Saturday, May 29, 2010

बाबू जी धीरे चलना ....आवाज़ 'अदा' की है....




गाना: बाबूजी धीरे चलना
चित्रपट : आर पार 
संगीतकार : ओ. पी. नय्यर
गीतकार : मजरूह सुलतान पुरी
आवाज़  : गीता दत्त 
लेकिन यहाँ आवाज़ 'अदा' की है....

बाबूजी धीरे चलना
प्यार में ज़रा सम्भलना
हाँ बड़े धोखे हैं
बड़े धोखे हैं इस राह में, बाबूजी ...

क्यूँ हो खोये हुये सर झुकाये
जैसे जाते हो सब कुछ लुटाये
ये तो बाबूजी पहला कदम है
नज़र आते हैं अपने पराये
हाँ बड़े धोखे हैं ...

ये मुहब्बत है ओ भोलेभाले
कर न दिल को ग़मों के हवाले
काम उलफ़त का नाज़ुक बहुत है
आके होंठों पे टूटेंगे प्याले
हाँ बड़े धोखे हैं ...

हो गयी है किसी से जो अनबन
थाम ले दूसरा कोई दामन
ज़िंदगानी कि राहें अजब हैं
हो अकेला है तो लाखों हैं दुश्मन
हाँ बड़े धोखे हैं ...

11 comments:

  1. गोल्डन कलेक्शन बना रखा है आपने।

    ReplyDelete
  2. अदा जी, जबरदस्त आवाज के साथ इतना खुबसूरत गाना सुनाने के लिए शुक्रिया. कभी समय मिले तो मेरी गुफ्तगू में भी शामिल हो कर मेरा हौसला बढ़ाये.
    www.gooftgu.blogspot.com

    ReplyDelete
  3. बहुत खूब ! अच्छा लगा सुनकर !

    ReplyDelete
  4. अच्छा किया आप ने बता दिया कि आवाज अदा की है। अन्यथा हम तो इसे मूल समझ कर ही दाद देते रहते। बहुत खूब गाया है।

    ReplyDelete
  5. bahut sundar Ada ji...aapki awaaz ki mithaas kaano me ras ghol deti hai...

    ReplyDelete
  6. 'अदा' की हर अदा निराली है, सुर-संगम की प्याली है,
    गीत में ढली मस्त पुरवाई ,ये कैसी फिज़ा निराली है।

    कोने में सोयी वीणा बोली, क्यूँ कूके कोयलिया काली है,
    आँखमार के तबला बोला, अरे! ये तो गोरे-गालो वाली है ।

    इतना सुन्दर रंग-रूप तो, क्यूँ फोटो फ़िल्मी डाली है,
    मीना के इस प्रतिबिम्ब से ,कुछ खास दिखाने वाली है।

    उनके सुन्दर तन- मन ने , मन की बात चुरा ली है,
    समझ गयी कोई चुरा ना ले, तो फोटो नकली डाली है।

    गीत तो सुनता हूँ सभी, कुछ बेरंग,तो कहीं सुर्ख लाली है,
    एक नज़र में घायल कर दे, वो लय उन अंदाजो वाली है।

    रोज़ मिलता है एक गीत उपहार, वरना जिंदगी खाली है।
    सुनता जाऊं नगमों को , लगे मेरी उदासी थमने वाली है।

    'अदा' की, अदा की तारीफ़ किस अदा से अदा करूँ ,
    'अदा' की अदा, खुद 'अदा' की अदा की, अदा से तारीफ़,अदा करती है।

    ReplyDelete

  7. Alas albeit Good !
    You could have managed to reduce echo in openig lines of stanzas,
    a little effort with equaliser to make the pitch little sharper and cared to chew raw ginger before performance to make the voice more husky.
    The over-all effect is Good ( *** )


    You can go ahead with moderating my analysis to any extent, I won't mind at all.

    ReplyDelete
  8. @ डॉ. अमर..आपका मेरे ब्लॉग पर आना ..मेरे लिए क्या मायने रखता है..शायद नहीं बता पाऊँगी... आपने जो बताया है उसपर अमल करने कि कोशिश की है...पता नहीं कितनी सफल हुई हूँ ...आप ही बता पाएँगे....

    सभी सुनने वालों को दिल से शुक्रिया कहती हूँ...

    @ और राजेंद्र को तो बहुत सारा स्नेह...कविता ही लिख दी है....और वो भी गज़ब की.....

    ReplyDelete
  9. वाकही बड़े धोखे हैं इस राह में , गाना कितने
    लाईट मूड में यह बात कह दे रहा है ! आज फिर
    आपकी आवाज ने बांधे रखा बड़ी देर तक ! ३-४
    बार सुना ! अब निवेदन क्या करें !
    जो भी सुनने मिल जा रहा है ,बहुत है ! आभार !

    ReplyDelete