Tuesday, April 16, 2013

क्या कह रहीं है ये तसवीरें ?

ये कुछ तसवीरें हैं, जो गूगल से सभार ली गयीं हैं। 
क्या कह रहीं है ये तसवीरें ? 
  





24 comments:

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    1. जी हाँ राजेश जी,
      फोटोग्राफर प्रोफेशनल फोटोग्राफर है, और कैमरा भी।

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  2. बाबाओं का ढकोसला
    सरकार के करोड़ो स्वाहा
    गंगा हो गई और मैली

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    1. Bravo यशोदा,

      तुम्हारी बातों से शत-प्रतिशत सहमत हूँ। इनको देख कर मेरे मन में भी यही विचार आये हैं।

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  3. Q: क्या कह रहीं है ये तसवीरें ?

    A: आज की इस स्ट्रेस से भरी दुनिया में तन वैराग्य से बढ़कर कोई विकल्प नहीं, वैराग्य ग्रहण करो और मस्त होकर जियो। भाड में गई दुनियादारी :)

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    1. सच्चे अर्थों में वैराग्य हो फिर तो बात ठीक है, लेकिन अगर वैराग्य का ढोंग हो फिर तो ...

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    1. हमारी टिप्पणी आज़ाद करो !! :)

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  5. क्या कह रहीं है ?

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    1. जो कह रही हैं, वही तो कह रहीं हैं :)

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    1. जी हाँ, लाईटिंग, कोम्पोजीशन सभी अच्छे हैं।

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  7. उजड्ड नागा सन्यासी, जिनमें साधुता का अंश भी नहीं. किसी से क्रोधित हो जाएँ तो मार ही डालें. हिन्दू धर्म पर बड़ा फोटोजेनिक धब्बा.

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    1. जिनके पास खोने को कुछ नहीं होता, वो ख़तरनाक ही होते हैं।

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  8. नंगे क्या नहाएँगे , क्या निचोड़ेंगे और क्या सुखाएंगें ...

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  9. तस्वीरें कभी कुछ नहीं कहती आदमी और उसका दृष्टिकोण कहता है ....

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    1. आपने कील के मुंडी पर हथौड़ा मारा है । मेरा भी यही मानना है। इन तस्वीरों को दिखाने के पीछे मेरे कई मकसद थे। पहला अगर नीयत ठीक हो तो नग्नता भी नग्न नहीं दिखाई देगी।
      दूसरी बात, हर चीज़ को देखने का अपना-अपना नज़रिया होता है। अब यहीं देखिये, सभी महिलाओं को इन तस्वीरों को देख कर, गंगा की चिंता हुई, उनको इन बाबाओं का ढकोसला दिखा, जबकि यहीं कुछ लोगों को आनंद की अनुभूति हुई।

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  10. आपका दृष्टकोण जानना चाहती हूं,मैं तो आदरेया यशोदा के विचार से सहमत हूं।

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    1. वन्दना जी,
      यशोदा, आप और मैं एक ही दृष्टिकोण साझा करते हैं।

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