Saturday, May 22, 2010

भगजोगनी .....


जुल्फें सियाह खोल दूँ मौसम हो बिजलियों के 
देखूं तेरी तकदीर में हैं साए कितने रकीबों के 

मेरा देर से आना और तेरे रुख़ की वो शिकन
फिर खुलेगा दफ़्तर वही हज़ार शिकायतों के

तुम्हें जाँ बना लिया मगर अभी सोचना होगा मुझे 
मेरी तक़दीर में हो जाने कितने अज़ाब क़यामतों के 

आँखे तो बस पत्थर हुई तेरा इंतज़ार लिपट गया  
थिरक उठे हसीं लम्हें ज्यूँ हुज़ूम हो जुगनुओं के 


रिमझिम गिरे सावन ...आवाज़ 'अदा' की...

22 comments:

  1. लाजवाब कर दिया आपने...
    अभी एक मित्र की दिलजलों वाली सैडी कविता पढ़ी...मन भारी हो गया था...ऐसे ही कुछ फुहारों की दरकार थी...सो आपने पूरी कर दी...शुक्रिया

    आलोक साहिल

    ReplyDelete
  2. तुम्हें जाँ बना लिया मगर अभी सोचना होगा मुझे
    मेरी तक़दीर में हो जाने कितने अज़ाब क़यामतों के ...
    तकदीर की डोर अनजानी ...
    जाने क्या हो कहानी ....

    आँखे तो बस पत्थर हुई तेरा इंतज़ार लिपट गया
    थिरक उठे हसीं लम्हें ज्यूँ हुज़ूम हो जुगनुओं के ...
    पत्थर हुई आँखों में जुगनुओं के हुजूम ...उकेरे गए होंगे दर्द की लकीरों से ...

    ReplyDelete
  3. मेरा देर से आना औ तेरे रुख़ की वो उलझी शिकन
    फिर खुलेगा दफ़्तर वही हज़ार शिकायतों के

    -बहुत सुन्दर!

    ReplyDelete
  4. न झटको ज़ुल्फ से पानी,
    ये मोती छूट जाएंगे,
    तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा,
    मगर कई दिल टूट जाएंगे...

    बारिश का मेरा सबसे पसंदीदा गीत सुनवाने के लिए शुक्रिया...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  5. hnm...

    daftar "KHULENGE" aaj fir kitni shikaayton ke...



    mahfil mein kaise kah dein kisi se...

    dil bandh rahaa hai ik ajnabi se...

    ReplyDelete
  6. bhagjogni...
    shabd kaa arth shaayad ham sahi se nahin jaante..

    bataaiyegaa....

    ReplyDelete
  7. तुम्हें जाँ बना लिया मगर अभी सोचना होगा मुझे
    मेरी तक़दीर में हो जाने कितने अज़ाब क़यामतों के


    लाजवाब पंक्ति .......पूर्ण रचना बहुत बेहतरीन

    ReplyDelete
  8. भीषण गर्मी के मौसम में आपका सावन का गीत सुनकर ठंडक सी पड़ गई अदा जी ।
    बहुत सुन्दर ।

    ReplyDelete
  9. bahut hi sundar rachna....
    waah kya baat hai...
    regards..
    aur haan meri kavitaon ko bhi aapki pratikriya ka intzaar hai.......

    ReplyDelete
  10. nayi jaankaari dene ke liye aapkaa hraday se aabhaar...

    ReplyDelete
  11. मीठी आवाज़ से सजा सुन्दर गीत. आभार.

    ReplyDelete
  12. बहुत लाजवाब, शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  13. मेरा देर से आना औ तेरे रुख़ की वो उलझी शिकन
    फिर खुलेगा दफ़्तर वही हज़ार शिकायतों के

    बहुत सुन्दर भाव लिए हुए शानदार रचना!

    ReplyDelete
  14. उम्दा ........बेहद उम्दा !!

    ReplyDelete
  15. "फिर खुलेगा दफ़्तर वही हज़ार शिकायतों के"
    Khoobsurat!
    And U sing very well :)

    Regards,
    Dimple

    ReplyDelete