Friday, October 22, 2010

बाबर- एक समलैंगिक शराबी बाल-उत्पीड़क....



आज मैंने एक आलेख पढ़ा और पढ़ कर लगा कि आपको भी इसे पढ़ना ही चाहिए....कुछ सच्चाइयाँ जितनी जल्दी सामने आयें उतना ही अच्छा है....
मैं अग्निवीर साहब की शुक्रगुजार हूँ उन्होंने मुझे इसे अपने ब्लॉग पर छापने की अनुमति दी है...
यह पूरा आलेख सभार लिया गया है, निम्नलिखित लिंक से :
  • अगर किसी को अग्निवीर [Agniveer] से पूछना होगा कि हिन्दू मुस्लिम की एकजुटता की सबसे बड़ी घटना क्या रही है? तो इसका उत्तर स्पष्ट और साफ है। मैं रोमिला थापर या डी.एन. झा की तरह एक पेशेवर इतिहासकार नहीं हूँ। मैं मुहम्मद बिन कासिम, गोरी, गजनी, अलाउद्दीन खिलजी, मुगल और नादिर शाह इत्यादि कला के प्रेमियों की तरह भारत पर हमलों के सदियों के गवाह भी नहीं हूँ। इसलिए हो सकता है कि मेरे पास इस्लाम के जन्म के पिछले 1400 वर्षों में हिन्दू मुस्लिम एकता के उदाहरण और अध्यायों के सभी प्रकरणों की पूरी जानकारी नहीं है।
    इस प्रकार मैं इस बहस में भी नहीं जाना चाहूँगा कि भारत में इस्लाम तलवार के बल पर फैला है या नहीं जैसा कि हिंदु ‘कट्टरपंथियों’ का आरोप है या पश्चिम एशिया के आदिवासी आक्रमणकारियों के कलात्मक प्रदर्शनों के माध्यम से इस्लाम फैला जैसा कि जाकिर नाइकों[zakir naiks] और JNU के ‘धर्मनिरपेक्ष’ इतिहासकारों का दावा है।लेकिन मैं कुछ भी आसानी से फिर से याद नहीं दिला सकता जो कि हिंदू और मुसलमानों के एकजुटता का सबसे अनुकरणीय प्रकरण की इस घटना को पार कर जाये। हैरान मत होइए। मैं 6 दिसंबर 1992 के शुभ दिन पर बाबरी मस्जिद के विध्वंस की बात कर रहा हूँ। यह वह भव्य दिन था जब हजारों सज्जन दिल वाले देशप्रेमी हिंदुओं ने उस संरचना को नष्ट कर दिया जो कि भारत और इस्लाम के लिए सदियों से सबसे बड़ा अपमान था। उन्होने यह सब अदालतों में कई सालों तक दर्दनाक परीक्षण[trial], सभी मीडिया माफिया [जो कि इस देश पर राज करती है] के द्वारा निन्दा और राजनैतिक/सामाजिक/सांस्कृतिक जुल्मों कि कीमत पर किया। लेकिन इन सब खतरों के बावजूद , वे आगे बढ़े और उस कलंक को नष्ट कर दिया जो कि मुसलमानों के द्वारा बहुत पहले ही नष्ट कर दिया जाना चाहिए था।
    -मैं सरकार से यह अपील करना चाहूँगा कि वो आधिकारिक तौर पर 6 दिसंबर को हिंदु-मुस्लिम एकता दिवस या अभिमान दिवस या वीरता दिवस के रूप में घोषित करे-
