Thursday, April 18, 2013

वो जो दौड़ते से रस्ते हैं, अब ठहर जायेंगे....


वो जो दौड़ते से रस्ते हैं, अब ठहर जायेंगे
तब सोचेंगे लोग, कि वो किधर जायेंगे

कोई शहर बस गया है, सहर से पहले 
 
ये गाँव, ये बस्ती अब, उजड़ जायेंगे 

पहुँचे हैं कगार पर, पर आस है बाक़ी
है दिल को यकीं, ये दिन, गुज़र जायेंगे

शिद्दत-ए-ग़म से, परेशाँ हैं मेरे 
गेसू  
ग़र आईना मिल जाए, ये सँवर जायेंगे

उम्मीद के हंगामों में, शामिल है 'अदा' 
तुम नज़र भर के देख लो, हम निखर जायेंगे 

जो हमने दास्ताँ अपनीसुनाई आप क्यों रोये ...आवाज़ 'अदा' की   

24 comments:

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    1. शकुन्तला जी,
      सबसे पहले आपका स्वागत है।
      आपको पसंद आई ये रचना, मेरा हौसला बढ़ा है।
      आभारी हूँ !

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  2. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल........

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    1. अदिति जी,
      बहुत बहुत शुक्रिया !

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  3. गुजर जाएंगे, निखर जाएंगे। वाह।

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    1. विकेश,
      इस 'वाह' के लिए धन्यवाद :)

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  4. शामिल है 'अदा'
    उम्मीदों के हंगामों में,
    हम निखर जायेंगे
    गर.....आप हमें
    नज़र भर देख जो लो,
    शुभ संध्या

    सादर
    शनिवार की हलचल में आ रहीं है न आप
    क्योंकि ..... निखरना है हमें

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    1. अरे तुम तो पहिले से निखरी हुई हो अब इससे बेटर के होवे है :)

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  5. वाह! क्या बात है बहुत ख़ूब!

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    1. बहुत दिनों बाद नज़र आये संजय, कहाँ गायब थे ?
      'अदा' दी

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  6. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति

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  7. लाजवाब रचना |

    अत्यंत सुन्दर और भावपूर रचना विकेश भाई | शुक्र है किसी ने तो सोचा ऐसों के बारे में | ईश्वर उन्हें शांति प्रदान करे | आभार

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  8. तुषार,

    ज़रूर मुझसे छोटे होगे तुम, इसलिए डांटने का भी हक है मुझे, भाँग-वांग खा कर तो कमेन्ट नहीं करते न ??
    'अदा' दी

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    1. जो कमेंट तुमने विकेश के ब्लॉग पर किया वही यहाँ पर भी कर दिया !

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  9. सारा टोटा तो भर नज़र देखने का ही है । लोग उसमें भी कंजूसी करते हैं ।

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  10. बहुत ही सुंदर, शुभकामनाएं.

    रामराम

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  11. वाह, बहुत अच्छे

    हम नजर जीभर के देखें, आग लग जाती बराबर,
    लोग कहते घूरता क्यों, भाव भी थोड़ा भराकर।

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  12. spam box is very hot , get me out please.

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  13. बहुत सुन्दर ग़ज़ल

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  14. आपकी आवाज़ मे सुनने की बात ही अलग है।


    सादर

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  15. बहुत बढ़िया गजल

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