और अब एक कविता आपकी नज़र ...
उजाले का क्या है झांक ही लेता है, झीरी से ....
यौवन का उजाला,
बुझा नहीं कि,
होम हो जाता है जीवन,
फिर बच जाती है,
बची हुई श्वास से
फिर बच जाती है,
बची हुई श्वास से
सुगबुगाती खोल,
यादों की खूंटी पर टंगे हुए
कुछ गुज़रे हुए मंज़र
जिनकी, गाहे-ब-गाहे
अंजुरी भर अहसास,
उसाँसों के हवन और
आंसुओं के आचमन से
बरसी मना लेते हैं,
लेकिन मन की व्यथा
कुछ गुज़रे हुए मंज़र
जिनकी, गाहे-ब-गाहे
अंजुरी भर अहसास,
उसाँसों के हवन और
आंसुओं के आचमन से
बरसी मना लेते हैं,
लेकिन मन की व्यथा
जता ही जाती है
कि आज तक
उसकी अत्येष्ठी हुई नहीं है,
और फिर
कि आज तक
उसकी अत्येष्ठी हुई नहीं है,
और फिर
थकन में डूबी ज़िन्दगी
जतन करने लगती है,
यौवन के दरवाजे खोलने की
उजाले का क्या है
झांक ही लेता है, झीरी से ....
जतन करने लगती है,
यौवन के दरवाजे खोलने की
उजाले का क्या है
झांक ही लेता है, झीरी से ....
लेकिन मन की व्यथा
ReplyDeleteजता ही जाती है
कि आज तक
उजाले की अत्येष्ठी हुई नहीं है
और फिर ये अंत्येष्ठी होनी भी नहीं चाहिये, झिरी है ना -----
य विडियो जितनी बार देखो, हंसी ही नहीं रुकती. एक बार बहुत पहले इसे मैने भी अपने ब्लॉग पोस्ट में लगाया था. :)
ReplyDeleteसाथ में कविता बहुत गहरी कह गईं आप. वाह!! बेहतरीन.
बहुत हँसा हूँ - कराची रिपोर्टिंग पर, कविता पर नहीं :)
ReplyDeleteबस इतना कहूँगा कि मुझे भाव बहुत सुन्दर लगे
ReplyDeleteजतन करने लगती है,
ReplyDeleteयौवन के दरवाजे खोलने की
उजाले का क्या है
झांक ही लेता है, झीरी से ....
अंतिम पंक्तियाँ दिल को छू गयीं.... बहुत सुंदर कविता....
अदा जी!
ReplyDeleteआपकी कविता व वीडियो बहुत ही शानदार हैं!
नियमित लेखन के लिए साधुवाद!
कराची विडियो बड़ा मजेदार है ...
ReplyDeleteकविता बहुत सुन्दर है ... मानव जीवन की सच्छी कहानी को बहुत खूबसूरत लफ़्ज़ों में पेश किया गया है ... बधाई !
hnm...
ReplyDelete..
.
इक धुंधली सुब्हा झाँक रही है बीयाबान दरारों से
अम्बर भी दामन झाड चुका है, रात के हमदम तारों से..
सामां बहलने के सारे बस पल दो पल के साथी हैं....
इस नीम उजाले ने दिन भर , कितने अंदाज़ बदलने हैं...
ये पल दो पल जो अपने हैं.....
मजेदार वीडियो । क्या वास्तविक है ? लेकिन बन्दे में बड़ा स्टेमिना है जी ।
ReplyDeleteकविता तो शाम को ही पढ़ पाएंगे ।
गहन एवं गंभीर भाव लिए एक बहुत ही सशक्त रचना ! इसका प्रत्येक शब्द बहुत अर्थपूर्ण है ! सुन्दर रचना के लिए बधाई !
ReplyDeleteऔर फिर
ReplyDeleteथकन में डूबी ज़िन्दगी
जतन करने लगती है,
यौवन के दरवाजे खोलने की
उजाले का क्या है
झांक ही लेता है, झीरी से ....
बहुत सुंदर...
वीडियो ने हमारे कई भ्रम निकाल दिये - हम तो उमर शरीफ़ को ही पाकिस्तान में हंसी का पर्याय माने बैठे थ, अब लग रहा है कि वहां तो बंदा बंदा ’इस्माईल प्लीज़’ है।
ReplyDeleteकविता में आज दार्शनिकता छाई हुई है।
"लेकिन मन की व्यथा जता ही जाती है
कि आज तक
उसकी अत्येष्ठी हुई नहीं है,
और फिर थकन में डूबी ज़िन्दगी
जतन करने लगती है,
यौवन के दरवाजे खोलने की
उजाले का क्या है
झांक ही लेता है, झीरी से ..."
याद आ रही हैं पहले कभी पढ़ी दो लाईनें,
"हवायें लाख जोर लगायें, आंधियां बनकर,
बादल जो बरसने आता है, बस छा ही जाता है।"
बचपन, यौवन और बुढ़ापा तन की अवस्थायें हैं, मन की ताज़गी कभी भी बरकरार रह सकती है।
कमेंट शायद लंबाई में आपकी पोस्ट के आसपास तो पहुंच ही गया होगा।
न रहा हमारा वो पहले वाला स्कूल का जमाना, जब परीक्षक उत्तर को उंगलियों से नापकर अंक दे देते थे, आज तो अपने भी साठ-सत्तर प्रतिशत नंबर आ ही जाते। हां नहीं तो......
Video to behad mazedar hai!
ReplyDeleteRachana sajeeda...jeevn ki asliyat darshati..
बहुत बढिया
ReplyDeleteधन्यवाद्
रिपोर्टिंग मस्त है ....मगर आज अखबार की हेड लाईन्स बड़ी खतरनाक थी ...इंडिया में मेहमान पधारे हैं ...
ReplyDeleteउजास झिरियों से झांक लेता है ...
बुढ़ापा तो मन की अवस्था है ...बूढ़ा गयी है क्या आप भी ...?...
मेरी कविता के ब्लॉग पर आपको जवाब लिखा है ...पढना ...हंसी आयेगी ...
कविता अच्छी है ...!!
Behtreen kavita.
ReplyDeleteaise namuney pakistaan me hi milte hain
ReplyDeleteबढ़िया रिपोर्टिंग है !!!!
ReplyDeleteएक उम्दा रचना पर हार्दिक बधाइयाँ !
bahut hi gahre bhavon se saji sundar prastuti.
ReplyDeleteयह विडियो बहुत बार देखा मजे दार. अजी बहुत मजेदार ओर कविता बहुत अच्छी ओर भाव पुर्ण लगी. धन्यवाद
ReplyDeleteab sab kavita ko acchha kah rahe hain to acchhi hi hogi...kya aap budhaa gayi hain????
ReplyDeleteअन्दरूने मुल्क लोग ईद मनायें या नहीं, इतनी निराशा उड़ेल आप हमें दुखी न करें । मन की अवस्था ही यौवन है ।
ReplyDeletebahut khoob.....
ReplyDeletekaivata ..man ko bhaa gayi ....bahut sundar..
ReplyDeletehttp://athaah.blogspot.com/
कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन...
ReplyDeleteऔर इस वीडियो को इतनी बार देखा है कि इसे ह्यूमर की एंथम का दर्ज़ा दे दिया जाना चाहिए और इस रिपोर्टर को दुनिया के सबसे बेहतरीन लॉफ्टर रिपोर्टर का...
जय हिंद...