    रुको…रुको…रुको! आप में से कुछ लोग यह सोच रहे होंगे कि अग्निवीर पागल हो गए हैं या शैतान कि तरह हिंदुओं द्वारा इस्लाम के इबादत की जगह कि बर्बादी के दिन को हिंदु-मुस्लिम एकता का दिन घोषित कर रहें हैं! आप शायद इस ऊटपटांग लगने वाले बयान के लिए स्पष्टीकरण की मांग कर रहे होंगे। जो कि आ रहा है। आगे पढ़िए।
    -मैं इस बहस में नहीं जाऊँगा कि क्या सचमें उसी बाबरी मस्जिद कि जगह पर एक राम मन्दिर था या नहीं।-
    -मैं इस बहस में भी नहीं जाऊँगा कि संपूर्ण मानवता के महानतम आदर्श श्री राम असल में यहाँ जन्में थे या कहीं और।-
    -मैं इस पर भी बहस नहीं करूँगा कि यहाँ राम मन्दिर का निर्माण होना चाहिए या एक अस्पताल बनाया जाना चाहिए, जैसा कि कई बुद्धिजीवियों का सुझाव हैं।-
    ये वे बिन्दु हैं जो कि मुद्दे से पूरे हटकर हैं। दुर्भाग्य से ये ही वे बिन्दु रहे हैं जिनपर सालों तक समय बर्बाद किया गया और ये अब भी जारी है।
    –सत्य तो यह है कि यदि कोई यह सिद्ध भी कर दे कि इस जगह पर कोई मन्दिर नहीं था या राम किसी दूसरे देश में पैदा हुए थे फिर भी बाबरी मस्जिद भारत की आज़ादी के समय ही नष्ट होने के बिल्कुल लायक ही थी।– कार सेवकों ने तो वही काम किया था जो कि सरकार को 45 साल पहले कर देना चाहिए था।
    और कारण यह है कि बाबरी मस्जिद कोई मस्जिद नहीं ही है। क्योंकि बाबर कोई मुस्लिम था ही नहीं। वह लंबे समय से ही मारा जा चुका होता यदि वह आज किसी भी मुस्लिम देश में जिन्दा होता!
    हकीकत में बाबर इस्लाम के नाम पर एक कलंक था। बाबर को बेहतर तरीके से जानने के लिए चलिये हम हिंदु ‘कट्टरपंथियों’ या पक्षपाती ‘right-winged’ इतिहासकारों पर आश्रित नहीं होएँ। इसके बजाए क्यों ना घोड़े के मुख से ही सुन लें। चलिये हम बाबर की आत्मकथा ‘बाबरनामा’ की ही समीक्षा करें जो सभी प्रमुख भाषाओं में उपलब्ध है।
    इस लेख के प्रयोजन के लिए हम Annette Susannah Beveridge द्वारा अंग्रेजी अनुवाद 1922 में प्रकाशित का उल्लेख करेंगे। यह अनुवाद, उपलब्ध असली तुर्की पांडुलिपि[turkish manuscript] से किआ गया था। ये बाबर के असली चरित्र उद्घाटित करने के लिए पर्याप्त है। आप इसकी scanned कॉपी ttp://www.archive.org/details/baburnama017152mbp
    इस पते से download कर सकते हैं।
     
