Wednesday, May 5, 2010

कराँची से लोग ईद मनाने जा रहे हैं......तो बस जा ही रहे हैं जी....न जाने कहाँ-कहाँ से आ जाते हैं.....हाँ नहीं तो ...

कैमरामैन स्माईल प्लीज......



और अब एक कविता आपकी नज़र ...

उजाले का क्या है झांक ही लेता है, झीरी से ....


यौवन का उजाला,
बुझा नहीं कि,
होम हो जाता है जीवन,
फिर बच जाती है,
बची हुई श्वास से 
सुगबुगाती खोल,
यादों की खूंटी पर टंगे हुए 
कुछ गुज़रे हुए मंज़र
जिनकी, गाहे-ब-गाहे 
अंजुरी भर अहसास,
उसाँसों के हवन और
आंसुओं के आचमन से
बरसी मना लेते हैं,
लेकिन मन की व्यथा 
जता ही जाती है
कि आज तक
उसकी अत्येष्ठी हुई नहीं है,
और फिर 
थकन में डूबी ज़िन्दगी
जतन करने लगती है,
यौवन के दरवाजे खोलने की
उजाले का क्या है
झांक ही लेता है, झीरी से ....

25 comments:

  1. लेकिन मन की व्यथा
    जता ही जाती है
    कि आज तक
    उजाले की अत्येष्ठी हुई नहीं है
    और फिर ये अंत्येष्ठी होनी भी नहीं चाहिये, झिरी है ना -----

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  2. य विडियो जितनी बार देखो, हंसी ही नहीं रुकती. एक बार बहुत पहले इसे मैने भी अपने ब्लॉग पोस्ट में लगाया था. :)

    साथ में कविता बहुत गहरी कह गईं आप. वाह!! बेहतरीन.

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  3. बहुत हँसा हूँ - कराची रिपोर्टिंग पर, कविता पर नहीं :)

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  4. बस इतना कहूँगा कि मुझे भाव बहुत सुन्दर लगे

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  5. जतन करने लगती है,
    यौवन के दरवाजे खोलने की
    उजाले का क्या है
    झांक ही लेता है, झीरी से ....

    अंतिम पंक्तियाँ दिल को छू गयीं.... बहुत सुंदर कविता....

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  6. अदा जी!
    आपकी कविता व वीडियो बहुत ही शानदार हैं!
    नियमित लेखन के लिए साधुवाद!

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  7. कराची विडियो बड़ा मजेदार है ...

    कविता बहुत सुन्दर है ... मानव जीवन की सच्छी कहानी को बहुत खूबसूरत लफ़्ज़ों में पेश किया गया है ... बधाई !

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  8. hnm...


    ..

    .

    इक धुंधली सुब्हा झाँक रही है बीयाबान दरारों से
    अम्बर भी दामन झाड चुका है, रात के हमदम तारों से..

    सामां बहलने के सारे बस पल दो पल के साथी हैं....
    इस नीम उजाले ने दिन भर , कितने अंदाज़ बदलने हैं...
    ये पल दो पल जो अपने हैं.....

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  9. मजेदार वीडियो । क्या वास्तविक है ? लेकिन बन्दे में बड़ा स्टेमिना है जी ।
    कविता तो शाम को ही पढ़ पाएंगे ।

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  10. गहन एवं गंभीर भाव लिए एक बहुत ही सशक्त रचना ! इसका प्रत्येक शब्द बहुत अर्थपूर्ण है ! सुन्दर रचना के लिए बधाई !

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  11. और फिर
    थकन में डूबी ज़िन्दगी
    जतन करने लगती है,
    यौवन के दरवाजे खोलने की
    उजाले का क्या है
    झांक ही लेता है, झीरी से ....

    बहुत सुंदर...

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  12. वीडियो ने हमारे कई भ्रम निकाल दिये - हम तो उमर शरीफ़ को ही पाकिस्तान में हंसी का पर्याय माने बैठे थ, अब लग रहा है कि वहां तो बंदा बंदा ’इस्माईल प्लीज़’ है।

    कविता में आज दार्शनिकता छाई हुई है।
    "लेकिन मन की व्यथा जता ही जाती है
    कि आज तक
    उसकी अत्येष्ठी हुई नहीं है,
    और फिर थकन में डूबी ज़िन्दगी
    जतन करने लगती है,
    यौवन के दरवाजे खोलने की
    उजाले का क्या है
    झांक ही लेता है, झीरी से ..."
    याद आ रही हैं पहले कभी पढ़ी दो लाईनें,
    "हवायें लाख जोर लगायें, आंधियां बनकर,
    बादल जो बरसने आता है, बस छा ही जाता है।"
    बचपन, यौवन और बुढ़ापा तन की अवस्थायें हैं, मन की ताज़गी कभी भी बरकरार रह सकती है।

    कमेंट शायद लंबाई में आपकी पोस्ट के आसपास तो पहुंच ही गया होगा।
    न रहा हमारा वो पहले वाला स्कूल का जमाना, जब परीक्षक उत्तर को उंगलियों से नापकर अंक दे देते थे, आज तो अपने भी साठ-सत्तर प्रतिशत नंबर आ ही जाते। हां नहीं तो......

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  13. Video to behad mazedar hai!
    Rachana sajeeda...jeevn ki asliyat darshati..

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  14. बहुत बढिया
    धन्यवाद्

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  15. रिपोर्टिंग मस्त है ....मगर आज अखबार की हेड लाईन्स बड़ी खतरनाक थी ...इंडिया में मेहमान पधारे हैं ...
    उजास झिरियों से झांक लेता है ...
    बुढ़ापा तो मन की अवस्था है ...बूढ़ा गयी है क्या आप भी ...?...
    मेरी कविता के ब्लॉग पर आपको जवाब लिखा है ...पढना ...हंसी आयेगी ...
    कविता अच्छी है ...!!

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  16. aise namuney pakistaan me hi milte hain

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  17. बढ़िया रिपोर्टिंग है !!!!
    एक उम्दा रचना पर हार्दिक बधाइयाँ !

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  18. bahut hi gahre bhavon se saji sundar prastuti.

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  19. यह विडियो बहुत बार देखा मजे दार. अजी बहुत मजेदार ओर कविता बहुत अच्छी ओर भाव पुर्ण लगी. धन्यवाद

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  20. ab sab kavita ko acchha kah rahe hain to acchhi hi hogi...kya aap budhaa gayi hain????

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  21. अन्दरूने मुल्क लोग ईद मनायें या नहीं, इतनी निराशा उड़ेल आप हमें दुखी न करें । मन की अवस्था ही यौवन है ।

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  22. kaivata ..man ko bhaa gayi ....bahut sundar..

    http://athaah.blogspot.com/

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  23. कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन...

    और इस वीडियो को इतनी बार देखा है कि इसे ह्यूमर की एंथम का दर्ज़ा दे दिया जाना चाहिए और इस रिपोर्टर को दुनिया के सबसे बेहतरीन लॉफ्टर रिपोर्टर का...

    जय हिंद...

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