संताः यार सच्चे दोस्त कौन होते हैं
बंताः सच्चे दोस्त वो होते हैं जो मुश्किल वक्त में भी तुम्हारे साथ खड़े रहे
संताः अब ये कैसे पता चले की कौन साथ है
बंताः अपनी शादी की एलबम देख लो, जो उस सबसे मुश्किल वक्त में भी तुम्हारे साथ खड़े हैं वो ही तुम्हारे सच्चे दोस्त हैं।
ये तो हुआ एक लतीफ़ा। लेकिन सचमुच एक अच्छा और सच्चा दोस्त कौन होता है ? मैं अगर अपनी बात कहूँ तो मैंने ज़िन्दगी में और कुछ कमाया या नहीं कमाया, बहुत अच्छी और सच्ची दोस्ती ज़रूर कमाई है। कम ही दोस्त हैं मेरे, लेकिन जो भी हैं, मुझे उनपर गर्व है। मेरी ज़िन्दगी में उनकी जो अहमियत है, वो किसी भी दूसरे रिश्ते से बहुत ऊपर है। वो मेरे हमराज़ हैं। मेरी बहुत सारी ख़ामियों से वो वाकिफ़ हैं। लेकिन वो मुझे, मेरी उन कमियों के साथ ही बहुत प्यार करते हैं। उन्होंने मुझे मेरी कमियों के कारण कभी नीचा नहीं दिखाया है, बल्कि उन्होंने मेरी ग़ैरहाज़िरी में भी मेरा साथ दिया है। वो उस वक्त मेरे साथ खड़े हो जाते हैं, जब मुझे उनकी सबसे ज़्यादा ज़रुरत होती है। वो उस वक़्त भी आकर खड़े हो जाते हैं, जब एक-एक कर सभी मेरा साथ छोड़ देते हैं। वो उस वक़्त भी मेरे साथ खड़े हो जाते हैं, जब उनके पास वक़्त भी नहीं होता। मेरे दोस्त मेरी कमियों को सिर्फ मुझसे ही कहते हैं, सबके सामने नहीं कहते हैं। उनको मेरी प्रतिष्ठा की रक्षा का पूरा भान रहता है।
कहते हैं जब आप सफल होते हैं, तब आपके दोस्तों को ये पता चलता है, कि आप कौन हैं, लेकिन जब आप असफल होते हैं, तो आपको पता चलता है कि आपके दोस्त कौन हैं ?
दो मित्रों के बीच बहुत ज्यादा स्पष्टवादिता हो, बातों में खुलापन होना बहुत ज़रूरी है। घुमा-फिर कर बात करना, बातों को छुपाना मित्रता की नींव को कमज़ोर करता है।
संदेह, पूर्वाग्रह और आजमाईश दोस्ती के लिए दीमक का काम करते हैं।
मित्रों की सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहना, उनका सुख अपना हो कि न हो, उनका दुःख तो अपनाना ही चाहिए।
बंताः सच्चे दोस्त वो होते हैं जो मुश्किल वक्त में भी तुम्हारे साथ खड़े रहे
संताः अब ये कैसे पता चले की कौन साथ है
बंताः अपनी शादी की एलबम देख लो, जो उस सबसे मुश्किल वक्त में भी तुम्हारे साथ खड़े हैं वो ही तुम्हारे सच्चे दोस्त हैं।
ये तो हुआ एक लतीफ़ा। लेकिन सचमुच एक अच्छा और सच्चा दोस्त कौन होता है ? मैं अगर अपनी बात कहूँ तो मैंने ज़िन्दगी में और कुछ कमाया या नहीं कमाया, बहुत अच्छी और सच्ची दोस्ती ज़रूर कमाई है। कम ही दोस्त हैं मेरे, लेकिन जो भी हैं, मुझे उनपर गर्व है। मेरी ज़िन्दगी में उनकी जो अहमियत है, वो किसी भी दूसरे रिश्ते से बहुत ऊपर है। वो मेरे हमराज़ हैं। मेरी बहुत सारी ख़ामियों से वो वाकिफ़ हैं। लेकिन वो मुझे, मेरी उन कमियों के साथ ही बहुत प्यार करते हैं। उन्होंने मुझे मेरी कमियों के कारण कभी नीचा नहीं दिखाया है, बल्कि उन्होंने मेरी ग़ैरहाज़िरी में भी मेरा साथ दिया है। वो उस वक्त मेरे साथ खड़े हो जाते हैं, जब मुझे उनकी सबसे ज़्यादा ज़रुरत होती है। वो उस वक़्त भी आकर खड़े हो जाते हैं, जब एक-एक कर सभी मेरा साथ छोड़ देते हैं। वो उस वक़्त भी मेरे साथ खड़े हो जाते हैं, जब उनके पास वक़्त भी नहीं होता। मेरे दोस्त मेरी कमियों को सिर्फ मुझसे ही कहते हैं, सबके सामने नहीं कहते हैं। उनको मेरी प्रतिष्ठा की रक्षा का पूरा भान रहता है।
कहते हैं जब आप सफल होते हैं, तब आपके दोस्तों को ये पता चलता है, कि आप कौन हैं, लेकिन जब आप असफल होते हैं, तो आपको पता चलता है कि आपके दोस्त कौन हैं ?
धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी
आपात काले परखिये चारी
यह उक्ति किसी भी काल, परिवेश और सन्दर्भ में हर उस शय के लिए सही है, जिसका ज़िक्र यहाँ किया गया है, उनमें दोस्त भी हैं। आपके सच्चे मित्र कौन हैं, इसकी पहचान आपको तब और ज़्यादा होती है, जब आप सचमुच किसी समस्या में आ जाते हैं।
रहिमन विपदा हो भली जो थोड़े दिन होए
हित अनहित जगत में जान पड़त सब कोई
मैंने अपने दोस्तों को कभी कुछ भी नहीं दिया है, मैंने सिर्फ उन्हें बहुत अच्छा वक्त दिया है। उस अच्छे वक्त को हमसब मिलकर हमेशा याद करते हैं और बहुत खुश होते हैं। कहते हैं सच्चा प्रेम मिलना कठिन है, लेकिन सच्चा दोस्त मिलना उससे भी ज्यादा मुश्किल।
एक अच्छे दोस्त की तलाश मनुष्य सारी उम्र करता है। क्या है इस 'दोस्ती' नामक रिश्ते का मनोविज्ञान ? आखिर हम क्या ढूंढते हैं अपने मित्र के अन्दर ? हज़ारों शख्स हमारी ज़िन्दगी में आते हैं और बिना कोई छाप छोड़े चले जाते हैं, लेकिन कोई एक चेहरा ऐसा होता है, जो बिलकुल अपना सा लग जाता है। कोई हमेशा के लिए हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाता है। आखिर ऐसा क्यूँ हो जाता है भला ? हम उसे ही अपना मित्र समझते हैं, जो हमें समझता है। जिससे मिलकर या बात करके हमें, अपने होने का अहसास होता है। जो सच्चा दोस्त होता है, अगर वो सामने न भी हो तो उसकी कमी नहीं खलती है, लगता है वो साथ न होकर भी साथ है। बिना एक शब्द बात किये हुए भी उससे हम सबकुछ कह सकते हैं, और वो सबकुछ समझ जाता है। 'सहानुभूति' एक शब्द है, मेरे ख़याल से सह+अनुभूति इसका अर्थ होना चाहिए, अर्थात जो अनुभूति आपको होती है, वही अनुभूति अगर आपके मित्र को भी हो रही है, तो वो निःसंदेह आपका सच्चा मित्र है। आपका दोस्त आपका आईना होना चाहिए, उसमें आप बिलकुल वैसे ही नज़र आयें जैसे आप हैं। अपनी कमियों और खूबियों को आप अपने दोस्त के सामने खुल कर उजागर कर सकते हैं। और दोस्त ऐसा हो जो जजमेंटल ना बने। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता होता है, जो निस्वार्थ भाव से आपके साथ जुड़ा रहता है, चाहे दुनिया उलट-पलट जाए। दोस्ती में कोई 'इफ्स एंड बट्स' नहीं होती। संसार की सारी मुसीबतें आपके सर पर टूट पड़ें, एक-एक कर सभी आपका साथ छोड़ दें, लेकिन जो आपका अपना है, जो सचमुच आपका दोस्त है, आपको किसी भी हाल में छोड़ कर नहीं जा सकता।
दोस्ती के कुछ अलिखित नियम होते हैं, जिनको अगर आप समझ जाते हैं तो आप एक सच्चे मित्र बन सकते हैं और आप एक सच्चा मित्र पा सकते हैं। कोई भी दो व्यक्ति एक जैसा नहीं सोचते, न ही उनकी भावनाएं एक सामान हो सकतीं हैं। लेकिन यदि उन्हीं दो व्यक्तियों के बीच मित्रता का सम्बन्ध होता है, तो ये अपेक्षित है कि दोनों मित्र एक दूसरे को इतनी शिद्दत से समझे, इतनी गहराई से महसूस करें, कि विचारों में भिन्नता होने के बावजूद भी, एकदूसरे के विचारों और भावनाओं का वो सम्मान करें। उनके अपने-अपने विचारों और भावनाओं का असर दोस्ती पर न पड़े।