    बाबर- एक समलैंगिक शराबी बाल-उत्पीड़क[child molester] :-
    आत्मकथा साफ़ तौर से सिद्ध करती है कि बाबर एक समलैंगिक शराबी बाल-यौन-उत्पीड़क था। अतः वे लोग जो बाबरी मस्जिद के समर्थक है उन्हे सबसे पहले यह स्पष्ट रूप से समझाना चाहिए कि क्या इस्लाम समलैंगिकता और बाल-यौन-उत्पीड़न को मंजूरी देता है? यही नहीं, तो बाबर इस्लाम के नाम पर कलंक था और इसीलिए जो भी ढाँचा उसके द्वारा बनवाया गया था वह भी इस्लाम के नाम में कलंक है।
    [1] आत्मकथा के पृष्ठ 120-121 में वह कहता है कि उसे अपनी बीवी में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी लेकिन बाबरी नाम के एक लड़के पर वह पागल हो गया था। वह कबूलता है कि वह किसी और को इतना प्यार नहीं करता है जैसे वह इस लड़के के लिए पागल था। वह लड़के के प्यार में कविताएँ लिखता था। जैसे – “कोई नहीं है आशिक, मुझे छोडकर, जो कि इतना दुखी भावुक और अपमानित है। और मेरे आशिक से ज्यादा बेरहम और मनहूस कोई भी नहीं है !” “There has been no lover except me who is so sad, passionate and insulted. And there is no one more cruel and wretched than my lover!”
    [2] वह कहता है कि बाबरी उसके ‘करीब’ आया करता था जिससे बाबर इतना उत्तेजित[excited] हो जाता था कि वह एक शब्द भी नहीं निकाल पाता था। क्योंकि नशे धुत्त होने के कारण वह बाबरी से उसके प्यार के लिए शुक्रिया भी नहीं बोल सकता था ।
    [3] एक बार बाबर अपने दोस्तों के साथ घूम रहा था जब बाबरी एक गली में उसके सामने आया। बाबर कि जबान बंद हो गई और वह उसे उत्तेजना के कारण देख तक नहीं सका । उसने कहा [naratted]- “मैं शर्मिंदा हो जाता हूँ मेरे आशिक को देखकर। मेरे दोस्त मुझे कपट से देखते हैं और मैं किसी और को देखता हूँ” ”I get embarrassed looking at my lover. My friends leer at me and I leer someone else.”
    [4] वह मानता है कि जुनून और जवानी कि इच्छा में[passion and desire of youth] वह पागल हो गया था और नंगे सिर और नंगे पैर घूमा करता था बिना किसी दूसरी चीज़ देखे।
    [5] वह लिखता है – “मैं उत्तेजना और जुनून में पागल हो जाता हूँ। मई यह नहीं सोच सकता था कि आशिकों को इसका सामना करना पड़ता है। मैं तुमसे दूर नहीं जा सका, ना ही मैं ऊँचे दर्जे कि उत्तेजना के कारण तुम्हारे साथ रह सकता हूँ । तुमने मुझे पूरी तरह से पागल कर दिया है , ओ मेरे [मर्द] आशिक !”
    अब ये बिना किसी संदेह के साबित है कि:-
    [अ] बाबर और उसका गिरोह समलैंगिक और बाल-उत्पीड़क [child molesters] थे। इन के लिए सजा के रूप में इस्लामी शरीयत के अनुसार, मौत है [death by stoning]। यह आज भी प्रचलित है इस्लामी देशों में।
    [ब] बाबरी मस्जिद बाबर के sex पार्टनर की याद में बना ढाँचा है और कुछ नहीं।
    क्या इस्लाम किसी sex perverts के द्वारा बनाया गया या उसके नाम पर बनाया गए स्मारक को मस्जिद मानता है? या शर्म का प्रतीक ?
    अतः यह साफ है कि बाबरी मस्जिद समलैंगिकता और बाल-उत्पीड़न का प्रतीक है और कुछ नहीं । मैं यह नही जानता कि इस विध्वंस के पीछे किन लोगों का हाथ था। पर जो भी वे हों , उन्होने हिंदुओं और मुसलमानों के लिए शर्म के ढांचे को नष्ट कर दिया है।
    -यह सबसे ज्यादा शर्म कि बात है कि जो ढाँचा ‘भारत की sexual perverts द्वारा हार’ का प्रतीक है उसे विरासत स्थल [heritage site] समझा जाता था। अगर ऐसा है तो शायद मुम्बई सीएसटी, जहाँ पाकिस्तानी आतंकवादियों ने खुलेआम मासूम लोगों पर फ़ाइरिंग की थी , वह ‘कसाब भूमि’ नामक नया विरासत स्थल[heritage] होगा !
