जिक्र हो फूलों का बहारों की कोई बात हो
रात का मंजर हो सितारों की कोई बात हो
रेत पर चलते रहे जो पाँव कुछ हलके से थे
ग़ुम निशानी हो अगर इशारों की कोई बात हो
नाख़ुदा ग़र भूल जाए जो कभी मंजिल कोई
मोड़ लो कश्ती वहीं किनारों की कोई बात हो
आ ही जाते हैं कभी बदनाम से साए यूँ हीं
बच ही जायेंगे जो दिवारों की कोई बात हो
बुझ रही शरर मेरी आँखों की सुन ले 'अदा'
देखूं तेरी आँखों से जब नजारों की कोई बात हो
एक छोटी सी कविता भी.....
तब मन मयूर मुदित हुआ
जब हृदयंगम वो सुर हुआ
गात पात सम लहराया
उषामय आनन उर हुआ
उबरा मन मंदिर तम से
देह प्रकाशित पुर हुआ
हे हृदयेश तकूँ तेरा वेश
प्रार्थना उर अंकुर हुआ
ग़ज़ल का बस इतना ही हिस्सा पसंद आया.. बाकी ठीक नहीं लगी
ReplyDeleteजिक्र हो फूलों का बहारों की कोई बात हो
रात का मंजर हो सितारों की कोई बात हो
रेत पर चलते रहे जो पाँव कुछ हलके से थे
ग़ुम निशानी हो अगर इशारों की कोई बात हो
नाख़ुदा ग़र भूल जाए जो कभी मंजिल कोई
मोड़ लो कश्ती वहीं किनारों की कोई बात हो
आ ही जाते हैं कभी बदनाम से साए यूँ हीं
बच ही जायेंगे जो दिवारों की कोई बात हो
बुझ रही शरर मेरी आँखों की सुन ले 'अदा'
देखूं तेरी आँखों से जब नजारों की कोई बात हो
:)
और कविता भी बहुत खूब रही दी..
नाख़ुदा ग़र भूल जाए जो कभी मंजिल कोई
ReplyDeleteमोड़ लो कश्ती वहीं किनारों की कोई बात हो
आशा का संचार करती रचना
सुन्दर शेर
कविता भी शानदार
nice
ReplyDeleteरेत पर चलते रहे जो पाँव कुछ हलके से थे
ReplyDeleteग़ुम निशानी हो अगर इशारों की कोई बात हो
अदा जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल....अच्छी लगी....
सुंदर कविता के लिए बधाई
दीपक जित्ता ही हमौ पसंद किये हैं जी..बाकी काहे ले लिखी है..अलग करिये :) और कविता...वाह..क्या कहने.
ReplyDeleteदीपक ने अपनी अदा दिखा दी टिप्पणी में।
ReplyDeleteकविता और ग़ज़ल अच्छी हैं।
जिक्र फूलों का बहारो को हो तो क्या बात हो
ReplyDeleteनज़ारे तेरी आँखों से देखूं उन नज़रों की क्या बात हो ...
क्या बात है ...!!
बड़ी शुद्ध हिंदी में कविता लिखी जा रही है ....का बात है ...बढ़िया ...!!
फिर छिड़ी रात बात फूलों की,
ReplyDeleteरात है या बारात फूलों की,
आप का साथ, साथ फूलों का,
आपकी बात, बात फूलों की...
जय हिंद...
bahut sundar Ada ji...Deepak ji aur Sameer ji jaisi hi meri pasand bhi hai...:D
ReplyDeleteसुन्दर । अति सुन्दर ।
ReplyDeleteपूरी गज़ल सुन्दर और कविता भी ।
ReplyDeleteजिक्र हो फूलों का.... बहुत सुंदर गजल, ओर मिनी कविता भी बहुत अच्छी लगी. धन्यवाद
ReplyDeleteHello Ada ji :)
ReplyDeleteThis is really beautiful!
"रेत पर चलते रहे जो पाँव कुछ हलके से थे
ग़ुम निशानी हो अगर इशारों की कोई बात हो"
Wonderfully composed!
I really love your compositions!
Regards,
Dimple
सुन्दर शब्दों से सजी रचनाएँ बहुत बढ़िया रहीं!
ReplyDelete22.05.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह 06 बजे) में शामिल करने के लिए इसका लिंक लिया है।
ReplyDeletehttp://chitthacharcha.blogspot.com/
बुझ रही शरर मेरी आँखों की सुन ले 'अदा'
ReplyDeleteदेखूं तेरी आँखों से जब नजारों की कोई बात हो
कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई
मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!
ReplyDeleteMeri didi ki tareef ke liye....