Thursday, May 27, 2010

दिखता नहीं है इक परिन्दा भी कहीं पर आस का ....


मेरा दिल है इक जज़ीरा इल्म और अहसास का
रूह लिए बेरंग शक्ल तेरी आरज़ू की प्यास का

दर्द का आसमान कितना ख़ाली ख़ाली लग रहा
दिखता नहीं है इक परिन्दा भी कहीं पर आस का

तुम हमारी ज़िन्दगी में अब आ ही जाओ मेहरबाँ
एक अरसा काट डाला हमने तो बनवास का

ज़िन्दगी सँवरेगी एक दिन घर बनेगा इक नया
जोड़ लेंगे साथ मिलके तिनका-तिनका घास का


24 comments:

  1. ज़िन्दगी सँवरेगी इक दिन घर बनेगा इक नया
    जोड़ लेंगे साथ मिलके तिनका-तिनका घास का
    शायद ज़िन्दगी का फलसफा भी यही है
    बहुत सुन्दर गजल

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  2. एक बार फिर से शानदार ग़ज़ल दी.. अब तो एक किताब निकालने की बनती है..

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  3. जोड़ लेंगे साथ मिलके तिनका-तिनका घास का.. पारस्परिक साहचर्य, जीवन की हर समस्या का समाधान. An awesome composition.

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  4. दीपक की बात पर ध्यान दिजिये..कब से कह रहा हूँ. :)

    बेहतरीन गज़ल!

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  5. परिंदे भी नहीं रहते पराए आशियानों में,
    अपनी तो उम्र गुज़री किराये के मकानों में...

    शेर सिंह के साथ दो-दो हाथ में उलझा होने की वजह से पिछली कुछ पोस्टों पर टिप्पणी के लिए नहीं आ सका...उसके लिए गाना...

    अच्छा कहो, बुरा कहो,
    बुरा कहो, अच्छा कहो,
    बात पे डालो धूल,
    हमसे भूल हो गई,
    हमका माफ़ी देई दो...

    जय हिंद...

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  6. ज़िन्दगी सँवरेगी इक दिन घर बनेगा इक नया
    जोड़ लेंगे साथ मिलके तिनका-तिनका घास का

    बेहतरीन पंक्तियाँ और भाव बहन मंजूषा।

    आशियां बनते हजारों एक नये अरमान से
    पर सुमन का घर जहाँ पर डोर हो विश्वास का

    शुभकामनाएं।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  7. बहुत खूबसूरत जज़्बातों से भरी गज़ल पेश की है आपने आज। आशा बनी रहे तो जीने का मजा कुछ और ही होता है।
    किताब छपवा ही लो अदा जी।
    कहें तो हस्ताक्षर अभियान शुरू करवायें?
    अग्रिम बुकिंग पर कोई डिस्काऊंट हो तो हम भी अपनी प्रति रिज़र्व करवाना चाह्ते हैं :)

    आभारी।

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  8. ज़िन्दगी सँवरेगी इक दिन घर बनेगा इक नया
    जोड़ लेंगे साथ मिलके तिनका-तिनका घास का

    वाह ....लाजवाब ...बहुत खूब लिखा है अदा जी ,,,,सुन्दर ग़ज़ल,,,सुन्दर कल्पना से सजी हुई

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  9. बेहतरीन गज़ल के लिए ढेर सारी बधाई.

    मक्ते का यह शेर तो लाजवाब है..

    ज़िन्दगी सँवरेगी इक दिन घर बनेगा इक नया
    जोड़ लेंगे साथ मिलके तिनका-तिनका घास का

    ..सार्थक सोच से ही जिंदगी संवरती है.

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  10. जी बहुत बढ़िया....
    "ज़िन्दगी सँवरेगी इक दिन घर बनेगा इक नया
    जोड़ लेंगे साथ मिलके तिनका-तिनका घास का"

    एक फलसफा जिंदगी का दिखाती ये रचना.....

    निराशा क्या करेगी भला कहा जायेगी
    जब तुम छोड़ोगे ही नहीं हाथ आस का...

    कुंवर जी,

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  11. सुंदर...उम्मीद पर ही तो दुनिया कायम है

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  12. ज़िन्दगी सँवरेगी इक दिन घर बनेगा इक नया
    जोड़ लेंगे साथ मिलके तिनका-तिनका घास का

    बहुत आशावादी ।
    तिनके जुड़े रहें , यह भी ज़रूरी है ।
    अंडे बड़े सुन्दर हैं । क्या असली हैं ?

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  13. ज़िन्दगी सँवरेगी इक दिन घर बनेगा इक नया
    जोड़ लेंगे साथ मिलके तिनका-तिनका घास का

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  14. जोड़ लेंगे साथ मिलके तिनका-तिनका घास का

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  15. दिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ..........

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  16. ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.

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  17. बहुत सुंदर रचना हमेशा की तरह.
    धन्यवाद

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  18. behtareen rachna hai ada ji !
    par ek sher or hona chahiye shayad.

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  19. har ek sher par wah wah nikalti hai...is se jyada gazel ki umdaygi kya bayaan karu. badhayi.

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  20. ज़िन्दगी सँवरेगी एक दिन घर बनेगा इक नया
    जोड़ लेंगे साथ मिलके तिनका-तिनका घास का
    वाह! बहुत सुन्दर!

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  21. बेहतरीन गज़ल के लिए ढेर सारी बधाई.

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  22. ग़ज़ल तो नहीं है पर बढ़िया रचना है, भवसागर के भाव सँजोए -कुछ पाए - जाने क्या खोए।
    बधाई अच्छी रचना के लिए।

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