Sunday, October 17, 2010

जीवन ! भाव, शब्द विन्यास है.....


जीवन !
भाव, शब्द विन्यास है
अर्थ-अनर्थ, अज्ञ-विज्ञ
राग-द्वेष, रुदन-परिहास है
उत्कर्ष-अपकर्ष, उग्र-सौम्य 
कोप-कृपा, अनंत जिज्ञास है
भक्ति-विरक्ति, अधम-उत्तम
अर्जन-वर्जन, आस-निराश है
कठिन-आसान, जय-पराजय 
मान-अपमान, कटु-मधु
चढाव-ढलान हेतू मोहपाश है
न्याय-अन्याय, उदार-अनुदार
उत्थान-पतन, जटिल-सरल 
रिक्त-पूर्ण, जन्म-मृत्यु,
का अनवरत विरोधाभास है.....

21 comments:

  1. सही कहा है कि जीवन विरोधाभाषों का ही नाम है और इन के साथ ही जीवन को आगे बढ़ाना है....

    ReplyDelete
  2. 6.5/10


    सुन्दर शब्दों से सुसज्जित मौलिक व उत्कृष्ट रचना
    पठनीय

    ReplyDelete
  3. कैलाश जी ..
    शायद मैं इस शब्द की तलाश में थी...आपकी टिप्पणी से मुझे मेरी कविता पूरी होती नज़र आई है ...
    आपका मैं हृदय से धन्यवाद करती हूँ...सच में..

    ReplyDelete
  4. इस चित्र की तरह ही हमारे यहां आज कल चारो ओर दिखता हे,इस के बाद एक दिन बसंत जरुर आये गा, इस सुंदर संदेश के लिये धन्यवाद.
    विजयादशमी की बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  5. जीवन की रहगुज़र से गुज़र गया :)

    ReplyDelete
  6. द्वन्द-पाश है,
    फिर भी आस है।

    ReplyDelete
  7. bahut sundar shabda vinyas......adbhut rachana......vijaya dashami ki hardik badhai

    ReplyDelete
  8. आदरणीय स्वप्ना जी, हिंदी ब्लॉग में सबसे पहले आप का ब्लॉग देखा व् आपका ब्लॉग देख कर ही ब्लॉग बनाने का सोचा. बहुत अच्चा ब्लॉग है आपका. हमारी भी सहायता करियेगा.

    आभार.

    ReplyDelete
  9. आपकी रचना पढ़कर मन प्रसन्न हो गया!
    --
    असत्य पर सत्य की विजय के पावन पर्व
    विजयादशमी की आपको और आपके परिवार को
    बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  10. और जिनके लिए ये सब एक समान हैं , वह सात्विक कहलाता है ।
    अदा जी , आज तो हिंदी व्याकरण ही प्रस्तुत कर दी । सुन्दर ।

    ReplyDelete
  11. सुन्दर शब्दों से सुसज्जित मौलिक व उत्कृष्ट रचना|

    ReplyDelete
  12. ankit chawla ne kaha :


    "रिस्पैक्टैड मैम,
    आपकी पोस्ट पढ़ने में ही बहुत अच्छी है और जब सुर में सुनने को मिलेगी तो फ़िर तो कहने ही क्या होंगे।
    धीरे धीरे आपकी पिछली सारी पोस्ट्स पढ़ रहा हूँ, हर पोस्ट के साथ तस्वीर का सैलेक्शन बहुत अच्छा है।
    किसी भी ब्लॉग पर मेरा पहला कमेंट है(वैसे कल भी यही लिखा था लेकिन कुछ एरर के कारण शायद आपतक पहुंचा नहीं)।
    आपसे बहुत छोटा हूँ, कोई गलती दिखे तो टोक जरूर दीजियेगा।
    धन्यवाद।"

    ReplyDelete
  13. Yahi Sach hai..Sundar rachna...


    VIKAS PANDEY

    www.vicharokadarpan.blogspot.com

    ReplyDelete
  14. यही विरोधाभास तो जीवन का द्वन्द है... ... विजयदशमी की शुभकामनायें

    ReplyDelete
  15. अद्भुत शब्द विन्यास ..

    ReplyDelete
  16. जीवन के द्वंद्व को जितने शब्द दिए जा सकते हैं ...सभी उतर आए हैं इस रचना में । विरोधों के आभास में जीवन चलता हुआ दिखाई देता है ...आभार इस सुंदर रचना के लिए ।

    ReplyDelete
  17. आपनें विलोमार्थी शब्द तो सब सही लिखे फिर उस्ताद जी नें नम्बर कैसे काट लिए :) आपकी कविता के बहाने अपना स्कूल याद आ गया !

    ReplyDelete
  18. विरोधाभास ही वह तनाव है जो एक छोर से दूसरी ओर उन्मुख किये रहता है....!
    आभार..।

    ReplyDelete
  19. लेना देना, खोना पाना,
    अमिट भूख प्यास है,
    जीवन !
    भाव, शब्द विन्यास है

    बेहद खूबसूरती से जीवन के लगभग हर पहलू को छुआ है आपने. इस रचना के माध्यम से।
    आप पोस्ट पर पोस्ट लिख जाती हैं, हमारे लिये टिप्पणी करना भी..।

    ReplyDelete