Monday, May 17, 2010

फर्जी नामी को चेतावनी....

अभी अभी ख़बर आई हैं कि फर्जी नामी जी ने माफ़ी माँग ली है...लेकिन क्या इतना करना काफी है...??


आज फिर माफ़ी का इज़हार किया है.....
ऐसों ने ये तमाशा तो कई बार किया है.....
इस बेनामी का सही परिचय बताया जाय.....

प्रिय ब्लॉग मित्रों....
महिला ब्लोग्गर्स की एकता का सन्देश पहुँच ही रहा है ब्लॉग लोक तक...और हर्ष की बात यह है कि हमारी भावनाओं का पूरा सम्मान पुरुष साथी ब्लोग्गर्स ने किया है....
मेरे इस पोस्ट के लिखने का मकसद था ...बाकी महिला ब्लोगर साथियों की मंशा जानना ...
एक्शन लेने की बात तभी की जा सकती है, जब सभी एक जुट हों ....फर्जी नामांकन की इस लिस्ट में कई और भी नाम थे.... बिना उनके सहयोग के इस दिशा में आगे बढ़ना उचित नहीं जान पड़ा था...बहुत अच्छी बात यह है कि अब यह स्पष्ट हो गया है,  कि सभी कुमार ज़लज़ला की इस ओछी हरकत की पुरजोर भर्त्सना करतीं हैं.....अब इस तरह की अनर्गल बातें बर्दाश्त नहीं की जायेंगीं ....यह सन्देश भी स्पष्ट है...लेकिन इस तरह बेनामी बन कर शांत माहौल को आंदोलित करने की कोशिश अक्षम्य है....और इसके लिए कार्यवाही होनी ही चाहिए...

सबसे पहले ...
इन फर्जी नामी कुमार ज़लज़ला जी को चेतावनी दी जाती है कि वो सामने आये और अपना सही परिचय दें...अगर वो सामने नहीं आते हैं तो..उनका परिचय प्राप्त कर लिया जाएगा....
साथ ही उनको सूचित किया जाता है कि...माननीय श्री दिनेश राय द्विवेदी जी, माननीय श्री लोकेश जी और माननीय श्री अख्तर खान 'अकेला' जी ने कानूनी कार्यवाही की दिशा में अपने भरपूर सहयोग के साथ, काम शुरू कर दिया है ....उन तीनों का  हृदय से धन्यवाद....बहुत जल्द ही कुमार ज़लज़ला तक यथोचित कागज़ात पहुँच जायेंगे... 
धन्यवाद...



महिला ब्लॉगर्स का सन्देश जलजला जी के नाम

कोई मिस्टर जलजला एकाध दिन से स्वयम्भू चुनावाधिकारी बनकर.श्रेष्ठ महिला ब्लोगर के लिए, कुछ महिलाओं के नाम प्रस्तावित कर रहें हैं. (उनके द्वारा दिया गया शब्द, उच्चारित करना भी हमें स्वीकार्य नहीं है) पर ये मिस्टर जलजला एक बरसाती बुलबुला से ज्यादा कुछ नहीं हैं, पर हैं तो  कोई छद्मनाम धारी ब्लोगर ही ,जिन्हें हम बताना चाहते हैं कि हम  इस तरह के किसी चुनाव की सम्भावना से ही इनकार करते हैं.

ब्लॉग जगत में सबने इसलिए कदम रखा था कि न यहाँ किसी की स्वीकृति की जरूरत है और न प्रशंसा की.  सब कुछ बड़े चैन से चल रहा था कि अचानक खतरे की घंटी बजी कि अब इसमें भी दीवारें खड़ी होने वाली हैं. जैसे प्रदेशों को बांटकर दो खण्ड किए जा रहें हैं, हम सबको श्रेष्ट और कमतर की श्रेणी में रखा जाने वाला है. यहाँ तो अनुभूति, संवेदनशीलता और अभिव्यक्ति से अपना घर सजाये हुए हैं . किसी का बहुत अच्छा लेकिन किसी का कम, फिर भी हमारा घर हैं न. अब तीसरा आकर कहे कि नहीं तुम नहीं वो श्रेष्ठ है तो यहाँ पूछा किसने है और निर्णय कौन मांग रहा है? 
हम सब कल भी एक दूसरे  के लिए सम्मान रखते थे और आज भी रखते हैं ..
                            
