चित्रपट : उमराँव जान
संगीतकार : खय्याम
गीतकार : शहरयार
गायक : आशा भोसले
यहाँ 'अदा' की आवाज़.....
दिल चीज़ क्या है, आप मेरी जान लीजिये
बस एक बार मेरा कहा, मान लीजिये
इस अंजुमन में आपको आना है बार बार
दीवार\-ओ\-दर को गौर से पहचान लीजिये
माना के दोस्तों को नहीं दोस्ती का पास
लेकिन ये क्या के ग़ैर का अहसान लीजिये
कहिये तो आसमाँ को ज़मीन पर उतार लाएं
मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिये
मेरा पसन्दीदा गीत
ReplyDeleteआपके स्वर का जादू
ये मुश्किल गाना भी आपने इतनी आसानी से गा लिया.. वाह दी.. par ek-do jagah bas thoda sa...... :)
ReplyDeleteपसन्दीदा गीत...वाह...
ReplyDeleteअब एक फरमाइश, फिल्म उमरावजान का ही अन्य अन्य गीत यह क्या जगह है दोस्तो।
ReplyDeleteदिल तो है दिल,
ReplyDeleteदिल का ऐतबार क्या कीजे,
आ गया किसी पे प्यार तो क्या कीजे...
वैसे दिल तो बच्चा है जी,
और बच्चे का क्या...
वो तो कहता ही रहता है,
मैनू ए वी चाइदा, मैनू ओ वी चाइदा...
चाइदा, चाइदा...
ओए लकी, लकी ओए...
जय हिंद...
मुजफ़्फ़र अली, शहरयार और खैय्याम - इनकी जुगलबंदी ने बहुत शानदार रचनायें दी हैं। ये गजल बहुत पसंद है मुझे। आपकी आवाज में सुनना बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी ये गजल भी आपकी आवाज में।
आभार!
वल्लाह!! क्या खूब गाया है!! आनन्द आ गया!
ReplyDeleteये गीत थोडा मुश्किल तो है मगर अच्छा गाया है आपने ...
ReplyDeleteमुझे इसी फिल्म का दूसरा गीत " ये क्या जगह है दोस्तों " ज्यादा पसंद है ..
मुग्ध होकर सुनता रहा बहन मंजूषा। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
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ReplyDeleteयों तो इस फिल्म के सभी गाने कर्णप्रिय और अर्थपूर्ण थे,मेरा पसंदीदा गाना इन आँखों की मस्ती के... है। कभी अगर गाना चाहें।
ReplyDelete.अच्छा गाया
ReplyDeleteइस गीत पर मैं अपना ढेरो वक़्त कुर्बान कर सकता हूँ....
ReplyDeleteगीत सुन मन प्रसन्न हुआ.
जुस्जू जिसकी थी वो तो न पाई हमने
ReplyDeleteमगर इस बहाने देख ली दुन्या हमने .... ये गीत बहुत पसंद है मुझे.
कभी कोशिश कीजियेगा.
