तस्वीर दुनिया के सबसे खूबसूरत पेड़ की है ...
    यह पेंटिंग नहीं है ...

    ReplyDelete
  13. @ ओ जी अनामिका जी...
    जाने कहाँ कहाँ से आ जाते हैं ...:):)
    अरे कविता को कविता रहने दीजिये कोई नाम न दीजिये...
    हाँ नहीं तो..!

    ReplyDelete
  14. चंद्रमौली साहेब...
    जो बात परदे में है वो और कहाँ...:):)
    आपका शुक्रिया...

    ReplyDelete
  15. @ वाणी ..
    शानदार है न !
    मेरे को बरोबर मालूम था ऐसेच होयेंगा...
    हाँ नहीं तो..!

    ReplyDelete
  16. @ प्रवीण जी...
    इतनी भी बुरी हालात नहीं है...
    हाँ नहीं तो...!

    ReplyDelete
  17. @ भारती जी...
    हृदय से धन्यवाद..

    ReplyDelete
  18. i am here after a long interval ....it's always fun and inspring coming on ur blog ..

    हैरत में पड़ गई हैं, ख़ामोशियाँ हमारी
    मैं झूलती क़वा में, मुझमें जीवन कहाँ

    ye do lines bahut sahee rahee

    baaki gana sunane mein bahut maja aaya

    ReplyDelete
  19. वाह वाह!! क्या खूब!!

    ReplyDelete
  20. वाह ! हर शेर लाजवाब...बहुत सुन्दर

    ReplyDelete