 अब ये गन्दी चुनाव की राजनीति ने भावों और विचारों पर भी डाका डालने की सोची है. हमसे पूछा भी नहीं और नामांकन भी हो गया. अरे प्रत्याशी के लिए हम तैयार हैं या नहीं, इस चुनाव में हमें भाग लेना भी या नहीं , इससे हम सहमत भी हैं या नहीं बस फरमान जारी हो गया. ब्लॉग अपने सम्प्रेषण का माध्यम है,इसमें कोई प्रतिस्पर्धा कैसी? अरे कहीं तो ऐसा होना चाहिए जहाँ कोई प्रतियोगिता  न हो, जहाँ स्तरीय और सामान्य, बड़े और छोटों  के बीच दीवार खड़ी न करें.  इस लेखन और ब्लॉग को इस चुनावी राजनीति से दूर ही रहने दें तो बेहतर होगा. हम खुश हैं और हमारे जैसे बहुत से लोग अपने लेखन से खुश हैं, सभी तो महादेवी, महाश्वेता देवी, शिवानी और अमृता प्रीतम तो नहीं हो सकतीं . इसलिए सब अपने अपने जगह सम्मान के योग्य हैं. हमें किसी नेता या नेतृत्व की जरूरत नहीं है.
इस विषय पर किसी  तरह की चर्चा ही निरर्थक है.फिर भी हम इन मिस्टर जलजला कुमार से जिनका असली नाम पता नहीं क्या है, निवेदन करते हैं  कि हमारा अमूल्य समय नष्ट करने की कोशिश ना करें.आपकी तरह ना हमारा दिमाग खाली है जो,शैतान का घर बने,ना अथाह समय, जिसे हम इन फ़िज़ूल बातों में नष्ट करें...हमलोग रचनात्मक लेखन में संलग्न रहने  के आदी हैं. अब आपकी इस तरह की टिप्पणी जहाँ भी देखी जाएगी..डिलीट कर दी जाएगी.

51 comments:

  1. बहुत खूब
    ये जलजला तो अब जला
    यही होना चाहिये ऐसे लोगो का

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  2. भलाई का तो जमाना ही नहीं रहा । नेकी कर दरिया में डाल

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  3. ये मारा पापड़ वाले को !!!!
    रत्नेश त्रिपाठी

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  4. hnm...



    :)

    good...




    waise ye ham nahin hain ji...

    :)

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  5. @अदा जी
    आपके साथ हूँ , दुनियादारी से घबरा कर ब्लॉगजगत में आये थे ,पर यहाँ भी फिरकापरस्त लोग आ बैठे "

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  6. जलजला ने माफी मांगी http://nukkadh.blogspot.com/2010/05/blog-post_601.html

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  7. @ अविनाश जी अब तो आपका भी फ़र्ज़ बनता है कि इन महाशय का नाम हमारे सामने लेकर आयें...
    आशा है आप ऐसा ही करेंगे...

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  8. sahi kaha Ada ji..blog ko raajneeti se door rakhna hi chahiye aapki aur sabhi mahila bloggeron ki pehel ko naman...

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  9. जल जला जी ने माफी माँग ली है!
    पटाक्षेप हो गया है जी!
    अब विवाद को समाप्त कीजिए!

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  10. सभी अपने मन की बात, अपने विचार और तजुर्बा के बारे में लिखने के लिए ही ब्लॉग जगत में आये हैं ... ऐसे लोग बहुतायत में न होंगे जो बहुत नकारात्मक काम करेंगे ... अजथा प्रतियोगिता की कोई ज़रूरत नहीं है ...
    अदा जी, मैं निश्चित तौर पे कह सकता हूँ, कि ज्यादा से ज्यादा लोग सकारात्मक ब्लॉग्गिंग के पक्ष में हैं ...

