एक ज़माना था जब फिल्म में काम करने वाली महिलाओं को अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता था... अब वक्त तो बदल गया है..लेकिन नजरिया में बहुत फर्क नहीं आया है....वर्ना क्या कारण है कि ज्यादातर फिल्मों में काम करने वाली महिलाओं को 'दूसरी बीवी' ही बनाना पड़ता रहा है...कारण स्पष्ट है...उन्हें देखते सब हैं...लेकिन अपनाते बहुत कम हैं....ख़ैर मैं यहाँ बात फिल्मों में काम करने वालियों के बारे में नहीं करने आई हूँ...
आज मैं बात करने आई हूँ...ब्लॉग जगत और महिला ब्लाग्गर के बारे में....ब्लॉग जगत का जो माहौल होता जा रहा है...जितनी गन्दगी यहाँ आती जा रही है...लगता है अब वो दिन दूर नहीं जब लोग ब्लॉग्गिंग को भी ग़लत नज़रिए से देखेंगे...ख़ास करके महिलाओं के लिए....
पिछले कुछ महीनों का मेरा अनुभव है ब्लॉग्गिंग का...कुछ सुखद, कुछ दुखद और कुछ चिंतित कराते हुए...
स्पष्ट रूप से एक बात जो सामने आती है...वह है महिलाओं के प्रति कुछ लोगों का रवैया....
जब तक किसी महिला ब्लाग्गर ने फ़ॉर्मूला के अन्दर रह कर बात की वो सही मानी जाती है...जहाँ भी उसके विचार क्रांतिकारी होते हैं ..चरित्रहीनता का ठप्पा उसपर लग जाता है...और उसके बाद, उसके प्रति सारी शालीनता ख़त्म हो जाती है....चिंता का विषय यह है कि आप जो भी उसके या किसी के बारे में लिखते हैं ...वह ब्लॉग पर शिलालेख की तरह हो जाता है....एक इतिहास रच जाता है....यह बात सिर्फ़ उस दिन या उस पोस्ट की नहीं रह जाती है....आपके हाथों जो टिप्पणी लिखी गई है...या पोस्ट लिखी गई है...वह वास्तव में किसी के चरित्र हनन का प्रमाण पत्र बन जाता है...
मुझे इस बात की फ़िक्र हो रही है...क्या एक ऐसा भी समय आ सकता है जब महिला ब्लोग्गर्स को हिंदी फिल्म अभिनेत्रियों की तरह ही देखा जाएगा...तात्पर्य यह कि जिस तरह...फिल्मों में काम करने वाली स्त्रियों को ठीक नहीं समझा जाता है...वैसे ही क्या ब्लॉग्गिंग करने वाली महिला को भी ठीक नहीं समझा जाएगा...???? और ब्लोग्गर महिला को ज़िन्दगी की सारी परेशानियों के साथ-साथ एक और परेशानी ओढ़नी पड़ेगी....
बस यूँ ही एक विचार आया था...सोचा आपलोगों से कह दूँ....!!
आप क्या कहते हैं....??
चार पंक्तियाँ...आपकी नज़र...
मानवता आज मर गई यह ख़बर सुनानी होगी
भ्रष्टाचार अनैतिकता को भी ये बात बतानी होगी
पढ़े-लिखों के आस-पास ही उसे दफनाना होगा
फुट बाय फुट का ही तो गड्ढा इक खुदवाना होगा
आपकी चार पंक्तियाँ जरुर झकझोरने वाली है पर आपकी फ़िक्र शायद ठीक नहीं है,
ReplyDeleteमुझे नहीं लगता जैसा आज आपने सोचा वो किसी भी सूरत कभी भी हो सकता बशर्ते महिला स्वयं तैयार ना हो जाए अपनी वो वाली हालत करवाने के लिए!
शायद मै अपनी बात ठीक तरीके से नहीं कह पाया फिर उम्मीद करता हूँ कोई गलत सन्देश कम से कम प्रसारित नहीं हुआ होगा और आप भी कुछ तो समझ ही गए होंगे.....
