Wednesday, October 27, 2010

कुछ पाने की ख़ुशी...


हर दिन तलाशती रहती हूँ
कुछ पाने की ख़ुशी
जो मिलती ही नहीं
गुम गयी है कहीं
वो ख़ुशी जो मिलती थी
एक नयी फ्राक के आने से
माँ की बडियां बनाने से
दीवाली में घरौंदों के
रंग जाने से
या फिर दालान में एक
फूल के खिल जाने से
अब...
सब कुछ मिल जाता है
बहुत आसानी से 
बस मिलती नहीं
वो कुछ पाने की ख़ुशी
और अब तो जो मेरे आस पास है
उसके खोने का भी अहसास
सालता जा रहा है

करवा चौथ की शुभकामना....

11 comments:

  1. गुम गयी है कहीं
    वो ख़ुशी जो मिलती थी
    एक नयी फ्राक के आने से
    माँ की बडियां बनाने से

    bachpan ki yaad aa gayi... bahut pyari kavita!!

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  2. समय से साथ आसमान बदल जाते हैं...

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  3. अहा बचपन, आह बड़प्पन!
    छोटी खुशियॊं का बड़ा मोल होता है, सबके लिये न सही लेकिन कुछ लोगों के लिये तो यह सच है ही।

    आज शीर्षक कित्थे है जी? भूख लगी होगी, खा लिया(बच्चे होते तो ऐसा ही कहते, है न?)

    सुन्दर पोस्ट, आभार।

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  4. छोटी छोटी खुशियों में पगा बचपन,पर ठगा ठगा है अब यौवन।

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  5. बहुत बढियां......बहुत सुन्दर लिखा है आपने ..

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  6. vry nice...ek aur achchi dil ko chuti rachna...

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  7. सब समय का खेल है ....
    आपको भी करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ!!

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  8. `सब कुछ मिल जाता है
    बहुत आसानी से'

    जब सब कुछ आसानी से मिल जाता है खुशी नहीं मिलती... वह तो दुष्कर चीज़ पाने से ही मिलती है ना :)

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  9. अजी जो अन्दर हो उसे आस पास क्यों ढूंढना :)

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  10. प्रभावशाली अभिव्यक्ति, भावपूर्ण पंक्तियां।

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  11. कुछ खोने का अहसास...........


    यही तो खाए जा रहा है.



    “दीपक बाबा की बक बक”
    प्यार आजकल........ Love Today.

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