By Margherita Stancati
The horrific gang rape and death of a young woman in Delhi in December has changed the perception many foreigners have of India.
Questions like: “Is India safe?” and “Is it OK for women to travel by themselves?” have become a lot more common among foreigners thinking of traveling in India.
Women’s safety has become a major worry, so much so that tourist numbers have taken a hit. In the roughly three months since the Delhi rape case made headlines around the world, the number of foreign tourists in the country dropped 25% from the same period a year earlier, according to a new survey released by the Associated Chambers of Commerce and Industry of India, a trade body.
The number of foreign women travelers has dropped even more: down 35% year-on-year.
The study, which is based on a survey of 1,200 tour operators, cites the growing perception that India is not safe for women as a key reason for the drop.
Around 72% of the tour operators surveyed said that some women travelers – most of them from Western countries including the U.S., U.K. and Canada – have canceled their bookings over the past three months. The study found that New Delhi suffered more than any other tourist destination in India.
A recent poll by The Wall Street Journal found that over 76% of respondents believe India is not safe for women travelers.
The brutal Delhi gang rape in December triggered protests calling for improved women’s safety in India, and made the issue a public policy priority. Last month, the Indian Parliament passed a bill aimed at strengthening sexual assault legislation, with tougher penalties for offences including rape and stalking.
Foreign women have also been victims of sexual harassment and assault in recent months. In mid-March, a Swiss woman said she was gang-raped while camping with her husband near Orchha, an emerging tourist destination in the central Indian state of Madhya Pradesh.
More recently, a British woman said she jumped from the balcony of her room to escape sexual harassment from the hotel manager standing outside her door. She was staying in Agra, a city that is home of India’s most famous tourist destination: the Taj Mahal.
The ASSOCHAM study found that, combined, these three incidents had a significant impact in dissuading foreigners, especially women, from traveling to India.
Recent episodes of sexual harassment have prompted the U.K. to update its travel advice for British citizens in India, prioritizing warnings on women’s safety. Other governments, including the U.S., have similar travel advisories for India.
Tourism is a growing industry in India. In 2012, 6.6 million foreign tourists traveled to India, up 5.4% from a year earlier, with foreign exchange earnings totaling $17.74 billion, according to government data. The busiest months for tourism are November through March.
ये लेख मौजूदा सन्दर्भ की त्वरित प्रतिक्रिया होने के कारण प्रूर्वाग्रह से ग्रसित है. अपराध किसी देश विशेष तक सीमित नहीं है. अमेरिका के बच्चे / व्यसक लोग भी साल में कई बार ड्रग्स ले कर खुले आम मशीन गन से कत्लेआम करते रहते है. इसका मतलब यह नहीं की लोग वहां आना जाना छोड़ दे. अकेला व्यक्ति/औरत सामान्य आदमी से सोच और हिम्मत , दोनों में बेहतर ही होता है. इसके बावजूद अगर कोई कही न आना चाहे तो वो उसके लिए स्वतंत्र तो है ही .... लेख से तो हम सहमत नहीं है…
ReplyDeleteमज़ाल साहेब,
Deleteये त्वरित प्रतिक्रिया हो सकती है, लेकिन सच्चाई तो है ही, ये घटनाएँ घटीं ही हैं। जब अंतर्राष्ट्रीय पटल पर ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा जैसे देश, अपनी ट्रावेल अडवाईसरी में ये ज़िक्र करते हैं कि भारत में महलाओं को खतरा है तो सोचना पड़ता है कि भारत की छवि बाहर कैसी है।
क्या भारत अपनी ट्रावेल अडवाईसरी में ये लिख सकता है कि अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जाने वालों को ख़तरा है ? और क्या अगर किसी भारतीय को अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन जाने का मौका मिले, तो वो इस एक कारण की वजह से अपना अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जाना स्थगित करेगा ???
हम इसे नकारात्मक नज़रिया ही कहेंगे।जिंदगी को मौत से ज्यादा कभी हासिल नहीं हुआ ये शास्वत सत्य है.इसका ये मतलब नहीं,की इंसान पैदा होने से ही इनकार कर दे. न ये की वो सोचे की मरना तो है ही, तो आज ही मर जाऊं .... ये उसका नज़रिया है।हमारे अनुभव से इस तरह की सोच से कुछ हासिल नहीं हो सकता ... मौत अपना काम खुद कर लेगी , हम तो जिंदगी की ही फिक्र करेंगे .. सबको सलाह भी यहीं देंगें … बाकी सबकी अपनी अपनी मर्ज़ी ...
Deleteख़ैर, अपनी-अपनी सोच अपना-अपना ख़याल। आप इसे मेरी बुजदिली कह सकते हैं मैं भी पाक़िस्तान, अफ़गानिस्तान, ईराक, फ़िलिस्तीन से दूर रहूंगी, क्योंकि हो सकता है वो सारे देश उतने बुरे न हों जितना मैं सोचती हूँ या मैंने उनके बारे में सुना है, फिर भी न मैं वहां जाना पसंद करुँगी न ही अपने किसी प्रियजन को जाने दूंगी । बद से बदनाम बुरा ! भारत का अब यही हाल हो रहा है।
Deleteक्या संयोग है , सुबह से ही गाने की एक लाइन दिमाग में गूँज रही है..."दुनिया करे सवाल तो हम क्या जबाब दें "{FB पे शेयर भी किया )आगे की पंक्तियाँ जो हों, ये पंक्ति तो सामयिक ही है .
ReplyDeleteभारत की छवि धूमिल तो हुई है, इसमें कोई संदेह नहीं
धूमिल की बात अगर हम करें तो अब जिसे देखो वही, यहाँ मुझसे, मेरे बच्चों से यही सवाल पूछ रहा है, क्या सचमुच लडकियाँ भारत में इतनी असुरक्षित हैं ? और हमलोग जहाँ तक हो सके उनको अच्छी बात बताने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे हमेशा करते हैं।
Deleteकल तो मेरी एक भारतीय से ज़बरदस्त बहस भी हो गयी, जो चौदह साल से भारत नहीं गए हैं, उनको समझाते-समझाते हालत पतली हो गई मेरी :)
मेरे दिमाग में तो यह गाना गूँज रहा था...."देखो दीवानों तुम यह काम ना करो,राम का नाम बदनाम ना करो"
ReplyDeleteसच्चाई हो सकती है... लेकिन काश बचा जा सकता....
असहमति को लेकर संयत न रहने पर क्षमा चाहता हूं:(
मेरे दिमाग में तो यह गाना गूँज रहा था....'आप यहाँ आये किस लिए, आये हैं तो पोस्ट पर कमेन्ट कीजिये, खाली-पीली राम को न लाइए।
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