कुंवर जी,
पता नहीं अदा, मैं इतना इत्तेफाक नहीं रखती...आजकल तो फिल्म अभिनेत्रियों को सम्मान की नज़र से देखा जाता है.....उनकी दूसरी बीवी बनने के पीछे बहुत सारे अलग कारण हैं ,ये नहीं कि कोई उनसे शादी नहीं करना चाह रहा...इसलिए कि वे फिल्म अभिनेत्रियाँ हैं.
ReplyDeleteमुझे भी छह महीने ही हुए हैं,ब्लॉगजगत में आए....पर कटु अनुभव तो नहीं हुए...जबकि हर जगह मैने अपने विचार खुल कर रखे हैं....मुझे ये शंका निर्मूल लगती है कि ब्लॉग्गिंग करने वाली महिलाओं को अच्छी नज़र स इनहीं देखा जायेगा...कुछ महिलायें पिछले चार साल से ब्लॉग्गिंग कर रही हैं और बहुत सम्मानित है..
chill yaar..everything is perfectly fine :) :)
अदा जी , आपको चिंता नहीं करनी चाहिए । क्योंकि मुझे नहीं लगता कि ज्यादातर ब्लोगर्स ऐसा सोचते हैं । कुछेक अपवादों को छोड़कर सभी ब्लोगर्स महिला ब्लोगर्स का सम्मान करते हैं । किसी भी ब्लोगर मीट में देखिये , पूर्णतया सौहार्दपूर्ण वातावरण नज़र आता है ।
ReplyDeleteमेरे विचार से मानवता अभी मरी नहीं है।
प्रिय शैल, आप ने जो भी अनुभव किया है सच ही होगा । मेरा विनम्र निवेदन है कि इस मुद्दे को इतना बडा बना कर देखने की ज़रुरत नहीं है । ब्लॉग पर आने वाली अधिकांश महिलाएं प्रबुद्ध हैं । सलीके की बात करती हैं जबकि बहुतेरे पुरुष ब्लॉगर ब्लॉग पर क्यों हैं उन्हें खुद नहीं मालूम । भाषा का संस्कार अधिकांश महिला ब्लॉगरों में है । उनका सृजन भी स्तरीय है, फिर निराशा क्यों । और आप जो कर रहीं हैं वह तो अमूल्य है । हम सब आपका सम्मान करते हैं ... बहन जैसा स्नेह देते हैं । प्रफुल्लित रहो ।
ReplyDeleteप्रिय शैल, आप ने जो भी अनुभव किया है सच ही होगा । मेरा विनम्र निवेदन है कि इस मुद्दे को इतना बडा बना कर देखने की ज़रुरत नहीं है । ब्लॉग पर आने वाली अधिकांश महिलाएं प्रबुद्ध हैं । सलीके की बात करती हैं जबकि बहुतेरे पुरुष ब्लॉगर ब्लॉग पर क्यों हैं उन्हें खुद नहीं मालूम । भाषा का संस्कार अधिकांश महिला ब्लॉगरों में है । उनका सृजन भी स्तरीय है, फिर निराशा क्यों । और आप जो कर रहीं हैं वह तो अमूल्य है । हम सब आपका सम्मान करते हैं ... बहन जैसा स्नेह देते हैं । प्रफुल्लित रहो ।
ReplyDeleteअति का भला ना बोलना
ReplyDeleteअति की भली ना धूप
अति का भला ना बरसना
अति की भली ना धूप
जबतक हम इस सूत्र को अपने जीवन में अपनाते रहेंगे, हम सही रहेंगे, शंकाएं मन की भूल है, लेकिन भविष्य के प्रति जागरुक रहना मन की आने वाली शंकाओं को दूर करता है!
मै आपसे छोटा हूँ, इसे मेरी दी हुयी शिक्षा ना समझे, जो मुझे समझ में आया मैंने लिख दिया!
