तेरे बग़ैर, सुरूर, लुत्फ़-ओ-फ़न कहाँ
ज़िक्र न हो तेरा, फिर वो सुख़न कहाँ
मिलते हैं सफ़र में, हमसफ़र, रहबर कई
वीरान से रस्तें हैं, पर वो राहजन कहाँ
हैरत में पड़ गई हैं, ख़ामोशियाँ हमारी
मैं झूलती क़वा में, मुझमें जीवन कहाँ
तेरे हुज़ूर में ही, मेरा ये दम निकले
क्या जाने मार डाले, ये दीवानापन कहाँ
बस इंतज़ार में ही, आँखें बिछी हुईं हैं
सब पूछते हैं मुझसे, कि तेरा मन कहाँ
सब पूछते हैं मुझसे, कि तेरा मन कहाँ
ReplyDeleteजब है पर्दादारी, गुंजाइशे-मिलन कहाँ :)
तेरे हुज़ूर में ही, मेरा ये दम निकले
ReplyDeleteक्या जाने मार डाले, ये दीवानापन कहाँ
बहुत खूब !!!
बस इंतज़ार में ही, आँखें बिछी हुईं हैं
सब पूछते हैं मुझसे, कि तेरा मन कहाँ
उम्दा ...
ये चित्र वास्तविक है या ये सिर्फ चित्रकार कि कल्पना है.
ReplyDeleteबस इंतज़ार में ही, आँखें बिछी हुईं हैं
ReplyDeleteसब पूछते हैं मुझसे, कि तेरा मन कहाँ ....
बहुत खूब लिखा है आपने.
वीरान से रस्ते है, मगर वो राह्जन कहाम ?
ReplyDeleteबहुत शुन्दर अदा जी !
ये चित्र वास्तविक है या ये सिर्फ चित्रकार कि कल्पना है.
ReplyDeleteगुमसुम सी स्थिति है, जीवन की भी।
ReplyDeleteअदा आँटी जी,
ReplyDeleteनमस्कार...
कविता का हर शब्द सुन्दर है।
"मिलते हैं सफ़र में, हमसफ़र, रहबर कई
वीरान से रस्तें हैं, पर वो राहजन कहाँ"
A sweet,deep,touching and a meaningful creativity.
गीत के तो क्या कहने,बहुत प्यारा...
सुंदर और भावमयी प्रस्तुति के लिए आभार।
ReplyDeleteकहाँ मन भटक रहा है जी ?
ReplyDeleteबहुत सुंदर .....बहुत खूब... अदाजी... चित्र पर आँखें ठहर गयीं ....
ReplyDeleteक्या जाने मार डाले , अब वो दीवानापन कहाँ ...
ReplyDeleteसब पूछते हैं मुझसे तेरा मन कहाँ ....
क्या कहा जाए ...शानदार ...!
@ विचार शून्य जी...
ReplyDeleteयह तस्वीर दुनिया के सबसे खूबसूरत पेड़ की है ...
यह पेंटिंग नहीं है ...
@ ओ जी अनामिका जी...
ReplyDeleteजाने कहाँ कहाँ से आ जाते हैं ...:):)
अरे कविता को कविता रहने दीजिये कोई नाम न दीजिये...
हाँ नहीं तो..!
चंद्रमौली साहेब...
ReplyDeleteजो बात परदे में है वो और कहाँ...:):)
आपका शुक्रिया...
@ वाणी ..
ReplyDeleteशानदार है न !
मेरे को बरोबर मालूम था ऐसेच होयेंगा...
हाँ नहीं तो..!
@ प्रवीण जी...
ReplyDeleteइतनी भी बुरी हालात नहीं है...
हाँ नहीं तो...!
@ भारती जी...
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद..
i am here after a long interval ....it's always fun and inspring coming on ur blog ..
ReplyDeleteहैरत में पड़ गई हैं, ख़ामोशियाँ हमारी
मैं झूलती क़वा में, मुझमें जीवन कहाँ
ye do lines bahut sahee rahee
baaki gana sunane mein bahut maja aaya
वाह वाह!! क्या खूब!!
ReplyDeleteवाह ! हर शेर लाजवाब...बहुत सुन्दर
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