आपने कील के मुंडी पर हथौड़ा मारा है । मेरा भी यही मानना है। इन तस्वीरों को दिखाने के पीछे मेरे कई मकसद थे। पहला अगर नीयत ठीक हो तो नग्नता भी नग्न नहीं दिखाई देगी। दूसरी बात, हर चीज़ को देखने का अपना-अपना नज़रिया होता है। अब यहीं देखिये, सभी महिलाओं को इन तस्वीरों को देख कर, गंगा की चिंता हुई, उनको इन बाबाओं का ढकोसला दिखा, जबकि यहीं कुछ लोगों को आनंद की अनुभूति हुई।
कुम्भ स्नान की बेहतरीन चित्र,आभार.
ReplyDelete"महिलाओं के स्वास्थ्य सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी
"
जी हाँ राजेश जी,
Deleteफोटोग्राफर प्रोफेशनल फोटोग्राफर है, और कैमरा भी।
आनन्द
ReplyDeleteReally ?
Deleteबाबाओं का ढकोसला
ReplyDeleteसरकार के करोड़ो स्वाहा
गंगा हो गई और मैली
Bravo यशोदा,
Deleteतुम्हारी बातों से शत-प्रतिशत सहमत हूँ। इनको देख कर मेरे मन में भी यही विचार आये हैं।
crazy..............
ReplyDeleteanu
Absolutely Right !
DeleteQ: क्या कह रहीं है ये तसवीरें ?
ReplyDeleteA: आज की इस स्ट्रेस से भरी दुनिया में तन वैराग्य से बढ़कर कोई विकल्प नहीं, वैराग्य ग्रहण करो और मस्त होकर जियो। भाड में गई दुनियादारी :)
सच्चे अर्थों में वैराग्य हो फिर तो बात ठीक है, लेकिन अगर वैराग्य का ढोंग हो फिर तो ...
DeleteSpam Box Hai-Hai !! :)
ReplyDeleteहमारी टिप्पणी आज़ाद करो !! :)
Deleteक्या कह रहीं है ?
ReplyDeleteजो कह रही हैं, वही तो कह रहीं हैं :)
DeleteAchhe chitra
ReplyDeleteजी हाँ, लाईटिंग, कोम्पोजीशन सभी अच्छे हैं।
Deleteउजड्ड नागा सन्यासी, जिनमें साधुता का अंश भी नहीं. किसी से क्रोधित हो जाएँ तो मार ही डालें. हिन्दू धर्म पर बड़ा फोटोजेनिक धब्बा.
ReplyDeleteजिनके पास खोने को कुछ नहीं होता, वो ख़तरनाक ही होते हैं।
Deleteनंगे क्या नहाएँगे , क्या निचोड़ेंगे और क्या सुखाएंगें ...
ReplyDeleteबेचारे :)
Deleteतस्वीरें कभी कुछ नहीं कहती आदमी और उसका दृष्टिकोण कहता है ....
ReplyDeleteआपने कील के मुंडी पर हथौड़ा मारा है । मेरा भी यही मानना है। इन तस्वीरों को दिखाने के पीछे मेरे कई मकसद थे। पहला अगर नीयत ठीक हो तो नग्नता भी नग्न नहीं दिखाई देगी।
Deleteदूसरी बात, हर चीज़ को देखने का अपना-अपना नज़रिया होता है। अब यहीं देखिये, सभी महिलाओं को इन तस्वीरों को देख कर, गंगा की चिंता हुई, उनको इन बाबाओं का ढकोसला दिखा, जबकि यहीं कुछ लोगों को आनंद की अनुभूति हुई।
आपका दृष्टकोण जानना चाहती हूं,मैं तो आदरेया यशोदा के विचार से सहमत हूं।
ReplyDeleteवन्दना जी,
Deleteयशोदा, आप और मैं एक ही दृष्टिकोण साझा करते हैं।