दो मित्रों के बीच बहुत ज्यादा स्पष्टवादिता हो, बातों में खुलापन होना बहुत ज़रूरी है। घुमा-फिर कर बात करना, बातों को छुपाना मित्रता की नींव को कमज़ोर करता है।
संदेह, पूर्वाग्रह और आजमाईश दोस्ती के लिए दीमक का काम करते हैं।
मित्रों की सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहना, उनका सुख अपना हो कि न हो, उनका दुःख तो अपनाना ही चाहिए।
एक सच्चे मित्र का प्यार भरा हाथ अगर आपके सर पर है तो वो हाथ दुनिया की हर मुसीबत से लड़ने की ताक़त देता है। प्यार से भरा ये रिश्ता आपको ऊर्जावान बनाता है। दोस्त वही है, जो जरुरत के वक्त काम आए, जिसके आने से आपकी खुशी दोगुनी हो जाएँ और दुःख आधे।
कहते हैं, दोस्ती जिंदादिली का नाम है। जब आपका सच्चा दोस्त आपके सामने आये तो आप खुद को और सबल महसूस करें। यह एक ऐसा रिश्ता है जिसे सिर्फ दिल से ही जिया जाता है। इसमें औपचारिकता, अहंकार व प्रदर्शन नहीं बल्कि सामंजस्य व आपसी समझ काम आती है। सामंजस्य, समर्पण, समझ और सहनशीलता एक अच्छे दोस्त और दोस्ती की पहचान होती है। दोस्ती में कोई अमीरी-गरीबी या ऊँच-नीच नहीं होती। इसमें केवल भावनाएँ होती हैं, जो दो अनजान लोगों को जोड़ती हैं। अगर आपको एक सच्चा दोस्त मिल गया है, तो आपका सच्चा दोस्त आपकी जिंदगी बदल सकता है। वह आपको बुराईयों के कीचड़ से निकालकर अच्छाइयों की ओर ले जाएगा। हमेशा आपकी झूठी तारीफ करने वाला और चापलूसी करने वाला आपका सच्चा दोस्त नहीं है।
सच्चा दोस्त वही है जो आपकी गलतियों पर पर्दा डालने के बजाय निष्पक्ष रूप से अपना पक्ष, आपके सामने प्रस्तुत करे। आपको आपकी बुराईयों से अवगत कराए, लेकिन दूसरों के सामने आपका सम्मान बचा कर रखे। वो आपको सही और सच्ची बात बताये, इसके लिए बेशक़ वो कुछ कडवे बोल, बोल जाए। उसके कुछ कड़वे वचन यदि आपकी जिंदगी को बदल देते हैं तो समझिए कि वही आपका सच्चा दोस्त है फिर ऐसे दोस्त को छोड़ना सबसे बड़ी मूर्खता होगी।
अजनबी तुम जाने पहचाने से लगते हो ...
मेरे दोस्त मेरी कमियों को सिर्फ मुझसे ही कहते हैं, सबके सामने नहीं कहते हैं...............ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे।
ReplyDeleteहा हा हा ...
Deleteये हम पर भी लागू होता है, हम भी नहीं बताते :)
मालूम है मेरे दोस्त वो हैं जिनके साथ में के . जी . में पढ़ती थी, आज तक हम दोस्त हैं । एक दोस्त ऐसा भी है मेरा जो मेरे पैदा होने से पहले से दोस्त है, मुझसे छ: महीने बड़ा है। पडोसी था हमारा परिवार, आज तक हमारी उतनी ही दोस्ती है जितनी बचपन में थी। मुझे मेरे दोस्त बहुत प्यारे हैं।
हर एक फ्रैंड ज़रूरी होता है...
ReplyDeleteडीयू में बेटा पढ़ता है...एक दिन वहां का फंडा बता रहा था- दोस्तों को नाराज़ करने की गुस्ताख़ी कभी मत करो, क्योंकि ये 'कमीने' आप का हर राज़् जानते हैं...
