वो जो दौड़ते से रस्ते हैं, अब ठहर जायेंगे
तब सोचेंगे लोग, कि वो किधर जायेंगे
कोई शहर बस गया है, सहर से पहले
कोई शहर बस गया है, सहर से पहले
ये गाँव, ये बस्ती अब, उजड़ जायेंगे
पहुँचे हैं कगार पर, पर आस है बाक़ी
है दिल को यकीं, ये दिन, गुज़र जायेंगे
शिद्दत-ए-ग़म से, परेशाँ हैं मेरे गेसू
ग़र आईना मिल जाए, ये सँवर जायेंगे
है दिल को यकीं, ये दिन, गुज़र जायेंगे
शिद्दत-ए-ग़म से, परेशाँ हैं मेरे गेसू
ग़र आईना मिल जाए, ये सँवर जायेंगे
उम्मीद के हंगामों में, शामिल है 'अदा'
तुम नज़र भर के देख लो, हम निखर जायेंगे
जो हमने दास्ताँ अपनीसुनाई आप क्यों रोये ...आवाज़ 'अदा' की
बहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteशकुन्तला जी,
Deleteसबसे पहले आपका स्वागत है।
आपको पसंद आई ये रचना, मेरा हौसला बढ़ा है।
आभारी हूँ !
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल........
ReplyDeleteअदिति जी,
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया !
गुजर जाएंगे, निखर जाएंगे। वाह।
ReplyDeleteविकेश,
Deleteइस 'वाह' के लिए धन्यवाद :)
शामिल है 'अदा'
ReplyDeleteउम्मीदों के हंगामों में,
हम निखर जायेंगे
गर.....आप हमें
नज़र भर देख जो लो,
शुभ संध्या
सादर
शनिवार की हलचल में आ रहीं है न आप
क्योंकि ..... निखरना है हमें
अरे तुम तो पहिले से निखरी हुई हो अब इससे बेटर के होवे है :)
Deleteवाह! क्या बात है बहुत ख़ूब!
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद नज़र आये संजय, कहाँ गायब थे ?
Delete'अदा' दी
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteधन्यवाद विनय जी !
Deleteलाजवाब रचना |
ReplyDeleteअत्यंत सुन्दर और भावपूर रचना विकेश भाई | शुक्र है किसी ने तो सोचा ऐसों के बारे में | ईश्वर उन्हें शांति प्रदान करे | आभार
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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तुषार,
ReplyDeleteज़रूर मुझसे छोटे होगे तुम, इसलिए डांटने का भी हक है मुझे, भाँग-वांग खा कर तो कमेन्ट नहीं करते न ??
'अदा' दी
जो कमेंट तुमने विकेश के ब्लॉग पर किया वही यहाँ पर भी कर दिया !
Deleteसारा टोटा तो भर नज़र देखने का ही है । लोग उसमें भी कंजूसी करते हैं ।
ReplyDeleteहम भी ज़रूर आवेंगे :)
ReplyDeleteThanks Shivam !
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम
वाह, बहुत अच्छे
ReplyDeleteहम नजर जीभर के देखें, आग लग जाती बराबर,
लोग कहते घूरता क्यों, भाव भी थोड़ा भराकर।
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल
ReplyDeleteआपकी आवाज़ मे सुनने की बात ही अलग है।
ReplyDeleteसादर
बहुत बढ़िया गजल
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