इन्टरनेट खंगालते हुए कुछ प्रेम पत्र प्राप्त हुए सोचा आप लोग भी पढ़ लें ....
एक सम्पादक पति का प्रेम पत्र अपनी पत्नी रचना के नाम :)
(रचना जी माफ़ी चाहती हूँ, बुरा मत मानियेगा प्लीज )
मेरी प्यारी रचना,
सदा प्रकाशित रहो,
पिछले सप्ताह मैके से भेजा हुआ तुम्हारा हस्तलिखित प्रेम पत्र प्राप्त हुआ, धन्यवाद ! परन्तु मुझे संदेह है कि तुम्हारा यह पत्र मौलिक नहीं है, क्योंकि मैं तुम्हारी लेखन शैली से भली-भंति परिचित हूँ। यह पत्र अवश्य ही तुमने अपनी भाभी अथवा सहेली के प्रेम पत्रों से चुरा कर भेजा है। किसी की चुराई हुई सामग्री मुझे पसंद नहीं, इसलिए भविष्य में केवल मौलिक प्रेम पत्र ही भेजा करो और मौलिकता का प्रमाण-पत्र देना भी जरुरी है।
तुम्हारे प्रेम-पत्र की भाषा बेहद रुखी और अरुचिकर लगती है, जिसे पढकर प्रेम के बजाय दंगे-फंसाद का अनुभव होता है, लिखावट भी ऐसी है, मानो कागज पर कीड़े-मकोड़े रेंग रहे हों। व्याकरण और मात्राओं पर भी तुमने ध्यान नहीं रखा है, इसलिए तुम्हारा प्रेम-पत्र पढ़ने से पहले मुझे उप-सम्पादक द्वारा 'करेक्शन' करवाना पड़ा (ये और बात है कि उसके द्वारा किया हुआ 'करेक्शन' भी मुझे दुबारा 'करेक्ट' करना पड़ा।)
एक संपादक की पत्नी होने के नाते तुम्हे यह मालूम होना चाहिए कि पत्र कागज के सिर्फ एक तरफ से लिखना चाहिए और लिखते समय कागज के एक ओर हाशिया अवश्य छोड़ देना चाहिये|
ख़ैर , इन तमाम त्रुटियों के बावजूद तुम्हारा प्रेम-पत्र पढ़ कर मैं अपनी प्रसन्नता का स्वीकृति पत्र तुम्हें भेज रहा हूँ। आशा है, तुम इसे अस्वीकृत नहीं करोगी।
मैं इस पत्र के साथ अपना पता लिखा लिफाफा सलंग्न कर रहा हूं| तुम अपनी वापसी के सम्बध में अपने निर्णय से मुझे शीघ्र सूचित करना| तुम्हारे अगले प्रेम-पत्र की प्रतीक्षा में,
तुम्हारा मौलिक पति
पनवाड़ी पति का प्रेम पत्र
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हमरी पियारी राम दुलारी,
सदा मुस्कियात रहो,
जब से तुम रिसियाय के अपने मंगरू भईया के इहाँ गयी हो, तब से हमरी जिंदगी है, अइसी हो गयी है, जइसे बिना सुपारी का पान। सच कहत है राम दुलारी, तुमरे लाल-लाल होठन की मुस्कान देखे बिना हमार मन सुरती खाने को भी नहीं करत है।
कसम कलकता पान की, तुमरे संग हमार मन अइसे घुल मिल गया है, जइसे चुन्ना कथे के साथ मिल जाता है, हम मानत है की हम तुमको सनीमा देखाने नाहीं लई गए, पर हम का करे, दिन भर पान की दुकान पर बइठ के चुन्ना लगाए-लगाए के हमरी मती भी सुन्न हो गयी है। अब हम तुमसे हाथ-गोड जोड़ के चिरुरी करत है की तुम गुस्सा पीक दो औउर फौउरन लोउट आओ। नही तो हम तुमरी याद में मघई पान के जैसन घुलते-घुलते खत्म हुई जायेंगे। अरे तुम तो हमरे लिए केसर, इलाइची से भी जादा खुशबूदार और गुलकंद से भी जादा मीठी हो| भला हम तुमसे दूर कइसे रह सकत है। हम दिल है तुम जान हो, हम जर्दा है तुम पान हो, बस अब अपने जर्दा की खातिर आ जाओ तुम्हरे लिए हम बनारसी बीड़ा लगाए के बीइठे हैं।
फ़क्त तुम्हरा
सुरती लाल पनवाड़ी
संपादक और पनवाड़ी के प्रेम-पत्र बेहद रोचक हैं। बढ़िया।
ReplyDeleteइनकी रोचकता ही इनको यहाँ तक खींच लायी है।
Deleteप्रेम पत्र
ReplyDeleteयादें ताजा हो गई
माने कन्या अनुभवी है ! :):)
Deleteha-ha-ha-ha-ha-ha-ha-ha-ha-ha-ha-ha-ha-ha-ha-ha-ha......................................................!