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  11. आपसे पूर्णत : सहमत ।

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  12. मैं आपकी बात से सहमत हूँ और इसी लिए इस आर्टिकल को अपने ब्लॉग में जगह देती हूँ.

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  13. हम तो जी मैदान से बाहर रहकर ही तमाशा देखने वाले हैं।

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  14. न जाने क्या नये नये तमाशे दिखने को मिल रहें हैं।Blog Sphere में!आपका reaction वाजिब और balanced है।

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  15. जलजला की भलमनसाहत इसी में हैं कि सामने आ जाएँ। अपनी हरकत पर खेद व्यक्त करें।

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  16. दिनेश जी,
    किन शब्दों से आपका धन्यवाद करूँ...!
    आपको यहाँ देख कर, खुद के आत्मसम्मान के लौट आने का भान हुआ है..
    आपका हृदय से आभार...

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  17. मैंने भी यही कहा था कि लेखन में क्या चुनाव ? सब एक दूसरे को अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करते रहें और वरिष्ठ लेखकवर्ग हम सभी का मार्गदर्शन करते रहें. यही साहित्य के लिए अच्छा है. वातावरण जितना स्वस्थ होगा लेखन उतना ही अच्छा होगा.

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  18. बहुत ही उम्दा सोच और उसपर एकजुटता को देखकर आज मेरे उस विश्वास को मजबूती मिली है की ,ब्लॉग की आवाज को इतना प्रभावी बनाया जा सकता है की, इस देश और समाज की गंदगी ब्लॉग के जरिये साफ की जा सके /

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  19. महिला ब्लॉगरों ने इस मुद्दे पर जिस तरह से एकजुटता का परिचय दिया है वह सराहनीय है।

    अरे भई अब तो सुधर जाओ जलजला जी...काहे बेंमतलब परेशान हो रहे हो और लोगों को परेशान किए जा रहे हो ?

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  20. जलजले आये कई ,और कई चले गए
    हम अपनी ब्लोगिंग लिए ,पर यहीं अड़े रहे.
    लाख कर ले कोई जुगत डालने की फूट यहाँ
    जलजला रह जायेगा बस बनकर बुलबुला यहाँ

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  21. क्या इससे पहले जितने भी महिलाओं को ब्लोगर संबधी पुरस्कार दिए गये थे वे सब वापस हो रहे हैं ?????????

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  22. मिथिलेश,
    मुझे नहीं लगता कि एक भी पुरस्कार किसी भी बेनामी, फर्जी नामी द्वारा दिया गया है...
    जहाँ तक मैं जानती हूँ...सभी पुरस्कार सम्मानित ब्लॉग द्वारा प्रदत्त हैं...
    जिनका बाकायदा रिकॉर्ड है...और हर पुरस्कार...कम से कम एक प्रक्रिया के अंतर्गत दिया गया है...

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  23. बहुत बढिया किया आपने...ऎसे लोगों को बेनकाब करना बहुत आवश्यक हो गया है.....

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  24. इधर इन बेनामियों ने गंध मचा दिया है ! इससे यह साफ़ दिखता है कि 'बेनाम' के कम्बल के नीचे अँधेरे में लोग कितना मैल उगलते हैं ! अफ़सोस एक यही है कि कुछ अच्छे बेनामियों के बारे में भी लोग गलत राय न बनाने लगें | अदा जी , इसका भी ध्यान रखना होगा |

    बात कहाँ और क्या चल रही थी , और इसमें भी घुस आये ये लोग , जिनके कारनामे में नारी विरोध की बू आती है | इनकी पहचान होती तो ठीक ही होता पर ऐसा हो पाना कठिन दिख रहा है और इस समय महिला ब्लोगर भी इनको इन्हीं के हाल पर छोड़ कर अपनी ऊर्जा को सकारात्मक रूप दें , वही बेहतर होगा !

    एक बार फिर महिलाओं की एकजुटता से इन विरोधियों के नापाक इरादे को शिकश्त मिली ! आभार !

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  25. जय हो.. अदा जी जय हो !!

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  26. सत्यमेव जयते ...........सदा सदा जयते !!

