Sunday, April 7, 2013

वो तेरे घर को आग लगा, कर ही जायेंगे ....

मधुबाला जी की रंगीन तस्वीर मैंने शायद देखी नहीं थी, यह तस्वीर रश्मि रविजा के सौजन्य से प्राप्त हुई है, मेनी थैंक्स रश्मि :):) ..खूबसूरती  का शाहकार 'मधुबाला'  


जाना है तो जा, अब तुझे न हम मनाएँगे
मुग़ालता ये छोड़ दे, के सर झुकायेंगे

इतना न कर गुरूर, तूने इश्क़ किया है
हम भी वफ़ा के दाँव-पेंच, भूल जायेंगे


ख़ेमे उखड़ गए हैं, मुसाफ़िर भी चल दिए
सोचेंगे हम कैसे, और किस ओर जायेंगे

न हमकदम यहाँ कोई, न हमज़ुबाँ यहाँ 
इस शहरे-बे-शऊर को, कब शऊर आयेंगे ??

रह जाओगे तुम खड़े, साहिल के आस-पास 
सब मोतियों से झोली भर, घर लेके जायेंगे

क्यूँ क़ैद से छुड़ा दिया है, उन असीरों को 
वो तेरे घर को आग लगा, भाग जायेंगे


तबियत से उछाल 'अदा', पत्थर हवा में 
शफ़क़ में वो सुराख़ लगा, लौट आयेंगे


मुग़ालता - भ्रम 
शफ़क़ - क्षितिज 
असीरों - क़ैदी 

वादियाँ मेरा दामन आवाज़ 'अदा' की  

20 comments:

  1. मधुबाला की तसवीर जैसी ही सुन्‍दर गजल।

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  2. बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल,मधुबाला जी का ये फोटो तो देखा ही नही था.

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    1. मैंने भी नहीं देखा था राजेंद्र जी।

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  3. कितनी प्यारी आवाज़ है सपना तुम्हारी :) - बिईईयुटीईईफुललल्ल

    yah post bhi dekhna - madhubala ji kee ek sketch hai - bachpan me banaai thee -

    http://shilpamehta1.blogspot.in/2012/02/february-14.html

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    1. बेशक! अगर ब्लॉग जगत के पुरस्कारीलाल हम होते तो स्वर-सम्राट/साम्राज्ञी/सर्व-शक्तिमान का पुरस्कार कब का दे डालते।

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    2. आपने इतना कुछ कह दिया, मुझे मेरा पुरस्कार मिल गया अनुराग जी !

      बस सम्राट/सम्राज्ञी/सर्वशक्तिमान ई सब तमगा, ज़रा भारी-भरकम, लम्बा-चौड़ा है। छोटे कद-काठी के इंसान हैं हम, उठाने में पिरोब्लेम होगा, ऊ सब आप ही रख लीजिये।

      अब तो स्माईली लगाने से भी कतराते हैं, कौन जाने का माने निकले।

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    3. :) अरे सब अपने ही लोग हैं, कीप स्माइलिंग!

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    4. क्या यार सपना।। स्माइल नही करोगी तो हमे लगेगा नाराज़ हो।

      :)

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  4. तबियत से 'अदा' पत्थर, उछाल हवा में
    शफ़क़ में वो सुराख़ लगा, लौट आयेंगे

    wowww क्या बात है...बस तबियत से पत्थर उछालना जरूरी है ,शफ़क़ में सुराख तो होना ही है.

    बहुत बेहतरीन ग़ज़ल बन पड़ी है...और इतनी इतनी सी बात के लिए थैंक्स न कहा करो ,बाबा.. वरना हम भी हिसाब रखना शुरू कर देंगे , तुम्हे थैंक्स कहने का :)
    अब गाना सुनने जा रहे हैं...हमेशा की तरह मूड फ्रेश हो जाएगा , तुम्हारी आवाज़ में ये गीत सुनकर

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    1. अरे रश्मि,

      पत्थर तो हमने अर्श पर ही उछाला था,
      लोग पत्थर लिए मेरे पीछे पड़ गए :)

      हाँ यार सुन ले गाना, वैसे वाकई मूड फ्रेश हो जाता है, इन गानों से।
      और थैंक्स का ये है कि अब नहीं कहेंगे, बहुत टाईप करना पड़ता है :)

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  5. आप तो इस समय अपनी रचनात्मकता के उत्स/उरूज पर हैं -क्या बात है! दिलकश !
    और यह तो लाजवाब है -
    रह जाओगे तुम खड़े, साहिल के पास ही
    सब मोतियों से झोली भर, घर लेके जायेंगे
    क्या करें बाबा डर लगता है - कहीं इतने गहरे चले गए कि लौट न पाए तो ? ? :-)

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    1. अच्छा हुआ कि खुद को आपने थाम लिया हुज़ूर
      गहरे उतर गए तो कभी लौट न पायेंगे :):)

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  6. आज की ब्लॉग बुलेटिन समाजवाद और कांग्रेस के बीच झूलता हमारा जनतंत्र... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  7. वाह बेहतरीन गजल
    प्रेम का अपना ही अलग अंदाज
    सुंदर कल्पना गहन अनुभूति
    बधाई

    http://jyoti-khare.blogspot.in/-------में
    सम्मलित हों "समर्थक"बनें
    आभार

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  8. आपकी आवाज बहुत अच्छी है। अगर आप हर पोस्ट में ऐसा ही कुछ शामिल करें तो यहाँ आना और भी खूबसूरत अनुभव हो जाएगा।

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    1. गाने लगाने का मेरा ये चलन बहुत पुराना है :)
      नए पाठक आते हैं तो फिर से लगा देती हूँ, मुझे भी अच्छा लगता है जब पाठकों को गायन पसंद आता है। बिलकुल लगाती रहूंगी गाने :)

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