जय हिंद...
खुशदीप जी,
Deleteबच्चों के अपने ही फंडे होते हैं।
एकदम सही लिखा है, जो इन अलिखित नियमों पर पूरा उतर पाये उसीको दोस्त माना जाना चाहिये।
ReplyDeleteऔरों को कभी जाँचा नहीं, अपना मालूम है कि इन मापदंडों पर पूरा नहीं उतर सकते इसलिये जिंदगी को रेल का सफ़र मानकर गुजार देते हैं। सामने वाले का स्टेशन पहले आया, वो उतर गया और अपना स्टेशन पहले आ गया तो हम उतर गये।
ज़िन्दगी गुज़ार देते हैं का माने का हुआ ?? अभी तो गुज़र ही रही है ज़िन्दगी, और अभी बहुत गुजारनी भी है ।
Deleteइस ट्रेन से वही उतरते हैं जिनको सचमुच उतर जाना चाहिए, वर्ना साथ और साथी प्यारा हो तो, ट्रेन बूढ़ी हो जाती है, ट्रैक ख़तम हो जाते हैं, लेकिन सफ़र फिर भी चलता ही रहता है :)
का माने का माने ये है कि आप पोस्ट में अपना गीत गा रही हैं और हम कमेंट में अपना बाजा बजा रहे हैं, हाँ नहीं तो.. :)
Deleteसफ़र वाली बात बराबर है, वो तो चलता ही रहता है।
दोस्ती वाली बात के साथ गाना बहुत सुन्दर लगा- अजनबी तुम जाने-पहचाने से लगते हो। :)
ReplyDeleteदोस्त बनने से पहले अजनबी ही तो होते लोग, इसी लिए तो लगाया ये गाना :)
Deleteहर एक फ्रैंड ज़रूरी होता है... :)
ReplyDeleteबिलकुल होता है।
Deleteसच्चा दोस्त वही है जो आपकी गलतियों पर पर्दा डालने के बजाय निष्पक्ष रूप से अपना पक्ष, आपके सामने प्रस्तुत करे। आपको आपकी बुराईयों से अवगत कराए, लेकिन दूसरों के सामने आपका सम्मान बचा कर रखे। वो आपको सही और सच्ची बात बताये, इसके लिए बेशक़ वो कुछ कडवे बोल, बोल जाए।
ReplyDeleteये बात हमेशा ध्यान में रखी है ...और चाहूँगीं की आगे भी इसका ख्याल रहे
मैंने भी हमेशा इसका ध्यान रखा है, आगे भी रखती ही रहूंगी मोनिका जी।
Deleteआभार !
to find a friend keep one eye closed and to keep him ,both.
ReplyDeleteअच्छा !!
DeleteReally !!
क्या आप मेरी मित्र बनेंगी ? :) हर बार आपके प्रोफाइल मे आपका गाना सुनना अच्छा लगता है ... आज लोड नहीं हो पाया ... अजनबी स ही रह गया गीत
ReplyDeleteअरे काहे नहीं नूतन जी, हम तो एनी टाईम तैयार हैं मित्र बनने के लिए आप हुकुम तो कीजिये :)
Deleteगाना आप नहीं सुन पायीं अफ़सोस हुआ जान कर। कोई बात नहीं फिर सही। कोई न कोई गाना फिर हम लगा ही देंगे, उसके लिए तो हमको बस बहाना चाहिए होता है, अब देखिये न आप की यही बात एक बहाना बन गई :)
मित्र दिवस की अमानत पोस्ट -बहुत अच्छा लिखा है . साधुवाद!
ReplyDeleteथैंक यू डॉक्टर साहेब !
Deleteअच्छे मित्र के बारे में एक संस्कृत की सूक्ति यह भी है -
ReplyDeleteगुह्यं च गुह्यति गुणान प्रगती करोति!
मतलब जो छिपानी की बात हो मित्र की उसे तो छुपाता है हाँ गुणों को प्रगट करता है प्रकाशित करता रहता है -
हम आपके बारे में यही करते हैं :-)
अरे वाह ई तो बड़ी अच्छी बात हो रही है फिर तो :)
Deleteमालूम हुआ ...
ReplyDeleteदोस्ती वोस्ती , प्यार व्यार मैं क्या जानूं रे ! :)
जानूँ तो जानूँ बस इतना कि मैं पोस्ट लिखना जानूँ रे ...:)
Deleteएक गहरी ह्म्म्म्म्म :)
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