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  27. कृपया कोई बुरा न माने. जलजला की टिप्पणियां मिलने पर उन्हें सीधे डिलीट करने के बजाय उनपर प्रतिक्रियाएं और पोस्टें लिखीं गईं. इसने राई जैसे मामले को पर्वत जैसा बना दिया.

    आगे भी यदि आप लोग ऐसे ही प्रतिक्रियाएं करते रहेंगे तो लोगों का बढ़िया पढना-लिखना दूभर हो जायेगा.

    कानूनी कार्रवाई की बात हास्यास्पद है. सीधे-सीधे देखें तो जलजला का काम किसी तरह से अनैतिक या अवैद्य नहीं है, गैरज़रूरी भले ही हो.

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  28. अदा जी ठीक कहा आपने इस ब्लॉग जगत में सभी का अपना अपना स्थान है ।जैसे हाथ की सभी अंगुलियां बराबर ने होते हुए भी अपना अपना महत्व रखती हैं वैसे ही हमें भी साथ मिल कर हिन्दी लेखन को विकसित करना है ।

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  29. बहुत अच्छा प्रयास और करारा जवाब...इससे कम से कम एक बात तो क्लियर होती है कि स्थूल तौर पर ब्लॉग-जगत मे पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं अधिक सुलझी हुई, गंभीर और तार्किक हैं..!! वैसे भी ऐसे छिछले इश्यूज को हम ही सामूहिक रूप से अतिरिक्त तवज्जो दे कर गंभीर बना लेते हैं..जरूरत यही है कि संदिग्ध स्रोत और मंशा वाली किसी भी टिप्पणी या पोस्ट को बिल्कुल उपेक्षित किया जाय..विध्नसंतोषियों का मनोबल खुद टूटेगा..!!
    ...उम्मीद है आपके स्तुत्य प्रयास से ब्लॉगिंग मे सकारात्मक माहौल बनाये रखने के प्रयासों को बल मिलेगा...

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  30. छोटी सी उमर में हमने ऐसे कई जलजले देखे है ...आये है आते रहेंगे ,,,,उनका आना समस्या नहीं ,,,// समस्या है उनका प्रत्यक्ष या गुप्त रूप से साथ देना ....अगर उनका विरोध करे तो ......खुद ही मुह की खा कर चले जायेंगे ......इस बार आपने सामना किया ,जलजला चला गया ....अच्छा लगा ..आगे भी हमें सतर्क रहना पड़ेगा

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  31. @@@@ अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी


    ऐसा कौन है भईया जहान में जो नारी विरोधी बन सकता है ? क्या किसी का अस्तित्व संभव है बिना नारी के ?? सच कहा आपने कुछ लोग यहाँ भी घुस आये हैं ।

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  32. बहुत जरूरत थी ऐसे सन्देश की.. आज सच में महसूस हुआ कि- 'एक नहीं दो-दो मात्राएँ.. नर से भारी नारी..''
    ऐसे जागरूक आह्वाहन के लिए आभारी हूँ.

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  33. बढ़िया लगा सबको एकजुट होता देख बेनामियों के खिलाफ. शुभकामनाएँ.

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  34. मुँह नकाब डालकर पहचान छुपानेवाले तथा ब्लोगजगत की शान्ति भंग प्रयास करने वाले को उचित सजा मिलनी ही चाहिये।

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  35. इसे कहते हैं ज़लज़ले का ज़लज़ला. चलिए इस बहाने ही सही, ब्लॉगजगत के लोग किसी अछि भावना के साथ एकत्र तो हुए. इस एकता के लिए हमें ज़लज़ला का आभारी होना चाहिए.

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  36. @ aarya said...
    ये मारा पापड़ वाले को !!!!
    रत्नेश त्रिपाठी


    आर्य जी, क्यों बेचारे पापड़ वाले को मारते हो. सबसे प्रेम करो!