    #बाबर – बर्बर हत्यारा, लुटेरा, बलात्कारी, शराबी और drug-addict :-
    (केवल बाबर के इस बर्बर अश्लील आत्मकथा से कुछ नमूने प्रदान की जा रही है क्योंकि यह बहुत क्रूर और विस्तृत रूप से पढ़ने के लिए अशिष्ट है.)
    -पृष्ठ 232: वह लिखता है कि उसके गिरोह ने उन लोगों के सर काट दिये जो उसके पास संघर्ष विराम के लिए आए थे , और फिर इन सिरों से एक स्तंभ बनाया। ऐसा ही करतब Hangu में दोहराया गया था, जहां 200 अफगानी सिर एक स्तंभ बनाने के लिए मारे गए थे।
    -पृष्ठ 370: क्योंकि बजौर के लोग इस्लाम पर विश्वास नहीं करते थे, इसीलिए 3000 से भी ज्यादा लोगों कि हत्या कर दी गई और उनके बीवियों और बच्चों को बन्दी बनाकर रख लिया गया।
    -पृष्ठ 371– जीत कि खबर फैलाने के लिए कब्जा किए गए बंदियों के बहुत सारे कटे हुए सिरों को Kabutl, Balkh और दूसरी जगहों पर भेजा गया।
    -पृष्ठ 371– जीत का जश्न मनाने के लिए कटे हुए बहुत से सिरों से एक खम्बा बनाया गया।
    -पृष्ठ 371– ‘मुहर्रम के दिन एक शराब पार्टी हुई जहाँ पर हमने पूरी रात पिया’। (अनुवाद करने वाला यहाँ टिप्पणी करता है कि बाबर अपने अंतिम समय तक बहुत ज्यादा शराबी था) Baburnama का एक बड़ा भाग इन शराब पार्टियों वर्णन करता है।
    -पृष्ठ 373– बाबर ऐसे नशीले पदार्थ लेता था कि वह एक बार अपने नमाज के लिए भी नहीं जा सका। वह आगे लिखता है कि यदि वह उन नशीले पदार्थ को आज लेता तो वह आधे नशे को भी पैदा नहीं कर पाता।
    पृष्ठ 374– बाबर ने अपने वैश्यालय कि कई औरतों से कई बच्चे पैदा किए थे। उसकी पहली बीवी ने उन सभी नाजायज औलादों को अपनाने का वादा किया, जब भी वो भविष्य में जन्में, क्योंकि उसकी कोख से जन्में कई सारे बच्चे जिंदा नहीं रह सके। ऐसा लगता है कि बाबर का वेश्यालय चिकन उत्पादन के लिए एक पोल्ट्री फार्म के जैसे था !
    -पृष्ठ 385-388– बाबर हुमायूँ के जन्म से इतना खुश हो गया कि वह अपने दोस्तों के साथ नाव में गया और पूरी रात शाराब पिया और नशीले पदार्थों को खाया। फिर वे सभी शराब के नशे में झगड़ने लगे और पार्टी खतम हो गई। एक ऐसी ही पार्टी के बाद, उसने बहुत उल्टी कर दी और सुबह तक सब कुछ भूल गया।
    -पृष्ठ 527– आगरा के एक गुंबददार इमारत के खंबेदार बरामदे में एक पार्टी दी गई थी (ताज महल कि ओर संकेत कर रहें है जिसका नाम शाहजहाँ से गलती से जोड़ा जाता है)।
    बाबर कि आत्मकथा के लगभग सभी पन्नों में यही लिखा है कि कैसे उसने लूटपाट की, धमकी दी, हत्या की, और जहाँ भी वो गया लूटपाट किया और ‘हराम’ वाला मांस खाया। यहाँ ध्यान देना कि जिस तरह से बाबर अपनी आत्मकथा में यह सब लिख रहा है इसका यही तात्पर्य है कि वह इन सब कामों पर गर्व करता था।
    और जिन दूसरे अपराधों का ज़िक्र उसने अपने आत्म-प्रशंसा करने वाले आत्म-कथा में नहीं किया उनकी कल्पना करके आप काँप सकते हैं।
    सारांश :-
    [अ] बाबर सबकुछ था लेकिन इस्लाम का अनुयायी नहीं। उसके कुकर्म किसी भी इंसान को इंसानियत के लिए शर्म और कलंक बना सकते हैं। और यदि वास्तव में कोई विकृत पुरुष बाबर को अभी भी उनके द्वारा इस्लाम की परिभाषा से मुस्लिम करार देता है , तो फिर इस्लाम कि उस परिभाषा से घिनौना और कुछ भी नहीं हो सकता।