रत्नेश त्रिपाठी
वैसे इस पोस्ट का मतलब नहीं था.... ब्लॉग जगत पर उन्ही महिलाओं की किरकिरी होती है..... जो वाद की बात करतीं हैं.... यह बात एकदम सही है.... कि जो भी नारी वाद की बात करेगी.... उसका घर तो बर्बाद होगा ही.... और उसे भी सही निगाह से नहीं देखा जायेगा.... नारी का मतलब त्याग होता है... पुरुष भी नारी के साथ तभी त्याग करता है.... जब नारी उसके साथ कंधे से कन्धा मिला कर चलती है.... जो नारी पुरुष को गाली देंगी... और उनके साथ कंधे से कन्धा मिलकर नहीं चलेंगीं....उन्हें ना सिर्फ ब्लॉग जगत में ...बल्कि हर जगह दूसरी निगाह से ही देखा जायेगा... महिलाओं के क्रांतिकारी विचारों से किसी को भी कोई प्रॉब्लम नहीं है... उसको लोग अप्प्रेशियेट ही करते हैं.... पर विचार प्रैक्टिकल होने चाहिए.... इमप्रैक्टिकल विचारों से सबको दिक्कत होगी... यह बात एकदम सही है... कि नारी पुरुष से है और पुरुष नारी से..... फिल्म और ब्लॉग में बहुत अंतर है.... फ़िल्मी नारियों से कोई भी गैरतमंद इन्सान शादी नहीं करेगा.... यह लोग फिल्मों में जातीं ही इसीलिए हैं.... क्यूंकि इनके ऊपर किसी पुरुष का कंट्रोल नहीं होता है.... ५/६ उदाहरण अगर छोड़ दें तो किसी भी फ़िल्मी नारी का भाई नहीं है.... और पिताओं का कंट्रोल हो नहीं पाता है... और शरीफ घरों के लड़के इनसे शादी नहीं करेंगे.... पर ब्लॉग में ऐसा नहीं है... इस लिए ब्लॉग की तुलना फिल्म से नहीं कर सकते.... ब्लॉग में उन्ही नारियों की किरकिरी होती है... जो बिना मतलब का वाद करतीं हैं.... वैसे मैंने इक्का-दुक्का नारियों को छोड़ कर ....ब्लॉग जगत में किसी भी नारी को वाद पर बात करते नहीं देखा है..... क्रांतिकारी विचार ऐसे होने चाहिए जिससे कि समाज और घर का भला हो.... तो ऐसी नारीवादी विचारों का स्वागत सब लोग करते हैं..... कभी यह देखिएगा.... अपने घर में नारीवाद की बात कर के.... माँ-बाप से लेकर बच्चे .... बच्चों से लेकर पति.... पति से लेकर आस-पास के लोग .... सब लोग चिढने ही लगेंगे.... नारीवाद की बात करने वाली औरतें ...कभी भी अपने घर में कोई वाद नहीं करतीं..... सारी वाद घर के बाहर ही होतीं हैं.... कुल मिलाकर एक Very Good post है....
ReplyDeleteकुछ ज्यादा ही नकारात्मक सोच हो गई है इस पोस्ट की जिन किसी भी कारणों से..इस तरह की बात न तो अब अभिनेत्रियों के साथ लागू होती है और न ही ब्लॉगर्स या साहित्यकारों के साथ कोई ऐसी संभावना दिखती है.
ReplyDeleteअभिनेत्रियों का दूसरी बीबी बनना उनकी खुद की महत्वाकांक्षा और वजहों की परिणिति है न कि कोई मजबूरी.
एक बड़ा कारण लम्बे समय तक कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए अविवाहित रहने का फैसला और फिर खुद की फील्ड में वर की तलाश-जो उन्हें समझ सके.
खैर, आपका आलेख कुछ विशेष वजहों से जनित सोच का ही परिणाम होगा.
कोई गाना सुनाईये बढ़िया सा और मयंक की चित्रकारी. :)
और कुछ हो या हो लेकिन एक बात तय है कि, महिला ब्लोगर को रिस्पोंस अच्छा मिलाता है; अगर दो लाइन कोई बेवकूफी भरी कविता भी लिख दे तो तारीफों के पुल बंधने वाले टिप्पणीकार पहुँच जाते हैं.
