मधुबाला जी की रंगीन तस्वीर मैंने शायद देखी नहीं थी, यह तस्वीर रश्मि रविजा के सौजन्य से प्राप्त हुई है, मेनी थैंक्स रश्मि :):) ..खूबसूरती का शाहकार 'मधुबाला' |
जाना है तो जा, अब तुझे न हम मनाएँगे
मुग़ालता ये छोड़ दे, के सर झुकायेंगे
इतना न कर गुरूर, तूने इश्क़ किया है
हम भी वफ़ा के दाँव-पेंच, भूल जायेंगे
ख़ेमे उखड़ गए हैं, मुसाफ़िर भी चल दिए
सोचेंगे हम कैसे, और किस ओर जायेंगेन हमकदम यहाँ कोई, न हमज़ुबाँ यहाँ
इस शहरे-बे-शऊर को, कब शऊर आयेंगे ??
रह जाओगे तुम खड़े, साहिल के आस-पास
सब मोतियों से झोली भर, घर लेके जायेंगे
क्यूँ क़ैद से छुड़ा दिया है, उन असीरों को
वो तेरे घर को आग लगा, भाग जायेंगे
तबियत से उछाल 'अदा', पत्थर हवा में
शफ़क़ में वो सुराख़ लगा, लौट आयेंगे
मुग़ालता - भ्रम
शफ़क़ - क्षितिज
असीरों - क़ैदी
वादियाँ मेरा दामन आवाज़ 'अदा' की
मधुबाला की तसवीर जैसी ही सुन्दर गजल।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद !
Deleteबहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल,मधुबाला जी का ये फोटो तो देखा ही नही था.
ReplyDeleteमैंने भी नहीं देखा था राजेंद्र जी।
Deleteकितनी प्यारी आवाज़ है सपना तुम्हारी :) - बिईईयुटीईईफुललल्ल
ReplyDeleteyah post bhi dekhna - madhubala ji kee ek sketch hai - bachpan me banaai thee -
http://shilpamehta1.blogspot.in/2012/02/february-14.html
शुक्रिया शिल्पा !
Deleteबेशक! अगर ब्लॉग जगत के पुरस्कारीलाल हम होते तो स्वर-सम्राट/साम्राज्ञी/सर्व-शक्तिमान का पुरस्कार कब का दे डालते।
Deleteआपने इतना कुछ कह दिया, मुझे मेरा पुरस्कार मिल गया अनुराग जी !
Deleteबस सम्राट/सम्राज्ञी/सर्वशक्तिमान ई सब तमगा, ज़रा भारी-भरकम, लम्बा-चौड़ा है। छोटे कद-काठी के इंसान हैं हम, उठाने में पिरोब्लेम होगा, ऊ सब आप ही रख लीजिये।
अब तो स्माईली लगाने से भी कतराते हैं, कौन जाने का माने निकले।
:) अरे सब अपने ही लोग हैं, कीप स्माइलिंग!
Deleteक्या यार सपना।। स्माइल नही करोगी तो हमे लगेगा नाराज़ हो।
Delete:)
तबियत से 'अदा' पत्थर, उछाल हवा में
ReplyDeleteशफ़क़ में वो सुराख़ लगा, लौट आयेंगे
wowww क्या बात है...बस तबियत से पत्थर उछालना जरूरी है ,शफ़क़ में सुराख तो होना ही है.
बहुत बेहतरीन ग़ज़ल बन पड़ी है...और इतनी इतनी सी बात के लिए थैंक्स न कहा करो ,बाबा.. वरना हम भी हिसाब रखना शुरू कर देंगे , तुम्हे थैंक्स कहने का :)
अब गाना सुनने जा रहे हैं...हमेशा की तरह मूड फ्रेश हो जाएगा , तुम्हारी आवाज़ में ये गीत सुनकर
अरे रश्मि,
Deleteपत्थर तो हमने अर्श पर ही उछाला था,
लोग पत्थर लिए मेरे पीछे पड़ गए :)
हाँ यार सुन ले गाना, वैसे वाकई मूड फ्रेश हो जाता है, इन गानों से।
और थैंक्स का ये है कि अब नहीं कहेंगे, बहुत टाईप करना पड़ता है :)
आप तो इस समय अपनी रचनात्मकता के उत्स/उरूज पर हैं -क्या बात है! दिलकश !
ReplyDeleteऔर यह तो लाजवाब है -
रह जाओगे तुम खड़े, साहिल के पास ही
सब मोतियों से झोली भर, घर लेके जायेंगे
क्या करें बाबा डर लगता है - कहीं इतने गहरे चले गए कि लौट न पाए तो ? ? :-)
अच्छा हुआ कि खुद को आपने थाम लिया हुज़ूर
Deleteगहरे उतर गए तो कभी लौट न पायेंगे :):)
आज की ब्लॉग बुलेटिन समाजवाद और कांग्रेस के बीच झूलता हमारा जनतंत्र... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद !
Deleteवाह बेहतरीन गजल
ReplyDeleteप्रेम का अपना ही अलग अंदाज
सुंदर कल्पना गहन अनुभूति
बधाई
http://jyoti-khare.blogspot.in/-------में
सम्मलित हों "समर्थक"बनें
आभार
आपका आभार !
Deleteआपकी आवाज बहुत अच्छी है। अगर आप हर पोस्ट में ऐसा ही कुछ शामिल करें तो यहाँ आना और भी खूबसूरत अनुभव हो जाएगा।
ReplyDeleteगाने लगाने का मेरा ये चलन बहुत पुराना है :)
Deleteनए पाठक आते हैं तो फिर से लगा देती हूँ, मुझे भी अच्छा लगता है जब पाठकों को गायन पसंद आता है। बिलकुल लगाती रहूंगी गाने :)