आज तो आपने निशब्द कर दिया अदा जी ...लगता ही हमारी फरमाइश पूरी कर दी ...खय्याम साहब का संगीत हमें सर्वाधिक पसंद है ...आपका ये आवाज सुनकर जगजीत कौर का गाया एक गीत याद आया 'तुम अपना रंजोगम अपनी परेशानी मुझे दे दो ' ..यह गीत शगुन फिल्म से है जिसमे वहीदा रहमान जी ने अभिनय किया है यह फिल्म तकरीबन १९६४ के आसपास आसपास आई थी , इसमें भी खय्याम साहब का ही संगीत है इसके अतिरिक्त रजिया सुलतान और उमरावजान के करीब सभी गीतों में खय्याम साहब का ही संगीत है उमरावजान के गीत (दिल चीज क्या है ,इन आँखों की मस्ती के,ये क्या जगह हैदोस्तों,जिंदगी जब भी तेरी बज्म में लाती है हमें.जुस्तजू जिसकी थी उसको तो ना पाया हमने) रजिया सुलतान के ( ए दिले नादां , तेरा हिज्र मेरा नसीब है+आये जंजीर की झंकार खुदा खैर करे - कब्बन मिर्ज़ा की आवाज में, जलता है बदन )...ये कुछ गीत ऐसे है जिनके बारे में तारीफ़ करों तो हिन्दी का शब्दकोश भी छोटा लगे ...इनमे से लता जी का गाया 'जलता है बदन' गीत तो समझ लीजिये की हमारे जीवन का साथी है , यह गीत हमारे लिए किसी संजीवनी से कम नहीं ...खय्याम साहब की के संगीत की ख़ास बात है कितनी भी बार सुन लो कभी बोरियत महसूस नहीं होगी...गीत कभी घिंसा-घिंसा सा नहीं लगेगा वरन और निखरता जाता है साथ ही खय्याम साहब द्वारा संगीतबद्द सभी धुनें त्रुटिरहित है ..ये खासियत ही उन्हें संगीत का सरताज बनती है ...आज आपने अपनी मधुर आवाज इस गाने को देकर हमें कर्ज़दार कर दिया ...आजकल जहा संगीत के साथ गज़ब की बेहूदा छेड़-छाड़ हो रही है वही आप जैसे कुछ पारखी लोग ही इसे जिन्दा रखे हुए है ...भारतीय संगीत दुनिया का श्रेष्ठतम संगीत है यह कहते हुए मुझे फक्र होता है ...बस अब बहुत कह दिया अंत में आप बहुत-बहुत आभार / नोट - शाश्त्रीय संगीत की तालीम लेने की हमारी दिली इच्छा है आपकी नज़र में दिल्ली में कोई अच्छा उस्ताद हो तो एक बार सूचित करे ..धन्यवाद और फिर से आभार //// एक फरमाइश और 'फ़ज़ा भी है जंवा-जंवा - निकाह.. इस ग़ज़ल पर आपकी आवाज़ की कशिश खूब क़यामत ढायेगी ...समय हो तो देख लीजियेगा
ReplyDeleteबहुत खूब ,।
ReplyDeleteबहुत सुंदर गजल, लेकिन हम आप की जान नही लेगे जी, फ़िर टिपण्णियां कोन देगा, ओर हम भी भरी जवानी को जेल की सलाखो के पीछे नही काट सकते... इस लिये हमे कुछ नही चाहिये बस एक दो टिपण्णियां मिल जाये गरीब का पेट भरा जायेगा, भगवान आप को सुखी रखे बच्चे जीये
ReplyDeleteek baar mera kaha maan lijiye ... apni awaaz hamen her din dijiye
ReplyDeleteआवाज़ का जादू बरक़रार है!
ReplyDeleteबहुत प्यारी सी ग़ज़ल है उमराव जान की ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया गया है अदा जी । आभार ।
अदा जी , इन दिनों ब्लॉग पढ़ना वगैरह नहीं हो पा रहा है , पर आपकी
ReplyDeleteगीतात्मक प्रविष्टि के लोभ का संवरण कर पाना संभव नहीं हो पाता !
उमराव जान मेरी पसंदीदा फिल्म है , जिसकी आधी सूटिंग जन्म-जनपद
फैजाबाद में हुई है , और यह मेरे पसंदीदा गानों में एक है , धन्यवाद इतने
प्यारे गाने को सुनाने का ! आभार !
वाकई आपकी आवाज में यह गाना सुनने के बाद दिल कोई चीज नहीं है. इतनी सुन्दर और मनमोहक आवाज में एक और खुबसूरत गाना सुना तो दिल खो गया. बहुत खूब गया है. शुक्रिया.
ReplyDeletebehtareen geet...aur apne bahut achchha gaya..
ReplyDeleteshukriya
खुबसूरत गाना सुना तो दिल खो गया. बहुत खूब गया है
ReplyDeleteगीत सुन मन प्रसन्न हुआ.
ReplyDeleteआज भी दिल को छु जाता है
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