ReplyDeletebe positive
ReplyDeleteअरे आप कहां की बात कर रही है, कुछ लोगो को छोडो बाकी तो यहां का महोल बहुत अच्छा है, ओर सभी एक परिवार की तरह से है, जरुरी तो नही भाई सहब ओर बहन जी कहने देने से चरित्र का प्रमाण पत्र मिल जाता, यहां सब एक दुसरे को इज्जत देते है, मान सम्मान देते है, (कुछ एक लोगो को छोड कर ओर इन लोगो मै मर्द भी है ओर ओरते भी जो एक दुसरे को नीचा दिखाने पर तुले है) इन से दुर ही रहो, लेकिन फ़िल्मो मे काम करने वालो को मै भी सही नजर से नही देखता,वो चाहे मर्द हो या नारी, अब इसे मेरी तंग दिली कहे या तंग नजरिया, जो कभी नही बदल सकता, ओर अब अपना मुड ठीक कर ले ओर एक सुंदर सा गीत कल की पोस्ट मै आप दोनो की ओर से...हो जाये
ReplyDeleteएक तो यह पोस्ट और उसपर महफूज़ अली की टिपण्णी...
ReplyDeleteकरेला और वह भी नीम चढ़ा.
अदाजी एक बात कहूँ , आप लोग इस परकार की घटिया मानसिकता के लोगो को इतनी अहमियत दे क्यूँ रहे है , इनका तो मकसद ही यही है की कोई इन गिरे हुए लोगो को अहमियत दे, बेहतर यही है की महिला ब्लोगर्स इनको इग्नोर करके अपने ब्लॉग्गिंग में व्यस्त रहे !
ReplyDeleteयहाँ महफूज जी के विचारों से सहमत हूँ / वैसे आपकी भावना को व्यक्त व्यक्त करने का आपको पूरा हक़ है और आप उसे जरूर व्यक्त करते रहें /
ReplyDeleteहैप्पी रहिये जी, और जो लोग ऐसा सोचते हैं उनकी सोच कोई नहीं बदल सकता है, पर आप अपनी ऊर्जा यहाँ ऐसे मत जाया कीजिये।
ReplyDeleteआपको सुन रहे हैं पढ़ रहे हैं। टिपियाना जरुर थोड़ा कम हो गया है।
गिनती के दो-चार लोगों की वजह से ऐसा कभी नहीं होनेवाला जैसा कि आप सोच रही हैं. आप एक कहावत को याद रखिये. "हाथी चला बाज़ार . कुत्ते भौंके हजार" आप तो बस साहित्य कि सेवा करती जाइए और ऐसे लोगों की टिप्पणीयों का कोई जवाब ना दें और ना ही किसी तरह की कोई तवज्जो ही दें. यह सब अपने आप ही शांत हो जाएगा.
ReplyDeleteअदा जी फ़िल्मो की बाते फ़िल्मो वाले जाने जहा तक ब्लोग जगत की बात हे जिन महिला ब्लोगर को मै पढता हू वो आम ब्लोगर से ज्यादा सन्जीदा, पढी लिखी और वेहतरीन इन्सान और लेखक है. मै ऐसा सिर्फ़ आपके लिये नही कह रहा बल्कि लगभग सभी महिलाओ के लिये कह रहा हू.
ReplyDeleteसाहित्य मे भी जो महिलाये सक्रिय है वहुत्र सम्मानित है और ब्लोग जगत मे तो सभी अति सम्माननीय है. फिर भी अगर हमारे बीच की महिलाओ को लगता है कि पुरुष उनके बारे मे नकारात्मक सोचते है तो ये हम सबके लिये बडे शर्म की बात है.
एक निवेदन ब्लोग जगत को वाद से बहुत खतरा है नारी वाद भी मुझे नकारात्मक लगता है.
हम सभी आपका और सभी महिला ब्लोगरो का उनके ब्लोग लेखन और साधातण व्यबहार के लिये तहे दिल से आदर करते है.
चिंता ना करें ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला !!
ReplyDelete४ लाइनों में बहुत कुछ कह गयी आप !!
जो मातृशक्ति का सम्मान नहीं कर सकते, उन्हें समाज के कीड़े कहना ही बेहतर होगा...और अगर ये कीड़े हैं तो फिर इनकी परवाह ही क्यों की जाए...इन्हें सिर उठाते ही कुचल देना चाहिए...मतलब इनकी टिप्पणियों को देखते ही गला घोट देना चाहिए...और वैसे ये उंगलियों पर गिनाए जा सकने वाले दुर्जन न हो तो फिर सज्जनों की पहचान ही कहां से हो सकेगी...