ReplyDeleteइतने जोर से आप हँसे हैं कि हम तो डरिये गए :)
Deleteसुन्दर प्रेमपत्र लेकिन आजकल तो प्रेमपत्रों का ज़माना ही नहीं रहा !!
ReplyDeleteकौन कहता है प्रेम पत्र का ज़माना नहीं रहा।
Deleteपत्र भी है और प्रेम भी है, फर्क सिर्फ इतना है, एक शोर्ट हैण्ड में होता है दूसरा शोर्ट कट में ... :)
:D
ReplyDeleteमजा आ गया :)
वोई तो :)
Deleteगजब का प्रेम पत्र
ReplyDeleteधन्यवाद !
Deleteमेरी प्यारी रचना,
ReplyDeleteसदा प्रकाशित रहो,.....अच्छा किया ये लिखा...वरना कोई कमी है का पत्र पत्रिकाओं की...हाँ नई तो :-)
आ रही हूँ प्यारे जर्दा...तुमसा नसा और कहाँ...
तोहरी रामदुलारी(हेमामालिनी)....
:-)
अनु
हमरी पीयारी बसंती (हेमामालिन),
Deleteबाह ! आज हमरा भाग केतना जोरदार है कि तुम चल के आई हो । होली का दिन में तुम्हरी बहुते ईयाद आया, एही वास्ते हम देखने चल गए थे फिलिम 'रंग दे बसंती', सोचे तनी रंग उंग देगी बसंती।
लेकिन वाह रे फूटक किस्मत, सौंसे फिलिम पूरा दिए हम बैठके, बाकी तुम बसंती कहीं दिखबे नहीं की। आज हमरा जनम सुफिल हुआ है। बस आइसे ही बीच बीच में हुलक दिया करो। मन जोड़ा जाता है।
तुम्हरा बीरू (धरमेन्दर) सोले बाला
फूटक=फुटल
Deleteवाह! वाह!! क्या बात है.....कई जगह भारी भरकम बहस देखकर दिमाग का दही हो गया था...मजा आ गया ,यह पोस्ट पढ़कर
ReplyDeleteअरे यार मेरा दिमाग खुदे भारी भरकम हो गया था, तभी तो ...:)
Deleteतू अपने दिमाग का दही ले आ, मैं भेजा फ्राई , मिलके डिनर करते हैं ;)
Deleteक्या बोलती तू ?:)
क्या बोलेगी मैं....यही कि आइडिया धांसू है बोले तो एकदम झक्कास :)
Deleteएल्लो जी । और एक हम हैं - इत्ते साल हो गए ब्याह को - लेकिन अब भी प्रेमपत्र के नाम पर सिर्फ "आय लव यु" ही likh kar bhej rahe हैं , वह भी SMS में ..... :) :)
ReplyDeleteवैसे आपका पोस्ट था न - ""तेरे लिए रिदा हूँ मैं, और तेरी ही 'अदा' हूँ....""
- हमें तो वह वड्डा पसंद आया था प्रेमपत्र के रूप में । आज्ञा तो (चुरा कर) कोपी कर के भेज दूं अपने इनको ? बाहर गए हुए हैं, ISD कॉल भी लग नहीं रहा :( बड़ी याद आ रही है ....