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  37. हम एक है और सदा एक रहेंगे.
    क्या मजाल किसी तूफान
    या फूटन की हवा में आये जलजले की
    जो हमारे बंधे हाथों को अलग करेंगे
    सोच और पहुँच एक है हमारी
    हम में सभी जूझी है एक ही आंधी से
    हर हाल में सामना हम मिलकर करेंगे.
    बिखर जायेंगे किसी जलजले के आवेग से
    सोच ऐसों की हम खत्म करेंगे.

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  38. बहुत अच्छी रचना
    आभार

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  39. सम्माननीय बंधुवर व बहनों , सादर वंदन ,
    समाज में जब भी कोई अच्छे कार्य को लोग एकजुट होते हैं तो जलने (jealousy)वाले बहुत होते हैं.
    जल-जला से उसने अपना नाम व काम दोनों बताया है.*सदैव जो गलत करता है उसमे प्रगट होने की ताकत नहीं रहती.*
    इसको कोई महत्व न देकर अपने मंतव्य निरंतर पढ़े-लिखे जाएँ.हमारी महिला-शक्ति बहुत एकजुट व शक्तिशाली है,
    ऐसे जलजलों को स्वयं ही रास्तेसे हटना पड़ेगा .
    वो भूले नहीं कि,
    "काह न पावक जारि सक ,काह न समुद्र समाई .
    काह न करी अबला प्रबल, काह न काल न खाई ."
    और अब तो नारी बौद्धिक रूप से इतनी बलशाली हो चुकी है कि कुछ कम-अक्ल लोग सामना करने तक की हिम्मत नहीं रखते .
    *हम सब एक हैं.*
    *निरंतर अपने प्रगतिशील कार्यों में लगे रहिये *
    अलका मधुसूदन पटेल ,लेखिका -साहित्यकार

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  40. सम्माननीय बंधुवर व बहनों , सादर वंदन ,
    समाज में जब भी कोई अच्छे कार्य को लोग एकजुट होते हैं तो जलने (jealousy)वाले बहुत होते हैं.
    जल-जला से उसने अपना नाम व काम दोनों बताया है .
    *सदैव जो गलत करता है उसमे प्रगट होने की ताकत नहीं रहती.*
    इसको कोई महत्व न देकर अपने मंतव्य निरंतर पढ़े-लिखे जाएँ.
    हमारी महिला-शक्ति बहुत एकजुट व शक्तिशाली है,ऐसे जलजलों को स्वयं ही रास्तेसे हटना पड़ेगा .
    वो भूले नहीं कि,
    "काह न पावक जारि सक ,काह न समुद्र समाई .
    काह न करी अबला प्रबल, काह न काल न खाई ."
    और अब तो नारी बौद्धिक रूप से इतनी बलशाली हो चुकी है कि कुछ कम-अक्ल लोग सामना करने तक की हिम्मत नहीं रखते .
    *हम सब एक हैं. निरंतर अपने प्रगतिशील कार्यों में लगे रहिये *
    अलका मधुसूदन पटेल ,लेखिका -साहित्यकार

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  41. निशांत की बात से सहमत।

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  42. Gyaana-Alka Madhusoodan Patel ji ne bahut achha kaha hai.. sahmat hun....

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  43. अभी अभी ख़बर आई हैं कि फर्जी नामी जी ने माफ़ी माँग ली है...लेकिन क्या इतना करना काफी है...??
    इस पर एक बार गौर कीजिये फ़िर भी न सुधरे तो देखते हैं अब कोई गंदगी न रहने देंगें ये तय है

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  44. दी, इस मुद्दे पर काफ़ी हद तक निशान्त और अपूर्व से सहमत.. आपका प्रयास काबिले तारीफ़ है लेकिन
    मुझे लगता है कि हम अपनी क्रियेटिविटी को किसी जलजला के नाम के परवान क्यू चढाये.. उसे इतना महत्व ही नही मिलना चाहिये था... खैर, महिलाये जिस तरीक से एकजुट होकर सामने आयी है.. वो भी निसन्देह ब्लागजगत के लिये एक बहुत बडी बात है..

    "...उम्मीद है आपके स्तुत्य प्रयास से ब्लॉगिंग मे सकारात्मक माहौल बनाये रखने के प्रयासों को बल मिलेगा..."
    आमीन..