ReplyDeleteअदा जी मस्त रहिए...ऐसे लोगों के चाहने से ब्लॉगवुड नहीं चलेगा...पुरुष और महिला ब्लॉगर इस गाड़ी के दो पहिए हैं...एक पहिया निकाल दिया तो उसी दिन इसका भी राम नाम सत्य हो जाएगा...
जय हिंद...
महिला ब्लोगर्स इनको इग्नोर करके अपने ब्लॉग्गिंग में व्यस्त रहे !
ReplyDeletebest commets
ReplyDeletemehfooz ali...
aap se poori tarah se "ASAHMAT"
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
स्पष्ट रूप से एक बात जो सामने आती है...वह है महिलाओं के प्रति कुछ लोगों का रवैया.... जब तक किसी महिला ब्लाग्गर ने फ़ॉर्मूला के अन्दर रह कर बात की वो सही मानी जाती है...जहाँ भी उसके विचार क्रांतिकारी होते हैं ..चरित्रहीनता का ठप्पा उसपर लग जाता है...और उसके बाद, उसके प्रति सारी शालीनता ख़त्म हो जाती है....चिंता का विषय यह है कि आप जो भी उसके या किसी के बारे में लिखते हैं ...वह ब्लॉग पर शिलालेख की तरह हो जाता है....एक इतिहास रच जाता है....
सही बात है और मैं खुश हूँ कि आप ने इस बात को समझा...परंतु यदि आप पूरी ईमानदारी से आत्मावलोकन करें तो आपने भी 'पर उपदेश कुशल बहुतेरे' जैसी पोस्ट भी लिखी थी जिसमें एक साथी महिला ब्लॉगर पर महज इसलिये निशाना साधा गया था कि उसके पास पति-बच्चों भरा 'परिवार' नहीं था...वह रवैया भी तो सही नहीं था...और उस पोस्ट पर लोगों ने अपनी पुरानी रंजिश उस ब्लॉगर से निकाली थी...आपने वह टिप्पणियाँ पब्लिश भी की थी...
मैं सीधा-सादा सवाल पूछता हूँ... क्या आप आज हटायेंगी वह पोस्ट अपने ब्लॉग से ?...या छापेंगी दोहरे मानकों का विरोध करती मेरी यह टिप्पणी ?
आभार!
प्रवीण जी,
ReplyDeleteनिशाना साधने की मेरी आदत नहीं है......तब भी एक सही बात कही थी मैंने और आज की पोस्ट में भी सही बात कह रही हूँ....और तब भी शख्शियत वही थीं आज भी वही हैं.....जब मैंने कहीं उनके लिए भाषा का अतिक्रमण देखा है....यह पोस्ट तथा एक और पोस्ट लिखी है...नाम देना कोई ज़रूरी नहीं समझा...न तब, न आज...
और जी नहीं बिलकुल नहीं हताउंगी वो पोस्ट क्योंकि उस समय मैंने वही लिखा जो उस समय मुझे सही लगा....और आज भी वही लिख रही हूँ जो मुझे आज सही लगा......
@प्रवीण जी...एक बात और ...मेरी मानसिकता का कच्चा-चिट्ठा मैं क्या खोलूं....आप स्वयं ही बात कर लीजिये व्यक्ति विशेष से....मेरा परिचय ज्यादा नहीं है उनसे ...लेकिन आपको वो मेरी मानसिकता के बारे में बता पाएंगी....मुझसे बेहतर ....
ReplyDeleteसंसार में अच्छे और बुरे दोनों ही प्रकार के लोग होते हैं इसलिये उनकी नजरिया और विचार भी अलग अलग होते हैं। तुलसीदास जी ने इसीलिये कहा है जाकी रही भावना जैसी. . .
