जीवन !
भाव, शब्द विन्यास है
भाव, शब्द विन्यास है
अर्थ-अनर्थ, अज्ञ-विज्ञ
राग-द्वेष, रुदन-परिहास है
उत्कर्ष-अपकर्ष, उग्र-सौम्य
कोप-कृपा, अनंत जिज्ञास है
भक्ति-विरक्ति, अधम-उत्तम
अर्जन-वर्जन, आस-निराश है
कठिन-आसान, जय-पराजय
मान-अपमान, कटु-मधु
चढाव-ढलान हेतू मोहपाश है
न्याय-अन्याय, उदार-अनुदार
उत्थान-पतन, जटिल-सरल
रिक्त-पूर्ण, जन्म-मृत्यु,
का अनवरत विरोधाभास है.....
सही कहा है कि जीवन विरोधाभाषों का ही नाम है और इन के साथ ही जीवन को आगे बढ़ाना है....
ReplyDelete6.5/10
ReplyDeleteसुन्दर शब्दों से सुसज्जित मौलिक व उत्कृष्ट रचना
पठनीय
कैलाश जी ..
ReplyDeleteशायद मैं इस शब्द की तलाश में थी...आपकी टिप्पणी से मुझे मेरी कविता पूरी होती नज़र आई है ...
आपका मैं हृदय से धन्यवाद करती हूँ...सच में..
यही जीवन है...
ReplyDeleteइस चित्र की तरह ही हमारे यहां आज कल चारो ओर दिखता हे,इस के बाद एक दिन बसंत जरुर आये गा, इस सुंदर संदेश के लिये धन्यवाद.
ReplyDeleteविजयादशमी की बहुत बहुत बधाई
जीवन की रहगुज़र से गुज़र गया :)
ReplyDeleteद्वन्द-पाश है,
ReplyDeleteफिर भी आस है।
bahut sundar shabda vinyas......adbhut rachana......vijaya dashami ki hardik badhai
ReplyDeleteआदरणीय स्वप्ना जी, हिंदी ब्लॉग में सबसे पहले आप का ब्लॉग देखा व् आपका ब्लॉग देख कर ही ब्लॉग बनाने का सोचा. बहुत अच्चा ब्लॉग है आपका. हमारी भी सहायता करियेगा.
ReplyDeleteआभार.
आपकी रचना पढ़कर मन प्रसन्न हो गया!
ReplyDelete--
असत्य पर सत्य की विजय के पावन पर्व
विजयादशमी की आपको और आपके परिवार को
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
और जिनके लिए ये सब एक समान हैं , वह सात्विक कहलाता है ।
ReplyDeleteअदा जी , आज तो हिंदी व्याकरण ही प्रस्तुत कर दी । सुन्दर ।
सुन्दर शब्दों से सुसज्जित मौलिक व उत्कृष्ट रचना|
ReplyDeleteankit chawla ne kaha :
ReplyDelete"रिस्पैक्टैड मैम,
आपकी पोस्ट पढ़ने में ही बहुत अच्छी है और जब सुर में सुनने को मिलेगी तो फ़िर तो कहने ही क्या होंगे।
धीरे धीरे आपकी पिछली सारी पोस्ट्स पढ़ रहा हूँ, हर पोस्ट के साथ तस्वीर का सैलेक्शन बहुत अच्छा है।
किसी भी ब्लॉग पर मेरा पहला कमेंट है(वैसे कल भी यही लिखा था लेकिन कुछ एरर के कारण शायद आपतक पहुंचा नहीं)।
आपसे बहुत छोटा हूँ, कोई गलती दिखे तो टोक जरूर दीजियेगा।
धन्यवाद।"
Yahi Sach hai..Sundar rachna...
ReplyDeleteVIKAS PANDEY
www.vicharokadarpan.blogspot.com
यही विरोधाभास तो जीवन का द्वन्द है... ... विजयदशमी की शुभकामनायें
ReplyDeleteअद्भुत शब्द विन्यास ..
ReplyDeleteजीवन के द्वंद्व को जितने शब्द दिए जा सकते हैं ...सभी उतर आए हैं इस रचना में । विरोधों के आभास में जीवन चलता हुआ दिखाई देता है ...आभार इस सुंदर रचना के लिए ।
ReplyDeleteआपनें विलोमार्थी शब्द तो सब सही लिखे फिर उस्ताद जी नें नम्बर कैसे काट लिए :) आपकी कविता के बहाने अपना स्कूल याद आ गया !
ReplyDeleteविरोधाभास ही वह तनाव है जो एक छोर से दूसरी ओर उन्मुख किये रहता है....!
ReplyDeleteआभार..।
bahut khub
ReplyDeleteलेना देना, खोना पाना,
ReplyDeleteअमिट भूख प्यास है,
जीवन !
भाव, शब्द विन्यास है
बेहद खूबसूरती से जीवन के लगभग हर पहलू को छुआ है आपने. इस रचना के माध्यम से।
आप पोस्ट पर पोस्ट लिख जाती हैं, हमारे लिये टिप्पणी करना भी..।