मन डोले मेरा तन डोले...
फिल्म: नागिन
संगीतकार : हेमंत कुमार (कहते हैं असल में संगीत दिया था हेमन कुमार के सहायक रवि और कल्याणजी ने)
गीतकार : राजेंद्र कृष्ण
गायिका : लता
फिलहाल 'अदा' (मन डोले मेरा तन डोले मेरे दिल का गया करार रे ये कौन बजाये बांसुरिया ) \- २ मधुर मधुर सपनों में देखी मैने राह नवेली छोड़ चली मैं लाज का पहरा जाने कहाँ अकेली चली रे मैं जाने कहाँ अकेली रस घोले धुन यूँ बोले जैसे ठंडी पड़े फुहार रे ये कौन बजाये बांसुरिया मन डोले मेरा तन डोले ... कदम कदम पर रंग सुनहरा ये किसने बिखराया नागन का मन बस करने ये कौन सपेरा आया न जाने कौन सपेरा आया पग डोले दिल यूँ बोले तेरा होके रहा शिकार रे ये कौन बजाये बांसुरिया मन डोले मेरा तन डोले मेरे दिल का गया करार रे ये कौन बजाये बांसुरिया
कुछ दिनों के लिए व्यस्त हूँ....ऐसे ही कुछ छिट-पुट लिखूंगी....
आशा है आपलोग भूल नहीं जायेंगे....
आभार...
सदाबहार गीत
ReplyDeleteभोर में सुनकर अच्छा लगा
और फिर आपके स्वर का जादू तो है ही
यह सदाबहार गीत सुनकर तो
ReplyDeleteआज भी तन और मन डोल जाता है!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
nice
ReplyDeleteसवेरा सुहाना कर दिया आपने
ReplyDeleteबेहतरीन हमेशा का जवां गीत!
ReplyDeletekabhi nahin bhooleinge ji...
ReplyDeleteaaj kai din baad aapki aawaaz mein ek jaadu bharaa geet sunaa.....
ReplyDelete...............
.........................
....teraa ho ke rahaa shikaar re...
ye kaun bajaaye baansuriyaa......
अर्थपूर्ण संगीत को सम्मान देती पोस्ट /
ReplyDeleteअर्थपूर्ण संगीत को सम्मान देती पोस्ट /
ReplyDeleteअरे अभी दो रोज पहले ही तो मैंने एक सीडी से इस गाने को अपने कम्प्यूटर पर कॉपी किया था और आज आपकी आवाज में भी सुनने के लिये मिल गया ये गाना! बहुत खुशी हुई।
ReplyDelete"कहते हैं असल में संगीत दिया था हेमन कुमार के सहायक रवि और कल्याणजी ने"
हमारी जानकारी के अनुसार धुन तो हेमन्त दा ने ही बनाई थी पर बीन की ध्वनि कल्याणजी ने क्लॉर्नेट बजा कर निकाला था।
.....बहुत बढ़िया,
ReplyDeleteबेहद ही खुबसूरत और मनमोहक...
ReplyDeleteVery very nice!!
ReplyDeleteAur aapko kaise bhool sakta hai koi :)
Yaadein wo kehte hai naa... hamesha sath rehti hain :) aap toh khud itna likh chukke ho yaadon ke baarey mein ;-)
So, everyone will keep visiting your blog no matter you write a little less for few days :)
Regards,
Dimple :)
jab kabhi bhi sunenge geet tere sang sang hum bhi gungunayenge
ReplyDeleteयही गीत जब कोई दूसरा ब्लौगर अपने ब्लौग पर डालता तो वहां कोई मक्खी भी नहीं भिनकती.
ReplyDeleteसुन्दर गीत, मीठी आवाज़.
ReplyDeleteयादें फिर हरी हो गयीं
ReplyDeleteखूबसूरती से गया है आपने ये मुश्किल सा गीत.
ReplyDeleteहम भूल जायेंगे :)
ReplyDeleteऐसा हो नहीं सकता?
@ anynymous:
ReplyDelete--------------
हो सकता है आपकी बात ठीक हो।
उतनी ही संभावना इस बात की भी है कि दूसरे किसी ब्लॉग पर आपका ऐसा कमेंट भी माडरेशन की चक्की में पिस गया होता।
क्या ख्याल है?
@ any mouse....
ReplyDeleteto aap wahaan jaaiye naa.....
jahaan makkhi tak nahin bhinak rahi...
मन झूम गया सुनकर..
ReplyDeleteअनानिमस के कमेन्ट ने दुखी कर दिया था , आपका गाना सुनकर
ReplyDeleteसुख पहुंचा ! बचपन से ही 'कौन बजाये बाँसुरिया' गुनगुनाता रहा हूँ !
आनंद आ गया ! आभार !