ReplyDeleteअच्छा इन्सान नारी को सम्मान की दृष्टि से देखता है।
अपनी-अपनी सोच है। मेरी समझ में फिल्मों में काम करने वाली स्त्रियों को ठीक नहीं समझा जाता है बात सही नहीं है।
ReplyDeleteब्लॉगजगत के अपने अनुभव से मैंने
लिखा है:
ब्लॉगजगत में महिलाओं को तब तक बड़ी इज्जत और सम्मान के भाव से देखा जाता है जब तक अपनी सीमा में रहें। सीमा से बाहर निकलते ही उनके साथ लम्पटता शुरू हो जाती है। मजे की बात यह है सीमा तय करने की जिम्मेदारी भी लम्पट लोग ही निभाते हैं।
nice
ReplyDeleteआज अगर भारत भारत है तो महिलाओं की बजह से है वरना पुरषों ने तो भारत को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं उठा रखी है।
ReplyDeleteअगर बलाग जगत में महिलाओं का मान सम्मान नहीं होगा तो बलागजगत भी कभी मानसम्मान नहीं पाएगा य़
हम मानते हैं कि सिर्फ परजिवी ही महिलाओं के वारे में गलत खयाल रख सकते हैं सब समझदार लोग जानते हैं कि महिला ममता व वातसत्य की खान है।
जो समाज अपनी मां-बहन-वेटियों बहुओं का मान सम्मान नहीं करता वो बहुत जलद गर्त में पहुंच जाता है।
Request as a order बहन फ़िरदौस की ख़ातिर भाई एजाज़ इदरीसी से एक पठानी विनती
ReplyDeleteबहन फ़िरदौस साहिबा ! आप एक आला तालीमयाफ़्ता ख़ातून हैं । आपने एजाज़ की पोस्ट से आहत होकर अपने ब्लॉग के साथ ज़्यादती कर डाली । आपके अमल से आपकी हस्सासियत ए तबअ और नज़ाकत ए क़ल्ब का पता चलता है । आपके दुख से हम भी बहुत दुखी हैं । हम आपकी भी क़द्र करते हैं और आपके हक़ ए आज़ादी ए इज़्हारे ख़याल की भी । जब कभी आपको ज़रूरत पड़ेगी , यह बन्दा ए मोमिन आपके साथ होगा । हम आपके पुकारने की भी इन्तेज़ार न करेंगे । आपके लिए हमारा मश्विरा एक शेर की शक्ल में है -
आंसुओं की शमशीरों से ये जंग न जीती जाएगी
लफ़्ज़ ए मुजाहिद लिखना होगा झंडों पर दस्तारों पर
शब्दार्थ - अश्क - आंसू , शमशीर - तलवार ,
मुजाहिद - सत्य के लिए जानतोड़ संघर्ष करने वाला , दस्तार - पगड़ी
भाई एजाज़ साहब के लिए एक फ़रमान बशक्ले इल्तेजा यह है कि आइन्दा आप बहन फ़िरदौस के बारे में ख़ामोशी इख्तियार करें या फिर उनका तज़्करा ख़ैर के साथ करें । उनके साथ गुफ़्त ओ शुनीद के लिए हम लखनवी अख्लाक़ से मुज़य्यन जनाब सलीम ख़ान साहब को काफ़ी समझते हैं । कोई भी एजाज़ लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी और हमारी मुश्तरका इज़्ज़त को मजरूह करने का मजाज़ हरगिज़ हरगिज़ नहीं है ।
जय हिन्द , वन्दे ईश्वरम्
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2010/05/request-as-order.html
तमाम अंतर्विरोधों और उठापटक के बीच महिला ब्लोगर्स ब्लागजगत में सम्मान की दृष्टी से देखी जाती हैं और ये स्थिति बदलने वाली नही है. ये सच है कि यहां अक्सर आपसी टकराव या अहम के चलते कभी कभी कडूआहट दिखाई देती है. लेकिन आखिर सभी का सरोकार तो लेखन से ही है. और निश्चिंत रहें अच्छाई को बुराई परेशान कर सकती है पर उखाड नही सकती. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
.वैसे ही क्या ब्लॉग्गिंग करने वाली महिला को भी ठीक नहीं समझा जाएगा...????
ReplyDelete...नहीं बिलकुल नहीं..अच्छे-बुरे लोग हर जगह पाए जाते हैं.