Thursday, May 20, 2010

और हर फिकरा कस की एक औक़ात होती है.....


मसक जातीं हैं,  
अस्मतें,
किसी के फ़िकरों 
की चुभन से,
बसते हैं मुझमें भी
हया में सिमटे
आदम और हब्बा,
जो झुकी नज़रों से
देखते हैं,
खुल्द के फल का असर,
दिखाती हैं
सही फ़ितरत, 
इन्सानों की,
उनकी तहज़ीब-ओ-बोलियाँ, 
वर्ना पैरहन के नीचे 
सबका सच एक ही होता है ,
मानों...या न मानों
फ़िकरों की भी, ज़ात होती है,
और हर फिकरा कस की 
एक औक़ात होती है.....

मेरी एक ग़ज़ल है .....जिसे बस गुनगुनाने की कोशिश की है.... सुनियेगा ज़रा...


हम बोलें क्या तुमसे के क्या बात थी
अजी रहने दो बातें बिन बात की

सहर ने शफ़क़ से ठिठोली करी है
शिकायत अंधेरों को इस बात की

खयालों के तूफाँ तो थमने लगे हैं
लहर कोई डूबी थी जज़्बात की

उजालों से ऊँचें हम उड़ने लगे थे
कहाँ थी ख़बर अपनी औक़ात की

मन सोया जहाँ था वहीँ उठ गया है
शिकन न थी बिस्तर पे कल रात की

मुसलसल वो आया गली में हमारी
नदी बह रही थी इक हालात की

गुबारों से कितने परेशाँ हुए तुम
क्यूँ भूले वो ताज़ी हवा साथ की


मुसलसल= लगातार
गुबारों=धूल भरी आँधी
सहर=सुबह
शफ़क़=सवेरे की लालिमा

31 comments:

  1. ..मन सोया जहाँ था वहीँ उठ गया है ..बहुत अच्छी रचना

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  2. pawan dhiman has left a new comment on your post

    "और हर फिकरा कस की एक औक़ात होती है.....":

    ..मन सोया जहाँ था वहीँ उठ गया है ..बहुत अच्छी रचना

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  3. क्षेत्रीय भाषाओँ के शब्दों का बहुत सुन्दर प्रयोग कर एक सन्देश देती कविता.. दी..

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  4. फ़िकरों की भी, ज़ात होती है,
    और हर फिकरा कस की
    एक औक़ात होती है.....
    लाजवाब रचना
    गज़ल सुनकर लगा सुर, स्वर और शब्द नियामत होती है.

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  5. ye comment Dipak ne kiya hai...

    दीपक 'मशाल' has left a new comment on your post "और हर फिकरा कस की एक औक़ात होती है.....":

    क्षेत्रीय भाषाओँ के शब्दों का बहुत सुन्दर प्रयोग कर एक सन्देश देती कविता.. दी..

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  6. आंखें भी होती है दिल की ज़ुबां,
    बिन बोले कर देती हैं हालत ये पल में बयां...

    जय हिंद...

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  7. ये फिकरे जो न कराएँ!
    महाभारत भी तो इन्ही फिकरों की ही देन था!
    --
    आपकी गजल सुन कर सुकून मिला!
    --

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  8. सबका सच एक ही होता है ,
    मानों...या न मानों
    फ़िकरों की भी, ज़ात होती है,
    और हर फिकरा कस की
    एक औक़ात होती है.....


    Bahut khoob, adaji

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  9. क्या बात है अदा जी...बहुत जबरदस्त!! आनन्द आ गया!

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  10. कोमल भावनाओं की सुरुचिपूर्ण अभिव्यक्ति होती हैं आपकी कवितायें ।

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  11. "अद्भुत और कसी हुई रचना ..."

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  12. बेहतरीन रचना ......और गज़ल तो लाजवाब और आपके गुनगुनाने से इसमें चार चाँद लग गये .

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  13. हम बोलें क्या तुमसे के क्या बात थी
    अजी रहने दो बातें बिन बात की

    वाह क्या बात है । अति सुन्दर।

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  14. बसते हैं मुझमें भी
    हया में सिमटे
    आदम और हौवा,
    जो झुकी नज़रों से
    देखते हैं,

    खुल्द के फल का असर


    laajwaab.....!


    kyun ishaq se tu yoon beasar hai...
    ki hawwaa jaisi hi bekhabar hai..


    wo khuld kaa fal kisi tarah gar chakhe jo teri jubaan to kuchh ho.......



    hnm...

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  15. "मानों...या न मानों
    फ़िकरों की भी, ज़ात होती है,
    और हर फिकरा कस की
    एक औक़ात होती है....."

    बहुत सही लिखा है।
    किसी ने कहा है, "a picture in room is the picture of mind of the occupant" दूसरे पर तंज कसने वालों की मानसिकता उनकी भाषा से झलकती है।

    गज़ल ने एक और गज़ल की याद दिला दी,
    "न जी भर के देखा, न कुछ बात की,
    बहुत आरजू थी, मुलाकात की।"
    और इसे आपकी आवाज में सुनना, जैसे सोने में केसर की सुगन्ध।

    बहुत बहुत बहुत आभार।

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  16. क्या बात है दीदी , लाजवाब , आपकी आवाज के तो क्या कहनें , बढ़िया लगा सूनना ।

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  17. फ़िकरों की भी, ज़ात होती है,

    How true !

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  18. बेहद उम्दा नज़्म !! आभार !

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  19. फ़िकरों की भी, ज़ात होती है,
    और हर फिकरा कस की
    एक औक़ात होती है.....

    आजकल ऐसा ही लग रहा है ....

    ग़ज़ल तो अच्छी है ही ...आपकी आवाज़ से चार चाँद लग ही जाते हैं ...

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  20. सिर्फ एक शब्द, बेहतरीन!

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  21. सबका सच एक ही होता है , मानों...या न मानोंफ़िकरों की भी, ज़ात होती है,और हर फिकरा कस की एक औक़ात होती है.....
    ...bilkul sahi kaha aapne adaa ji...
    Saarthak rachan.

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  22. वाह...वाह...वाह....

    लाजवाब,सिम्पली ग्रेट....सुपर्ब !!!

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  23. बेहतरीन गजल और सुर का संगम.

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  24. behtareen sangam..kavita,gazal aur tumhaari awaaj....simply gr888..

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  25. are didi wahhhhhhhhhh

    ग़ज़ल तो अच्छी है ही ...आपकी आवाज़ से चार चाँद लग ही जाते हैं ...

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  26. बेहतरीन रचना ......और गज़ल तो लाजवाब और आपके गुनगुनाने से इसमें चार चाँद लग गये .

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  27. हम बोलें क्या तुमसे के क्या बात थी
    अजी रहने दो बातें बिन बात की

    सुंदर रचना, मधुर गायकी, सुरीली आवाज़.

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  28. फेसबुक पर Share करना मुमकिन है या नही ?

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    1. बिलकुल मुमकिन है।
      शौक से आप शेयर कीजिये, बस मुझे ड्यू क्रेडिट देना ना भूलें, यही आग्रह है।

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