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  45. किसी भी छद्मनाम अथवा वेशधारी का विरोधी हूं...धुर विरोधी हूं अराजक तत्वों का....
    अदा जी आपका प्रशंसक हूं....धुर समर्थक हूं महिला ब्लॉगर्स का....
    पा जानना चाहता हूं कि जिस कानूनी क सकती है.कार्रवाई की ओर .माननीय श्री दिनेश राय द्विवेदी जी, माननीय श्री लोकेश जी और माननीय श्री अख्तर खान 'अकेला' जी प्रवृत हैं....वह क्या है...जानना ज़रूर चाहूंगा कि आखिर किस तरह की कानूनी कार्रवाई हो सकती है इनके खिलाफ़.....उत्तर की प्रतीक्षा में...

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  46. आप लोग भी न किसी को भी खाने कमाने का मौका नहीं देते हैं ..देखिए तो जाने कित्ते सपने बुन लिए गए थे ...११ हजार के साथ ..सब के सब चकनाचूर हो गए । हाय आप लोगों ने न तो खुद २१ कमाए ....हमारे ११ पर भी ..डाका डाल दिया .......वैसे इस जलजले ने माफ़ी कहां मांगी जी ...इंडिया टीवी पर तो नहीं आई अब तक ये खबर .....हां नहीं तो ......

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  47. थोड़ा देर से टिप्‍पणी कर रहा हूँ किंतु संबंधित पोस्‍टों को पढ़ लिया है। ब्‍लॉगर सम्‍मान की कवायद सिरे से ही त्रुटिपूर्ण है खासकर तब जबकि सम्‍मान के स्रोत संदिग्‍ध हों। यह और भी आपत्तिजनक हो जाता हे जब कोई इस तरह का पैट्रोनाइजिंग एटीट्यूड दिखाता है जैसा जलजला महोदय ने दिखाया अत: साथी ब्‍लॉगरों ने एकजुट होकर इसे खारिज किया यह निश्चित तौर पर स्‍वागतयोग्‍य है- खेद पढ़ा उसमें खेद खोजा...कम मिला सफाई ज्‍यादा। कुल मिलाकर खेद में स्‍त्री विमश्र को लेकर संवेदनशीलता की कमी दिखती है या समझ की...या शायद दोनों की।
    किंतु हमारी दिक्‍कत उस पक्ष से है जहॉं आप इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का रासता तलाशती हैं...जलजला कौन है ये गौण है क्‍योंकि वह व्‍यक्ति नहीं प्रवृत्ति है...उसका नाम पता जानने की कोशिश करना फिजूल है, पता लगे तो भी उसे कानूनी नोटिस नहीं वरन स्‍त्री विमर्श की कुछ अच्‍छी पुस्‍तकें भिजवाएं उसे इनकी जरूरत है।

    कानूनी तरी‍कों को अपनाना पैनी वाइज पाउंड फूलिश होना है कयोंकि एक ओर इस तरह की पैर्टानाइज करने की कोशिश को पहचानना तथा उसे नकारना तथा दूसरी ओर किसी अन्‍य संरचना को ऐसा करने का न्‍यौता देना गले नहीं उतरता। एक जलजले के खिलाफ कानून के नुक्‍ते का इस्‍तेमाल करेंगे तो खुद कानून में जो स्‍त्री विरोधी जलजलात्‍व है उसके खिलाफ कहॉं जाएंगे।
    कानूनी नोटिसों से केवल होता ये है कि विमर्शवृत्‍त का वातावरण खराब होता है तथा इमानदार असहमतियॉं तक का पलायन हो जाता है।

    बेमांगी राय के लिए खेद किंतु हमें लगता है कि जलजला मियॉं की कोशिशों जैसे प्रकरधों को पहचान लेना उनकी नीयत बेनकाब कर देना...अलग थलग कर देना बस इतना ही काफी है। जलजलात्‍व केवल ब्लॉगजगत में है...जज, वकील ओर विधिकतंत्र इससे मुक्‍त हैं ये मान लेना बेहद मासूम भूल है।

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