Tuesday, April 30, 2013

एक कविता, एक ग़ज़ल, कुछ चित्र ....



रुख को कभी फूल कहा आँखों को कवँल कह देते हैं
जब जब भी दीदार किया हम यूँ ही ग़ज़ल कह देते हैं

वो परवाना लगता है कभी और कभी दीवाना सा
जल कर जब भी ख़ाक हुआ शमा की चुहल कह देते हैं

वो आके खड़े हो जाते हैं जब सादगी लिए उन आँखों में
वो पाक़ मुजस्सिम लगते हैं हम ताजमहल कह देते हैं

लगता तो था कि आज कहीं हम शायद नहीं उठ पायेंगे
सीने में वो जो दर्द उठा चलो उसको अजल कह देते हैं

क्या जाने कितने पत्थर सबने बरसाए हैं आज 'अदा'
मंदिर की जिन्हें पहचान नहीं वो रंग महल कह देते हैं

अजल=मौत


मेरे दोनों बेटे और बिटिया अच्छी चित्रकारी कर लेते है। ये मेरे मयंक की चित्रकारी ...कैसी है ?
यह पूरा sketch पेंसिल से बनाया है...बच्चों का आपलोगों को पता ही है फेंक दिया था मयंक ने इसको...मैंने इसे सहेज कर रखा ...बाद में उसने इसे scan करके कुछ रंग डाला है कहीं कहीं...ये मुझे बहुत पसंद है....आप बताइए कैसी है ..??


ये पेटिंग मयंक ने मृगांक की बनाई है...

और ये कुछ ऐसे ही ....



एक ग़ज़ल 'किसने कहा हुजूर के तेवर बदल गए'  
आवाज़ 'अदा', 
संगीत 'संतोष शैल' 
शायर जनाब रिफत सरोश 
कच्चा-पक्का है बुरा मत मानियेगा...

13 comments:

  1. प्रभावी चित्रकारी, बढिया गजल.

    ReplyDelete
  2. लाजवाब ग़ज़ल और बढ़िया चित्रकारी |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    ReplyDelete
  3. ताजमहल अद्भुत फोटोग्राफी संग में खुबसूरत ग़ज़ल, बाबू मयंक की चित्रकारी और आपका टच क्या कहने रही बात गाने की तो सोने में सुहागा ......सुप्रभात ...

    ReplyDelete
  4. शुभ प्रभात दीदी
    चित्रांकन सराहनीय है..शाबाशी ...और मिठाई दानों मेरी ओऱ से
    क्या जाने कितने पत्थर सबने बरसाए हैं आज 'अदा'
    मंदिर की जिन्हें पहचान नहीं वो रंग महल कह देते हैं
    इस मामले में आप झूठ नहीं न कहते
    आज-कल मंदिरों में रंग-पानी अधिक ही हो रही है
    ग़ज़ल वाकई में ग़ज़ल है...
    भा गई मन को
    इसे कल की हलचल में भी देखिये
    सादर..

    ReplyDelete
  5. पूरी पोस्ट बढ़िया है ...... चित्र सच में कमाल की है

    ReplyDelete

  6. ग़ज़ल एवं चित्र दोनों अच्छे है ,आपकी आवाज में मिठास है ,गाते रहिये,
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest postजीवन संध्या
    latest post परम्परा

    ReplyDelete
  7. बस एक ही शब्द ........लाजबाब

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर चित्र..प्रभावी..

    ReplyDelete
  9. खूबसूरत ग़ज़ल....चित्रकारी भी खूब ,भविष्य उज्ज्वल है शुभकामनाएं....


    ReplyDelete
  10. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  11. यह तो एक मुकम्मल पॅकेज है ,ग़ज़ल और चित्र बहुत ही सुन्दर हैं,खासकर मृगांक का पोट्रेट तो कमाल का है .
    अपनी दूसरी ग़ज़लों को भी अपनी आवाज़ देने की सोचो....और फिर सी डी निकालने की ..हमारी अग्रिम बुकिंग :)

    ReplyDelete
  12. आपसे ईर्ष्या होती है कितना intellectually talented परिवार है !सब कुछ बहुत सुन्दर ग़ज़ल से पेंटिंग तक . सर्वं मधुरं!

    ReplyDelete
  13. रंगों का सुंदर सम्मोहन
    सुंदर रचना
    हार्दिक बधाई और शुभकामनायें

    विचार कीं अपेक्षा
    आग्रह है मेरे ब्लॉग का अनुसरण करें
    jyoti-khare.blogspot.in
    कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?

    ReplyDelete