    [ब] बाबरी मस्जिद , जो कि बाबर के समलिंगी साथी बाबरी के नाम पर राखी गई थी, एक खूनी और बलात्कारी के यौन विकृति का प्रतीक है। इसे ‘विरासत’ कहना और जिन लोगों ने ‘बर्बर विकृति’ का ऐसे प्रतीक को नष्ट किया , उन्हे फँसाना यही साबित करता है हम इतिहास के मामले में कितने नीच बन चुके हैं। उस परिवार के बारे क्या कहा जा सकता है जो ऐसे व्यक्ति को आदर देता है जो कि अपने ‘माँ’ के साथ बलात्कार करता है , उसकी महिमा का वर्णन करने के लिए उसे अपने पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनाते हैं और ऐसे स्थलों की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं जो उन बलात्कारों की घटनाओं से संबंधित है। (कठोर भाषा के लिए खेद है, लेकिन इससे बेहतर इस लूट के काम को कुछ अलग तरीके से समझाया नहीं जा सकता। )
    [स] मुसलमानों को आरएसएस/वीएचपी और उन सभी ‘सही’ पक्ष वालों के दल में सम्मिलित हो जाना चाहिए जिन्होने इस ‘शर्म’ के प्रतीक को नष्ट करने में हिस्सा लिया ,जो की इस्लाम के नाम पर सदियों से कलंक था।
    [द] मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस करने का एक बड़ा मौका खो दिया और अपने ‘अमन’ और ‘चरित्र’ के मज़हब की सुरक्षा करने के लिए ‘सही’ ताकतों पर आश्रित होना पड़ा। -लेकिन अब उन्हे मथुरा और कांशी में स्थित दो और ‘शर्म’ के प्रतीकों, फिर बाद में सेक्स के पागलों द्वारा निर्मित मस्जिदों और मक़बरों, जो की आतंकवादी,बर्बर,हत्यारे और अपराधी शासकों जैसे- मुहम्मद बिन कासिम और उसके बाद के औरंगजेब, शाहजहाँ, अकबर, हुमायूं, जहांगीर आदि के द्वारा बनवाए गए थे , को नष्ट करने के लिए सक्रीय हो जाना चाहिए ।
    [ई] बाबर की आत्मकथा इस बात का पर्याप्त उदाहरण है कि भारत में इस्लाम कैसे फैला। आदर्श यही होगा कि भारत के सभी मुस्लिम पागल आक्रमणकारियों द्वारा लाये गए पंथ को छोडकर अपने मूल धर्म – मानवता का धर्म – वैदिक धर्म में वापस लौट आयें ।
    लेकिन यदि गलत सूचनाओं के साथ प्रचलित सामाजिक/राजनीतिक/आर्थिक मजबूरी के कारण यह करना थोड़ा ज्यादा जल्दी है तो भी उन्हे :-
    –इस भ्रम में रहना बन्द कर दीजिये कि इस्लाम तलवार के अलावा किसी और विधि से फैला है और अपने आपको उन पागल लुटेरों और आतंकवादियों के विकृत दुष्कर्मों के साथ जोड़ना बन्द कर दीजिये । और यह कि यदि मुस्लिम ,मुस्लिम ही बने रहना चाहते हैं, तो भी कम से कम, इन अपराधीयों को मुस्लिम और सभ्य पूर्वज कहना बन्द कर दो। इसके बजाए हमारे सच्चे महान पूर्वजों जैसे श्री राम और कृष्ण को खुद से जोड़ो ।
    –उन मस्जिदों और मक़बरों में जाना बन्द कर दो जो उन पागल आतंकवादियों द्वारा बनाए गए थे।
    –ऐसा विश्वास करना बन्द कर दो कि इन मानसिक रोगियों ने कोई कलात्मक भवनों का निर्माण किया था और यह एहसास करो कि ये सभी स्मारक जो कि इन आक्रमणकारियों द्वारा बनाए गए थे असल में प्राचीन भवन थे जिनको उन लोगों ने कब्ज़ा किया था ।
    —और आखिरकार , सबसे ताकतवर अल्लाह का अपमान करने वाले उन आतंकवादियों द्वारा बनाए गए सभी मस्जिदों को तबाह करने के लिये आंदोलन की शुरुआत करो। काशी और मथुरा अच्छी शुरुआत होगी।
    मै सभी मुस्लिम भाइयों और बहनों से अपील करता हूँ कि इन ‘सही’ ताकतों से हाथ मिलाइए जिन्होने इस्लाम के नाम पर कलंक- बाबरी मस्जिद को नेस्तेनाबूत किया । और इस हिंदु-मुस्लिम एकता के महानतम उदाहरण को एक कदम आगे बढ़ाएं ।
    ये ‘सही’ ताक़तें मुसलमानों के सबसे बड़े दोस्त और देश के सच्चे देशभक्त हैं।
    मै सभी हिंदुओं और मुसलमानों से यह भी अपील करता हूँ कि 6 दिसम्बर को ‘प्रतिष्ठा दिवस’(इज्ज़त का दिन) या ‘हिंदु-मुस्लिम एकता दिवस’ या ‘राष्ट्रीय विजय दिवस’ के रूप में सक्रियता से मनाना शुरू कर दीजिये। मुस्लिम इस दिन को ‘इस्लाम की शोभा का दिन’ की तरह भी पालन कर सकते हैं।
    वन्दे मातरम ।

