Sunday, May 30, 2010

जाईये आप कहाँ जायेंगे...ये नज़र लौट के फिर आएगी...

आजकल गानों से ही काम चलाइये....
इनदिनों इतनी ज्यादा व्यस्त हूँ कि ये भी नहीं बता सकूँगी कि कितनी व्यस्त हूँ ... कमेन्ट भी नहीं कर पा रही हूँ, आपलोग प्लीज बुरा मत मानियेगा...
गाने रिकॉर्ड करने में ज्यादा समय नहीं लगता है इसलिए इसी से काम चला रही हूँ....
बहुत जल्द हाज़िर होऊँगी...अपनी किसी नई कृति के साथ ...फिलहाल इसे ही झेल लीजिये...
आभारी ...
'अदा'


जाईये  आप कहाँ जायेंगे...ये नज़र लौट के फिर आएगी...
आवाज़ 'अदा' की....

16 comments:

  1. 'अदा' की हर अदा निराली है, सुर-संगम की प्याली है,
    गीत में ढली मस्त पुरवाई ,ये कैसी फिज़ा निराली है।

    कोने में सोयी वीणा बोली, क्यूँ कूके कोयलिया काली है,
    आँखमार के तबला बोला, अरे! ये तो गोरे-गालो वाली है ।

    इतना सुन्दर रंग-रूप तो, क्यूँ फोटो फ़िल्मी डाली है,
    मीना के इस प्रतिबिम्ब से ,कुछ खास दिखाने वाली है।

    उनके सुन्दर तन- मन ने , मन की बात चुरा ली है,
    समझ गयी कोई चुरा ना ले, तो फोटो नकली डाली है।

    गीत तो सुनता हूँ सभी, कुछ बेरंग,तो कहीं सुर्ख लाली है,
    एक नज़र में घायल कर दे, वो लय उन अंदाजो वाली है।

    रोज़ मिलता है एक गीत उपहार, वरना जिंदगी खाली है।
    सुनता जाऊं नगमों को , लगे मेरी उदासी थमने वाली है।

    'अदा' की, अदा की तारीफ़ किस अदा से अदा करूँ ,
    'अदा' की अदा, खुद 'अदा' की अदा की, अदा से तारीफ़,अदा करती है।

    ReplyDelete
  2. गाना सुना और फिर वही ...कमेन्ट चिपका दिया ..जब तक दूसरा ना लिख लूँ .. इसे से ही काम चलाना पड़ेगा :(

    ReplyDelete

  3. तो, आजकल व्यस्त हैं..
    इसीलिये गानों से बहलाया जा रहा है ?
    बहुत खूब... बहुत खूब ( एक आपके लचर बहाने के लिये, दूसरा इस खूबसूरत गाने के लिये )
    पर एक चालाकी दिख रही है
    आपका कोई नहीं कोई नहीं मेरे सिवा के रिपीट में
    आपका कोई नहीं कोई नहीं दिल के सिवा कर दिया है, न ?
    अब ? एक गाना मेरी तरफ़ से कुमार जलजला को डेडीकेट कर दें, प्लीज़ !
    ’ये है रेशमी ज़ुल्फ़ों का अँधेरा’ कैसा रहेगा ?

    ReplyDelete
  4. मेरे नए ब्‍लोग पर मेरी नई कविता शरीर के उभार पर तेरी आंख http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/05/blog-post_30.html और पोस्‍ट पर दीजिए मिस सर, अपनी प्रतिक्रिया।

    ReplyDelete
  5. बहुत कलाओं की स्वामिनी हो मंजूषा बहन। बहुत अच्छा लगा सुनकर। शुभकामनाएं।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

    ReplyDelete
  6. बताया तो था व्यस्तता के बारे में ....यहाँ बिना व्यस्तता भी कुछ ज्यादा पढ़ा लिखा नही जा पा रहा है ...वैसे व्यस्त कहलाये जाने वाले लोग फेसबुक और ट्विटर पर नज आ रहे हैं ...क्या आप भी ...?
    मैं नहीं जा पा रही हूँ वहां ...समय ही नहीं मिल रहा ...!!

    ReplyDelete
  7. अरे वाह जी बहुत सुंदर जबाब नही

    धन्यवाद

    ReplyDelete
  8. सुन कर आनन्द आया.

    ReplyDelete
  9. सादर !
    आपने तो ! कमाल कर दिया | हाँ नहीं तो |
    रत्नेश त्रिपाठी

    ReplyDelete
  10. एकबार फिर से आँख बंद कर सुनने पर मजबूर कर दिया....

    ReplyDelete
  11. behad karnpriy aur rajendra ji ki tippani bhai waah...

    ReplyDelete
  12. आपकी व्यस्तता की संगीतमय परिणति झेलाऊ नहीं है !
    ''नई कृति'' की प्रतीक्षा है ! आभार !

    ReplyDelete
  13. झेल रहे हैं जी, और झेलेंगे। वैसे और चारा भी क्या है?

    आभार।

    ReplyDelete
  14. mujhe bahut pasand hai ye geet ..shukriya sunane ke liye

    ReplyDelete
  15. यही तो है कॉन्फिडेंस की अदा...

    जय हिंद...

    ReplyDelete