बस देखते ही देखते हम, ख़ुद से बिछड़ गए
आज़ादी तो मिली मगर, उड़ने का दम नहीं
'पर' सारे क़ैद में मेरे, जाने क्यों झड़ गए
खिलेंगे फूल फिर यहाँ, अगली बहार में
अफ़सोस है कुछ पेड़ तो, जड़ से उखड़ गए
रुकना है चंद रोज़ अब, मुझको सराय में
कल रात आँधियों में कुछ, मकाँ उजड़ गए
किस्सा लिखूँ तो अब कहो, किस-किस का मैं लिखूँ
मिलते रहे कितनों से हम, कितने बिछड़ गए
bahut sunder.
ReplyDeleteरुकना है चंद रोज़ अब, मुझको सराय में
ReplyDeleteकल रात आँधियों में कुछ, मकाँ उजड़ गए
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ...
अब करिए, जो करना है मुकाबला 'अदा' के संग,
ReplyDelete'लिखूंगी जबरदस्त', है वो इस बात पे अड़ गए
बहुत खूब, लिखते रहिये ...
सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteAap likhti kya hain, aap to gazab dhaatee hain! Tareef ke liye mere paas kabhee alfaaz nahi hote!
ReplyDeleteहाँ नहीं तो, कह के हमने, दाबना चाहा,
ReplyDeleteकहते नहीं ओरीजनल, वो हमसे अड़ गये।
रुकना है चंद रोज अब मुझको सराय में,
ReplyDeleteकल रात आंधियों में कुछ मकां उजड़ गए।
दार्शनिकता से परिपूर्ण यथार्थ को आपने सफलतापूर्वक एक अच्छी ग़ज़ल का रूप दिया है
रुकना है चंद रोज़ अब, मुझको सराय में
ReplyDeleteकल रात आँधियों में कुछ, मकाँ उजड़ गए
...क्षण भंगुर जीवन का खूबसुरत वर्णन । बहुत सुंदर ग़ज़ल कही है आपने ।
खिलेंगे फूल फिर यहाँ, अगली बहार में
ReplyDeleteअफ़सोस है कुछ पेड़ तो, जड़ से उखड़ गए
बढ़िया लिखा है...
खुद से बिछडनें का अहसास कमाल की बात है ! अपनी परख आप करनें का इससे बेहतर मौका और कहां !
ReplyDelete"रुकना है चंद रोज़ अब, मुझको सराय में
ReplyDeleteकल रात आँधियों में कुछ, मकाँ उजड़ गये"
दर्द का गज़ल के साथ गहरा रिश्ता है।
सभी शेर गज़ब ढा रहे हैं।
कई दिनों के बाद गज़ल की रुत आई है आपके ब्लॉग पर।
आभारी.
वाह क्या बात है ......सारे शेर बहुत अच्छे लगे
ReplyDeleteबहुत अच्छी ग़ज़ल ....धन्यवाद
बहुत अच्छी गज़ल.
ReplyDeleteकिस्सा लिखूं तो किस किस का लिखूं ...कितने मिले कितने बिछड़ गए ...
ReplyDeleteपेड जो उखड़े इस बहार में , फिर से कहाँ खिलेंगे ...
अच्छी लगी ग़ज़ल ...शानदार ...!
बेहद खूबसूरत!
ReplyDeleteमनहर का गाया पहला गीत याद दिला दिया...
ReplyDeleteअपना मुकद्दर बिगड़े हुए, एक ज़माना बीत गया...
इस वीराने को उजड़े हुए, एक ज़माना बीत गया...
आपसे हमको बिछड़े हुए, एक ज़माना बीत गया...
जय हिंद...
Lovely imagery of loss and betrayal..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मार्मिक अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ! बहुत सुन्दर रचना है !
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