18 comments:

  1. आंखे खोल देने वाला सच।
    एक घिघौनी आत्म-कथा का बेरहम पहलू।

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  2. 7/10

    बहुत अप्रत्याशित और सनसनीखेज पोस्ट.
    'बाबरनामा' का जिक्र सुना हमेशा, लेकिन थोडा-बहुत आज ही जाना. बेहतर है कि हम थोडा ही जानें.
    अगर हमको ये सब न भी पता हो तब भी इतना तो पता ही है कि बाबर आतंकी था .. आक्रमणकारी था. सवाल यह उठता है कि मुस्लिम पक्ष इस कदर वीभत्स-निकृष्ट अतीत को क्यूँ गले लगाए हुए है ? क्यों नहीं आज भी वो पश्चाताप करना चाहता ?

    [विशेष - इस पोस्ट का मूल्यांकन करना कठिन था. महत्वपूर्ण पोस्ट होते हुए भी मेरा मानना है कि इस तरह की सामग्री से बचा जाए]

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  3. अरे वाह!
    यह तो अनोखी जानकारी सामने आई!
    --
    इस लेख को लगाने के लिए आभार!

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  4. हम तो इस नई जानकारी से निशब्द हो गए हैं । हैरान कर देने वाली जानकारी है ।
    बर्बर शब्द क्या बाबर से ही उपजा है ?

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  5. बिलकुल नई जानकारी है इस बाबत पहली बार पढ़ रहा हूँ ....... आभारी हूँ प्रस्तुति के लिए ....

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  6. अदा जी ,
    मुझे कोई आश्चर्य नहीं , हज़ारो हज़ार राजे / महाराजे / शाहों में से बाबर एक था ! हरम /अन्त:पुरों में विलासिता के लिये स्त्रियों और लौंडों / हिजडों के इस्तेमाल की कोई नई कथा नहीं है ये ! मद्यपान / जुआ और सेक्स के मामले मे उस जैसों से राजतंत्रों का इतिहास भरा पडा है फिर आप किस किस को रोईयेगा ! आखिर को इन सभी नें कुछ ना कुछ तो बनवाया ही है ना :)

    अयोध्या मसले पर कोई कमेंट नहीं करूंगा क्योंकि यह मामला माननीय न्यायालय के विचाराधीन मान रहा हूं इसलिये उस पर कमेंट अपनी औकात से बाहर मानता हूं ! बाकी सबका अपना अपना अभिमत !
    शुक्रिया !

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  7. बाबरनामा मैं कोई अजीब बात मुझे नजर नहीं आयी. बादशाहों के ज़ुल्म और ऐयाशियाँ कोई नयी बात नहीं. यह लेख़ भी राजनीती से प्ररित है, क्यों की यह किसी धर्म मैं नहीं लिखा है की, एक बुरे किरदार का इंसान, कोई मंदिर या मस्जिद नहीं बना सकता.
    सत्य यह है की :मुसलमान उस मस्जिद मैं नहीं जाता, जो किसी और की ज़मीन पे नाजएज़ क़ब्ज़ा कर के बनाई गयी हो या जिसका मकसद झगडा ओ फसाद हो. ऐसी जगह या मस्जिद मैं नमाज़ कुबूल नहीं. इस लेख़ का मकसद लोगों का ध्यान असल मुद्दे से भटकना है और यह मुहब्बत नहीं नफरत का पैग़ाम है.

