हर दिन तलाशती रहती हूँ
कुछ पाने की ख़ुशी
जो मिलती ही नहीं
गुम गयी है कहीं
वो ख़ुशी जो मिलती थी
एक नयी फ्राक के आने से
माँ की बडियां बनाने से
दीवाली में घरौंदों के
रंग जाने से
या फिर दालान में एक
फूल के खिल जाने से
अब...
सब कुछ मिल जाता है
बहुत आसानी से
बस मिलती नहीं
वो कुछ पाने की ख़ुशी
और अब तो जो मेरे आस पास है
उसके खोने का भी अहसास
सालता जा रहा है
करवा चौथ की शुभकामना....
गुम गयी है कहीं
ReplyDeleteवो ख़ुशी जो मिलती थी
एक नयी फ्राक के आने से
माँ की बडियां बनाने से
bachpan ki yaad aa gayi... bahut pyari kavita!!
समय से साथ आसमान बदल जाते हैं...
ReplyDeleteअहा बचपन, आह बड़प्पन!
ReplyDeleteछोटी खुशियॊं का बड़ा मोल होता है, सबके लिये न सही लेकिन कुछ लोगों के लिये तो यह सच है ही।
आज शीर्षक कित्थे है जी? भूख लगी होगी, खा लिया(बच्चे होते तो ऐसा ही कहते, है न?)
सुन्दर पोस्ट, आभार।
छोटी छोटी खुशियों में पगा बचपन,पर ठगा ठगा है अब यौवन।
ReplyDeleteबहुत बढियां......बहुत सुन्दर लिखा है आपने ..
ReplyDeletevry nice...ek aur achchi dil ko chuti rachna...
ReplyDeleteसब समय का खेल है ....
ReplyDeleteआपको भी करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
`सब कुछ मिल जाता है
ReplyDeleteबहुत आसानी से'
जब सब कुछ आसानी से मिल जाता है खुशी नहीं मिलती... वह तो दुष्कर चीज़ पाने से ही मिलती है ना :)
अजी जो अन्दर हो उसे आस पास क्यों ढूंढना :)
ReplyDeleteप्रभावशाली अभिव्यक्ति, भावपूर्ण पंक्तियां।
ReplyDeleteकुछ खोने का अहसास...........
ReplyDeleteयही तो खाए जा रहा है.
“दीपक बाबा की बक बक”
प्यार आजकल........ Love Today.