Friday, May 21, 2010

जिक्र हो फूलों का बहारों की कोई बात हो....



जिक्र हो फूलों का बहारों की कोई बात हो
रात का मंजर हो सितारों की कोई बात हो

रेत पर चलते रहे जो पाँव कुछ हलके से थे
ग़ुम निशानी हो अगर इशारों की कोई बात हो
 

नाख़ुदा ग़र भूल जाए जो कभी मंजिल कोई
मोड़ लो कश्ती वहीं किनारों की कोई बात हो

आ ही जाते हैं कभी बदनाम से साए यूँ हीं
बच ही जायेंगे जो दिवारों की कोई बात हो

बुझ रही शरर मेरी आँखों की सुन ले 'अदा'
देखूं तेरी आँखों से जब नजारों की कोई बात हो 



एक छोटी सी कविता भी.....
तब मन मयूर मुदित हुआ
जब हृदयंगम वो सुर हुआ
गात पात सम लहराया
उषामय आनन उर हुआ
उबरा मन मंदिर तम से
देह प्रकाशित पुर हुआ
हे हृदयेश तकूँ तेरा वेश
प्रार्थना उर अंकुर हुआ


17 comments:

  1. ग़ज़ल का बस इतना ही हिस्सा पसंद आया.. बाकी ठीक नहीं लगी

    जिक्र हो फूलों का बहारों की कोई बात हो
    रात का मंजर हो सितारों की कोई बात हो

    रेत पर चलते रहे जो पाँव कुछ हलके से थे
    ग़ुम निशानी हो अगर इशारों की कोई बात हो

    नाख़ुदा ग़र भूल जाए जो कभी मंजिल कोई
    मोड़ लो कश्ती वहीं किनारों की कोई बात हो

    आ ही जाते हैं कभी बदनाम से साए यूँ हीं
    बच ही जायेंगे जो दिवारों की कोई बात हो

    बुझ रही शरर मेरी आँखों की सुन ले 'अदा'
    देखूं तेरी आँखों से जब नजारों की कोई बात हो

    :)
    और कविता भी बहुत खूब रही दी..

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  2. नाख़ुदा ग़र भूल जाए जो कभी मंजिल कोई
    मोड़ लो कश्ती वहीं किनारों की कोई बात हो
    आशा का संचार करती रचना
    सुन्दर शेर
    कविता भी शानदार

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  3. रेत पर चलते रहे जो पाँव कुछ हलके से थे
    ग़ुम निशानी हो अगर इशारों की कोई बात हो

    अदा जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल....अच्छी लगी....
    सुंदर कविता के लिए बधाई

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  4. दीपक जित्ता ही हमौ पसंद किये हैं जी..बाकी काहे ले लिखी है..अलग करिये :) और कविता...वाह..क्या कहने.

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  5. दीपक ने अपनी अदा दिखा दी टिप्पणी में।
    कविता और ग़ज़ल अच्छी हैं।

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  6. जिक्र फूलों का बहारो को हो तो क्या बात हो
    नज़ारे तेरी आँखों से देखूं उन नज़रों की क्या बात हो ...
    क्या बात है ...!!

    बड़ी शुद्ध हिंदी में कविता लिखी जा रही है ....का बात है ...बढ़िया ...!!

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  7. फिर छिड़ी रात बात फूलों की,
    रात है या बारात फूलों की,
    आप का साथ, साथ फूलों का,
    आपकी बात, बात फूलों की...

    जय हिंद...

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  8. bahut sundar Ada ji...Deepak ji aur Sameer ji jaisi hi meri pasand bhi hai...:D

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  9. सुन्दर । अति सुन्दर ।

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  10. पूरी गज़ल सुन्दर और कविता भी ।

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  11. जिक्र हो फूलों का.... बहुत सुंदर गजल, ओर मिनी कविता भी बहुत अच्छी लगी. धन्यवाद

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  12. Hello Ada ji :)

    This is really beautiful!

    "रेत पर चलते रहे जो पाँव कुछ हलके से थे
    ग़ुम निशानी हो अगर इशारों की कोई बात हो"

    Wonderfully composed!
    I really love your compositions!

    Regards,
    Dimple

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  13. सुन्दर शब्दों से सजी रचनाएँ बहुत बढ़िया रहीं!

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  14. 22.05.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह 06 बजे) में शामिल करने के लिए इसका लिंक लिया है।
    http://chitthacharcha.blogspot.com/

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  15. बुझ रही शरर मेरी आँखों की सुन ले 'अदा'
    देखूं तेरी आँखों से जब नजारों की कोई बात हो

    कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई

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  16. मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!


    Meri didi ki tareef ke liye....

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