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  8. रोचक जानकारी. अगर बाबर ऐसा था तो क्यों उसकी बनाई एक इमारत के टूटने पर इतना बबाल मचाया जा रहा है.

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  9. aisa pahle baar suna pichle 40 salon me......

    pranam.

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  10. अच्छी पोस्ट है---बाबर ही नहीं सभी मुस्लिम आक्रान्ताओं , (यहां तक कि अन्ग्रेज़/ईसाई आक्रान्ताओं के भी--मुस्लिम आक्रान्ताओं की तो बात ही निराली है--कोई हिन्दू आक्रान्ताओं के बारे में खोज करके बताये तो जानें?) के बारे में यह बात लगभग सभी जानते हैं, परन्तु बाबरी मस्ज़िद के सन्दर्भ में यह नये विचार योग्य आलेख है--बधाई।

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  11. बाबर के बारे ये सनसनीखेज पढ़कर कोई आश्चर्य नहीं हुआ और न ही ये शक कि ये सब झूठ है | लुटेरों से नैतिकता की तो अपेक्षा ही नहीं की जा सकती |

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  12. bas yun men jine wale hindu khush ho len

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  13. विलम्ब से आया।
    प्रश्न बाबर के चरित्र का नहीं, उस मानसिकता का है जो अकबर के समय से ही उस स्थल के रामजन्मभूमि होने को लेकर हो रहे विवादों को नकारती रही है। ऐसा क्या है उस जगह में जो भावनात्मक रूप से हिन्दू इतने जुड़े हैं? आखिर मियाँ लोगों को वहीं मस्जिद क्यों चाहिए? ज्ञानवापी पर ही मस्जिद क्यों चाहिए? कृष्ण जन्मभूमि पर ही मस्जिद क्यों चाहिए? विन्दुमाधव पर ही मस्जिद क्यों चाहिए? हठधर्मिता है यह!
    न्यायालय में लड़ते बाबरी समर्थक भी दोषी हैं और वे सारे हिन्दू, मुस्लिम आदि भी जो हठधर्मिता, दुराग्रह और अनदेखई की ओर से आँख मूँद कर बाबरी बाबरी जप रहे हैं।
    अली जी, वह 'कुछ न कुछ बनवाया गया' नहीं रामजन्मभूमि थी जिसे बाबर के सिपहसालार ने तोड़ा और वहाँ वह कुरूप ढाँचा खड़ा किया।
    मासूम जी, इत्ती मासूमियत भी ठीक नहीं। यह लेख नफरत नहीं एक कुत्सित चरित्र का भंडाफोड़ है। स्वीकारिए अब आप लोग।

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  14. ये लेख कल पढा था लेकिन मसरुफ़ियत की वजह से टिप्पणी नही कर सका....

    आपने अग्निवीर जी का लेख लिया है लेकिन अग्निवीर जी ने जिस बाबरनामे की कापी का वर्णन किया है वो बहुत कोशिशों के बाद भी डाउनलोड नहीं हो रही है.....

    तो इस बाबरनामा के किस्से पर सबुत देखने के बाद ही टिप्पणी करुंगा।

    लेकिन मैं कुछ बातें कहना चाहुंगा...

    इस्लाम में किसी भी इंसान का मकबरा या पक्की कब्र बनाने की इजाज़त नही है....इस लिहाज़ से हिन्दुस्तान में जितने भी मकबरें और मज़ारे है वो सब तोड देनी चाहिये....

    कोई भी इंसान जिसके पास जिस्मानी, पैसे या किसी रुप में ताकत हो.....वो हमेशा उसका गलत इस्तेमाल करता रहा है और यही काम बाबर ने किया....

    आज भी भारत में बहुत से बडे-बडे लोग इन सब चीज़ों का शौक रखते है.....इसका एक उदाहरण नोयडा का कोठी डी-५ का मशहुर केस है।

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