नेकी और पूँछ-पूँछ :)
Deleteहम अपने 'इनके' लिए लिखे या तुम लिखो अपने 'उनके' लिए लिखो, एक ही बात है, बेधड़क भेजो अपने संजय जी को :)
ख़ुशकिस्मत हो जो आई लव यू बोल सकती हो, हमरे 'इनको' तो ऊ भी नहीं सुहाता है :):)
(ओये होय याद आ रही है ! :))
haan ji haan ji - hans lo hans lo :(
Delete:) :) :)
hamaare inko to suhaata hai - bolne me tanik sharmaate hain oo aur baat hai :)
permission ke liye thankyou hai ji :) abhi abhi bheje dete hain copy maar kar :)
एल्लो,
Deleteतुम लव यू लव यू करो और हम हँसे भी नहीं का ?? :)
बात करती है !
:)
Deleteअब यार प्रेमपत्र की बात हो अऊर लव यु न हो??
भेज दिए हैं। जानती हैं क्या जवाब आएगा? कहेंगे; मैं गया तो तू फिर ब्लॉग पढने लिखने बैठ गयी?? बंद कर और सो जा।
:)
ज़बरदस्त.....
ReplyDeleteवैसे तो इन प्रेम पत्रों में पूरा पूरी विदेशी हाथ है, फिर भी हम क्रेडिट ले ले रहे हैं, तब तक जब तक कोई इनकी जिम्मेदारी नहीं ले लेता :):)
Deleteधन्यवाद !
Thank you ji !
ReplyDelete1.
ReplyDeletehttp://kmmishra.wordpress.com/2010/05/16/%e0%a4%9c%e0%a5%8b%e0%a4%96%e0%a5%82-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9-%e0%a4%89%e0%a4%aa%e0%a4%a7%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%af-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%87/
2.
http://kmmishra.wordpress.com/2010/05/24/%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A4%AE%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80-%E0%A4%9D%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%9D%E0%A5%8B%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%9C/
3.
http://azdak.blogspot.in/search/label/%E0%A4%95%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E2%80%8D%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%B8%E0%A5%87%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%A4%20%E0%A4%95%E0%A5%87
फ़ुल्लटू मसाला :)
vaah vaah baauji - kaa link diye hain .... jiyo aap :) :)
Deleteतुम तो एक नंबर की चमची हो अपने भाऊ जी की :):)
Deleteहाँ नहीं तो ! :)
@@@कहीं पढ़ा था :
Deleteसिर्फ़ लिंक बिखेरकर जाने वाले महानुभाव कृपया अपना समय ....... ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला :)
बड़ी जल्दी सम्हल गए ! :):)
vo to ham hain hi :)
Deleteraakhi par neg bhi vasoolna hai n ?
:) :)
दोनों एक से बढ़कर एक हैं।
ReplyDeleteऐसे ही कुछ और क्लासिक पिरेम पतर का लिंक दिया है, वो गलती से अधूरा ही पब्लिश हो गया। उसे चूना और इसे कत्था मिलाकर ट्रीट किया जाये :)
कोई बात नहीं है जी, तभी तो कहते हैं इंसान गलतियों का पुतला होता है और आप भी पुत ...आई मीन इंसान हैं :)
Deleteहम सब सम्हाल लेंगे चूना-कत्था, पान का गुमटी जो चलाते हैं हम, बात करते हैं ! :)
कमाल है! भारतीय पति भी अपनी पत्नी को प्रेमपत्र लिखना जानते हैं ।
ReplyDeleteकाहे भाई, भारतीय पति लोगन के पास किडनी नहीं होता है का :)
Deleteकमाल है! भारतीय पति भी अपनी पत्नी को प्रेमपत्र लिखना जानते हैं ।
ReplyDeleteकैसन कैसन प्रेमपत्र है ,
ReplyDeleteआजकल कहा कोई परेमपत्तर लिखता है , सब इधर उधर से चोरी :)
डाकू का जाने चोरी का स्वाद :):)
Deleteपारिवारिक संबंधों पर अपना व्यवसाय उड़ेलते हुये पत्र।
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